NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसानों के विरुद्ध दर्ज किये गये केस वापस लिये जाएं : एसकेएम
एसकेएम ने किसानों द्वारा मार्च निकालने पर किए गए एफआईआर को तुरंत और बिना शर्त वापस लेने को कहा। एसकेएम ने कहा कि कई स्थानों पर किसानों को राजभवन तक रैलियां भी नहीं निकालने दी गईं और एसकेएम नेताओं को हिरासत में ले लिया गया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Jun 2021
किसानों के विरुद्ध दर्ज किये गये केस वापस लिये जाएं : एसकेएम
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

26 जून 2021 को, संयुक्त किसान मोर्चा के ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’ के आह्वान पर देश के हजारों किसानों ने पूरे देश में शांतिपूर्वक अपना विरोध प्रदर्शन किया। इसके तहत ‘देश के प्रमुख राज्यों के लगभग सभी राजधानी शहरों में शनिवार को किसानों ने अपना विरोध दर्ज किया, इसके अलावा सैकड़ों अन्य स्थानीय स्थानों पर विरोध का आयोजन किया गया और स्थानीय अधिकारियों को भारत के राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया।

एसकेएम ने ट्रेड और वर्कर्स यूनियनों, महिला संगठनों, दलित और आदिवासी संघठन, युवा और विद्यार्थी संघठन, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों द्वारा, शिक्षकों और कलाकारों तथा समाज के अन्य वर्गों द्वारा किसानों के प्रदर्शन के लिए आई एकजुटता की सराहना की।

किसान नेताओं  ने कहा कि यह बड़ी विडंबना है कि भाजपा के नेता और पार्टी द्वारा संचालित राज्य सरकारें, जो कुछ दिन पहले श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लागू किए गए आपातकाल के शासन की आलोचना कर रहे थे, विरोध करने वाले किसानों और उनके आंदोलन के प्रति उसी सत्तावादी और दमनकारी रवैये को प्रदर्शित कर रहे थे।

आंदोलन कर रहे कृषक संगठनों के संयुक्त मंच एसकेएम ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस ने कई आरोपों को लेकर कई किसानों के विरूद्ध मामले दर्ज किये हैं।

चंडीगढ़ में बताया गया है कि एसकेएम के कई नेताओं और कई अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 186, 188, 332 और 353 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह आपत्तिजनक है कि प्रशासन द्वारा प्रवेश बिंदुओं को बंद कर दिया गया जबकि किसानों ने राजभवन तक शांतिपूर्वक मार्च करने की अपनी मंशा की घोषणा शुरू में ही कर दिया था। बाद में  एक निर्वाचित छोटा प्रतिनिधिमंडल ज्ञापन सौंपने के लिए राज्यपाल से मिलने गया । किसानों को गवर्नर हाउस जाने से रोकने की कोशिश करने का कोई कारण नहीं था। सड़कों पर बैरिकेडिंग करने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन और लाठीचार्ज का भी सहारा लिया। इस तरह के अलोकतांत्रिक और सत्तावादी व्यवहार के ऊपर अब एसकेएम नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा इसकी निंदा करता है और मांग करता है कि एफआईआर को तुरंत और बिना शर्त वापस लिया जाए।

एसकेएम ने कहा कि कई स्थानों पर किसानों को राजभवन तक रैलियां भी नहीं निकालने दीं और एसकेएम नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। एसकेएम ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह अपने आप में लोकतंत्र की विफलता और उस अघोषित आपातकाल का उदाहरण है जो हम जी रहे हैं। शनिवार के कार्यक्रम को लेकर कानून-व्यवस्था को लेकर कोई चिंता नहीं होनी चाहिए थी क्योंकि अंत में राज्यपाल के पास ले जाने के लिए सिर्फ एक प्रतिनिधिमंडल की गुजारिश की जा रही थी, हालांकि ज्यादातर जगहों पर इसकी इजाजत नहीं थी।

प्रदर्शनकारी किसनों के दावे के मुताबिक़ सरकारों के इन सभी अलोकतांत्रिक प्रयासों के बावजूद किसान आंदोलन प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है। हर दिन अधिक किसान धरना स्थलों पर पहुंच रहे हैं। कई असाधारण प्रदर्शनकारी हैं जो यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि संघर्ष ऐतिहासिक बना रहे और किसानों की जीत तार्किक निष्कर्ष तक पहुँचे। पंजाब के मानसा जिले के किसान सतपाल सिंह का रविवार को जम्हूरी किसान सभा द्वारा टिकरी बॉर्डर पर अभिनंदन किया गया। वह पूरे सात महीने तक विरोध का हिस्सा रहे, पूरे समय वे टिकरी में पिलर नंबर 770 पर बने रहे।

आज सोमवार को मौलाना अरशद जी के मार्गदर्शन में सुनेहरा बॉर्डर पर किसानों ने “किसान मजदूर भाईचारा महा सम्मेलन” करने का आवाह्न किया। राजस्थान और हरियाणा के मेवात क्षेत्र के किसानों का अन्य लोगों के साथ बड़ी संख्या में शामिल होने की उम्मीद है। यह आंदोलन को तोड़ने के लिए भाजपा-आरएसएस बलों द्वारा सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लगातार प्रयासों के संदर्भ में किया जा रहा है।

किसान नेताओं ने कहा यह बैठक शांति, सांप्रदायिक सद्भाव, भाईचारे और न्याय के मूल्यों को मजबूत करने के लिए, विशेष रूप से संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित की जा रही है और इसमें कई एसकेएम नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है। यह महासम्मेलन आंदोलन की एकता को भंग करने की मंशा रखने वाली साम्प्रदायिक ताकतों के लिए एक चेतावनी है कि किसान इन हथकंडों से वाकिफ हैं और एकजुट रहेंगे।

25 जून को बीजेपी की बैठक के विरोध में हिसार में शामिल हुए 15 किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। एसकेएम इसकी निंदा करता है और मांग करता है कि मामलों को बिना शर्त अविलंब वापस लिया जाए।

किसान आंदोलनों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है, अब जाने-माने अमेरिकी विद्वान, भाषाविद्, दार्शनिक और शांति कार्यकर्ता प्रो. नोम चॉम्स्की ने भारत में चल रहे किसानों के संघर्ष को “अंधेरे समय में आशा की किरण के रूप में” सराहा है। वह इस तथ्य की सराहना करते हैं कि किसान न केवल अपने लिए बल्कि एक कार्यशील समाज के लिए लड़ रहे हैं जो सभी नागरिकों के अधिकारों और कल्याण की परवाह करता है। वे उस “डकैती” का हवाला देते हैं जिसे अमीर आम जनता के साथ करते हैं और बहस के लिए सबूत की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि कॉरपोरेट द्वारा उन्हें नियंत्रित करने के खिलाफ जारी लड़ाई में भारतीय किसान सही हैं । वह बताते हैं कि ये निगम ‘अत्याचारी ढांचे’ हैं। वे सराहना करते हुए कहते हैं  कि “विरोध करने वाले किसानों को अपने काम पर बेहद गर्व होना चाहिए – वे सही काम कर रहे हैं, साहस के साथ, ईमानदारी के साथ …. पूरी दुनिया के लिए, यह संघर्ष (अन्य किसानों के लिए) का एक मॉडल है।”

SKM
Samyukt Kisan Morcha
Save Agriculture-Save Democracy
Farm Bills
farmers protest

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

क्यों मिला मजदूरों की हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन

पूर्वांचल में ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बीच सड़कों पर उतरे मज़दूर

देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन दिल्ली-एनसीआर में दिखा व्यापक असर

बिहार में आम हड़ताल का दिखा असर, किसान-मज़दूर-कर्मचारियों ने दिखाई एकजुटता

"जनता और देश को बचाने" के संकल्प के साथ मज़दूर-वर्ग का यह लड़ाकू तेवर हमारे लोकतंत्र के लिए शुभ है

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

बंगाल: बीरभूम के किसानों की ज़मीन हड़पने के ख़िलाफ़ साथ आया SKM, कहा- आजीविका छोड़ने के लिए मजबूर न किया जाए


बाकी खबरें

  • up elections
    न्यूज़क्लिक टीम
    यूपी में न Modi magic न Yogi magic
    06 Mar 2022
    Point of View के इस एपिसोड में पत्रकार Neelu Vyas ने experts से यूपी में छठे चरण के मतदान के बाद की चुनावी स्थिति का जायज़ा लिया। जनता किसके साथ है? प्रदेश में जनता ने किन मुद्दों को ध्यान में रखते…
  • poetry
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'टीवी में भी हम जीते हैं, दुश्मन हारा...'
    06 Mar 2022
    पाकिस्तान के पेशावर में मस्जिद पर हमला, यूक्रेन में भारतीय छात्र की मौत को ध्यान में रखते हुए पढ़िये अजमल सिद्दीक़ी की यह नज़्म...
  • yogi-akhilesh
    प्रेम कुमार
    कम मतदान बीजेपी को नुक़सान : छत्तीसगढ़, झारखण्ड या राजस्थान- कैसे होंगे यूपी के नतीजे?
    06 Mar 2022
    बीते कई चुनावों में बीजेपी को इस प्रवृत्ति का सामना करना पड़ा है कि मतदान प्रतिशत घटते ही वह सत्ता से बाहर हो जाती है या फिर उसके लिए सत्ता से बाहर होने का खतरा पैदा हो जाता है।
  • modi
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: धन भाग हमारे जो हमें ऐसे सरकार-जी मिले
    06 Mar 2022
    हालांकि सरकार-जी का देश को मिलना देश का सौभाग्य है पर सरकार-जी का दुर्भाग्य है कि उन्हें यह कैसा देश मिला है। देश है कि सरकार-जी के सामने मुसीबत पर मुसीबत पैदा करता रहता है।
  • 7th phase
    रवि शंकर दुबे
    यूपी चुनाव आख़िरी चरण : ग़ायब हुईं सड़क, बिजली-पानी की बातें, अब डमरू बजाकर मांगे जा रहे वोट
    06 Mar 2022
    उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ़ आख़िरी दौर के चुनाव होने हैं, जिसमें 9 ज़िलों की 54 सीटों पर मतदान होगा। इसमें नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत अखिलेश का गढ़ आज़मगढ़ भी शामिल है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License