NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
काबुल में आगे बढ़ने को लेकर चीन की कूटनीति
इतना तो तय है कि बदले हुए हालात में अफ़ग़ानिस्तान में बीआरआई परियोजनाओं की राह में कोई रोड़ा नहीं अटकने जा रहा है।
एम. के. भद्रकुमार
31 Mar 2022
china
24 मार्च, 2022 को काबुल में अंतरिम सरकार के कार्यवाहक प्रधान मंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी के साथ चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी (दायें)

पिछले गुरुवार को तालिबान की अंतरिम सरकार के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी ने काबुल में चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी का अभिवादन करते हुए ज़बरदस्त टिप्पणी की।उन्होंने कहा, “यह अफ़ग़ानिस्तान आने वाला सबसे अहम उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल है।" इस टिप्पणी ने हिंदू कुश में बाज़ी पलटकर रख देने वाली बीजिंग की कूटनीति की निर्बाध सफलता के लिहाज़ से बहुत कुछ बता दिया।

वांग यी के शानदार स्वागत की इस भाव-भंगिमा से पता चलता है कि पिछले अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के बाद के समय में चीन अफ़ग़ानिस्तान में सबसे असरदार बाहरी किरदार के रूप में उभरा है। इसमें कोई शक नहीं कि यूरोपीय रंगमंच पर अमेरिका की जिस व्यस्तता का कोई अंत होता फिलहाल नहीं दिख रहा,उसका लाभ सिर्फ़ चीन को ही मिल सकता है। 

इसलिए, अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों के विदेश मंत्रियों की उस तीसरी बैठक से उम्मीदें जतायी जा रही हैं, जिसकी मेज़बानी चीन 30-31 मार्च को पूर्वी चीनी प्रांत अनहुई के तुन्क्सी में कर रहा है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार से शुरू होने वाली इस दो दिवसीय बैठक का ऐलान करते हुए इस आयोजन को इसके ही संदर्भ में रखते हुए कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति "अब अराजकता से व्यवस्था स्थापित होने के एक अहम संक्रमण काल में है।" असल में उन्होंने इसमें यह बात जोड़ते हुए चीन के लिए गुंज़ाइश बना दी कि यह देश "अंदर और बाहर,दोनों से कई तरह की उन चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिन्हें ज़्यादा से ज़्यादा मदद और समर्थन देकर हल किये जाने की ज़रूरत है।"

चीनी प्रवक्ता ने कहा कि इस बैठक में अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी देशों से उम्मीद है कि वे "ज़्यादा से ज़्यादा आम सहमति बनायें" और "इन हालात को मिल-जुलकर स्थिर करने के तरीक़ों" पर चर्चा करें। इस तरह, पड़ोसी देशों का यह मंच अफ़ग़ान कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी को औपचारिक "संवाद" प्रारूप में शामिल करेगा, जहां वह तुनक्सी में आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम के प्रतिभागियों,यानी कि चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान, किर्गिस्तान और रूस के विदेश मंत्रियों के साथ इस देश की "मुश्किलों और ज़रूरतों" के सिलसिले में बातचीत करेंगे।

दिलचस्प बात यह है कि चीनी प्रवक्ता ने ख़ास तौर पर इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव "दावत पर" तुन्क्सी की इस बैठक में भाग लेंगे। यह अमेरिका-रूस टकराव की पृष्ठभूमि और हाल के महीनों में तालिबान शासन को लुभावने प्रस्तावों और धमकाये जाने के मिश्रण के ज़रिये पश्चिमी देशों के पाले में खींचने के ख़याल से किये जा रहे पश्चिम देशों के ठोस प्रयासों की पृष्ठभूमि में अहम है।

न तो रूस और न ही चीन यह चाहता है कि अफ़ग़ानिस्तान किसी बड़े खेल का मैदान बने, लेकिन बात तो यह भी है कि नाटो के उस ख़ुफ़िया तंत्र के फिर से स्थापित किये जाने को लेकर ये देश निष्क्रिय भी तो नहीं रह सकते, जो कि इस उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में इसकी सीमाओं के एकदम क़रीब है।

ऐसा मुमकिन तो नहीं दिखता कि बुधवार की इस बैठक से तालिबान सरकार को मान्यता मिल पाये। हालांकि, तालिबान शासन के साथ इन क्षेत्रीय देशों के तेज़ी से जुड़ाव की उम्मीद की जा सकती है।

वांग यी का यह काबुल दौरा अफ़ग़ानिस्तान में रूस के राष्ट्रपति के दूत ज़मीर काबुलोव की अगुवाई में अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी में उस उच्च-स्तरीय रूसी प्रतिनिधिमंडल के आगमन के साथ ही हुआ, जिसमें सरकार की कई एजेंसियों, ख़ासकर आर्थिक मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल थे। अटकलें हैं कि रूस तालिबान की अंतरिम सरकार के साथ सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने को लेकर एक रोडमैप तैयार कर रहा है। अफ़ग़ानिस्तान की अंतरूनी हालत स्थिर हो रही है और तालिबान के किसी भी संगठित प्रतिरोध की संभावनायें काफ़ी हद तक कम हो गयी हैं।

रूस और चीन दोनों काबुल के साथ अपने आर्थिक सहयोग को गहरा करने के लिए कमर कस रहे हैं। यह बात पूरी तरह से समझ में आती है कि वे अमेरिकी डॉलर ("विश्व मुद्रा") की निरंकुशत से पार पाने के लिए किसी ऐसे नये भुगतान तंत्र का सहारा ले सकते हैं, जिससे तालिबान शासन को धौंस दिखाकर और ब्लैकमेल करके वित्तीय रूप से परेशान किये जाने की वाशिंगटन की ताक़त को कमज़ोर किया जा सके।ऐसा तबतक किया जाये, जब तक कि पश्चिमी फ़रमान को अपने अनुकूल नहीं ढाला जा सके।

वांग यी के काबुल दौरे के दौरान कार्यवाहक उप प्रधान मंत्री मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर और मुत्ताक़ी दोनों ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के दायरे में चीन के साथ सहयोग का विस्तार करने में अपनी दिलचस्पी दिखायी। वांग यी ने प्रस्ताव दिया है कि चीन, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विस्तार अफ़ग़ानिस्तान तक करने और अफ़ग़ानिस्तान को "क्षेत्रीय संपर्क के लिए एक पुल" के तौर पर विकसित करने में मदद करने की "कोशिश के लिए तैयार" है।

बुनियादी तौर पर बीजिंग और मॉस्को दोनों ही के पास अफ़ग़ान अंतरिम सरकार के अब तक के प्रदर्शन से संतुष्ट होने की वजह है।यह इस बात का संकेत है कि अफ़ग़ानिस्तान के शांतिपूर्ण पुनर्निर्माण को लेकर तालिबान नेतृत्व की प्रतिबद्धता पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए। हक़ीक़त तो यह है कि वांग यी "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं का जवाब देने को लेकर बेशुमार सकारात्मक क़दम उठाने के लिहाज़ से तालिबान शासन की तारीफ़ करने की हद तक चले गये। वांग यी ने मुत्ताक़ी से कहा, "हम अफ़ग़ानिस्तान के साथ हर मोड़ पर हैं,जहां-जहां ग़ैर-क्षेत्रीय ताक़तों ने राजनीतिक दबाव और आर्थिक प्रतिबंध लगाये हैं,उन सबका हम विरोध करते हैं।"

बेशक, सुरक्षा के मोर्चे पर तालिबान शासन का प्रदर्शन निर्णायक होगा। बरादर ने इस बात को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जतायी कि काबुल किसी भी ताक़त को चीन को कमज़ोर करने वाली गतिविधियों में शामिल नहीं होने देगा। उन्होंने पश्चिम ख़ुफ़िया एजेंसियों की ओर से किये जा रहे साज़िशों का ज़िक़्र तक नहीं किया। ख़ासकर, बरादर ने उन बातों को ही सामने रखा, जिन्हें तालिबान नेतृत्व चीन की सुरक्षा चिंताओं के लिहाज़ से अहमियत देता है।

उन्होंने कहा कि काबुल "अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षा हासिल करने के लिए ठोस और मज़बूत क़दम उठायेगा और क्षेत्रीय सुरक्षा को बनाये रखने में योगदान देगा।" ग़ौरतलब है कि बरादर ने अफ़ग़ानिस्तान की "सुरक्षा क्षमता" को बढ़ाने में चीन की मदद मांगी है। वांग यी ने इस मौक़े का इस्तेमाल बीजिंग की इस उम्मीद को सामने रखने के लिहाज़ से किया कि काबुल "ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट सहित सभी आतंकवादी ताक़तों पर सख़्ती से नकेल कसने की अपनी प्रतिबद्धता को ईमानदारी से पूरा करेगा।"

रूस के साथ अपने टकराव में अमेरिका और यूरोपीय संघ के निराशाजनक रूप से फंस जाने के साथ ही अफ़ग़ानिस्तान के आसपास की स्थिति बुनियादी तौर पर बदल रही है। तालिबान नेतृत्व इस हालात को बख़ूबी समझ रहा है। ऐसे में कोई शक नहीं कि इस बदली हुई स्थिति में अफ़ग़ानिस्तान में बीआरआई परियोजनाओं की राह में कोई रोड़ा नहीं अटकने जा रहा है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

China’s Diplomacy on a Roll in Kabul

China
kabul
Afghanistan
TALIBAN
Taliban Government

Related Stories

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन में हो रहा क्रांतिकारी बदलाव

भोजन की भारी क़िल्लत का सामना कर रहे दो करोड़ अफ़ग़ानी : आईपीसी

क्या दुनिया डॉलर की ग़ुलाम है?

सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ

तालिबान को सत्ता संभाले 200 से ज़्यादा दिन लेकिन लड़कियों को नहीं मिल पा रही शिक्षा

रूस पर बाइडेन के युद्ध की एशियाई दोष रेखाएं

चीन और लैटिन अमेरिका के गहरे होते संबंधों पर बनी है अमेरिका की नज़र

बुका हमले के बावजूद रशिया-यूक्रेन के बीच समझौते जारी

जम्मू-कश्मीर : रणनीतिक ज़ोजिला टनल के 2024 तक रक्षा मंत्रालय के इस्तेमाल के लिए तैयार होने की संभावना


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License