NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
भारत
राजनीति
कोविड-19: लॉकडाउन के दूसरे चरण में पश्चिम बंगाल के 2.5 लाख से अधिक जूट मिल श्रमिकों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
श्रमिक संघों ने सीएम को पत्र लिखकर मांग की है कि जिन श्रमिकों को काम नहीं मिल पा रहा है, उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम के ले-ऑफ कानून के तहत पूरे पारिश्रमिक को चुकाए जाने की व्यवस्था की जाये।
संदीप चक्रवर्ती
17 May 2021
कोविड-19: लॉकडाउन के दूसरे चरण में पश्चिम बंगाल के 2.5 लाख से अधिक जूट मिल श्रमिकों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
चित्र साभार: द हिन्दू 

कोलकाता: तीन बच्चों के पिता, 32 वर्षीय नरेश ओझा, पश्चिम बंगाल के टीटागढ़ जूट मिल में कार्यरत हैं। विशेष कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण मिल को अपने श्रमिकों की संख्या में कटौती करने के लिए बाध्य होना पड़ा है, जिसके वजह से ओझा अपने परिवार के लिए राशन खरीद पाने के लिए पैसे का प्रबंधन करने के लिए जूझ रहे हैं। सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए जूट मिलें मात्र 30% श्रमिकों के सहारे अपना काम-काज कर रही हैं। 

एक विशेष बदली मजदूर (अस्थाई श्रमिक) के तौर पर ओझा के नियोक्ता को इस के दौरान में भी उनके वेतन का भुगतान करना चाहिए था, लेकिन मिल मालिकों ने उन्हें भुगतान करने से इंकार कर दिया है। उत्तर प्रदेश के रहने वाले ओझा, परिवार सहित अपने गृहनगर बरेली जाने की कोशिश में हैं। लेकिन ट्रेनों में टिकट की अनुपलब्धता के कारण वे अभी तक रुके रहने के लिए बाध्य हैं।

न्यूज़क्लिक से अपनी बातचीत में उनका कहना था “गाँव में भूखे नहीं मरेंगे, इधर तो खाना मिलना भी नामुमकिन हो रहा है।”

ओझा उन 2.5 लाख से अधिक जूट श्रमिकों में से हैं, जो राज्य सरकार की घोषणा के कारण गंभीर संकट में फंस गए हैं कि जूट मिलों को अपने कुल कार्यबल के मात्र 30% हिस्से से ही काम चलाना होगा। इस बीच, राज्य में आठ जूट मिलों ने कथित तौर पर जूट की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए मिल बंदी की घोषणा कर दी है। 

जूट श्रमिकों की दशा के बारे में न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बंगाल चटकल मजदूर यूनियन के सचिव अनादी साहू का कहना था कि 30% कार्यबल के साथ काम करने का अर्थ हुआ 70% श्रम दिवसों को खो देना। ऐसे में यदि उनसे रोटेशन के तहत काम कराया जाता है तो उस स्थिति में भी प्रत्येक मजदूर को प्रति माह सिर्फ 10 दिनों के लिए ही काम मिल पायेगा, जो श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए शहर में अपना जीवन-यापन चला पाने के लिए नाकाफी है। 

उन्होंने आगे कहा “हमारी मांग है कि चाहे राज्य सरकार या प्रबंधन को चाहिए कि उन्हें वितीय सहायता प्रदान करे। इसके साथ ही एक अन्य प्रमुख मांग यह है कि चटकल (जूट मिल) के युवा श्रमशक्ति को ईएसआई के जरिए कार्यस्थल पर टीका लगाए जाने की व्यवस्था की जाए।”

इसी मांग के साथ बंगाल चटकल मजदूर यूनियन के नेतृत्व के तहत 21 श्रमिक संघों ने दूसरी दफा मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, क्योंकि पिछले पत्र का कोई जवाब नहीं आया था। पत्र की एक-एक प्रति श्रम आयोग और केंद्रीय श्रम आयोग से संबंधित मंत्री को प्रेषित की गई है, जिसमें अर्ध-लॉकडाउन के बीच में फंसे जूट श्रमिकों की दुर्दशा का जिक्र किया गया है। 

विशेष रूप से 16 मई से राज्य पूर्ण लॉकडाउन की स्थिति में जा रहा है, जिसमें सिर्फ आवश्यक सेवाओं वाले क्षेत्रों को ही कार्य करने की अनुमति दी जायेगी।

पत्र में आगे कहा गया है कि सरकार द्वारा 30% कार्यबल के साथ काम करने की अनुमति देने की घोषणा से 2.5 लाख जूट मिल श्रमिकों के जीवन में संकट खड़ा हो गया है। इसमें कहा गया है कि “जिन श्रमिकों को काम पर नहीं रखा गया है, उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम के ले-ऑफ कानून के तहत पूरी मजदूरी का भुगतान किया जाना चाहिए।”

यूनियनों ने सरकार से इस मामले पर भी ध्यान देने की मांग की है, जिसमें आठ मिलों ने पहले से ही अपना कामकाज ठप कर दिया है जबकि कुछ का कामकाज दो शिफ्ट में चल रहा है। उनकी ओर से सीएम से अनुरोध किया गया है कि जूट आयुक्त विभाग से बातचीत कर कच्चे जूट की कमी को दूर किया जाये। 

पत्र में उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार सभी जूट मिल श्रमिकों एवं उनके परिवारों के टीकाकरण की जिम्मेदारी ले। यह इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित करता है कि मानिकतला में एक को छोड़कर सभी ईएसआई अस्पतालों को कोविड-19 अस्पतालों में तब्दील कर दिया गया है, जिसकी वजह से श्रमिकों को चिकित्सा सुविधाओं को हासिल कर पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त, चूँकि लोकल ट्रेन सेवाएं निलंबित पड़ी हैं, तो ऐसे में श्रमिकों को मानिकतला वाले एकमात्र गैर कोविड-19 ईएसआई अस्पताल तक यात्रा करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। 

इतना ही नहीं, बल्कि पिछले वर्ष के लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों के एक बड़े वर्ग को उनके वैधानिक अवकाश का भुगतान नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री से जल्द से जल्द लंबित वेतन के बैकलॉग को दूर करने का अनुरोध किया गया है। 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

COVID-19: Over 2.5 Lakh WB Jute Mill Workers in Dire Straits in 2nd Phase of Lockdown

Jute mill workers
West Bengal Jute Mills
COVID 19 Second Wave
Second COVID 19 Lockdown
mamata banerjee
Bengal Chatkal Workers Union
Migrant workers

Related Stories

कोविड की तीसरी लहर में ढीलाई बरतने वाली बंगाल सरकार ने डॉक्टरों को उनके हाल पर छोड़ा

महामारी ने शहरी भारत के जीवन को किया बेहाल  

बिहार: कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में आड़े आते लोगों का डर और वैक्सीन का अभाव

खाद्य सुरक्षा से कहीं ज़्यादा कुछ पाने के हक़दार हैं भारतीय कामगार

क्या एक देश एक राशन कार्ड प्रवासी मज़दूरों को राहत दे सकेगा?

कोविड-19: क़स्बा वैक्सीन घोटाले के ख़िलाफ़ वाम मोर्चा का पश्चिम बंगाल भर में विरोध प्रदर्शन

बांग्लादेश : लॉकडाउन लागू करने से प्रवासी श्रमिक असहाय

कोविड-19: दूसरी लहर के दौरान भी बढ़ी प्रवासी कामगारों की दुर्दशा

यूपी में कोरोनावायरस की दूसरी लहर प्रवासी मजदूरों पर कहर बनकर टूटी

कोविड-19: बिहार के उन गुमनाम नायकों से मिलिए, जो सरकारी व्यवस्था ठप होने के बीच लोगों के बचाव में सामने आये


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License