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भारत
राजनीति
कार्टून क्लिक: कहीं पे निगाहें, कहीं पर निशाना
जैसे-जैसे देश में चुनाव आते हैं, अचानक कश्मीर आ जाता है, बांग्लादेश आ जाता है, पाकिस्तान तो बिना न्यौते के ही जाता है। फिर कैमरे के फ़ोकस में बाक़ी देश को हटाकर इन जगहों को सेट कर दिया जाता है ताकि एक ख़ास तरह का नैरेटिव क्रियेट किया जा सके।
आज का कार्टून
18 Oct 2021
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उत्तर प्रदेश चुनावों को लोकसभा चुनावों का सेमीफ़ाइनल माना जाता है। बाक़ी राज्यों के चुनावों के इतर यूपी के चुनावों में दम भी अधिक लगाना पड़ता है। इसलिए मीडिया से लेकर पार्टियों का प्रचार-प्रसार भी अंतर्राष्ट्रीय रखना पड़ता है। जैसे-जैसे देश में चुनाव आते हैं, अचानक कश्मीर आ जाता है, बांग्लादेश आ जाता है, पाकिस्तान तो बिना न्यौते के ही जाता है। फिर कैमरे के फ़ोकस में बाक़ी देश को हटाकर इन जगहों को सेट कर दिया जाता है ताकि एक ख़ास तरह का नैरेटिव क्रियेट किया जा सके।

बीते कुछ दिनों से भारत की गोदी मीडिया और भाजपा आइटी सेल की नज़र बांग्लादेश पर अधिक है, अब चारों और सिर्फ़ बंगलादेश के अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों याद किया जा रहा है। जबकि कोई एक हफ़्ते पहले की ही बात है, प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा नेता, भारत में मानवाधिकारों को उठाने वालों को “मानवाधिकार गैंग” कह कहकर उन्हें ख़ारिज करने का काम कर रहे थे। 

लेकिन कमाल की बात देखिए अब RSS ने बांग्लादेश में हुईं कुछ घटनाओं को लेकर भारत सरकार से कहा है कि वो बांग्लादेश सरकार से बात करे और हिंदुओं के मानवाधिकारों को सुरक्षित कराए। जबकि यही RSS भारत में मानवाधिकारों का मखौल, “मानवाधिकार के नाम पर”, “लोकतंत्र के नाम पर”, “अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर” कह कहकर उड़ाता है। ये कैसा “दूर दृष्टि दोष” है? जिसमें दूर की चीजें तो स्पष्ट नज़र आती हैं लेकिन अपने देश की नहीं। 

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