NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
रक्षा कर्मचारी संघों का केंद्र सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप, आंदोलन की चेतावनी 
कर्मचारी महासंघों ने ने केंद्र को उनकी सेवा शर्तों के साथ हेराफेरी नहीं करने के अपने वादे से मुकरने का दोषी ठहराया है।जिसे देखते हुए श्रमिक संघों ने अपनी 11 मांगों को सूचीबद्ध करते हुए “आंदोलन का नोटिस” जारी किया है।
रौनक छाबड़ा
26 Oct 2021
Defence Unions
चित्र साभार: नेशनल हेराल्ड 

ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के मान्यता प्राप्त कर्मचारी संघों ने, जिसे करीब एक महीने पहले निगमित और सात रक्षा क्षेत्रों के सार्वजनिक उपक्रमों में विभक्त कर दिया गया था, ने केंद्र को उनकी सेवा शर्तों के साथ हेराफेरी नहीं करने के अपने वादे से मुकरने का दोषी ठहराया है। महासंघों का कहना है कि इस वर्ष की शुरुआत में उनके द्वारा, इस डर से कि कहीं पूर्ववर्ती सरकारी विभागों को एक कॉर्पोरेट इकाई के तौर पर बदले जाने से रक्षा कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कमी की जा सकती है, को देखते हुए ओएफबी के निगमीकरण के विरोध किया गया था,  तब केंद्र ने उन्हें आश्वस्त किया था कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। उनकी सेवा शर्तों में कोई कटौती नहीं होगी।

महासंघों का कहना है कि “सरकार ने हमें कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए आश्वस्त किया था।” उनका कहना है कि ये आश्वासन “सिर्फ कागजों पर हैं और व्यवहारिक रूप से सभी सेवा शर्तों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।” 

अभी एक महीने भी नहीं हुए हैं जब देश भर में मौजूद 41 आयुध कारखानों की देखरेख करने वाले ओएफबी को भंग कर सात रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में तब्दील कर दिया गया था। लेकिन हालिया आदेशों ने उन्हें सचिव (डीपी) रक्षा उत्पादन विभाग को एक पत्र लिखने के लिए प्रेरित कर दिया।

रविवार को लिखे इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि नवगठित निगमों के प्रबंधन द्वारा केंद्र के ओएफबी के निगमीकरण के फैसले का “जानबूझकर उल्लंघन” करके रक्षा क्षेत्र से सम्बद्ध नागरिक कर्मचारियों के सेवा मामलों पर “एकतरफा” फैसला लिया जा रहा है।

इस पत्र पर अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी संघ (एआईडीईएफ), आरएसएस समर्थित भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ (बीपीएमएस) और मान्यता प्राप्त रक्षा संघों के महासंघ (सीडीआरए) द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं।

ये भी देखें: वेतन के बग़ैर मिल्टन साइकिल के कर्मचारी सड़क पर

महासंघों के मुताबिक, इस महीने सात रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों में से कम से कम एक में सामान्य काम के घंटों में बदलाव कर दिया गया है। कर्मचारी यूनियनों ने यंत्रा इंडिया लिमिटेड द्वारा दिनांक 18 अक्टूबर को जारी एक “निर्देश” का हवाला दिया है, जिसमें “एक ही कारखाने के भीतर” विभिन्न स्तरों पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए “अलग-अलग” कार्यालय टाइमिंग की बात कही गई है।

महासंघों के मुताबिक यह फैसला सरकारी आदेशों का उल्लंघन करता है जिसमें ओएफबी में कार्यरत सभी श्रेणी के कर्मचारियों के लिए प्रति सप्ताह 44 घंटे 45 मिनट सामान्य काम के घंटे निर्दिष्ट हैं।

न्यूज़क्लिक की ओर से कर्मचारी संघों द्वारा बताये गए “निर्देश” को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका है।

इसके अलावा, कर्मचारी संघों ने आरोप लगाया कि यंत्र इंडिया लिमिटेड द्वारा जारी एक अन्य आदेश में पीस वर्क पर लाभ की 75% की सीमा को “मनमानेपूर्ण” ढंग से वापस ले लिया गया है।

रक्षा संघों द्वारा उठाया गया एक अन्य मुद्दा आयुध निर्माणी अस्पताल के कर्मचारियों के ओवरटाइम वेतन से संबंधित था। यह आरोप लगाया जा रहा है कि अतिरिक्त घंटों तक तैनाती किये जाने के बावजूद, इन कर्मचारियों को ओवरटाइम का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

रविवार को लिखे अपने पत्र में कर्मचारी संघों का कहना है कि “यदि निगमों द्वारा इसी प्रकार का उत्पीड़न और गैर-क़ानूनी फैसला लिया जाता रहेगा तो हम सभी को 41 आयुध कारखानों में विभिन्न आंदोलनों में उतरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।”

ये भी पढ़ें: दिल्ली सरकार के विश्वविद्यालय के सफ़ाई कर्मचारियों ने कपड़े उतार कर मुख्यमंत्री आवास पर किया प्रदर्शन!

अपनी 11 मांगों को सूचीबद्ध करते हुए रक्षा संघों ने “आंदोलन का नोटिस” भी जारी किया है, जिसमें केंद्र को उनकी शिकायतों का निवारण करने के लिए 10 दिनों का समय दिया गया है। यदि केंद्र इसे हल करने में विफल रहा तो महासंघों को मजबूरन “विभिन्न कार्यवाही के कार्यक्रमों को शुरू करने” के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

उनकी मांगों में:- सभी रक्षा कर्मचारियों के लिए सामान्य काम के घंटों की बहाली, 75% पीस वर्क पर लाभ की सीमा को वापस लागू करने और रक्षा उपकरण निर्माण से संबद्ध सभी कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधाओं से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न करना शामिल हैं।

ओएफबी 246 साल पुराना एक छतरी निकाय था जिसमें 76,000 रक्षा क्षेत्र से जुड़े नागरिक कर्मचारियों की कार्यशक्ति थी। ओएफबी के विघटन के बाद स्थापित की गई सात नई रक्षा कंपनियों का औपचारिक उद्घाटन 15 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा एक वीडियो कांफ्रेंस के जरिये किया गया था। आपको बता दें कि रक्षा कर्मचारियों द्वारा इस उद्घाटन समारोह के विरोध स्वरुप बहिष्कार किया गया था।

इससे पूर्व पिछले महीने ओएफबी के निगमीकरण के लिए एक आदेश जारी करते हुए केंद्र ने कहा था कि विभिन्न उत्पादन ईकाइयों में कार्यरत सभी ओएफबी कर्मचारियों को शुरूआती दो वर्षों के लिए डेपुटेशन पर विभिन्न कॉर्पोरेट सस्थाओं में स्थानांतरित किया जायेगा। इस अवधि के दौरान, फैसले के मुताबिक सभी रक्षा कर्मचारियों की सेवा शर्तों को, जैसा कि उन्हें पूर्व में सरकारी कर्मचारियों के बतौर माना जाता था, में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा।

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: 

Defence Unions Decry Centre for not Keeping Word on Service Norms for Erstwhile OFB Employees

OFB
AIDEF
BPMS
CDRA
corporatisation
Defence PSUs
OFB Service rules
Defence employees
yantra india

Related Stories

सरकार ने किया नई रक्षा कंपनियों द्वारा मुनाफ़ा कमाए जाने का दावा, रक्षा श्रमिक संघों ने कहा- दावा भ्रामक है 

रायशुमारी में 99 फीसदी से अधिक रक्षाकर्मियों ने ओएफबी के निगमीकरण के ख़िलाफ़ वोट दिए

हड़ताल पर रोक लगने के बाद रक्षा कर्मचारी संघ ओएफबी के निगमीकरण के ख़िलाफ़ लड़ेंगे क़ानूनी लड़ाई

ओएफबी: केंद्र के ‘कड़े’ अध्यादेश के ख़िलाफ़ रक्षा महासंघों ने अखिल भारतीय काला दिवस मनाने का फ़ैसला किया

ओएफ़बी: अनिश्चितकालीन हड़ताल से पहले, केंद्र ने ख़ुद को 'आवश्यक रक्षा सेवाओं' के श्रमिकों को दंडित करने का अधिकार दिया

ओएफबी के निगमीकरण के ख़िलाफ़ रक्षा महासंघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर विचार-विमर्श कर रहे हैं

भारत में लंबे समय से मौजूद कृषि संकट की जड़ क्या है?

‘सुलह समझौते का उल्लंघन’: रक्षा फ़ेडरेशनों ने ओएफ़बी के निगमीकरण पर राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखी

आयुध कारखानों के 82 हज़ार श्रमिक अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए तैयार

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ ने ज़िला अस्पतालों के निजीकरण के प्रस्ताव को ख़ारिज किया


बाकी खबरें

  • corona
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के मामलों में क़रीब 25 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई
    04 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,205 नए मामले सामने आए हैं। जबकि कल 3 मई को कुल 2,568 मामले सामने आए थे।
  • mp
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    सिवनी : 2 आदिवासियों के हत्या में 9 गिरफ़्तार, विपक्ष ने कहा—राजनीतिक दबाव में मुख्य आरोपी अभी तक हैं बाहर
    04 May 2022
    माकपा और कांग्रेस ने इस घटना पर शोक और रोष जाहिर किया है। माकपा ने कहा है कि बजरंग दल के इस आतंक और हत्यारी मुहिम के खिलाफ आदिवासी समुदाय एकजुट होकर विरोध कर रहा है, मगर इसके बाद भी पुलिस मुख्य…
  • hasdev arnay
    सत्यम श्रीवास्तव
    कोर्पोरेट्स द्वारा अपहृत लोकतन्त्र में उम्मीद की किरण बनीं हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं
    04 May 2022
    हसदेव अरण्य की ग्राम सभाएं, लोहिया के शब्दों में ‘निराशा के अंतिम कर्तव्य’ निभा रही हैं। इन्हें ज़रूरत है देशव्यापी समर्थन की और उन तमाम नागरिकों के साथ की जिनका भरोसा अभी भी संविधान और उसमें लिखी…
  • CPI(M) expresses concern over Jodhpur incident, demands strict action from Gehlot government
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    जोधपुर की घटना पर माकपा ने जताई चिंता, गहलोत सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग
    04 May 2022
    माकपा के राज्य सचिव अमराराम ने इसे भाजपा-आरएसएस द्वारा साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करार देते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं अनायास नहीं होती बल्कि इनके पीछे धार्मिक कट्टरपंथी क्षुद्र शरारती तत्वों की…
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन की स्थिति पर भारत, जर्मनी ने बनाया तालमेल
    04 May 2022
    भारत का विवेक उतना ही स्पष्ट है जितना कि रूस की निंदा करने के प्रति जर्मनी का उत्साह।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License