NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
सीएम योगी अपने कार्यकाल में हुई हिंसा की घटनाओं को भूल गए!
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज गोरखपुर में एक बार फिर कहा कि पिछली सरकारों ने राज्य में दंगा और पलायन कराया है। लेकिन वे अपने कार्यकाल में हुए हिंसा को भूल जाते हैं।
एम.ओबैद
05 Feb 2022
yogi

उत्तर प्रदेश में चुनावी पारा चरम पर है। सभी पार्टियों के नेता प्रचार में जुटे हुए हैं और वे एक दूसरे पर हमला बोल रहे हैं। जनसभाएं और रैलियां की जारी है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इन चुनावों में कैराना पलायन और मुजफ्फरनगर के दंगों समेत अन्य मुद्दों को बीजेपी लगातार हवा दे रही है ताकि वोटरों का ध्रुवीकरण हो सके।

सीएम योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी के कई नेताओं ने इस तरह का बयान दिया है। योगी आदित्यनाथ ने आज गोरखपुर में एक बार फिर कहा कि पिछली सरकारों ने राज्य में दंगा और पलायन कराया है। उन्होंने कुछ दिनों पहले कहा था कि "ये गर्मी जो अभी कैराना और मुजफ्फरनगर में दिखाई दे रही है न, मैं मई और जून की गर्मी में भी शिमला बना देता हूं। हम 10 मार्च के बाद इनकी गर्मी शांत कर देंगे।"

पिछले दिनों योगी आदित्यनाथ ने अपने पांच वर्षों के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कहा था कि उनके कार्यकाल में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ है। इस दौरान उन्होंने कहा था कि बसपा और सपा के कार्यकाल में दंगे हुए। ज्ञात हो कि उनके दावों के उलट उनके सत्ता संभालने के कुछ ही दिनों बाद 14अप्रैल 2017 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में निकली गई शोभायात्रा के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। दलित और मुसलमान में हुए टकराव में पत्थरबाज़ी, आगज़नी व फायरिंग हुई थी। इसमें स्थानीय सांसद राघव लखनपाल शर्मा, एसएसपी लव कुमार समेत कई अन्य लोग घायल हो गए थे। घटना सहारनपुर के सड़क दूधली गांव में हुई थी। इस दौरान दो पक्षों के बीच पथराव हो गया था।

इस घटना के बाद वर्ष 2017 में ही सहारनपुर में 5 मई को राजपूतों और दलितों के बीच टकराव शुरू हुआ था। 9 मई को फिर हिंसा भड़की थी। सहारनपुर के शब्बीरपुर में दलितों के सैंकड़ों घरों को जला दिया गया था। हिंसा में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे। 23 मई को एक बार फिर हिंसा भड़क उठी थी।

अप्रैल 2018 में एससी/एसटी आरक्षण में संशोधन को लेकर बड़ी संख्या में दलित सड़कों पर उतार आए थे। अलीगढ़, मेरठ, बुलंदशहर समेत कई जिलों में भारी संख्या में दलित उतर आए थें। इस आंदोलन में बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा सहित करीब 200 लोगों को मेरठ में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।

30 जून 2019 को युवा एकता समिति के बैनर तले मेरठ में बड़ी संख्या में लोगों ने फैज-ए-आम कॉलेज में मॉब लिंचिग के विरोध में बैठक की थी। इसके बाद जुलूस निकाला गया था। भीड़ उग्र हो गई थी और बाद में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में 20 दिसंबर 2019 को हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए थें। इस कानून के खिलाफ प्रदेश कई जिलों में हिंसा भड़क उठी थी। इसमें कई लोगों की मौत भी हो गई थी।

ज्ञात हो कि बीबीसी के शोध में ये बात सामने आई है कि साल 2021 में जनवरी से लेकर अगस्त के बीच मुसलमानों के खिलाफ संगीन हिंसक वारदातों की संख्या 24 थी।

कैराना के उलट बुंदेलखंड से पलायन का मुद्दा चुनाव में क्यों नहीं?

बीजेपी कैराना पलायन को तो बार बार उछाल रही है लेकिन बुंदेलखंड से हुए पलायन को वह भूल जाती है। न्यूजक्लिक के लिए अब्दुल अलीम जाफरी ने बांदा जिले के झंडूपुरवा गांव से हुए पालयन को लेकर अपने ग्राउंड रिपोर्ट में बताया कि कई युवा आर्थिक परेशानी को लेकर यहां से पलायन कर चुके हैं। इस गांव में सिर्फ बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे हैं। बुंदेलखंड में कई गांव वीरान दिखाई देते हैं। बांस, मिट्टी, फूस, पुआल और कच्ची ईंटों से बने मकानों पर ताले लटके हुए हैं।

जाफरी से बातचीत में एक व्यक्ति ने कहा कि यहां शायद ही कोई घर है जिस घर से लोग पलायन न कर गए हों। इस गांव के सभी युवा काम करने के लिए बाहर चले गए हैं। ज्यादातर घरों में ताला लगा हुआ है। एक बुजर्ग बातचीत के दौरान कहते हैं कि इस बस्ती में आने जाने के लिए न तो कोई रास्ता है और न ही आने जाने का साधन है। यहां कोई भी मदद करने वाला नहीं हैं। मनरेगा कार्ड होने के बावजूद लोगों को सही तरीके से काम नहीं मिलता है। एक युवा का कहना है कि मनरेगा में दो साल में पंद्रह-सोलह दिन मिला है। इसमें अब काम नहीं मिलता है। जो काम होता है उसका पेमेंट पांच-छह महीने के बाद मिलता है।

विद्या धाम समिति के शिवकुमार बातचीत के दौरान बताते हैं कि वे नरैनी ब्लॉक के तीस गांव में काम कर रहे हैं। वे कहते हैं, जब से यहां के प्रधान जीते हैं तब से लोगों को मनरेगा में काम नहीं मिला है। इधर उधर एक-दो दिन लोगों को काम मिल जाता है और दस दिन बैठकर खाते हैं। ऐसे में बीमारियों से यहां के लोगों पर काफी कर्ज हो जाता है। यहां से करीब सत्तर प्रतिशत लोग पलायन कर चुके हैं। यहां बुजर्ग, बच्चे और महिलाएं हैं। उन्हें कोटा में जो अनाज मिलता है उसे खाते हैं।

ज्ञात हो कि बुंदलेखंड का इलाका प्रदेश के पिछड़े इलाकों में गिना जाता है। यह इलाका ज्यादातर सूखे की मार झेलता है जिसके चलते यहां के किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाते हैं। यहां के बहुत से इलाके में लोगों को पीने के पानी की उचित व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है। लोग पीने के पानी के लिए दर दर भटकते हैं। पानी के लिए लोगों को कई कई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है। इन सबके अलावा कई मामलों में यह इलाका अभी भी पिछड़ा हुआ है। इसके बावजूद यहां के क्षेत्रीय मामलों को चुनावों में जगह नहीं मिल पाती।

Uttar pradesh
UP election 2022
Yogi Adityanath
UP Law And Order
Violence in UP
yogi government
UP police

Related Stories

आजमगढ़ उप-चुनाव: भाजपा के निरहुआ के सामने होंगे धर्मेंद्र यादव

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

यूपी : आज़मगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में सपा की साख़ बचेगी या बीजेपी सेंध मारेगी?

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह प्रकरण में दो अलग-अलग याचिकाएं दाखिल

ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन

जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस

यूपी में  पुरानी पेंशन बहाली व अन्य मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों का प्रदर्शन

उपचुनाव:  6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में 23 जून को मतदान

UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश


बाकी खबरें

  • sedition
    भाषा
    सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं करने का आदेश
    11 May 2022
    पीठ ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। अदालतों द्वारा आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी। उसने आगे कहा कि प्रावधान की वैधता को चुनौती…
  • बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    एम.ओबैद
    बिहार मिड-डे-मीलः सरकार का सुधार केवल काग़ज़ों पर, हक़ से महरूम ग़रीब बच्चे
    11 May 2022
    "ख़ासकर बिहार में बड़ी संख्या में वैसे बच्चे जाते हैं जिनके घरों में खाना उपलब्ध नहीं होता है। उनके लिए कम से कम एक वक्त के खाने का स्कूल ही आसरा है। लेकिन उन्हें ये भी न मिलना बिहार सरकार की विफलता…
  • मार्को फ़र्नांडीज़
    लैटिन अमेरिका को क्यों एक नई विश्व व्यवस्था की ज़रूरत है?
    11 May 2022
    दुनिया यूक्रेन में युद्ध का अंत देखना चाहती है। हालाँकि, नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की खेप बढ़ाकर युद्ध को लम्बा खींचना चाहते हैं और इस घोषणा के साथ कि वे "रूस को कमजोर" बनाना चाहते हैं। यूक्रेन
  • assad
    एम. के. भद्रकुमार
    असद ने फिर सीरिया के ईरान से रिश्तों की नई शुरुआत की
    11 May 2022
    राष्ट्रपति बशर अल-असद का यह तेहरान दौरा इस बात का संकेत है कि ईरान, सीरिया की भविष्य की रणनीति का मुख्य आधार बना हुआ है।
  • रवि शंकर दुबे
    इप्टा की सांस्कृतिक यात्रा यूपी में: कबीर और भारतेंदु से लेकर बिस्मिल्लाह तक के आंगन से इकट्ठा की मिट्टी
    11 May 2022
    इप्टा की ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी है। प्रदेश के अलग-अलग शहरों में गीतों, नाटकों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन किया जा रहा है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License