NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
यूपी चुनावों में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने का कांग्रेस का ऐलान
महिला संगठनों और समाजसेवियों ने इस फ़ैसले की प्रशंसा तो की है लेकिन कांग्रेस पर महिला आरक्षण के मुद्दे पर गंभीर न होने का आरोप भी लगाया है।
असद रिज़वी
19 Oct 2021
priyanka
फ़ोटो: आज़म हुसैन

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की घोषणा की है। पार्टी के महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि प्रदेश में आवाज उठाने वालों को कुचला जा रहा है। उन्होंने कहा कि यहां मारने और कुचलने की राजनीति हो रही है।

महिला अधिकारों के लिए सक्रिय रहने वाले संगठनों का कहना है कि कांग्रेस का फ़ैसला स्वागत योग्य है, लेकिन जब कांग्रेस की सरकार थी तब उसने महिला आरक्षण का अध्यादेश पास नहीं किया था।

कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी प्रियंका ने लखनऊ में एक प्रेसवार्ता में कहा कि अगर देश को विकास की ओर आगे ले जाना है तो महिलाओं को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि महिलाएं सेवाभाव से देश की तस्वीर बदल सकती हैं।

प्रेस से बात करते हुए प्रियंका ने कहा की 40 प्रतिशत टिकट देने का फ़ैसला सोच समझकर लिया गया है। यह एक ऐतिहासिक फैसला है और यह फैसला सभी महिलाओं के हक में है।

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की कमान अपने हाथों में थामने वाली प्रियंका का कहना है कि उनकी पार्टी पूरी क्षमता के साथ सरकार से सड़क पर मुक़ाबला कर रही है। उन्होंने कहा कि “मैं उन लोगों के लिए लड़ रही हूं जो कि अपनी आवाज नहीं उठा पा रहे हैं।”

प्रियंका ने कहा की आज प्रदेश में नफरत का बोलबाला है, आवाज़ उठाने वालों को कुचला जा रहा है, आज प्रदेश में हर तरफ़ मारने और कुचलने की राजनीति हो रही है।

इस बड़ी घोषणा के बाद 403 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस की ओर से 161 महिलाओं को टिकट दिया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के इस ऐलान से प्रदेश जातीय समीकरण में उलझी राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है। उल्लेखनीय है कि 2017 में हुए चुनावों में 40 महिलाएं जीत कर सदन में पहुंची थीं जिसमें केवल 2 कांग्रेस की विधायक थीं।

हालांकि वामपंथी संगठनों का कहना है कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को लेकर कोई क़दम नहीं उठाया था। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) की क़द्दावर नेता सुभाषनी अली सहगल ने सवाल उठाया है कि जब कांग्रेस के पास संसद में ताक़त थी तो उस समय कांग्रेस ने महिला आरक्षण का क़ानून क्यों नहीं बनाया?

वहीं महिला संगठनों और समाजसेवियों ने इस फ़ैसले की प्रशंसा तो की है लेकिन कांग्रेस पर महिला आरक्षण के मुद्दे पर गंभीर न होने का आरोप भी लगाया है।

महिला संगठन साझी दुनिया का कहना है कि फ़ैसला ठीक है। इससे महिला स्वयं विधानसभा के पटल पर अपने मुद्दे उठा सकेंगी। संगठन की संयुक्त सचिव तहसीन फ़ातिमा कहती हैं कि महिला उम्मीदवारों का चयन करते समय पार्टी को देखना होगा कि उम्मीदवार, “महिला मुद्दों” पर कितना मुखर और संवेदनशील हैं ताकि पंचायतों की तरह न हो कि महिला जीते और “प्रधानपति” अपनी मर्ज़ी से काम करें।

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला समिति की मीना सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने फ़ैसला ठीक लिया है लेकिन देर से लिया गया है और यह फ़ैसला “कांग्रेस” को सत्ता में रहते क़ानून बनाकर लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह देखना होगा कि इस फ़ैसले के पीछे कांग्रेस की मंशा क्या है? उन्होंने कहा कि, क्योंकि प्रियंका कभी लखीमपुर में किसानों के पक्ष में खड़ी होती हैं और कभी संघ के नेताओं की तरह मंदिरों में चली जाती हैं।

महिला मुद्दों पर मुखर रहने वाली तहिरा हसन कहती हैं कि ये अच्छी बात है कि एक राष्ट्रीय पार्टी महिलाओं को सत्ता में बड़ी भागीदारी देना चाहती है लेकिन देखना होगा कि कांग्रेस यह प्रयोग कितना सफलतापूर्वक कर पाती है। ऐसा ना हो कि सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशों को लागू करने की तरह यह वादा भी पूरा होता नज़र नहीं आए।

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति कि नेता मधु गर्ग का कहना है अगर कांग्रेस महिलाओं को चुनाव मैदान में उतार रही है तो प्राथमिकता उनको दी जाए जो महिलाएं मुद्दों को लेकर ख़ासकर “महिला सुरक्षा” को लेकर जागरूक और मुखर हों। मधु गर्ग कहती हैं कि आज प्रदेश में महिला उत्पीड़न के ख़िलाफ़ मुक़दमा तक दर्ज कराना कठिन हो गया है। ऐसे में अगर महिलाओं की राजनीति में भागदारी बढ़ती है तो आशा की जा सकती है कि सत्ता में बैठे लोगों तक महिलाओं की आवाज़ को सुना जाएगा।

प्रियंका ने आज हाथरस और उन्नाव कांड आदि का ज़िक्र भी किया। कहा यह जा रहा है कि प्रियंका ने जाति (दलित-ब्राह्मण-ओबीसी) के सहारे राजनीतिक समीकरण बना रही भाजपा, सपा और बसपा के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करने की कोशिश की है। क्योंकि 20 करोड़ की आबादी वाले देश के सबसे बड़े प्रदेश में क़रीब 6.50 करोड़ मतदाता महिलाएं हैं जो प्रदेश की राजनीति का धारा मोड़ सकती हैं।

UP elections
UttarPradesh
PRIYANKA GANDHI VADRA
Congress
BJP

Related Stories

बदायूं : मुस्लिम युवक के टॉर्चर को लेकर यूपी पुलिस पर फिर उठे सवाल

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी
    26 May 2022
    अब्दुल सुब्हान वही शख्स हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेशक़ीमती आठ साल आतंकवाद के आरोप में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बिताए हैं। 10 मई 2022 को वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर अपने गांव पहुंचे हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आईपीईएफ़ पर दूसरे देशों को साथ लाना कठिन कार्य होगा
    26 May 2022
    "इंडो-पैसिफ़िक इकनॉमिक फ़्रेमवर्क" बाइडेन प्रशासन द्वारा व्याकुल होकर उठाया गया कदम दिखाई देता है, जिसकी मंशा एशिया में चीन को संतुलित करने वाले विश्वसनीय साझेदार के तौर पर अमेरिका की आर्थिक स्थिति को…
  • अनिल जैन
    मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?
    26 May 2022
    इन आठ सालों के दौरान मोदी सरकार के एक हाथ में विकास का झंडा, दूसरे हाथ में नफ़रत का एजेंडा और होठों पर हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद का मंत्र रहा है।
  • सोनिया यादव
    क्या वाकई 'यूपी पुलिस दबिश देने नहीं, बल्कि दबंगई दिखाने जाती है'?
    26 May 2022
    एक बार फिर यूपी पुलिस की दबिश सवालों के घेरे में है। बागपत में जिले के छपरौली क्षेत्र में पुलिस की दबिश के दौरान आरोपी की मां और दो बहनों द्वारा कथित तौर पर जहर खाने से मौत मामला सामने आया है।
  • सी. सरतचंद
    विश्व खाद्य संकट: कारण, इसके नतीजे और समाधान
    26 May 2022
    युद्ध ने खाद्य संकट को और तीक्ष्ण कर दिया है, लेकिन इसे खत्म करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे पहले इस बात को समझना होगा कि यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई भी सैन्य समाधान रूस की हार की इसकी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License