NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
रेलवे के निजीकरण के ख़िलाफ़ सीटू का दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन
निजीकरण के ख़िलाफ़ और 109 ट्रेन मार्गों को निजी खिलाड़ियों के लिए खोले जाने को लेकर रेलव कर्मचारी यूनियन अनिश्चितकालीन हड़ताल की योजना बना रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
18 Jul 2020
protest

रेलवे के निजीकरण के सरकारी फैसले को वापस लेने के लिए सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) ने पूरे देशभर में दो दिवसीय प्रदर्शन किया। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस प्रदर्शन का आयोजन पूरे देश में 16-17 जुलाई को विकेंद्रित तरीके से किया गया। लगभग 22 राज्यों के 100 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर विरोध प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में मज़दूर संगठन के आलावा छात्र-नौजवान और किसान संगठनों की भी भागीदारी देखी गई।

आपको बता दें कि भारत सरकार ने हाल ही में 109 हाई स्पीड यात्री ट्रेन सेवाओं के निजी कंपनियों द्वारा संचालन की घोषणा की है तथा इसके लिए देशी और विदेशी निजी कॉरपोरेट्स को न्योता देने के लिए उनसे ‘अर्हता प्राप्त करने का अनुरोध’ (Request for Qualification) आमंत्रित करने की भी शुरुआत कर दी है। यह निजी यात्री ट्रेनें रेलवे के सबसे अधिक मुनाफे वाले रूटों पर ही चलेंगी।

यह ट्रेनें पूरे भारतीय रेलवे नेटवर्क पर, रेलवे के ही ड्राइवरों और गार्डों द्वारा चलाई जाएगी। पर इन ट्रेनों का बाकी स्टाफ, उनका मालिकाना व मुनाफा उन निजी कंपनियों का होगा। निश्चित ही इस बाकी स्टाफ में बहुमत उन्हीं ठेका व अस्थायी श्रमिकों का ही रहेगा जिनकी स्थिति हम पहले से जानते हैं। सरकार ने पहले से ही रोलिंग स्टॉक, सिग्नल और इलेक्ट्रिक कार्यों और समर्पित मालवाहक लाइनों के निर्माण और रखरखाव में 100% एफडीआई की अनुमति दे रखी है।

FB_IMG_1595051575137.jpg

सीपीआई (एम), सीपीआई, और अन्य वाम दलों सहित विपक्षी दलों,कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके ने कई आधारों पर निजीकरण के कदम का स्पष्ट रूप से विरोध किया है।

FB_IMG_1595051554318.jpg

रेल मंत्रालय दावा कर रहा है कि इस कदम के माध्यम से निजी भागीदारी द्वारा लगभग 30,000 करोड़ रुपये आएंगे, जिसका उपयोग राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के आधुनिकीकरण के लिए किया जाएगा और इससे रोजगार पैदा होगा। दूसरी ओर, रेलवे की यूनियनों और ट्रेड यूनियनों का तर्क है कि इस कदम से रेलवे को नुकसान ही होगा।

FB_IMG_1595051556705.jpg

सीटू महासचिव तपन सेन का कहना है कि "सरकार के 30,000 करोड़ रुपये के निवेश और रोजगार सृजन के दावे का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इससे रेलवे का नुकसान होगा।

FB_IMG_1595051563843.jpg

सेन का कहना है कि उत्पादन इकाइयों के निजीकरण के कारण रोजगार खोया है, भारतीय रेलवे के गहने कहे जाने वाले उसके कार्यशालाओं में, और रखरखाव इकाइयों में रोज़गार निजी खिलाड़ियों द्वारा बनाए गए रोजगार से कई गुना अधिक है। जो नई नौकरियां सृजित होंगी, उनमें से ज्यादातर अनिश्चित रोज़गार होंगे, न कि निश्चित और सभ्य रोज़गार और उसमें किसी भी प्रकार का सामाजिक सुरक्षा नहीं होगी।

FB_IMG_1595051569441.jpg

16 एवं 17 जुलाई को पूरे देश में रेलवे के निजीकरण के खिलाफ अखिल भारतीय विरोध दिवस के तहत देश के कई रेलवे स्टेशन पर सीटू के कार्यकर्ताओं नें प्रदर्शन कर स्टेशन मास्टर को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

FB_IMG_1595051572349.jpg

सीटू ने अपने ज्ञापन में कहा कि सरकार का यह कदम पूरी तरह से देश व देश की जनता के हितों के विपरीत है। सीटू ने कहा है कि भारतीय रेल इस देश की जनता के पैसों से स्थापित किया गया है। इसका संचालन भी देश की जनता, जिनमें बहुतायत गरीब है, की सुविधा को दृष्टि में रखकर ही किया जाता है। इसके चलते आज जनता के आवागमन का सबसे सस्ता साधन रेल है। रेलवे देश के विकास व सामाजिक जीवन की मुख्य धुरी है। यह देश की जीवन रेखा है। इसके निजी हाथों में दिए जाने से देश की सम्पूर्ण आर्थिक व सामाजिक गतिविधियों पर अत्यंत नकारात्मक प्रभाव पढ़ना निश्चित है। यह देश के लिए घातक होगा।

FB_IMG_1595051578295.jpg

सीटू ने कहा है कि हम सरकार के इस कदम, व रेलवे के निजीकरण के सभी प्रयासों का तीव्रतम विरोध करते है। सीटू ने मांग की है कि सरकार देश व जनता के हितार्थ भारतीय रेल को निजीकृत करने के इन सभी कदमों को तत्काल वापस लें।

FB_IMG_1595051581803.jpg

ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन (AIRF), जो राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर में सबसे बड़ा मान्यता प्राप्त ट्रेड यूनियन है, और यहां तक कि आरएसएस से संबद्ध ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ ने पहले मांग की है कि सरकार 109 मार्गों के निजीकरण के प्रस्ताव को रद्द करने के लिए कदम उठाए। AIRF ने रेलवे बोर्ड से अनिश्चितकालीन हड़ताल की धमकी देते हुए बोली प्रक्रिया को रद्द करने का आग्रह किया है, जबकि BMS ने कुछ राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया है।

FB_IMG_1595051585678.jpg

सीटू सचिव एआर सिंधु ने कहा "भाजपा सरकार के निजीकरण और रेलवे की अन्य जनविरोधी नीतियों पर ट्रेड यूनियन आंदोलनों की कार्रवाई के भविष्य के योजना पर निर्णय लेने के लिए सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की एक संयुक्त बैठक के बाद प्रदर्शन किया जाएगा" ।

FB_IMG_1595051598217.jpg

गुरुवार सुबह, सीटू राष्ट्रीय नेतृत्व नई दिल्ली में रेल भवन के सामने एक विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ। इसके साथ ही शुक्रवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भी प्रदर्शन किया।

AIRF से संबद्ध दक्षिण मध्य रेलवे मजदूर संघ (SCRMU) ने पिछले हफ्ते तेलुगु राज्यों में सरकार के निजीकरण के ख़िलाफ़  अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का दावा करते हुए निजीकरण का विरोध किया। 109 ट्रेन मार्गों को निजी खिलाड़ियों के लिए खोले जाने पर यूनियन अनिश्चितकालीन हड़ताल की योजना बना रहा है।

FB_IMG_1595051601993.jpg

आपको बता दें कि एआईआरएफ के नेतृत्व में 8-28 मई, 1974 तक तीन सप्ताह तक जारी रहने वाले रेलवे कर्मचारियों और श्रमिकों की अंतिम  बड़ी हड़ताल को एशिया के प्रमुख रेलवे हमलों में से एक माना गया है। यह हड़ताल ऐतिहासिक हड़ताल थी।

FB_IMG_1595051612097.jpg

सीटू से संबद्ध दक्षिण रेलवे कर्मचारी संघ (डीआरईयू) ने केरल और तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन किया है। तेलुगु राज्यों में, सीटू और संबद्ध जन संगठन रेलवे स्टेशनों पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।

पश्चिम बंगाल में, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) ने भी निजीकरण और रेलवे में खाली पदों को बंद करने के खिलाफ जिलों में विरोध प्रदर्शन किया।

Railways
Privatization of Railways
privatization
CITU
CITU Protest
indian railways
CPIM
CPI
Congress
TMC
DMK
BJP
modi sarkar
AIRF
Nationwide Protest

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा
    27 May 2022
    सेक्स वर्कर्स को ज़्यादातर अपराधियों के रूप में देखा जाता है। समाज और पुलिस उनके साथ असंवेदशील व्यवहार करती है, उन्हें तिरस्कार तक का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लाखों सेक्स…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब अजमेर शरीफ निशाने पर! खुदाई कब तक मोदी जी?
    27 May 2022
    बोल के लब आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं हिंदुत्ववादी संगठन महाराणा प्रताप सेना के दावे की जिसमे उन्होंने कहा है कि अजमेर शरीफ भगवान शिव को समर्पित मंदिर…
  • पीपल्स डिस्पैच
    जॉर्ज फ्लॉय्ड की मौत के 2 साल बाद क्या अमेरिका में कुछ बदलाव आया?
    27 May 2022
    ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में प्राप्त हुई, फिर गवाईं गईं चीज़ें बताती हैं कि पूंजीवाद और अमेरिकी समाज के ताने-बाने में कितनी गहराई से नस्लभेद घुसा हुआ है।
  • सौम्यदीप चटर्जी
    भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन
    27 May 2022
    चूंकि भारत ‘अमृत महोत्सव' के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है, ऐसे में एक निष्क्रिय संसद की स्पष्ट विडंबना को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वोत्तर के 40% से अधिक छात्रों को महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए गैजेट उपलब्ध नहीं रहा
    27 May 2022
    ये डिजिटल डिवाइड सबसे ज़्यादा असम, मणिपुर और मेघालय में रहा है, जहां 48 फ़ीसदी छात्रों के घर में कोई डिजिटल डिवाइस नहीं था। एनएएस 2021 का सर्वे तीसरी, पांचवीं, आठवीं व दसवीं कक्षा के लिए किया गया था।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License