NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था

पूरे बजट में विनिवेश और सरकारी संपत्ति को बेचने पर ज़ोर, आम आदमी को कोई राहत नहीं

आज संसद में साल 2021-22 का आम बजट पेश किया गया, लेकिन आम आदमी को मिला कुछ नहीं, हां सरकार विनिवेश के नाम पर सबकुछ बेचने की मंशा ज़रूर दिखा रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
01 Feb 2021
budget

बजट 2021 -2022 को लेकर आम जनता बड़ी उम्मीद थी कि उसे कोई राहत मिलेगी लेकिन ऐसा होता कुछ दिखा नहीं है। ऐसा माना जा रहा था कि आर्थिक मंदी में लोगों के हाथ में पैसा देने के लिए उसके प्रत्यक्ष कर की दर में कटौती की जाएगी। लेकिन इसपर कुछ भी नहीं हुआ बल्कि सरकार ने अपने भाषण में सरकारी संपत्तियों के लगातर विनिवेश पर जोर दिया।  
वित्त मंत्री ने एलान किया कि बीपीसीएल का विनिवेश अगले वित्त वर्ष में होगा। वित्त मंत्री ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई लिमिट 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने का एलान किया। इंश्योरेंस एक्ट 1938 में संशोधन होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022 के लिए 1.75 लाख करोड़ विनिवेश का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट भाषण् में कहा कि गेल इंडिया लि., इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और एचपीसीएल की 20 पाइपलाइन को बाजार पर चढ़ाया जाएगा।
यानी आम भाषा में कहे तो सरकार ने इनको सरकारी हिस्से को बेच रही है,जबकि राजमार्ग को भी निजी हाथो में दिया जा रहा है।

किसान और किसानी को लेकर भी कोई बड़ी राहत नहीं दी गई बल्कि कर्ज की सीमा और बढ़ाने का प्रयास किया। सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 में एग्री क्रेडिट के लक्ष्य को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की है। लेकिन देशभर के किसान लगातर पूर्ण कर्जा माफी की मांग कर रहे हैं उसपर सरकार कोई बात नहीं कर रही है। देशभर में किसान अपने फ़सल के उचित दाम के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में बजट के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के हितों के लिए कार्यरत है। सभी कमोडिटी के लिए किसानों को डेढ़ गुना एमएसपी दी गई। लेकिन क्या ये सही है क्योंकि किसानों का कहना है उसके फसल की उसे लागत भी नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ किसानी की लगात में लगातर बढ़ोतरी हो रही है। बीज, खाद और डीजल से लेकर सबके दाम बढ़ रहे है उसके तुलना में उसे उसके दाम नहीं मिल रहे हैं। 

मज़दूर के लिए भी कोई पुख़्ता आश्वसन नहीं दिया बल्कि जिसका वो विरोध कर रहे हैं उसका ही गुणगान सरकारी भाषण किया। लेबर कोड का मज़दूर लगातर विरोध कर रहे लेकिन सरकार ने इसकी खूब तारीफ की है। मज़दूर संगठन लगातर सरकारी पीएसयू के विनिवेश का विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार पूरी तरह बेचने की तैयारी है।  

Live blog

There are currently no posts.

Pagination

  • Previous page ‹‹
Union Budget 2021
Nirmala Sitharaman
Narendra modi
Modi government
Fiscal Stimulus
Covid-19 Pandemic

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

क्या जानबूझकर महंगाई पर चर्चा से आम आदमी से जुड़े मुद्दे बाहर रखे जाते हैं?

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"


बाकी खबरें

  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दक्षिणी गुजरात में सिंचाई परियोजना के लिए आदिवासियों का विस्थापन
    22 May 2022
    गुजरात के दक्षिणी हिस्से वलसाड, नवसारी, डांग जिलों में बहुत से लोग विस्थापन के भय में जी रहे हैं। विवादास्पद पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। लेकिन इसे पूरी तरह से…
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: 2047 की बात है
    22 May 2022
    अब सुनते हैं कि जीएसटी काउंसिल ने सरकार जी के बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए सांस लेने पर भी जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।
  • विजय विनीत
    बनारस में ये हैं इंसानियत की भाषा सिखाने वाले मज़हबी मरकज़
    22 May 2022
    बनारस का संकटमोचन मंदिर ऐसा धार्मिक स्थल है जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने के लिए हमेशा नई गाथा लिखता रहा है। सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले इस मंदिर में हर साल गीत-संगीत की…
  • संजय रॉय
    महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 
    22 May 2022
    पेट्रोलियम उत्पादों पर हर प्रकार के केंद्रीय उपकरों को हटा देने और सरकार के इस कथन को खारिज करने यही सबसे उचित समय है कि अमीरों की तुलना में गरीबों को उच्चतर कीमतों से कम नुकसान होता है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 
    21 May 2022
    अठारह घंटे से बढ़ाकर अब से दिन में बीस-बीस घंटा लगाएंगेे, तब कहीं जाकर 2025 में मोदी जी नये इंडिया का उद्ïघाटन कर पाएंगे। तब तक महंगाई, बेकारी वगैरह का शोर मचाकर, जो इस साधना में बाधा डालते पाए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License