NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपीः योगी सरकार के 5 साल बाद भी पानी के लिए तरसता बुंदेलखंड
उत्तर प्रदेश को बुंदेलखंड स्पेशल पैकेज के तहत जितना पैसा दिया गया उसका 66% यानी 1445.74 करोड़ रुपये का इस्तेमाल पानी का संकट दूर करने के लिए किया गया लेकिन स्थिति नहीं बदली।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
29 Jan 2022
Bundelkhand
Image courtesy : The Quint

उत्तर प्रदेश में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। सभी दलों ने प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। 10 फरवरी से सात चरणों में चुनावों शुरू होकर 7 मार्च को संपन्न हो जाएगा और 10 मार्च को नतीजे आ जाएंगे फिर अगली सरकार बन जाएगी। इस तरह से यूपी में कई चुनाव हुए और कई सरकारें बनीं लेकिन बुंदेलखंड का हाल वही का वही है यानी यह इलाका अब भी पानी को तरस रहा है। केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार ने भी इस इलाके में पानी की समस्या को दूर करने के लिए बहुत सारे वादे किए, बजट आवंटन हुए, करोड़ो रुपये खर्च किए लेकिन यहां के लोगों को अब भी पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। दिन हो या रात, महिलाओं को पीने के पानी के लिए कई किलोमीटर तक जाना पड़ता है। नवंबर 2021 में प्रकाशित बीबीसी की रिपोर्ट इस क्षेत्र के लोगों की पीड़ा को बखूबी बयां कर रही है।

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में सात जिले में पड़ते हैं जिनमें 19 विधानसभाएँ हैं और इन सभी सीटों पर वर्ष 2017 में हुए चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवारों ने ही जीत दर्ज की थी इसके बावजूद पांच साल बीत जाने के बाद भी बुंदेलखंड का इलाका पानी के संकट से जूझ रहा है। बुंदेलखंड की आबादी करीब 97 लाख है। यहां के अधिकतर लोगों के लिए पीने का पानी जुटाना रोजाना संघर्ष करने जैसा है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति तो और भी बदतर बताई जाती है।

यूपी के ललितपुर जिले की रहने वाली एक महिला सुखवती बीबीसी को बताती हैं, ''पानी की बहुत परेशानी है हमें. चार किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं. पूरे गांव भर को पानी की परेशानी है. यहां हमें पानी की सुविधा हो जाए तो क्यों भागे भागे जाएं रोड पार करके। कभी रात को जाएं कभी आधी रात को जाएं, क्या करें दिनभर भरते रहें।''

सुखवती कहती हैं कि घर के पास हैंडपंप लगा है लेकिन काम नहीं करता है। उसमें काफी मेहनत के बाद पानी आता भी है तो गंदा आता है। इसलिए वो घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर पानी लाती हैं। बिजली न आने पर पानी की किल्लत और बढ़ जाती है क्योंकि जिस टंकी से वो पानी लाती हैं वहां बिजली होने पर ही पानी आता है। 

सुखवती का आधा दिन पानी जुटाने में निकल जाता है। उनके पति की मृत्यु हो चुकी है। दो बेटे हैं जो मज़दूरी करते हैं। इसलिए पानी भरने का काम वही करती हैं।

इसी जिले के ही सकरा गांव में रहने वाले आदिवासी परिवार हैंडपंप खराब होने पर कुएं का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।

महोबा जिले की निवासी राजकुमारी बीबीसी से बातचीत में कहती हैं, ''दो-दो, चार चार दिन के लिए पानी भर लेते हैं। बिजली नहीं आती तो बहुत परेशानी होती है। कभी कभी तो चार दिन, पांच दिन में बिजली आती है, वो भी एक-दो घंटे के लिए, उसमें ही पानी भर लेते हैं। कभी कभी बगल के गांव से साइकिल या बैलगाड़ी में पानी लाते हैं।''

रिपोर्ट के मुताबिक बुंदेलखंड पैकेज के तहत उत्तर प्रदेश को साल 2009 से 2019 के बीच तीन चरणों में 3107.87 करोड़ रुपये दिए गए। इस पैसे का इस्तेमाल बुंदेलखंड के सात ज़िलों में अलग-अलग विकास योजनाएं शुरू करने, किसानों की हालत सुधारने और पीने के पानी समस्या को दूर करने में होना था। उत्तर प्रदेश को बुंदेलखंड स्पेशल पैकेज के तहत जितना पैसा दिया गया उसका 66% यानी 1445.74 करोड़ रुपये का इस्तेमाल पानी का संकट दूर करने के लिए किया गया लेकिन स्थिति नहीं बदली।

हमीरपुर ज़िले के गुसियारी गांव में हैंडपंप का पानी खारा है इसलिए पीने के पानी के लिए लोग गांव के बाहर एक कुएं पर ही निर्भर हैं। करीब दो किलोमीटर दूर स्थित इस कुएं से पूरा गांव पानी पीता है।

इस गांव में पीने के पानी का संकट इतना गहरा है कि बाहर के लोग इस गांव में अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते। गुसियारी गांव के ही रहने वाले जलीस ने बताया, ''पानी की वजह से कई लोगों की शादियां रुक गईं। जो बगल वाले गांव में रिश्तेदारी करने के लिए आते हैं वो कहते हैं कि गुसियारी गांव में शादी नहीं करेंगे क्योंकि वहां पानी नहीं है। औरतें पानी लेने जाएंगी। बस पानी की वजह से गांव में करीब 40% कुंआरे पुरुष हैं जिनकी शादी सिर्फ पानी के संकट की वजह से नहीं हो रही।'' गांव के लोगों का कहना है कि चुनाव के समय नेता वोट मांगने आते हैं और वादे करते हैं कि समस्या का समाधान करेंगे लेकिन स्थायी समाधान अब तक नहीं हुआ।

बुंदेलखंड में पानी की समस्या को लेकर किसान भी परेशान रहे हैं। कई किसानों ने सूखे और कर्ज को लेकर आत्महत्या कर ली है। जुलाई 2019 में पांच दिनों में पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली थी। इस घटना ने सबको चौंका दिया था। इसी साल जून-जुलाई महीने की बात करें तो दर्जनों ने सूखे, बढ़ते कर्ज, साहूकारों और बैंकों के कर्ज भुगतान के दबाव के चलते किसानों ने अपनी जान दे दी थी। यहां के किसान हर साल सूखे की मार झेलते हैं जिससे वे उचित अनाज के उत्पादन से वंचित रह जाते हैं और कर्ज के बोझ तले दबते चले जाते हैं। सिंचाई व्यावस्था पर्याप्त न होने के चलते उनकी फसले पूरी तरह बर्बाद हो जाती हैं। उन्हें वर्षा के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है और समय पर बारिश न होना उनके लिए बड़ी समस्या पैदा कर देता है। 

पीने के पानी और सिंचाई के लिए की समस्या पर महोबा के ज़िलाधिकारी सत्येंद्र कुमार बीते साल अक्टूबर महीने में बीबीसी को बताते हैं, "अभी सरकार सिंचाई और पीने के पानी के लिए भी पूरे ज़िले में एक नेटवर्क फैला रही है। सिंचाई का दायरा बढ़ाने की ज़रूरत थी। सिंचाई के लिए पानी न होने की समस्या से निपटने के लिए सरकार की ओर से अर्जुन सहायक परियोजना चलाई जा रही है, जिसके अंतर्गत क़रीब 50 हज़ार हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षेत्र बनाया जा रहा है। इसमें चार बड़े बांध महोबा में बनाए गए हैं और नहरों का लंबा नेटवर्क भी तैयार किया जा रहा है।"

बुंदेलखंड जिस तरह वर्षों से पानी की समस्या से जूझता रहा है और इस इलाके के सभी मौजूदा विधायक बीजेपी के हैं ऐसे में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के कुछ ही महीनों के बाद इस समस्या का हल हो जाना चाहिए था लेकिन महोबा के जिलाधिकारी के वक्तव्य से स्पष्ट होता है कि सरकार और प्रशासन ने यहां की समस्या को दूर करने के लिए कुछ भी बड़े प्रयास नहीं किए और विधानसभा चुनावों से ठीक चार-पांच महीने पहले तमाम योजना-परियोजना की बात की जा रही है।

आपको बता दें कि यूपी चुनाव के चलते भाजपा उत्तर प्रदेश के आधिकारिक अकाउंट से भी इस आशय के दावे ट्वीट किए गए कि बुंदेलखंड में घर-घर नल से शुद्ध जल पहुंच रहा है। न्यूज़क्लिक ने इन दावों की पड़ताल की तो इन दावों को गलत पाया।

बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत मुख्यतः उत्तर प्रदेश के चित्रकूट, बांदा, झांसी, जालौन, हमीरपुर, महोबा और ललितपुर ज़िले आते हैं।  जल जीवन मिशन के डैशबोर्ड के अनुसार चित्रकूट में मात्र 13% घरों में, बांदा में 9%, झांसी में 11.9%, जालौन में 7.6%, हमीरपुर में 14.8%, महोबा में 16.9% और ललितपुर में 18% घरों तक ही नल से जल पहुंच पाया है।

इसे पढ़ें-- फ़ैक्ट चैक: भाजपा द्वारा बुंदेलखंड में घर-घर नल से जल का दावा ग़लत

ये भी देखें: यूपी चुनाव: किसानों की आय दोगुनी होने का टूटता वादा, आत्महत्या का सिलसिला जारी

UttarPradesh
Bundelkhand
Bundelkhand Water Crisis
Yogi Adityanath
yogi government

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश

क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?

मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?

यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?

उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण

ख़ान और ज़फ़र के रौशन चेहरे, कालिख़ तो ख़ुद पे पुती है


बाकी खबरें

  • समीना खान
    ज़ैन अब्बास की मौत के साथ थम गया सवालों का एक सिलसिला भी
    16 May 2022
    14 मई 2022 डाक्टर ऑफ़ क्लीनिकल न्यूट्रीशन की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर ज़ैन अब्बास ने ख़ुदकुशी कर ली। अपनी मौत से पहले ज़ैन कमरे की दीवार पर बस इतना लिख जाते हैं- ''आज की रात राक़िम की आख़िरी रात है। " (राक़िम-…
  • लाल बहादुर सिंह
    शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा
    16 May 2022
    इस दिशा में 27 मई को सभी वाम-लोकतांत्रिक छात्र-युवा-शिक्षक संगठनों के संयुक्त मंच AIFRTE की ओर से दिल्ली में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित कन्वेंशन स्वागत योग्य पहल है।
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: किसानों की दुर्दशा बताने को क्या अब भी फ़िल्म की ज़रूरत है!
    16 May 2022
    फ़िल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी का कहना है कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि किसान का बेटा भी एक फिल्म बना सके।
  • वर्षा सिंह
    उत्तराखंड: क्षमता से अधिक पर्यटक, हिमालयी पारिस्थितकीय के लिए ख़तरा!
    16 May 2022
    “किसी स्थान की वहनीय क्षमता (carrying capacity) को समझना अनिवार्य है। चाहे चार धाम हो या मसूरी-नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल। हमें इन जगहों की वहनीय क्षमता के लिहाज से ही पर्यटन करना चाहिए”।
  • बादल सरोज
    कॉर्पोरेटी मुनाफ़े के यज्ञ कुंड में आहुति देते 'मनु' के हाथों स्वाहा होते आदिवासी
    16 May 2022
    2 और 3 मई की दरमियानी रात मध्य प्रदेश के सिवनी ज़िले के गाँव सिमरिया में जो हुआ वह भयानक था। बाहर से गाड़ियों में लदकर पहुंचे बजरंग दल और राम सेना के गुंडा गिरोह ने पहले घर में सोते हुए आदिवासी धनसा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License