NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
देश के कई राज्यों में कोयले का संकट, मध्यप्रदेश के चार पॉवर प्लांट में कोयले की भारी कमी
आज देश के अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश प्रदेश को भी बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है। सरकार के नीतिगत फैसलों का परिणाम है कि कोयले की कमी के कारण कई पॉवर प्लांटों में बिजली का उत्पादन कम हो गया है। कई संयंत्र तो ठप्प पड़े हैं, तो किसी-किसी प्लांट में कोयले की भारी कमी हो गई है। यहां के सिंगाजी में सिर्फ़ दो दिन का ही कोयले का स्टॉक बचा है। 
रूबी सरकार
11 Oct 2021
coal crisis

आज देशभर के कई राज्यों से कोयला संकट की खबरें आ रही हैं, उत्तर प्रदेश में कोयले की कमी बताई जा रही है, मध्यप्रदेश में भी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता सम्भालते ही बिजली उत्पादन बढ़ाने के लिए ऐसे-ऐसे कारनामे किए, जिससे कि आज प्रदेश को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है। उनके नीतिगत फैसलों का परिणाम ही है कि कोयले की कमी के कारण पावर प्लांटों में बिजली का उत्पादन कम हो गया है। कई संयंत्र तो ठप्प पड़े हैं, तो किसी-किसी प्लांट में कोयले की भारी कमी हो गई है। यहां के सिंगाजी में दो दिन का कोयले का स्टॉक बचा है, जबकि नियमों के अनुसार प्रत्येक प्लांट में कम से कम 15 दिन का कोयला स्टॉक में होना चाहिए। 

बिना सोचे-समझे शिवराज सरकार ने जहां-जहां संयंत्र स्थापित किए, वहां दूर-दूर तक कोयला उपलब्ध नहीं है। दूर से कोयला परिवहन पर खर्च बढ़ना, यहां तक कि पॉवर प्लांट में जितनी कोयले की जरूरत है, उतने रैक कोयले के लिए कभी भी रेलवे ट्रैक खाली नहीं मिलेगा। इससे भी बड़ा कारण यह है कि प्रदेश की वित्तीय हालत खस्ता है। प्रदेश सरकार फिलहाल एनटीपीसी का कर्ज भी नहीं अदा कर पा रही हैं। यहां तक कि किसानों को भी सिंचाई के लिए 10 घंटे बिजली देने का वादा किया गया था। वह भी उन्हें नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह बताते हैं कि एनडीए सरकार ने 2 करोड़, 80 लाख घरों तक बिजली पहुंचाई है, इससे उत्पादन की तुलना में खपत बढ़ गई है। लिहाजा मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर आ गया है।

बिजली संकट बना सियासी संकट

प्रदेश में इस समय बिजली संकट को लेकर सियासी करंट फैलना तेज हो गया है, हालांकि यह संकट 20 साल पहले जैसा नहीं है। जब दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में प्रदेश के लोगों को झेलना पड़ा था। तब ग्रामीण इलाकों में कभी-कभी 24 में से 22 घंटे बिजली गुल रहती थी। शहरों में भी खूब कटौती होती थी। दिग्विजय सिंह ने इसकी कीमत सत्ता खोकर चुकाई थी। 

ये भी पढ़ें: बिजली कर्मचारियों ने किया चार दिवसीय सत्याग्रह शुरू

इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान जोखिम ने उठाते हुए सत्ता संभालने के बाद ही बिजली उत्पादन के लिए ऐसे-ऐसे कारनामे किए, जिससे प्रदेश को बिजली संकट से जूझना न पड़े। परंतु उनके नीतिगत गलत फैसलों का परिणाम ही है कि कोयले की कमी के कारण पॉवर प्लांटों में बिजली का उत्पादन कम हो गया है। अब मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी एक-एक मिनट का  हिसाब रख रही है। इन्हीं पर प्रदेश के थर्मल, हाइडल व रिन्यूवल एनर्जी से मिलने वाली बिजली के हिसाब-किताब की जवाबदारी दी गई है ।

सिंगरौली, उड़ीसा या कोरबा से होती है कोयले की आपूर्ति

दरअसल शिवराज चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल में नर्मदा नदी के किनारे 6130 मेगावॉट के पॉवर हाउस स्थापित किए गए हैं। इनमें केंद्र सरकार की एनटीपीसी, राज्य सरकार की पावर जनरेटिंग कंपनी और निजी क्षेत्र की कंपनियां भी शामिल हैं। एनटीपीसी की दो यूनिट क्रमशः 800-800 जो नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा क्षेत्र में स्थापित हैं। इसी तरह खरगोन जिले में दो यूनिट क्रमशः 880-880 यानी कुल 1320 मेगावाट और मध्यप्रदेश पावर प्लांट सिंगाजी थर्मल पावर परियोजना के प्रथम चरण में 2600 यानी 1200 मेगावॉट तथा दूसरे चरण में 2660 यानी 1320 मेगावाट, निजी क्षेत्र के पावर प्लांट झाबुआ पॉवर घंसौर जिला सिवनी  एक सौ 60 यानी 600 मेगावॉट, बीएलए पॉवर प्लांट गाडरवारा 130 मेगावॉट। इतनी क्षमता के पावर प्लांट प्रदेश में स्थापित हैं। इन सभी पॉवर प्लान्टों को मुख्यतः नर्मदा नदी से पानी दिया जा रहा है । दूसरा यह कि इन क्षेत्रों में कोयला कहीं भी उपलब्ध नहीं है। 

ये भी पढ़ें: पहले से बेहाल जनता पर बिजली विभाग की मार

इन सभी पावर प्लांट के लिए सम्पूर्ण कोयला करीब 1200 से 1500 किलोमीटर दूर  सिंगरौली, उड़ीसा या कोरबा से आ रहा है। जितना कोयला इन पॉवर प्लांटों को चाहिए उतना उपलब्ध ही नहीं है। इन प्लॉटों में 6130 बिजली क्षमता विद्युत गृह के लिए कोयले की आवश्यकता करोड़ों टन होगी। सिंगाजी थर्मल पॉवर प्लांट में तो केवल दो दिन का ही कोयला की बचा है। जबकि 15 दिन का स्टॉक होना चाहिए। सभी पॉवर प्लांट को काफी कम लोड पर चलाया जा रहा है।

प्रतिदिन 21 रैक कोयले की जरूरत

एमपी ईबी के इंजीनियर राजेन्द्र अग्रवाल बताते हैं कि 6130 मेगावॉट बिजली उत्पादन निर्धारित मानक 85 फीसदी माना गया है। इतना पॉवर प्लांट चलने पर 5210 मेगावाट बिजली प्रति घण्टे बनेगी। इसके लिए कोयले की खपत न्यूनतम 600 ग्राम प्रति यूनिट की जरूरत है। वरना उत्पादन प्रभावित होगा। यानी 24 घण्टे में 12.504 करोड़ बिजली उत्पादन के लिए 7 करोड़ 50 लाख यानी 75000 टन कोयला प्रतिदिन चाहिए। एक रैक में 5300 टन कोयला आता है। यानी रोज 21 रैक कोयले की जरूरत है। इतना कोयला मिलना संभव ही नहीं है। न ही इसके लिए रेलवे ट्रैक खाली मिलेगा। कोयला जहां से आता है, उसकी दूरी 1200 से 1500 किलोमीटर है, इससे परिवहन शुल्क भी बढ़ेगा। इससे भी प्लांटों का संचालन प्रभावित होगा। श्री अग्रवाल ने कहा, इन प्लांटों की स्थापना ही गलत तरीके से सब्सिडी वाली जमीन हथियाने के लिए की गई है, जो फिलहाल ठप पड़ा है और प्रदेश में बिजली सप्लाई चरमरा गई है। इस वक्त पॉवर काफी कम लोड पर चलाया जा रहा है।

कोल इंडिया का दस हजार करोड़ रुपए बकाया

इधर आमदनी में अवरोध के चलते बिजली वितरण कंपनियां कोयला आपूर्ति करने वाली कंपनी कोल इंडिया की देनदारी चुकाने में असमर्थ हैं। कोल इंडिया को करीब 10,000 करोड़ रुपए बिजली पैदा करने वाली वितरण कंपनियों से वसूलना है। वसूली में लेटलतीफी की वजह से कोल इंडिया ने ताप बिजली घरों को कोयले की आपूर्ति धीमी कर दी है। नतीजे में प्रदेश की 16 में से 9 उत्पादन घरों में बिजली बनना ठप हो गया। उत्पादन आधा रह गया और मांग में कमी नहीं हुई। जल बिजली संयंत्रों से बिजली उत्पादन में कमी पूरा करने की उम्मीद थी लेकिन वह भी धोखा दे गई। राज्य सरकार की वित्तीय हालत खस्ता है। कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है। कर्ज का बोझ ढाई लाख करोड़ रुपए से ऊपर हो गया है। ऐसी हालत में सरकार के पास बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों की देनदारी चुकाने की किल्लत है। इन कंपनियों को राज्य सरकार से क्षतिपूर्ति की सब्सिडी के रूप में करीब 2000 करोड़ रुपए लेने हैं।

ये भी पढ़ें: बीते दशक इस बात के गवाह हैं कि बिजली का निजीकरण ‘सुधार’ नहीं है

उधर केंद्रीय मंत्री आरके सिंह मानते हैं कि बिजली का मौजूदा संकट कोयले की कमी को बताता है। साथ ही वे यह भी कहता है कि एनडीए सरकार ने अपने कार्यकाल में 2 करोड़, 80 लाख लोगों के घरों तक बिजली पहुंचाई है। ग्रामीणों के घरों में कूलर, पंखों और बिजली से चलने वाले अनेक उपकरण का इस्तेमाल ज्यादा होने से बिजली की खपत बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि बारिश की वजह से कोयले की आपूर्ति खदानों से कम हुई है। हालाँकि अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से काम होना शुरू हो जाएगा। लेकिन अक्टूबर के 10 दिन बीत चुके हैं। मार्च से फिर बिजली की मांग बढ़ने की संभावना है।

फिलहाल मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार को बिजली कटौती के मामले में विपक्ष के साथ-साथ अपनों की भी नाराजगी झेलनी पड़ रही है।  सरकार निजी कंपनियों से भी बिजली खरीद रही है। विपक्ष का आरोप है कि निजी कंपनियां से मिलने वाली बिजली काफी महंगी है और उनको दिए जाने वाले अतिरिक्त भुगतान का बोझ अंततः उपभोक्ता पर ही पड़ रहा है। मध्य प्रदेश सबसे महंगी बिजली देने वाले राज्यों में एक है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इस पर सवाल उठाया है कि संकट के समय इन निजी कंपनियों ने कितनी बिजली राज्य को दी। वे सरकार पर सही तथ्य छिपाने का आरोप भी लगा रहे हैं। यहां मौजूदा संकट लम्बे समय बाद लोगों को महसूस हो रहा है। इसकी वजह अधोसंरचनात्क कमी नहीं है, बल्कि प्रशासनिक बदइंतजामी है।

दो मुखर भाजपा विधायक मैहर के नारायण त्रिपाठी और जबलपुर के अजय विश्नोई ने बिजली संकट पर खुल कर अपनी नाराजगी जाहिर की है। भाजपा को बिजली संकट पर अंतरकलह से उबरना होगा, क्योंकि उप चुनाव और उसके बाद स्थानीय निकायों के चुनाव सर पर है।

यह है मध्यप्रदेश में बिजली का परिदृश्य

शाम साढ़े 6 बजे- जरूरत 10 हजार 792 मेगावाट, सप्लाई 6 हजार मेगावॉट

हाइडल प्रोजेक्ट से मिल रही- 1577 मेगावाट सौर ऊर्जा से मिल रही- 136 व 2223 मेगावाट शेष बिजली अन्य राज्यों की निजी कंपनियों से लेकर सप्लाई की जा रही है।

अभी कोयले की उपलब्धता की स्थिति

1- श्री सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट, खंडवा- कुल क्षमता 1200 मेगावाट। यहां महज दो दिनों के लिए ही कोयला बचा है।

2- अमरकंटक थर्मल पावर स्टेशन, चचाई- कुल क्षमता 210 मेगावाट की है। यहां 24 हजार एमटी का स्टॉक है। 3300 एमटी प्रतिदिन की खपत है।

3- सतपुड़ा थर्मल पावर हाउस, सारणी, बैतूल- कुल क्षमता 1310 मेगावाट है। यहां की महज दो यूनिट चल रही हैं। 8 हजार एमटी कोयले की हर दिन खपत है। 62 हजार एमटी कोयला स्टॉक में है।

4- संजय गांधी थर्मल पावर स्टेशन, बिरसिंहपुर, कटनी- कुल क्षमता 1340 है, किंतु उत्पादन काफी कम हो गया है। यहां हर दिन 14 हजार एमटी कोयले की खपत है। स्टॉक 4 दिन का बचा है।

ये भी पढ़ें: क्या है बिजली बिल? जिसकी वापसी की मांग नए कृषि कानूनों के साथ की जा रही है.!

coal mines
Coal Shortage
power cut
electricity shortage
Coal Crisis
Madhya Pradesh
Shivraj Singh Chauhan
BJP
Modi Govt

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन
    20 May 2022
    मुंडका, नरेला, झिलमिल, करोल बाग से लेकर बवाना तक हो रहे मज़दूरों के नरसंहार पर रोक लगाओ
  • रवि कौशल
    छोटे-मझोले किसानों पर लू की मार, प्रति क्विंटल गेंहू के लिए यूनियनों ने मांगा 500 रुपये बोनस
    20 May 2022
    प्रचंड गर्मी के कारण पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
  • Worship Places Act 1991
    न्यूज़क्लिक टीम
    'उपासना स्थल क़ानून 1991' के प्रावधान
    20 May 2022
    ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद इस समय सुर्खियों में है। यह उछाला गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर क्या है? अगर मस्जिद के भीतर हिंदू धार्मिक…
  • सोनिया यादव
    भारत में असमानता की स्थिति लोगों को अधिक संवेदनशील और ग़रीब बनाती है : रिपोर्ट
    20 May 2022
    प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में परिवारों की आय बढ़ाने के लिए एक ऐसी योजना की शुरूआत का सुझाव दिया गया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ सके। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य, शिक्षा, पारिवारिक विशेषताओं…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिसारः फसल के नुक़सान के मुआवज़े को लेकर किसानों का धरना
    20 May 2022
    हिसार के तीन तहसील बालसमंद, आदमपुर तथा खेरी के किसान गत 11 मई से धरना दिए हुए हैं। उनका कहना है कि इन तीन तहसीलों को छोड़कर सरकार ने सभी तहसीलों को मुआवजे का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License