NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कोविड-19: रेमडेसिविर के बहाने उपजी पीड़ा...
रेमडेसेविर को लेकर चिकित्सक बिरादरी और मीडिया दोनों को ही आत्मनियंत्रित होकर काम करने की ज़रूरत है न कि फार्मा कम्पनियों और दवा मार्केट के दबाव में आने की І
राहुल शर्मा
14 Apr 2021
कोविड-19: रेमडेसिविर के बहाने उपजी पीड़ा...
इंदौर के दवा बाज़ार में रेमडेसिविर के लिए उमड़ी भीड़। फोटो सोशल मीडिया से साभार

अंग्रेजी का एक शब्द है “पैनिक” जिसका अर्थ है एकाएक उपजा डर जो नियंत्रित न हो सके और व्यक्ति को स्पष्टता के साथ सोचने में असमर्थ कर दे І मीडिया और राजनैतिक लोग इस शब्द का बखूबी इस्तेमाल करना जानते हैं या यूं भी कहा जा सकता है कि शब्द “पैनिक” इनके बहुत काम का है І इसके अंतर्गत कृत्रिम तौर डरावनी और असुरक्षित परिस्थितियों को निर्मित कर सामूहिक अवचेतन को नियंत्रित किया जाता है जिसके चलते लोग अपने चेतन स्तर पर तीव्र रूप से भयग्रस्त हो असामान्य व्यवहार करने लगते हैं І 

कोविड-काल में इस शब्द को तरह तरह से आज़माया जा रहा है जिसका हालिया उदाहरण कोविड को नियंत्रित करने में सक्षम (?) कहा जा रहा एक इंजेक्शन “रेमडेसिविर” है І जिसकी किल्लत उपजा कर लोगों को किस कदर पैनिक किया जा रहा है यह बताने की आवश्यकता नहीं І जबकि यह दवा महामारी को नियंत्रित करने और उसके उपचार हेतु निर्धारित वैज्ञानिक कसौटियों पर पूर्णतः खरी नहीं उतरी है और WHO भी इसकी अनुशंसा नहीं करता है І लेकिन WHO की कोई क्यों सुने ? कोई आम व्यक्ति क्या, चिकित्सक बिरादरी भी क्यों सुने? हालांकि एक तर्क यह भी दिया जाता है कि AIIMS के कोविड-19 हेतु सुझाये दिशानिर्देशों में इस दवा की अनुशंसा है लेकिन उसको कुछ विशेष परिस्थितियों में ही अपनाने को कहा गया है І यानी जब कोई उपचार ही नहीं है कोविड का, तो इसको भी आज़माने में बुरा क्या है? लेकिन कुछ अखबार अपना पूरा-पूरा पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करते हुए इसको “जीवनरक्षक रेमडेसिविर की भारी कमी” लिख कर लोगों को पैनिक करने में अपनी अतुलनीय भूमिका निभा रहे हैं І

इंदौर का हाल

याद कीजिये कोविड महामारी के आरंभिक चरण यानी गत वर्ष मार्च-अप्रैल के महीनों को जब “हायड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ)” को यही महान दर्ज़ा हासिल कराया गया था जो आज रेमडेसिविर को हुआ है І हर ख़ास-ओ-आम HCQ चाहता था यहाँ तक कि पूर्व अमरीकन राष्ट्रपति भी, जो पैनिक हो कर हमसे HCQ माँग रहा था और न देने पर देख लेने की धमकी तक दे रहा था और अपने यहाँ भारी कमी के चलते भी हमने उसकी धमकी के धमाके में ढेर सा HCQ उसको भेज भी दिया था І आज कोई बताएगा कि HCQ कहाँ है और इससे कितना कोरोना किल हो रहा है? लेकिन साहब तब भी वही पैनिक उपजाने का मामला था जो समय के साथ रफ़ादफ़ा हो गया І जब लोग पैनिक होंगे तब दवा विशेष को तो छोड़िये, आधे कटे नींबू तक में 2 लौंग खोंस मरीज़ के बिस्तर के नीचे रखने को बेचैन हो बैठेंगे І

क्या आपको ये बात समझ आती है कि ये मीडिया हर मामले यानी राजनीति से लेकर विज्ञान तक में ख़ुदमुख्तार बनता कैसे है? किसके क्या मन्तव्य होते हैं ऐसी पैनिकपूर्ण परिस्थितियों के पैदा करवाने के पीछे? 

खैर जाने दीजिये बात निकलेगी तो बहुत ही दूर तलक जायेगी! रेमडेसेविर को लेकर चिकित्सक बिरादरी और मीडिया दोनों को ही आत्मनियंत्रित होकर काम करने की ज़रूरत है न कि फार्मा कम्पनियों और दवा मार्केट के दबाव में आने की І डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन कितना रेशनल है इस पर बात करने की न तो आम लोगों में हिम्मत होती है न काबिलियत, जिसके चलते हमारे यहाँ ख़ासकर हिंदी प्रदेशों में प्रिस्क्रिप्शन मॉनिटरिंग की कोई प्रक्रिया या परम्परा निर्मित ही नहीं हो पाई है І इससे यह हुआ कि कई चिकित्सक कई कारणों (जिनमें लोभ लालच तो शामिल है ही) से तमाम ऐसी दवाएं लिखते हैं जो बिलकुल अनुपयोगी होती हैं І 

महाराष्ट्र में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे कुछ संगठनों और आन्दोलनों द्वारा प्रिस्क्रिप्शन ऑडिट की प्रक्रिया को आरम्भ कराया गया था जिसके कई अच्छे परिणाम निकले थे पर कुछ जगह इसका विरोध भी हुआ और वर्तमान में इसकी क्या स्थिति है इसके विषय में अभी कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता І लेकिन उम्मीद है कि लोग जागरूक होंगे तो वे प्रिस्क्रिप्शन की रेशनल और इरेशनल होने के मुद्दे को उठाएंगे और डॉक्टर्स से सवाल करेंगे जो डॉक्टर्स को ज़्यादा सजग व जवाबदेह बनायेगा І

जहां तक रेमडेसिविर इंजेक्शन का सवाल है तो इसको ट्रायल एंड एरर आधार पर ही उपयोग में लेना उचित है न कि इसको जीवन-रक्षक कह कर प्रचारित करना और लोगों में डर पैदा कर उन्हें बेचैन कर देना І 

याद रखा जाना चाहिए कि विज्ञान अभी भी कोविड-19 के उपचार में इस दवा की तरफदारी नहीं कर रहा है और इसकी प्रभाविता भी बहुत सीमित है І हालांकि इससे उपजे पैनिक को देखते हुए अब इसके निर्यात और कालाबाजारी पर नियंत्रण लगाने की बात कही जा रही हैं जो पहले ही होना चाहिए था І 

सरकार द्वारा इस इंजेक्शन के लिए अभी दिशानिर्देश जारी किये हैं कि जिनको 5 लीटर से ज्यादा ऑक्सीजन दिया जा रहा है उन मरीज़ को ये इंजेक्शन दिया जा सकता है І ट्रेंड्स ये भी बता रहे हैं कि कोविड के चलते जिनकी मृत्यु हुई उनमें से अधिकाँश लोगों को यह इंजेक्शन दिया जा चुका था लेकिन फिर भी यह उनकी जान न बचा सका І

ड्रग कंट्रोलर जनरल (इंडिया) ने इस दवा के रिस्ट्रिक्टेड इमरजेंसी उपयोग की अनुमति ही दी है और MoHFW द्वारा EUA के अंतर्गत इन्वेस्टीगेशनल थेरेपी के तौर पर इसके उपयोग के लिए कहा है लेकिन पैनिक इतना बढ़ाया गया कि कई ऐसे लोग भी इस दवा को लेने लाइन में लगने लगे जिनको इसकी ज़रूरत नहीं थी क्योंकि उनके अंदर कल को लेकर भय, असुरक्षा और इसकी उपलब्धता पर आशंकाएं बढ़ गईं हैं І 

सबसे चौंकाने वाला वाकया था भाजपा, गुजरात के अध्यक्ष के पास 5 हज़ार रेमडेसेविर इंजेक्शन पहुँच जाना जिसके स्पष्टीकरण में वहां के मुख्यमंत्री द्वारा टका सा जवाब देना कि इस सम्बन्ध में प्रदेश अध्यक्ष से ही पूछा जाए І इस वाकये को जब पढ़ा तो महान गुजराती संत नरसी भगत से माफ़ी मांगते हुए अपने आप में बोल लिया “वैष्णव जन तो तेने कहिये;  जो पीर अपने तक जाने रे...” इससे ज्यादा हम कर भी क्या सकते हैं? वैसे इस इंजेक्शन मिलने के खुलासे के बाद इस संबंध में मुख्यमंत्री, गुजरात ने जब जवाब दिया कि “प्रदेश अध्यक्ष से पूछें” तो दैनिक भास्कर के गुजराती संस्करण दिव्य भास्कर ने हेडलाइन बनाते हुए श्रीमान प्रदेश अध्यक्ष का फोन नम्बर ही हेडलाइन के रूप में छाप दिया। दिव्य भास्कर ने जो किया वह तारीफ़ के क़ाबिल पत्रकारिता हैІ

(लेखक जन स्वास्थ्य अभियान से जुड़े हुए हैं और अभी क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट के रूप में कोविड-19 मरीजों के बीच काम कर रहे हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Indore
COVID-19
remdesivir
MERS
SARS
WHO

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां


बाकी खबरें

  • रवि शंकर दुबे
    दिल्ली और पंजाब के बाद, क्या हिमाचल विधानसभा चुनाव को त्रिकोणीय बनाएगी AAP?
    09 Apr 2022
    इस साल के आखिर तक हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, तो प्रदेश में आप की एंट्री ने माहौल ज़रा गर्म कर दिया है, हालांकि भाजपा ने भी आप को एक ज़ोरदार झटका दिया 
  • जोश क्लेम, यूजीन सिमोनोव
    जलविद्युत बांध जलवायु संकट का हल नहीं होने के 10 कारण 
    09 Apr 2022
    जलविद्युत परियोजना विनाशकारी जलवायु परिवर्तन को रोकने में न केवल विफल है, बल्कि यह उन देशों में मीथेन गैस की खास मात्रा का उत्सर्जन करते हुए जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न संकट को बढ़ा देता है। 
  • Abhay Kumar Dubey
    न्यूज़क्लिक टीम
    हिंदुत्व की गोलबंदी बनाम सामाजिक न्याय की गोलबंदी
    09 Apr 2022
    पिछले तीन दशकों में जातिगत अस्मिता और धर्मगत अस्मिता के इर्द गिर्द नाचती उत्तर भारत की राजनीति किस तरह से बदल रही है? सामाजिक न्याय की राजनीति का क्या हाल है?
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहारः प्राइवेट स्कूलों और प्राइवेट आईटीआई में शिक्षा महंगी, अभिभावकों को ख़र्च करने होंगे ज़्यादा पैसे
    09 Apr 2022
    एक तरफ लोगों को जहां बढ़ती महंगाई के चलते रोज़मर्रा की बुनियादी ज़रूरतों के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भी अब ज़्यादा से ज़्यादा पैसे खर्च…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: इमरान को हिन्दुस्तान पसंद है...
    09 Apr 2022
    अविश्वास प्रस्ताव से एक दिन पहले देश के नाम अपने संबोधन में इमरान ख़ान ने दो-तीन बार भारत की तारीफ़ की। हालांकि इसमें भी उन्होंने सच और झूठ का घालमेल किया, ताकि उनका हित सध सके। लेकिन यह दिलचस्प है…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License