NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
फिल्में
साहित्य-संस्कृति
भारत
चमन बहार रिव्यु: मर्दों के नज़रिये से बनी फ़िल्म में सेक्सिज़्म के अलावा कुछ नहीं है
नेटफ्लिक्स पर 19 जून को रिलीज़ हई फ़िल्म 'चमन बहार' गली-मोहल्ले की उन लड़कों-मर्दों की कहानी है जो अवारागर्द हैं। फ़र्क़ सिर्फ़ यह है कि असल ज़िन्दगी में लड़कियाँ और समाज के लोग इन कामों को बुरा समझते हैं, मगर फ़िल्म में छेड़छाड़ जैसी हरकतों का जश्न मनाया गया है।
सत्यम् तिवारी
21 Jun 2020
चमन बहार

जब एक छोटे शहर की बात होती है तो उस शहर में छेड़छाड़, गुंडागर्दी, जुआ-शराब इन सब के बारे में बात होती है। बात क्या होती है इन कामों का गुणगान होता है। ऐसा नहीं है कि यह काम बड़े शहरों में नहीं होते, लेकिन छोटे शहर से जोड़ कर इन कामों को रोमांटिसाइज़ कर दिया जाता है।

आप अपने शहर, कस्बे, गली-मोहल्ले की घटनाओं को याद कीजिये। जिसमें 20-25 लड़के जो आवारागर्द थे, वह कैसे एक लड़की को परेशान करते थे। नेटफ्लिक्स पर 19 जून को रिलीज़ हई फ़िल्म 'चमन बहार' उन्हीं लड़कों-मर्दों की कहानी है। फ़र्क़ सिर्फ़ यह है कि असल ज़िन्दगी में लड़कियाँ और समाज के लोग इन कामों को बुरा समझते हैं, मगर फ़िल्म में छेड़छाड़ जैसी हरकतों का जश्न मनाया गया है।

अपूर्व धर की बनाई फ़िल्म में पंचायत सिरीज़ के जितेंद्र कुमार उर्फ़ जीतू मुख्य भूमिका में हैं, और उनके साथ बाक़ी कई मर्द मुख्य भूमिका में हैं। फ़िल्म शुरू होती है, जब जीतू का किरदार बिल्लू एक सड़क पर खंडहर से घर के सामने एक पान की दुकान खोल लेता है और कुछ दिनों बाद उस घर में एक सब-इंजीनियर आकर बस जाते हैं, जिनकी एक बेटी भी है। बिल्लू के साथ-साथ और 20-25 लड़के और मर्द, अब उस स्कूल जाने वाली, कभी न बोलने वाली लड़की के 'पीछे' पड़े हैं। यक़ीन कीजिये फ़िल्म में और कुछ नहीं है।

इसके बाद से फ़िल्म में सिर्फ़ महिला-विरोधी, पुरुषवादी मानसिकता का अलग-अलग स्तर पर प्रचार किया गया है। चमन बहार वो फ़िल्म है जिसमें हर दौर की घटिया फ़िल्मों का कंटेंट डाल दिया गया है। इसमें 90 के दशक की ईव-टीज़िंग का प्रचार करती फ़िल्मों जैसे सीन भी हैं और हाल ही में आई फ़िल्म कबीर सिंह के किरदार की भी छाप नज़र आती है।

मुझे फ़िल्म की एक्टिंग, डायलॉग्स, सिनेमेटोग्राफी के बारे में बात करने की ज़रूरत महसूस नहीं हो रही है, इसलिए नहीं करूंगा। फ़िल्म में बिल्लू के साथ के किरदार हैं आशु, शिला, मास्टरजी, चिमनी (डीएफओ का बेटा) और 15-20 और लड़के, जिनकी पहचान बस इतनी है कि वह रिंकू ननोरिया (स्कूल की लड़की) को 'फँसाना/पटाना' चाहते हैं।

इसके अलावा दो किरदार हैं सोमू और छोटू जो हर गुट में हैं, और हर लड़के को बरगलाने का काम कर रहे हैं। एक सीन में वह दोनों एक कॉपी लेकर बैठते हैं और सट्टा लगाना शुरू करते हैं कि कौन सा लड़का रिंकू को 'फँसा' पायेगा।

लड़की के आने के बाद से बिल्लू की पान की दुकान पर लड़कों की बेतहाशा भीड़ है। पहली बार जब इस भीड़ को दिखाया जाता है, तो बैकग्राउंड में एक मधुर और रोमांटिक गाना चलाया गया है, जिसकी वजह से यह संदेश मिलता है कि वह लड़के जो एक लड़की का पीछा करते हुए दुकान पर जमा हुए हैं, वह कुछ ग़लत नहीं कर रहे हैं।

फ़िल्म आगे बढ़ती जाती है और आपको एक-एक करके वह हर चीज़ होती दिखने लगती है जिसे छेड़छाड़, ईव टीज़िंग, सेक्सिज़्म की कैटेगरी में रखा जाता है। यह चीज़ न सिर्फ़ होती है, बल्कि इसका जश्न भी मनाया जाता है डायरेक्टर द्वारा।

2020 में बनी किसी फिल्म में महिला का नज़रिया न होना हैरान करता है। एक घंटा 50 मिनट की फ़िल्म में 40 मिनट बीतने के बाद पहला डायलॉग सुनाई पड़ता है जो किसी लड़की ने बोला है। यह डायलॉग बोलती है रिंकू, वह अपने कुत्ते को बुलाते हुए कहती है, 'रूबी'। बस! उसके बाद अगले क़रीब एक घंटे तक कोई महिला आवाज़ नहीं सुनाई देती।
 
इस फ़िल्म को मर्दों के नज़रिए से लिखा भी गया है और बनाया भी गया है। पूरी फ़िल्म में एक भी जगह नहीं दिखाया गया कि लड़की रिंकू के मन में क्या है। एक स्कूटी का पीछा करतीं 20 मोटरसाइकिल, लेकिन स्कूटी का नज़रिया क्या है, किसी को पता नहीं है।

फ़िल्म में यह दिखाने की कोशिश की गई है कि सिर्फ़ बिल्लू लड़की से 'सच्चा प्यार' करता है, और बाक़ी सब सिर्फ़ उसे छेड़ रहे हैं। मर्दों द्वारा दिये गए मशहूर लॉजिक की तर्ज पर, यह फ़िल्म भी लड़की को मुजरिम बनाती है। लड़की का जुर्म सिर्फ़ यह है कि उसने अंग्रेज़ी बोली, छोटे कपड़े पहने, छेड़छाड़ का कोई जवाब नहीं दिया। इसका सिला यह रहा कि कथित तौर पर लड़की से प्यार करने वाले बिल्लू ने नोटों पर, दीवारों पर 'रिंकू ननोरिया बेवफ़ा है' लिख दिया।

फ़िल्म का अंत यह है कि नोटों पर 'रिंकू ननोरिया बेवफ़ा है' लिखने के जुर्म में बिल्लू को जेल भेजा गया है। लेकिन राजनीति की वजह से, जनता उसे पुलिस दमन का शिकार बना देती है। डायरेक्टर ने ईव टीज़िंग को सही ठहराने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ा है। बिल्लू की बेल करवाते हैं लड़की के पिताजी, जो शक्ल से शर्मिंदा लग रहे हैं। क्योंकि उन्होंने ही पुलिस से शिकायत की थी। उन्होंने कुछ ग़लत नहीं किया, लेकिन फ़िल्म उन्हें ग़लत साबित करती है। लगता है कि डायरेक्टर चीख चीख कर कह रहा है, 'हाँ तो लड़की ने भाव क्यों नहीं दिया उसे!'

उसके बाद बिल्लू लड़की के घर जाता है, जहाँ लड़की के माँ-बाप फिर से शर्मिंदगी का शिकार दिखाए गए हैं। पिता बिल्लू को बताते हैं कि वह लोग इस शहर से जा रहे हैं। बिल्लू बाहर आ कर रोता है, शर्मिंदगी में नहीं बल्कि शायद इसलिए कि वह लड़की को 'फंसा' नहीं पाया।

फ़िल्म ख़त्म होती है जब बिल्लू को लड़की की बनाई बिल्लू की एक पेंटिंग दिखती है। और यहाँ आते-आते डायरेक्टर से छेड़छाड़ को सही ठहराते हुए बता दिया है कि लड़की को, उसका नाम नोटों पर लिख कर उसे बदनाम करने वाला, उसे छेड़ने और घूरने वाला लड़का पसंद था।

ऊपर लिखी बातों के अलावा फिल्म में ऐसी तमाम घटनायें हुई हैं, जिन्हें हम ग़लत मानते हैं लेकिन जो लगातार हो रही हैं। फ़िल्म की ग़लती यह है, कि वह उन घटनाओं को सही ठहराया रही है।

एक्टिंग, डायरेक्शन, कास्टिंग पर कोई बात करने की ज़रूरत ही नहीं है। सिर्फ़ इतना समझिए कि यह फ़िल्म मर्दों के लिए बनाई गई है। यह फ़िल्म बनाई गई है मर्दों को यह बताने के लिए उनके द्वारा की गई छेड़छाड़ से लेकर बलात्कार या एसिड अटैक तक सब कुछ जायज़ है, क्योंकि वह तो 'आशिक़' हैं। इस फ़िल्म को 'टू द मेन, फ़ॉर द मेन, बाई द मेन' कह देना चाहिये।

फ़िल्म मत देखिये। मगर देखिये तो बार-बार ख़ुद से सवाल कीजिये कि ऐसा सिनेमा क्यों बनाया जा रहा है?

Chaman Bahaar
Chaman Bahaar Review
Netflix
MOVIE
Indian movies
bollywood
Sexism
women empowerment

Related Stories

लता मंगेशकर की उपलब्धियों का भला कभी कोई विदाई गीत बन सकता है?

पत्रकारिता में दोहरे मापदंड क्यों!

भारतीय कला के उन्नयन में महिलाओं का योगदान

इंडियन मैचमेकिंग पर सवाल कीजिए लेकिन अपने गिरेबान में भी झांक लीजिए!

हर आत्महत्या का मतलब है कि हम एक समाज के तौर पर फ़ेल हो गए हैं

'छपाक’: क्या हिन्दू-मुस्लिम का झूठ फैलाने वाले अब माफ़ी मांगेंगे!

बंगाल : क्या है उस महिला की कहानी, जिसे दुर्गापूजा की थीम बनाया गया है?

ज़ायरा, क्रिकेट और इंडिया

आर्टिकल 15 : लेकिन राजा की ज़रूरत ही क्या है!

‘करुणामय संघर्ष’ : बौद्ध काल की स्वतंत्रचेत्ता महिलाओं की कहानी


बाकी खबरें

  • food
    रश्मि सहगल
    अगर फ़्लाइट, कैब और ट्रेन का किराया डायनामिक हो सकता है, तो फिर खेती की एमएसपी डायनामिक क्यों नहीं हो सकती?
    18 May 2022
    कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि आज पहले की तरह ही कमोडिटी ट्रेडिंग, बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी और व्यापार की अनुचित शर्तें ही खाद्य पदार्थों की बढ़ती क़ीमतों के पीछे की वजह हैं।
  • hardik patel
    भाषा
    हार्दिक पटेल ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दिया
    18 May 2022
    उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए त्यागपत्र को ट्विटर पर साझा कर यह जानकारी दी कि उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
  • perarivalan
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया
    18 May 2022
    उम्रकैद की सज़ा काट रहे पेरारिवलन, पिछले 31 सालों से जेल में बंद हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद उनको कभी भी रिहा किया जा सकता है। 
  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में कोरोना मामलों में 17 फ़ीसदी की वृद्धि
    18 May 2022
    देश में कोरोना के मामलों में आज क़रीब 17 फ़ीसदी मामलों की बढ़ोतरी हुई है | स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में 24 घंटो में कोरोना के 1,829 नए मामले सामने आए हैं|
  • RATION CARD
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी सरकार द्वारा ‘अपात्र लोगों’ को राशन कार्ड वापस करने के आदेश के बाद यूपी के ग्रामीण हिस्से में बढ़ी नाराज़गी
    18 May 2022
    लखनऊ: ऐसा माना जाता है कि हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के पीछे मुफ्त राशन वित
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License