NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चन्नी का बयान ग़लत है लेकिन निंदा करने वाले उससे भी ज़्यादा ग़लत हैं
प्रधानमंत्री मोदी बताएं कि तालाबंदी के समय यूपी और बिहार के मज़दूर जब दर-दर भटक रहे थे तब वे क्या कर रहे थे? पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह ने तो बयान दिया है लेकिन हरियाणा की खट्टर सरकार ने तो बकायदा यूपी बिहार के लोगों को रोकने का कानून बना दिया है।
रवीश कुमार
18 Feb 2022
Modi channi kejriwal

अभी कुछ दिन पहले योगी आदित्यनाथ ने एक बयान दिया कि यूपी को बंगाल और केरल नहीं बनने देना है। इस बयान को लेकर बंगाल और केरल के मुख्यमंत्री आहत हो गए। केरल के मुख्यमंत्री तो चार्ट बनाकर ट्वीट करने लगे कि केरल यूपी से कितना आगे हैं। पिनाराई विजयन हिन्दी में ट्विट करने लगे। केरल और बंगाल के लोग आहत बताए जाने लगे और ट्विटर पर केरल बनाम यूपी को लेकर वाक युद्ध छिड़ गया। क्या तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विवाद में कोई हस्तक्षेप किया? क्या वह बयान केरल और बंगाल का अपमान नहीं था?

एक रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री को सुनो केजरीवाल कह कर संबोधित किया। जवाब में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी सुनो योगी कह कर संबोधित कर दिया। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप किया?

क्या मोदी ने कहा कि कि संघीय ढांचे में कम से कम मुख्यमंत्री आपस में रे, अरे, सुन बे टाइप के संबोधन का इस्तेमाल न करें। दूसरे करें तो करें कम से कम बीजेपी के मुख्यमंत्री अपनी तरफ से इसकी शुरूआत न करें? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप रहे। क्या सुनो केजरीवाल कहना दिल्ली का अपमान नहीं था, जिसमें यूपी और बिहार के लोग भी रहते हैं?

ख़ुद उनकी पार्टी के नेता जिनमें वे भी शामिल हैं, यूपी की सभाओं में एक समुदाय को टारगेट करते रहे। एक दल को माफिया, दंगाई और आतंक का संरक्षक बता कर केवल उसी दल को नहीं बल्कि उसके बहाने एक धर्म विशेष के समुदाय को टारगेट किया गया। मुस्लिम नेताओं और अपराधियों को नाम लेकर माफिया की अवधारणा को गढ़ा गया। इससे धर्म विशेष का तबका भी आहत हुआ ही होगा। क्या नरेंद्र मोदी ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप किया?

पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने जब यूपी और बिहार के भैयों को रोकने का बयान दिया तब मोदी का बयान आता है। अचानक वे गुरु ग्रंथ साहिब के जानकार हो जाते हैं। कहते हैं कि कांग्रेस ने गुरु साहिबानों का अपमान किया है। पंजाब के हर गांव में यूपी-बिहार के भाई-बहन हैं। बिल्कुल हैं और अच्छे से हैं और आज से नहीं हैं बल्कि ज़माने से वहां रह रहे हैं। लेकिन जिस तरह से इस बयान को लेकर बीजेपी सक्रिय हुई है उसे चाहिए कि वह नज़र उठा कर देखा करे। वह कोई छोटी पार्टी नहीं है। हर बार लोगों को भरमाने के लिए ही पार्टी के नेता क्यों आगे आते हैं। अगर यह बयान निंदा के लायक है, जो कि है भी, तो योगी का केरल को लेकर दिया गया बयान या योगी का केजरीवाल को सुनो केजरीवाल कहना, क्या निंदनीय नहीं है?

कोरोना की लहर में जब महाराष्ट्र से लेकर पंजाब तक में मज़दूरों के सामने खाने के लाले पड़ गए। प्रधानमंत्री के सनक भरे फैसले के कारण काम धंधा अचानक बंद हो गया। मज़दूर पलायन करने लगे तब पंजाब सरकार ने यूपी के मज़दूरों को बसों में भर कर पहुंचाया था और उसका खर्चा भी खुद उठाया था। मनरेगा के कारण जब बिहार से मज़दूरों का आना रुका था तब इसी पंजाब के लोग स्टेशन पर मज़दूरों के लिए मुर्गा और फोन लेकर खड़े रहते थे। कहने का मतलब है कि पंजाब या किसी भी राज्य में मज़दूरों या कामगारों के लिए अवसर नेता से ज्यादा लोग बना लेते हैं। नेता तभी आते हैं जब भावुकता पैदा कर उन्हें भरमाना होता है।

प्रधानमंत्री मोदी बताएं कि तालाबंदी के समय यूपी और बिहार के मज़दूर जब दर-दर भटक रहे थे तब वे क्या कर रहे थे?

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह ने तो बयान दिया है लेकिन हरियाणा की खट्टर सरकार ने तो बकायदा यूपी बिहार के लोगों को रोकने का कानून बना दिया है। इस आदेश के बाद हरियाणा के उद्योगों में 30,000 रुपए मासिक वेतन से कम वाली नौकरियों में राज्य के लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण होगा। क्या यह फैसला यूपी और बिहार के हित में है?

चन्नी के बयान पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमृतसर में कहा कि किसमें हिम्मत है जो यूपी और बिहार वालों को रोक सके। चन्नी के बयान से पंजाब में कोई यूपी और बिहार वालों के आने-जाने से तो नहीं रोक सकता लेकिन खट्टर ने कानून बनाकर रोक दिया। राजनाथ सिंह में क्या हिम्मत है कि इस फैसले को बदलवा दें, जो वास्तव में यूपी-बिहार वालों को रोक सकता है? क्या यह फैसला यूपी बिहार वालों के हित में है?

2017 में बीजेपी ने यूपी में वादा किया था कि राज्य के उद्योगों में स्थानीय लोगों के लिए पद आरक्षित करेगी। यह एक नए तरह का आरक्षण है जिस पर बहस की जा सकती है। इसका न तो आर्थिक आधार से लेना देना है और न सामाजिक आधार से। निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग को गलत बताया जाता है तब फिर स्थानीयता के आधार पर आरक्षण कैसे सही हो गया?

इस फैसले से हरियाणा के लोगों का कितना भला होगा, यह जानने के लिए ज़रूरी है कि राज्य सरकार बताए कि उसके यहां जो उद्योग धंधे हैं वो एक साल में कितने लोगों को इस तरह का काम देते हैं। इसमें कितने लोग बाहर के राज्य के होते हैं और कितने हरियाणा के। सरकार यह नहीं बताएगी और जनता अपना दिमाग़ इन सबमें नहीं लगाएगी। वह इसी में उलझेगी कि हरियाणा का फैसला यूपी और बिहार वालों के खिलाफ है औऱ चन्नी के बयान के बाद से पंजाब में यूपी और बिहार वालों को रोका जाने वाला है।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का बयान ग़लत तो है ही। उन्होंने जो सफाई दी है वह भी ठीक नहीं है। अगर अरविंद केजरीवाल को कहा है तब तो वह यूपी और बिहार के नहीं हैं। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। उनकी पार्टी गोवा से लेकर उत्तराखंड में किस्मत आज़मा रही है। जैसे दूसरे दल आज़मा रहे हैं। क्या गोवा और उत्तराखंड में आप को कहा जा सकता है कि यूपी बिहार के भैय्ये आ गए। चन्नी का बयान ग़लत है लेकिन इस बयान पर राजनीति करने वाले भी सही नहीं हो जाते हैं।

सिर्फ एक तस्वीर इंटरनेट से निकाल लें। 2012 में नरेंद्र मोदी विधानसभा का चुनाव जीते थे। शपथ ग्रहण समारोह में राज ठाकरे को वीआईपी अथिति के रुप में आमंत्रित किया गया था। मोदी और राज ठाकरे की तस्वीर मिलेगी। राज ठाकरे ने ही यूपी और बिहार वालों को भगाने की राजनीति शुरू की थी। इस राजनीति के जनक वही थे, उसके बाद भी मोदी ने उन्हें बुलाया था। नरेंद्र मोदी से एक सवाल पूछिए। बिहार को सवा लाख करोड़ का पैकेज देने का एलान किया था। क्या उन्होंने दिया? बिहार के लोगों से झूठ बोलना क्या बिहार का अपमान नहीं है?

बिहार और यूपी के लोग भैया और बिहारी संबोधन के साथ जी लेते हैं। उन्हें बुरा लगता है लेकिन वे जानते हैं कि बिहार और यूपी में रहेंगे तो संबोधन से ज्यादा जीवन का संकट घेर लेगा तो दूसरे राज्यों में पलायन करने जाते हैं। बिहार और यूपी के लोगों को पता है कि मुंबई, दिल्ली और लुधियाना और गुरुग्राम ने उन्हें जितना दिया है उनके राज्य ने नहीं दिया है। इन जगहों पर स्थानीय लोगों ने स्वागत भी किया, अवसर भी दिया औऱ जगह भी दी। इसलिए इन जगहों के प्रति शुक्रगुज़ार रहें और इन नेताओं की नौटंकी से ख़बरदार रहें।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और एनडीटीवी के एंकर हैं। विचार व्यक्तिगत हैं। उनकी यह टिप्पणी उनके आधिकारिक फेसबुक पेज से साभाल ली गई है।)

Narendra modi
Charanjit Singh Channi
Arvind Kejriwal
ravish kumar

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"


बाकी खबरें

  • भाषा
    श्रीलंका में हिंसा में अब तक आठ लोगों की मौत, महिंदा राजपक्षे की गिरफ़्तारी की मांग तेज़
    10 May 2022
    विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर हमला करने के लिए सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उकसाने का आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिवंगत फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी को दूसरी बार मिला ''द पुलित्ज़र प्राइज़''
    10 May 2022
    अपनी बेहतरीन फोटो पत्रकारिता के लिए पहचान रखने वाले दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी और उनके सहयोगियों को ''द पुल्तिज़र प्राइज़'' से सम्मानित किया गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    लखीमपुर खीरी हत्याकांड: आशीष मिश्रा के साथियों की ज़मानत ख़ारिज, मंत्री टेनी के आचरण पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
    10 May 2022
    केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के आचरण पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वे इस घटना से पहले भड़काऊ भाषण न देते तो यह घटना नहीं होती और यह जघन्य हत्याकांड टल सकता था।
  • विजय विनीत
    पानी को तरसता बुंदेलखंडः कपसा गांव में प्यास की गवाही दे रहे ढाई हजार चेहरे, सूख रहे इकलौते कुएं से कैसे बुझेगी प्यास?
    10 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्टः ''पानी की सही कीमत जानना हो तो हमीरपुर के कपसा गांव के लोगों से कोई भी मिल सकता है। हर सरकार ने यहां पानी की तरह पैसा बहाया, फिर भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई।''
  • लाल बहादुर सिंह
    साझी विरासत-साझी लड़ाई: 1857 को आज सही सन्दर्भ में याद रखना बेहद ज़रूरी
    10 May 2022
    आज़ादी की यह पहली लड़ाई जिन मूल्यों और आदर्शों की बुनियाद पर लड़ी गयी थी, वे अभूतपूर्व संकट की मौजूदा घड़ी में हमारे लिए प्रकाश-स्तम्भ की तरह हैं। आज जो कारपोरेट-साम्प्रदायिक फासीवादी निज़ाम हमारे देश में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License