NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जहांगीरपुरी में चला बुल्डोज़र क़ानून के राज की बर्बादी की निशानी है
बिना पक्षकार को सुने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कानून द्वारा निर्धारित यथोचित प्रक्रिया को अपनाए बिना किसी तरह के डिमोलिशन की करवाई करना अन्याय है। इस तरह के डिमोलिशन संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा मिले गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन हैं।
अजय कुमार
22 Apr 2022
jahangirpuri
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

दिल्ली के जहांगीरपुरी में पहले सांप्रदायिकता का जहर घोला गया। सांप्रदायिकता का जहर घोलते समय यह कहा गया कि वहां रहने वाले वहां के नहीं है। बाहरी हैं। बांगलादेशी मुस्लिम हैं। लाख से ज्यादा बांगलादेशी होने की बात कही गयी। कहा गया कि यह इलाका अपराधियों का इलाका है। नशे के इलाके के तौर पर जाना जाता है। लागातार चार दिन तक सांप्रदायिकता का तांडव चलता रहा।

इसके बाद 20 अप्रैल को दिल्ली भाजपा अध्यक्ष की तरफ से मांग की गयी कि दंगाई लोगों के अवैध अतिक्रमण को बुलडोजर से ढा दिया जाए। जहांगीरपुरी के निवासियों को सरकारी नोटिस नहीं दिया गया। बिना नोटिस के उत्तरी दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन बुलडोजर लेकर आगे बढ़ निकली। रोजगार मुहैया करवाने के लिए बनाई गई संपतियों को ढाह दिया गया। अधिकतर उनकी संपतियां तोड़ी गयी जो मुस्लिम समुदाय के थे।  

बुलडोजर के जरिये कई लोगों की सम्पतियां बर्बाद कर दी जाती हैं, अगर वकील दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण और पीवी सुरेंद्रनाथ की टीम न्याय के लिए सुप्रीम कोट ना पहुंचती। चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने आदेश दिया कि अगले आदेश आने तक यथास्थिति बरकरार रखी जाए। अतिक्रमण विरोधी अभियान को रोक दिया जाए। यह आदेश आने के बाद भी बुलडोजर के जरिये मकानों, दुकानों और सम्पतियों को ढाने की कार्रवाई चलती रही। रुकी नहीं। ढाने वालों ने कहा कि उनके पास सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं पहुंचा है। उसके बाद फिर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा, तब जाकर बुलडोजर की करवाई रुकी। यह सब आधे घंटे तक चलता रहा। यानी जिस समय डिजिटल दुनिया में इंटरनेट के जरिये सेकंड के सौंवें हिस्से में संदेश पंहुच जाते हैं, उस समय एक संदेश घंटों तक अधिकारियों के पास नहीं पहुंचा। उसकी वजह से आदेश के कई देर बाद तक डिमोलिशन जारी रहा। कई लोगों की सारी जिंदगी की कमाई केवल एक बहाने के चलते बर्बाद होती रहीं।

इसके बाद 21 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई। वकील दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर आप अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहते हैं तो आप सैनिक फार्म में जाएं। गोल्फ लिंक पर जाएं, जहां हर दूसरा घर अतिक्रमण है। आप उन्हें छूना नहीं चाहते, बल्कि गरीब लोगों को निशाना बनाना चाहते हैं। दिल्ली में लाखों लोगों के साथ 731 अनधिकृत कॉलोनियां हैं और आप एक कॉलोनी चुनते हैं, क्योंकि आप एक समुदाय को निशाना बनाते हैं! अगर ऐसा चलता रहेगा तो कानून का राज नहीं बचेगा।  

यह सब तो उसका ब्यौरा हुआ, जो हुआ। अब देखते हैं कि कैसे यहाँ पर कानून और कानून द्वारा स्थापित सिद्धांतों का उल्लंघन हुआ। लैंड कॉनफ्लिक्ट वाच का विश्लेषण बताता है कि साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सुदामा सिंह मामले में आदेश दिया कि इसी जगह से निष्कासन यानि बेदखली के मामले में राज्य को पहले सर्वे करना पड़ेगा। उसके बाद यह तय करना पड़ेगा कि किसकी बेदखली की जानी है? किसका पुनर्वास किया जाना है? जब तक पुनर्वास नहीं होगा तब तक बेदखली यानी कि निष्कासन की कार्रवाई नहीं की जाएगी? यह फैसला संयुक्त राष्ट्र संघ के दिशानिर्देशों पर आधारित था। इस दिशानिर्देश में यह भी बताया गया है कि निष्कासन की कार्रवाई तभी की जायेगी जब निष्कासन के सिवाय कोई दूसरा रास्ता न हो। ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि निष्कासन करते समय मानवाधिकारों का उल्लंघन हो।  

वकील दुष्यंत दवे ने यही बात कही थी कि बिना नोटिस के तोड़-फोड़ नहीं की जा सकती है। यह संविधान द्वारा मिले मूल अधिकार का उल्लंघन है। बिना पक्षकार को सुने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कानून द्वारा निर्धारित यथोचित प्रक्रिया को अपनाए किसी तरह के डिमोलिशन की करवाई करना अन्याय है। बिना पक्षकार को सुने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कानून द्वारा निर्धारित यथोचित प्रक्रिया को अपनाए बिना किसी तरह के डिमोलिशन की करवाई करना अन्याय है। पहले भी इस तरह के डिमोलिशन हो चुके हैं। इस तरह के डिमोलिशन संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा मिले गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन हैं।

जहां तक दिल्ली में अवैध कॉलोनी की बात है तो इसमें वह सब शामिल हैं जिनकी बसावट वहां है, जहां कानूनन बसने का हक नहीं था। यानि घर वहां पर जहां पर घर बनाने का हक नहीं है। दुकान वहां पर जहां पर दुकान बनाने का हक नहीं है। मकान वहां पर जहां पर मकान बनाने का हक नहीं है। कमर्शियल बिल्डिंग वहां पर जहाँ पर कमर्शियल बिल्डिंग बनाने का कानूनन हक नहीं है।

साल 2017 की  सरकार की अधिसूचना बताती है कि दिल्ली में 1797 अवैध कॉलोनियां हैं। इसमें सैनिक फार्म, छतरपुर, वसंत कुंज, सैदुलाजब जैसे 69 ऐसे इलाके भी हैं, जो अवैध हैं , जहां अच्छी खासी रसूखदार और अमीर लोगों की आबादी रहती है। साल 2008 -09 के आर्थिक सर्वे के मुताबिक दिल्ली में केवल 23.7 फीसदी आबादी नियोजित कॉलोनियों में रहती है। बाकी 70 प्रतिशत आबादी बस्तियों, झुग्गी- झोपड़ियों, अनियोजित और अवैध कॉलोनियों में रहती है। इनमें से केवल 10 प्रतिशत से कम कॉलोनियों का नियमतिकरण हुआ है। अनियमित कॉलोनियों को नियमित करने को लेकर ढेर सारे चुनावी वायदे हुए हैं। लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। चुनावी राजनीती का जिस तरह का हाल है उस हिसाब से देखा जाए तो यह नामुमकिन लगता है।  

मोटे तौर पर देखा जाए यह सारी परेशानी इसलिए पैदा हुई है क्योंकि राज्य द्वारा सबके लिए उचित जमीन पर घरों का प्रबंधन नहीं किया गया है। इस काम में राज्य असफल रहा है। लोग दिल्ली में जीवन चलाने आते गए और बसते गए। राज्य की तरफ से यह व्यवस्था नहीं की गयी कि वहां कहाँ पर बसेंगे? यह बहुत लम्बे समय से होते आ रहा है। यह एक दिन की बात नहीं है। इन मामलो के जानकार गौतम भान बताते हैं कि जहाँगिरपूरी में जो लोग बसे हैं , उनमे वह जो अपनी जिंदगी बहुत मुश्किल से चला पाते हैं। जिन्हें रहने के लिए केवल इतने जगह की जरूरत है जो अपना सर ढंक सके। इनमे वह लोग शमिल हैं जो मजदूर वर्ग से आते हैं। लेकिन वही पर कुछ ऐसी इलाके भी हैं जहां पर अमीरों ने अतिक्रमण किया है। उन्होंने अतिक्रमण किया है, जो अपने पैतृक सम्पति के मालिक है। इन्होने यह काम राज्य के गठजोड़ से किया है? लेकिन क्या इनपर बुलडोजर चलाये जाते हैं?  

Supreme Court
jahangirpuri
Jahangirpuri Violence
Demolition Drive
delhi police
NDMC
Brinda Karat
Muslims
anti-encroachment

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक


बाकी खबरें

  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दक्षिणी गुजरात में सिंचाई परियोजना के लिए आदिवासियों का विस्थापन
    22 May 2022
    गुजरात के दक्षिणी हिस्से वलसाड, नवसारी, डांग जिलों में बहुत से लोग विस्थापन के भय में जी रहे हैं। विवादास्पद पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। लेकिन इसे पूरी तरह से…
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: 2047 की बात है
    22 May 2022
    अब सुनते हैं कि जीएसटी काउंसिल ने सरकार जी के बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए सांस लेने पर भी जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।
  • विजय विनीत
    बनारस में ये हैं इंसानियत की भाषा सिखाने वाले मज़हबी मरकज़
    22 May 2022
    बनारस का संकटमोचन मंदिर ऐसा धार्मिक स्थल है जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने के लिए हमेशा नई गाथा लिखता रहा है। सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले इस मंदिर में हर साल गीत-संगीत की…
  • संजय रॉय
    महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 
    22 May 2022
    पेट्रोलियम उत्पादों पर हर प्रकार के केंद्रीय उपकरों को हटा देने और सरकार के इस कथन को खारिज करने यही सबसे उचित समय है कि अमीरों की तुलना में गरीबों को उच्चतर कीमतों से कम नुकसान होता है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 
    21 May 2022
    अठारह घंटे से बढ़ाकर अब से दिन में बीस-बीस घंटा लगाएंगेे, तब कहीं जाकर 2025 में मोदी जी नये इंडिया का उद्ïघाटन कर पाएंगे। तब तक महंगाई, बेकारी वगैरह का शोर मचाकर, जो इस साधना में बाधा डालते पाए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License