NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
उत्पीड़न
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
दिल्ली: सीडब्लूसी ने नोटिस दिए बिना सैकड़ों मज़दूरों को निकाला, मज़दूरों ने किया प्रदर्शन
राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार के वेयरिंग हाउस में पिछले कई दशकों से लगभग 300 मज़दूर ठेके पर काम कर रहे थे, लेकिन अचानक 6 जनवरी को उन्हें नौकरी से हटा दिया गया।
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
20 Jan 2021
CITU protest

दिल्ली :पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज में स्तिथ सेन्ट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन(सीडब्लूसी), आईसीडी, द्वारा सैंकड़ों मजदूरों को बिना किसी नोटिस के निकाले जाने के खिलाफ मज़दूर लगातर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। 

इसी क्रम में कल यानि मंगलवार को मज़दूर संगठन, ‘सेन्टर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन’ (सीटू)  से संबधित जरनल मजदूर लाल झंडा यूनियन के बैनर तले सीडब्लूसी के सामने रोष प्रदर्शन किया गया। पप्रदर्शनकारी मजदूरों ने सीडब्ल्यूसी प्रबंधन को पूर्णतः गैर कानूनी व घोर अमानवीय कृत्य कहा मजदूर वहां ‘नौकरी बहाल करने’ व ‘प्रबंधन की गुंडागर्दी नहीं चलेगी’ के नारे लगाए। जुलूस के रूप में शुरू हुआ प्रदर्शन बाद में सभा में बदल गया।

क्या है पूरा मामला?

राष्ट्रीय राजधानी में एक केंद्र सरकार का वेयरिंग हाउस यानि गोदम है।  जिसमें पिछले कई दशकों से लगभग 300 मज़दूर ठेके पर काम कर रहे थे लेकिन अचानक छह जनवरी को बताया गया कि उनको नौकरी से हटा दिया गया है। हालांकि वो जब पांच जनवरी को काम करके घर वापस गए तब तक उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। इन कर्मचारियों की लंबे समय से मांग थी कि इन्हे स्थाई किया जाए परन्तु प्रबंधन ने इन्हे काम से ही निकाल दिया।

सीडब्लूसी उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत काम करता है।  

जैसा कि आपको पता है ये मज़दूर ठेके पर काम कर रहे थे, इस दौरन ठेका कंपनियों की अदला बदली आम बात है। इस बार भी यही हुआ, मै0 सुमन फारवर्डिंग एजेंसी प्रा. लि. का ठेका ख़त्म कर मै0 राहुल रोडवेज को ठेका मिला। परन्तु जब भी ठकेदार बदलते थे, मज़दूर वही काम करते थे।  यह पहली बार हुआ है जब ठेका कंपनी बदलने पर मज़दूरों को बाहर निकाला जा रहा है।

इसके बाद से ही मज़दूर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और मज़दूर यूनियन के नेता इस मामले को लेकर कोर्ट में भी न्यायिक लड़ाई लड़ रहे है।  13 जनवरी को कोर्ट ने भी अपने अंतरिम आदेश में यथास्थति को बनाए रखने का आदेश दिया है।  इसके बाद भी प्रबंधन इन मज़दूरों को वापस नहीं ले रहा है।  कंपनी प्रबंधन इस पर टिप्पणी से भी बच रहा है।

मंगलवार को इस विरोध प्रदर्शन को  कॉनकॉर, तुगलकाबाद, सी.ई . एल., साहिबाबाद, MWLJU, दिल्ली जल बोर्ड व पी बी जी, साहिबाबाद, स्टैंडर्ड कूपर, साहिबाबाद, शान्ति मुकंद अस्पताल के कर्मचारियों  समर्थन मिला।  

इस सभा  में निकाले गए कर्मचारी और यूनियन सचिव  बरसाती ने   सी. डब्ल्यू. सी., आईसीडी, (पटपड़गंज) को सम्बोधन किया। उन्होंने  छह जनवरी  को प्रबंधन द्वारा अपनाई गई  मनमानीपूर्ण रवैया व स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से मजदूरों को काम से रोके जाने के मसले पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने बताया कि " ठेकेदारों की बदली हुई,  मै0 सुमन फारवर्डिंग एजेंसी प्रा. लि. के जाने व मै0 राहुल रोडवेज के आने के दौरान ये घटना घटित हुई। जिसके लिए सी. डब्ल्यू.सी. प्रबंधन ही पूर्णतः दोषी है। क्योंकि 35 वर्ष में ठेकेदार की बदली पर पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। सम्बोधन के अंत में नौकरी में जल्द से जल्द बहाल करने की मांग को दोहराया व सभी प्रकार के बकाया वैद्य राशि के जल्द भुगतान की मांग रखी। "

प्रदर्शन कर रहे मजदूरों को सीटू दिल्ली राज्य कमेटी के अध्यक्ष वीरेन्द्र गौड़ ने सम्बोधित किया।  उन्होंने सी. डब्ल्यू. सी. प्रबंधन व नए ठेकेदार के  रवैये को तानाशाहीपूर्ण बताया।  साथ ही दिल्ली पुलिस द्वारा ऐसे प्रबंधन को दिए जा रहे संरक्षण को आडे़ हाथों लिया। केन्द्र की मजदूर विरोधी मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए जा रहे मजदूर विरोधी परिवर्तनों को असल दोषी बताया जिसके चलते मालिकों व पूंजीपतियों के हौंसले बुलंद हुए और वे ऐसी हिम्मत कर पा रहे हैं कि 35 वर्ष से काम करने वाले मजदूर को हटाने से पहले नोटिस देना भी उचित नहीं समझते।

 

 

 

CITU
cwc
woker 's protest

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड: सरकारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए ट्रेड यूनियनों ने डिप्टी सीएम सिसोदिया के इस्तीफे की मांग उठाई

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License