NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
स्वास्थ्य
अंतरराष्ट्रीय
कोरोना वायरस से कम गंभीर नहीं है, उससे निपटने में होने वाला भ्रष्टाचार
दुर्भाग्य से अक्सर संकट के समय भ्रष्टाचार का माहौल भी पनपता है। ख़ासकर जब निगरानी कमजोर होती है और जनता का संकट में उलझी होती है। करोना वायरस के समय भी यही हो रहा है। संकट का फायदा उठाकर जमकर भ्रष्टचार करने की खबरें आ रही हैं।
राकेश सिंह
10 Apr 2020
 भ्रष्टाचार
प्रतीकात्मक तस्वीर

कोरोनो वायरस महामारी के तेजी से फैलने के कारण दुनिया भर के देश एक अभूतपूर्व  वैश्विक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं। सरकारों की पहली प्राथमिकता लोगों का स्वास्थ्य और सुरक्षा होनी चाहिए। लेकिन इस तरह की असाधारण स्थितियां हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की दरारों और भ्रष्टाचार के संभावित जोखिमों और अवसरों को भी उजागर करती हैं।
 
दुर्भाग्य से अक्सर संकट के समय  भ्रष्टाचार का माहौल भी पनपता है। खासकर जब निगरानी कमजोर होती है और जनता का संकट में उलझी होती है। पिछली वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों जैसे कि इबोला वायरस और स्वाइन फ्लू ने स्पष्ट किया है कि संकट के समय में भी ऐसे लोग हैं जो दूसरों के दुर्भाग्य से लाभ का उठाने का लक्ष्य रखते हैं। संगठित आपराधिक समूहों और भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को अक्सर अवैध धन और शक्ति को मजबूत करने के नए अवसर मिलते हैं। इस समय भ्रष्टाचार और वित्तीय आपराध सरकारों को बढ़ते खतरे का माकूल जवाब देना बहुत कठिन बना देते हैं।

स्वास्थ्य प्रणालियों में दवाओं और आपूर्ति की खरीद आम तौर पर भ्रष्टाचार के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्रों में से एक है। यूएन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) के अनुसार विश्व स्तर पर खरीद पर खर्च किए गए कुल धन का लगभग 10 से 25 प्रतिशत भ्रष्टाचार में चला जाता है। यूरोपीय संघ में 28% स्वास्थ्य भ्रष्टाचार के मामले विशेष रूप से चिकित्सा उपकरणों की खरीद से संबंधित हैं। सामान्य समय में भी पूरी दुनिया में स्वास्थ्य क्षेत्र में भ्रष्टाचार से हर साल 500 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान होता है।

दुनिया भर में, देश कोरोनोवायरस के कारण दवाओं और चिकित्सा आपूर्ति दोनों में कमी की खबरे आ रही हैं। यह पहले से ही दबाव का सामना कर रही खरीद प्रक्रियाओं पर अतिरिक्त बोझ डालता है। आपूर्तिकर्ताओं को पता है कि सरकारों के पास बहुत कम विकल्प हैं और वे सामानों की ज्यादा कीमत की मांग कर लाभ उठा सकते हैं।

ऐसी परिस्थितियों में खुली और पारदर्शी निविदा प्रक्रिया का अभाव होने से इन जोखिमों को बढ़ाने में मदद मिलती है। मास्क, दस्ताने और हाथ के सैनिटाइजर जैसे जरूरी सामानों के पर्याप्त स्टॉक नहीं हैं और आपूर्ति घट गई है। सार्वजनिक संकट से लाभ हासिल करने के प्रयास में कुछ व्यापारी कीमतें बढ़ा रहे हैं।

व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई), वेंटिलेटर और संभावित चिकित्सीय दवाओं जैसे सामानों की बढ़ती मांग और कम आपूर्ति के कारण ये वस्तुएं धोखाधड़ी के लिए विशेष रूप से असुरक्षित हैं। जॉर्ज वॉशिंगटन विश्वविद्यालय की कानून की प्रोफेसर और भ्रष्टाचार विरोधी  विशेषज्ञ जेसिका टिलिपमैन के अनुसार, "जब भी बहुत जल्दी आपूर्ति और सेवाओं की आवश्यकता होती है, तो खरीद प्रणाली भ्रष्टाचार के लिए बहुत ज्यादा जोखिम में होती है।"

अमेरिका में संघीय एजेंसियां पहले से ही जनता को धोखाधड़ी के बारे में चेतावनी दे रही हैं। बुनियादी चिकित्सा आपूर्ति की कमी के कारण मूल्य में वृद्धि और जालसाजी दोनों ही बढ़े हैं। लॉस एंजिल्स अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 12 मार्च को कोविड-19 के नकली परीक्षण किट पकड़े गए। अमेरिका और दुनिया भर में अमेजन कोरोनावायरस के इलाज या उससे बचाव के बढ़ा-चढ़ा कर दावे करने वाले उत्पादों को अपने प्लेटफॉर्म से हटा रहा है।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) के अनुसार 2009-2010 में स्वाइन फ्लू महामारी के  प्रकोप के इलाज के लिये एक दवा टॉमीफ्लू का भंडारण करने पर पूरी दुनिया में लगभग 18 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किया गया था। हालांकि चार वर्षों के क्लिनिकल परीक्षण आंकड़ों की समीक्षा के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि स्विस दवा निर्माता रोशे की टॉमीफ्लू स्वाइन फ्लू के इलाज में पैरासिटामोल से ज्यादा असरदार नहीं थी। अब ठीक वही स्थिति मलेरिया-रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर पैदा हो गई है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प ने भारत को चेतावनी दी कि यदि उनके व्यक्तिगत अनुरोध के बावजूद भारत ने अमेरिका को मलेरिया-रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का निर्यात नहीं किया, तो वह जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। इसके तत्काल बाद भारत ने अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की खेप भेजने की घोषणा कर दी।

मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इस पुरानी और सस्ती दवा को कोरोनो वायरस के लिए एक व्यवहार्य चिकित्सीय समाधान के रूप में देखा जा रहा है। पिछले महीने भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। भारत को अपने निकटवर्ती श्रीलंका और नेपाल सहित कई अन्य देशों से भी ऐसा ही अनुरोध प्राप्त हुए हैं।

किसी आपदा या स्वास्थ्य संकट के दौरान आपूर्ति जल्दी से आगे बढ़ाने के लिये देश और संगठन खरीद अनुबंधों में तकनीकी विनिर्देश और साधारण समय में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सुरक्षा उपायों को छोड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए निविदाओं को ऐसे रूप से लिखा जा सकता है कि केवल एक या दो आपूर्तिकर्ता ही जरूरी शर्तों को पूरा करने में सक्षम हो सकें। इन शर्तों से धांधली और भ्रष्टाचार को बल मिल सकता। भारत में कोरोना वायरस परीक्षण किट को बनाने के मामले में ठीक ऐसा ही विवाद सामने आया है।

हाल के एक सार्वजनिक खुलासे से पता चला कि स्लोवेनिया की सरकार ने 26 मार्च को सार्वजनिक डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर डीओओ नामक कंपनी के साथ 25.4 मिलियन-यूरो के सौदे पर हस्ताक्षर किए। कंपनी को कोविड-19 के लिए "सुरक्षात्मक उपकरण" उपलब्ध कराना है, लेकिन उनकी कोई सूची नहीं दी गई है। यह खरीद समझौता कोई निविदा जारी किये बिना किया गया। कॉर्पोरेट रिकॉर्ड बताते हैं कि कंपनी स्लोवेनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक जोक पेक्विक है। पेक्विक के अन्य व्यवसायों में जुआ उद्योग मुख्य है। सार्वजनिक रिकॉर्ड स्वास्थ्य सेवा में उनकी कोई पिछली भागीदारी नहीं दिखाते हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प ने 2.3 खरब डॉलर के कोरोनावायरस पैकेज की निगरानी करने के लिये नव-नियुक्त इंस्पेक्टर जनरल (IG) को ही हटा दिया है। इसने राहत पैकेज की निगरानी के बारे में कांग्रेस में चिंताओं को और बढ़ा दिया है। संघीय निगरानी अधिकारियों के खिलाफ रिपब्लिकन राष्ट्रपति का सबसे ताजा कदम है। जो सरकारी फिजूलखर्ची, धोखाधड़ी और गलत कार्यों पर अंकुश लगाना चाहते हैं।

रक्षा विभाग के कार्यकारी महानिरीक्षक ग्लेन फाइन को पिछले सप्ताह ही अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़े आर्थिक राहत पैकेज के निगरानी कर्ता के रूप में नामित किया गया था। ट्रम्प ने पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के महानिरीक्षक को पेंटागन का नया कार्यकारी आईजी नियुक्त करने के लिए नामित किया है। कांग्रेस के डेमोक्रेट्स सदस्यों ने कहा कि नियुक्ति के एक हफ्ते से भी कम समय के भीतर फाइन को हटा दिया गया। पिछले महीने पारित बड़े खर्च पैकेज की सख्ती से निगरानी करने का उसका दृढ़ संकल्प इससे और ज्यादा मजबूत हुआ है।

प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने ने एक बयान में कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी निगरानी जारी रखेंगे कि करदाताओं के डॉलरों के इस ऐतिहासिक निवेश का उपयोग समझदारी और कुशलता से किया जा रहा है। ट्रम्प ने फाइन के निष्कासन के बारे में एक सवाल को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह उनका विशेषाधिकार था और वह केवल अपने डेमोक्रेटिक पूर्ववर्ती बराक ओबामा द्वारा नियुक्त लोगों को हटा रहे हैं।

ट्रम्प पहले ही कह चुके हैं कि वह 2 खरब डॉलर के कोरोनोवायरस प्रोत्साहन बिल के एक हिस्से का पालन नहीं करेंगे। जो एक इंस्पेक्टर जनरल को निगरानी के लिए अधिकृत करेगा कि बड़े व्यवसायों को कर्ज देने की मद में रखे गये 500 अरब डॉलर को कैसे खर्च किया जाए। 500 अरब डॉलर का ऋण कार्यक्रम राहत बिल की वार्ता प्रक्रिया के दौरान डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सांसदों के बीच विवाद का सबसे बड़ा बिंदु था।

भारत में प्रधानमंत्री राहत कोष के बावजूद पीएम केयर्स फंड बनाने को लेकर आलोचनायें की जा रही हैं। क्योकि पीएम केयर्स फंड में प्रधानमंत्री राहत कोष के समान पारदर्शिता का अभाव है।दुनिया भर में अस्पताल कोविड-19 से पीड़ित लोगों की बाढ़ से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और कर्मचारियों, बेड, वेंटिलेटर और अन्य उपकरणों की बढ़ती कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे समय में रिश्वतकोरी का जोखिम एक प्रमुख चिंता का विषय है। 2019 में अफ्रीका, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के लिए वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर के अनुसार अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में रिश्वत की दर 14 प्रतिशत थी। लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में यही दर 10 प्रतिशत है। चिकित्सा के लिए रिश्वत देने के इच्छुक लोग सबसे गंभीर मरीजों की जगह पर अस्पतालों में भर्ती हो सकते हैं।

2014-2016 का इबोला वायरस का प्रकोप, प्रसार और धीमा नियंत्रण, संकट के समय में भ्रष्टाचार के बारे में सबसे बड़ा सबक प्रदान करता है। इंटरनेशनल रेड क्रॉस ने गिनी और सिएरा लियोन में होने वाले भ्रष्टाचार की लागत का अनुमान 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक लगाया था। रिपोर्टों से पता चलता है कि इबोला महामारी के परिणामस्वरूप धन का विचलन और कुप्रबंधन हुआ, वेतन का गलत वितरण, नकली आपूर्ति भुगतान जैसी गतिविधियां सामने आई। चिकित्सा देखभाल हासिल करने और संगरोध के इलाके को छोड़ने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों को घूस भी दी गई।

भ्रष्टाचार-रोधी अधिकारियों ने चेतावनी दी कि कंपनियां बीमारी से पीड़ित लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालते हुए घटिया उपकरणों और सामानोंकी आपूर्ति कर सकती हैं। जालसाजी के एक प्रसिद्ध मामले में 2010 में बुर्किना फासो में मलेरिया के खिलाफ उपयोग के लिए 6 मिलियन से अधिक कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानियों की खरीद के लिए लाखों डॉलर का भुगतान किया। इसमें लगभग 2 मिलियन मच्छरदानियां नकली निकलीं। इनकी आपूर्ति करने वाली दो कंपनियों में से एक का मुख्यालय अमेरिका में था।

कई देशों के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों में कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ दवाओं और टीका विकसित करने के लिए दौड़ जारी है। परिणामस्वरूप सरकारें अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश करती रही हैं। उदाहरण के लिए 2002 के बाद से अमेरिका ने सार्स (SARS) और मार्स (MERS) सहित कोरोनावारसों पर शोध में लगभग 700 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं। हाल ही में ब्रिटेन ने कोरोनोवायरस अनुसंधान के लिए 20 मिलियन पाउंड  खर्च करने का वादा किया और यूरोपीय संघ ने अपने बजट को बढ़ाकर 47.5 मिलियन यूरो कर दिया।

विशेष रूप से सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधानों के क्लिनिकल परीक्षणों के अध्ययन के परिणामों की प्रकाशन दर बेहद कम है। जबकि निजी तौर पर वित्त पोषित परीक्षणों में प्रकाशन दर थोड़ी बेहतर है। कई रिपोर्टों में व्यावसायिक रूप से संवेदनशील आंकड़ो की सुरक्षा के लिए बड़ी मात्रा में पुरानी प्रकाशित सामग्री शामिल रहती हैं।

यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन (IOM) की 2009 की एक रिपोर्ट में निजी क्षेत्र के प्रभाव के कारण चिकित्सा अनुसंधान, शिक्षा और प्रैक्टिस में व्यापक वित्तीय टकराव पाए गए हैं। निजी अनुसंधान के अन्य अध्ययनों से यह पता चलता है कि क्लिनिकल परीक्षणों में अनुकूल परिणाम दिखाने के लिए आंकड़ों का ही हेरफेर किया जा सकता है।

कोरोनवायरस के खिलाफ दवाओं और वैक्सीन का विकास एक पारदर्शी और सहयोगात्मक प्रयास होना चाहिए, न कि निजी कंपनियों या राष्ट्रीय सरकारों के बीच एक गुप्त प्रतियोगिता। सार्वजनिक स्वास्थ्य पर निजी उद्योग का यह प्रभाव महत्वपूर्ण अनुसंधान की पारदर्शिता को घटाता है और अनगिनत व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों के स्वास्थ्य को खतरे में डालता है।

(लेखक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)  

Coronavirus
COVID-19
Coronavirus Epidemic
Corruption
corruption in health
PPE kit
Ventilators
medicines

Related Stories

बिहारः खनन विभाग के अधिकारी बालू माफियाओं से सांठगांठ कर अवैध कमाई पर देते हैं ज़ोर

यूपी: उन्नाव सब्ज़ी विक्रेता के परिवार ने इकलौता कमाने वाला गंवाया; दो पुलिसकर्मियों की गिरफ़्तारी

भाजपा शासित एमपी सरकार ने कोविड-19 के इलाज के लिए व्यापम आरोपियों के निजी अस्पतालों को अनुबंधित किया

न्यायालय ने पत्रकार कप्पन को बेहतर इलाज के लिए राज्य के बाहर भेजने का योगी सरकार को दिया निर्देश

महाराष्ट्र रेमडेसिवीर मामला : भाजपा पर उठे गंभीर सवाल?

अकेले ड्राइविंग करते हुए भी मास्क पहनना अनिवार्य है : दिल्ली उच्च न्यायालय

'ऐश्वर्या ने आत्महत्या नहीं की, उन्हें सरकार के भ्रष्ट सिस्टम ने मारा है'

दिल्ली: सबसे बड़े कोविड सेंटर में दुष्कर्म का मामला, आख़िर सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक हुई कैसे?

अन्याय में लिपटा योगी का रामराज, इंडिगो में कर्मचारियों की छँटनी और अन्य

यूपी: चित्रकूट में काम के बदले मासूम बच्चियों का यौन शोषण!


बाकी खबरें

  • भाषा
    ऑस्कर 2022: पत्नी को लेकर ग़लत टिप्पणी पर स्मिथ ने रॉक को थप्पड़ मारा
    28 Mar 2022
    स्मिथ ने ‘किंग रिचर्ड’ में रिचर्ड विलियम्स की भूमिका के लिए अपना पहला सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर पुरस्कार जीता। लेकिन इसी बीच काफी अप्रत्याशित घट गया।
  • सुभाष गाताडे
    बीजेपी का पाखंड: सेकुलर स्कूलों में हिजाब से दिक़्क़त, लेकिन गीता का स्वागत
    28 Mar 2022
    छात्रों को निश्चित तौर पर अलग-अलग विश्वासों का अध्ययन करना चाहिए, ताकि वे समझ पाएं कि कैसे तर्क करने वाला आज का स्वायत्त-स्वतंत्र मनुष्य अस्तित्व में आया। धार्मिक निर्देशों का दायरा यहां ख़त्म होता है।
  • भाषा
    नीतीश कुमार मंत्रिमंडल से मुकेश सहनी बर्खास्त
    28 Mar 2022
    उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, भाजपा के एक ‘‘लिखित निवेदन’’ के बाद मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मत्स्य और पशुपालन मंत्री सहनी को मंत्रिमंडल से निष्कासित करने की सिफारिश की।
  • भाषा
    योगी और अखिलेश समेत विधायकों ने यूपी विधानसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली
    28 Mar 2022
    योगी आदित्यनाथ की शपथ के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों के ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए, जबकि नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव को जब शपथ के लिए बुलाया गया तो सपा सदस्यों ने ‘जय भीम’ और ‘जय…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट/भाषा
    पटना में विक्षिप्त युवक ने नीतीश पर हमला किया
    28 Mar 2022
    इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। इस वायरल वीडियो में भी यह साफ दिख रहा है कि किस तरह एक युवक सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए नीतीश कुमार तक पहुंच जाता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License