NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
दून विवि के कुलपति की बर्ख़ास्तगी : उत्कृष्टता के केंद्र का दावा और घपले-घोटालों की निकृष्टता!
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से यहाँ के विश्वविद्यालय और उनके कुलपति विवादों के केंद्र बनते रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद डॉ. नौटियाल ऐसे पहले कुलपति हैं,जिनकी बर्ख़ास्तगी का आदेश, उच्च न्यायालय द्वारा जारी किया गया है।
इंद्रेश मैखुरी
07 Dec 2019
डॉ. चंद्रशेखर नौटियाल

उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी देहारादून में स्थित दून विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. चंद्रशेखर नौटियाल को उच्च न्यायालय, नैनीताल ने कुलपति पद से बर्ख़ास्त करने का आदेश दिया है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से यहाँ के विश्वविद्यालय और उनके कुलपति विवादों के केंद्र बनते रहे हैं। लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद डॉ. नौटियाल ऐसे पहले कुलपति हैं,जिनकी बर्खास्तगी का आदेश, उच्च न्यायालय द्वारा जारी किया गया है।

विश्वविद्यालय के कुलपतियों के विवादास्पद होने का सिलसिला राज्य बनने के बाद से बदस्तूर जारी है। वर्ष 2002 में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. बीएस राजपूत और उनके एक शोध छात्र पर आरोप लगा कि जर्मनी की नोबल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक रैनैटा कैलौस का शोध पत्र चोरी करके राजपूत और उनके शोध छात्र ने अपने नाम से छपवा लिया। छात्र आंदोलन के बावजूद तत्कालीन सरकार, राजपूत के खिलाफ कार्रवाई से बचती रही। दुनिया के 18 नोबल विजेताओं ने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी कि आखिर आपके देश में ऐसा व्यक्ति कुलपति कैसे रह सकता है,जो शोध पत्र चोरी का आरोपी हो। इस चिट्ठी के बाद भी राजपूत के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के बजाय,सरकार ने उनका इस्तीफा लेकर,राजपूत को जाने दिया।

दो साल पहले,दिसंबर 2017 में केंद्र सरकार ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. जेएल कौल को बर्खास्त कर दिया। कौल पर आरोप था कि वे भ्रष्टाचार में लिप्त थे और उन्होंने मनमाने तरीके से प्राइवेट बीएड कॉलेजों में सीटें बढ़ाने की संस्तुति दी थी।

और अब दून विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आरूढ़ डॉ. चंद्रशेखर नौटियाल को 3 दिसंबर 2019 को सुनाये फैसले में उच्च न्यायालय,नैनीताल ने पद से बर्खास्त करने का आदेश दिया है।

डॉ. नौटियाल जनवरी 2018 में दून विश्वविद्यालय के चौथे कुलपति नियुक्त हुए थे। उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में देखें तो कुलपति पद पर वे एक वर्ष भी पूरा न कर सके और बड़े बेआबरू हो कर कूचे से रुखसत कर दिये गए। उच्च न्यायालय ने डीएवी इंटर कॉलेज,देहारादून के पूर्व शिक्षक यज्ञदत्त शर्मा की याचिका पर फैसला देते हुए, डॉ. नौटियाल के बारे में जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया है, वह बेआबरू करके निकाले जाने जैसा ही है।

कुलपति के रूप में प्रो. वीके जैन का कार्यकाल खत्म होने के बाद दून विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए 17 अक्टूबर 2017 को उत्तराखंड सरकार ने विज्ञापन जारी किया। उक्त विज्ञापन में कुलपति पद पर नियुक्ति हेतु अन्य अर्हता के अलावा, प्रोफेसर के तौर पर विश्वविद्यालय तंत्र में 10 वर्ष का अनुभव अनिवार्य शर्तों में से एक था। 69 अभ्यर्थियों ने दून विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए आवेदन किया। इन 69 आवेदनों में से तीन सदस्यीय चयन समिति द्वारा तीन अभ्यर्थियों को छांटा गया। इन तीन अभ्यर्थियों में से डॉ. नौटियाल का नाम तीसरे नंबर पर था। फिर भी मोहर नौटियाल साहब के नाम पर ही लगी।

लेकिन सारा मामला 10 साल प्रोफेसरी वाली शर्त ने बिगाड़ दिया। दरअसल डॉ. नौटियाल ने जो बायोडाटा चयन समिति के सामने प्रस्तुत किया, उसमें उन्होंने अपने को आउटस्टैंडिंग प्रोफेसर बताया। नौटियाल लखनऊ में राष्ट्रीय वानिकी शोध संस्थान के निदेशक रह चुके थे। इस पद पर अपनी नियुक्ति का उल्लेख अपने बायोडाटा में उन्होंने निदेशक/ आउटस्टैंडिंग प्रोफेसर के तौर पर किया। उन्होंने मुख्य वैज्ञानिक पद पर अपनी नियुक्ति का उल्लेख मुख्य वैज्ञानिक/प्रोफेसर के रूप में किया।

याचिकाकर्ता यज्ञदत्त शर्मा ने उच्च न्यायालय को बताया कि उन्होंने सूचना अधिकार के अंतर्गत डॉ. नौटियाल के पूर्व संस्थान से नौटियाल के बारे में जानकारी मांगी तो सीएसआईआर ने बताया कि नौटियाल की नियुक्ति वैज्ञानिक,वरिष्ठ वैज्ञानिक और निदेशक के तौर पर थी और दोहरे पदनाम का भी कोई प्रावधान नहीं है।

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इस बात का उल्लेख किया कि डॉ. नौटियाल का चयन करते हुए चयन समिति ने उनके प्रशासनिक अनुभव के आधार पर नहीं बल्कि उनके द्वारा जो प्रोफेसर के रूप में 12 वर्ष शिक्षण का दावा किया गया, उसके आधार पर ही उनके चयन की अनुशंसा की,जबकि उनसे अधिक प्रशासनिक अनुभव होने के बावजूद प्रोफेसर के रूप में शैक्षणिक अनुभव की अवधि पूरा न कर पाने वालों का दावा खारिज कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा कि डॉ. नौटियाल कभी विश्वविद्यालय तंत्र में प्रोफेसर रहे ही नहीं तो उनके प्रोफेसर के रूप में कोई अनुभव होने का सवाल ही नहीं उठता।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथ और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट तौर पर लिखा कि डॉ. नौटियाल ने कुलपति पद पर अपनी योग्यता के मामले में चयन समिति को भ्रम में रखा। फैसले के बिन्दु संख्या 136 (डी डी) में तो उन्होंने लिखा है कि नौवें प्रतिवादी यानी नौटियाल ने यह पद धोखाधड़ी से हासिल किया। किसी अकादमिक पद पर बैठे व्यक्ति पर इससे कठोर टिप्पणी और क्या हो सकती है ! जेसी बोस नेशनल फैलो रह चुके और कई शीर्ष वैज्ञानिक पदों पर काम कर चुके व्यक्ति के पूरे करियर पर उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी एक काले धब्बे की तरह हमेशा चस्पा रहेगी।

उच्च न्यायालय ने नौटियाल को दून विश्वविद्यालय के कुलपति पद से पदच्युत ही नहीं किया वरन नियुक्ति की तिथि यानी 29 जनवरी 2018 से उनकी नियुक्ति ही रद्द कर दी। इसका अर्थ यह है कि नौटियाल पूर्व कुलपति के रूप में नहीं बल्कि ऐसे व्यक्ति के रूप में जाने जाएँगे,जिन्होंने अनर्ह होते हुए भी कुलपति पद छल से हासिल करना चाहा और उनकी इस चेष्टा को उच्च न्यायालय ने निष्फल कर दिया।

इस पूरे घटनाक्रम में उस चयन समिति पर भी सवाल खड़े होते हैं,जिसने नौटियाल द्वारा सीवी में किए गए दावे पर आँख मूँद कर भरोसा किया। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में चयन समिति के तौर-तरीके और उसके गठन पर भी कुछ प्रश्न उठाए हैं। सवाल तो उत्तराखंड सरकार और राजभवन पर भी हैं कि आखिर जिन नौटियाल का नाम तीसरे नंबर पर लिखा हुआ था, उनके नाम पर ही निशान लगाने की क्या मजबूरी थी? जो सरकार, कुलपति पद के लिए आवश्यक अर्हताओं वाला विज्ञापन जारी करती है, आखिर उसके पास,आवेदकों के दावों की सत्यता सुनिश्चित करने वाला तंत्र क्यूँ नहीं है ? प्रश्न तो यह भी हो सकता है कि तंत्र नहीं है या अपने चहेतों के लिए किसी तंत्र की जरूरत ही महसूस नहीं की जाती ?

दून विश्वविद्यालय की जब स्थापना हुई थी तो कहा गया था कि इसे सेंटर ऑफ एक्सलेन्स यानी उत्कृष्टता का केंद्र बनाना है। कुलपति प्रकरण के फैसले की रौशनी में तय कीजिये कि क्या बना,किस मामले में उत्कृष्ट और काहे का केंद्र बना। यह भी ध्यान रहे कि नियुक्तियों के मामले में इस विश्वविद्यालय का यह इकलौता या अंतिम मामला नहीं है। अभी और भी मामले उच्च न्यायालय में लंबित हैं। इस मामले में तो सिर्फ प्रोफेसर नहीं होने में पद चला गया। ऐसे भी हैं,जिनकी डिग्री, अनुभव किसी का पता ठिकाना नहीं है और एक चयन समिति ने नहीं चुना तो चयन समिति ही दूसरी बनाने जैसे मामले हैं। कुल मिला कर अब तक उत्कृष्टता के केंद्र में घपले-घोटाले की उत्कृष्टता या निकृष्टता, जो कहिए,वही परवान चढ़ी है। यह स्थिति यहाँ पढ़ने वालों,अच्छे अकादमिक रिकॉर्ड वालों और राज्य के लिए बेहद दुखद और पीड़ादायक है।

(लेखक एक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं।)

Uttrakhand
Doon University
VC Dismissal
Corruption
Dr. Nautiyal
Uttarakhand high court
भ्रष्टाचार
डॉ. चंद्रशेखर नौटियाल
MHRD
Education System In India
Justice Ramesh Ranganath
UGC
Dhan Singh
Minister Ramesh Pokhriyal Nishank

Related Stories

कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से जितने लाभ नहीं, उतनी उसमें ख़ामियाँ हैं  

नेट परीक्षा: सरकार ने दिसंबर-20 और जून-21 चक्र की परीक्षा कराई एक साथ, फ़ेलोशिप दीं सिर्फ़ एक के बराबर 

यूजीसी का फ़रमान, हमें मंज़ूर नहीं, बोले DU के छात्र, शिक्षक

नई शिक्षा नीति ‘वर्ण व्यवस्था की बहाली सुनिश्चित करती है' 

45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए होगी प्रवेश परीक्षा, 12वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश खत्म

शिक्षाविदों का कहना है कि यूजीसी का मसौदा ढांचा अनुसंधान के लिए विनाशकारी साबित होगा

सीटों की कमी और मोटी फीस के कारण मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं छात्र !

बजट 2022: क्या मिला चुनावी राज्यों को, क्यों खुश नहीं हैं आम जन

इतना अहम क्यों हो गया है भारत में सार्वजनिक शिक्षा के लिए बजट 2021?

रचनात्मकता और कल्पनाशीलता बनाम ‘बहुविकल्पीय प्रश्न’ आधारित परीक्षा 


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License