NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
दिल्ली: जामिया हिंसा का एक साल, छात्रों का कैंडल मार्च
छात्र कैंडल मार्च के माध्यम से गत वर्ष जामिया के छात्रों पर हुए क्रूर हमले को याद कर रहे थे। इस दौरान एक्टिविस्ट उमर खलिद की मां समेत कई छात्रों को हिरासत में भी लिया गया। हालांकि पुलिस ने हिरासत से इंकार किया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Dec 2020
jamia
फ़ोटो साभार : दैनिक जागरण

दिल्ली: जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पिछले वर्ष हुई हिंसा की घटना के एक वर्ष पूरे होने पर छात्रों ने मंगलवार 15 दिंसबर को कैंडल मार्च निकाला। दरअसल छात्र कैंडल मार्च के माध्यम से गत वर्ष जामिया के छात्रों पर हुए क्रूर हमले को याद कर रहे थे। इसी दौरान छात्रों को पुलिस द्वारा जबरन हिरासत में ले लिया गया और उन्हें दो तीन घंटे तक पुलिस की गाड़ियों में दिल्ली की सड़कों पर घुमाते रहे। हिरासत में लिए गए छात्रों में छात्र एक्टिविस्ट उमर खलिद की मां को भी हिरासत में ले लिया गया। वह भी इस कैंडल मार्च में शामिल हुईं थी।

जामिया के छात्रों पर हुए क्रूर हमले की प्रथम बरसी
पिछले वर्ष हुई हिंसा की घटना के एक वर्ष पूरे होने पर छात्रों का कैंडल मार्च pic.twitter.com/fQIjAo7FFV

— Mukund Jha (@MukundNews) December 16, 2020

अधिकारियों ने बताया कि मार्च निकाल रहे छात्रों को पुलिस ने रोका। हालांकि पुलिस ने किसी को हिरासत में लिए जाने के दावे को खारिज किया।

पुलिस उपायुक्त (दक्षिणपूर्व) आरपी मीणा ने बताया कि कुछ प्रदर्शनकारी कैंडल मार्च निकालने के लिए बटला हाउस पर एकत्रित हुए, पुलिस दल ने उन्हें वहां से हटाया और कोविड-19 दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए उनसे अपने-अपने घर जाने का अनुरोध किया। किसी को भी पुलिस थाने नहीं ले जाया गया।’’

प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने बताया था कि पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर कई घंटे गाड़ी में घुमाया हालंकि पुलिस इसे हिरासत में नहीं बता रही है।

छात्रों ने कहा यह बेहद ही निंदनीय है कि भाजपा की केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस विरोध के किसी भी स्वर को क्रूरता से दबा रही है। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन को जबरन खत्म कराया गया हो या दबाया गया हो। पुलिस वास्तव में जामिया में हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच की बजाए छात्रों को ही प्रताड़ित कर रही है। जामिया में हुई हिंसा में पुलिस स्वयं सवालों को घेरे में है।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष 15 दिसंबर को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी। जिसमें दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगे थे कि उन्होंने प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर बर्बर हमला किया था और निहत्थे छात्रों पर आँसू गैस के गोलों और लाठी से हमला किया। बाद में कई वीडियो फुटेज़ भी सामने आए जिसमें पुलिस छात्रों को लाइब्रेरी में घुसकर बेहरमी से पीटती नज़र आई। जिसके बाद जाँच की बात की गई थी लेकिन अभी तक दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

छात्र संगठन एसएफआई ने इस घटना की निंदा की

छात्र संगठन स्टूडेंट फ़ेडरेशन ऑफ़ इण्डिया (एसएफआई ) की दिल्ली इकाई ने छात्रों के प्रदर्शन को रोकने की निंदा करते हुए इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि एसएफआई जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों को जबरन हिरासत में लेने व छात्रों की आवाज़ को दबाने का विरोध करता है और हम जामिया के छात्रों के साथ प्रतिबद्धता के साथ खड़े है।

एसएफआई दिल्ली के अध्यक्ष सुमित कटारिया ने कहा "जब देश की राजधानी दिल्ली में ही संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है और छात्र शांतिपूर्ण प्रदर्शन या कैंडल मार्च नहीं कर सकते तब छात्र या नागरिकों के अधिकार कहां सुरक्षित है? देशभर में भाजपा सरकार ने अघोषित आपातकाल लगाया हुआ है और हम सबको मिलकर इसका पुरजोर विरोध करना है।"

एसएफआई दिल्ली के सचिव प्रीतीश मेनन ने कहा "जिस प्रकार दिल्ली पुलिस छात्रों की आवाज़ को दबा रही है यह बहुत ही शर्मनाक है। यह केवल जामिया के छात्रों पर ही नहीं बल्कि लोकतंत्र पर भी कुठाराघात है। भाजपा सरकार और सरकार के अंतर्गत आने वाली दिल्ली पुलिस और उनके अधिकारी सामूहिक रूप से लोकतंत्र की हत्या कर रहे है।"

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

 

Delhi
Jamia Milia Islamia
Jamia Violence
delhi police
Student Protests
SFI
Umer Khalid
NRC CAA protest

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

दिल्ली : फ़िलिस्तीनी पत्रकार शिरीन की हत्या के ख़िलाफ़ ऑल इंडिया पीस एंड सॉलिडेरिटी ऑर्गेनाइज़ेशन का प्रदर्शन

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

आईपीओ लॉन्च के विरोध में एलआईसी कर्मचारियों ने की हड़ताल

महानगरों में बढ़ती ईंधन की क़ीमतों के ख़िलाफ़ ऑटो और कैब चालक दूसरे दिन भी हड़ताल पर

मुस्लिम विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ अमन का संदेश देने के लिए एकजुट हुए दिल्ली के नागरिक

दिल्ली: बर्ख़ास्त किए गए आंगनवाड़ी कर्मियों की बहाली के लिए सीटू की यूनियन ने किया प्रदर्शन

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए


बाकी खबरें

  • maliyana
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल
    23 May 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह न्यूज़क्लिक की टीम के साथ पहुंची उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के मलियाना इलाके में, जहां 35 साल पहले 72 से अधिक मुसलमानों को पीएसी और दंगाइयों ने मार डाला…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    बनारस : गंगा में नाव पलटने से छह लोग डूबे, दो लापता, दो लोगों को बचाया गया
    23 May 2022
    अचानक नाव में छेद हो गया और उसमें पानी भरने लगा। इससे पहले कि लोग कुछ समझ पाते नाव अनियंत्रित होकर गंगा में पलट गई। नाविक ने किसी सैलानी को लाइफ जैकेट नहीं पहनाया था।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी अपडेटः जिला जज ने सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा अपना फैसला, हिन्दू पक्ष देखना चाहता है वीडियो फुटेज
    23 May 2022
    सोमवार को अपराह्न दो बजे जनपद न्यायाधीश अजय विश्वेसा की कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की चार याचिकाओं पर जिला जज ने दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?
    23 May 2022
    2019 के बाद से जो प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं, उनसे ना तो कश्मीरियों को फ़ायदा हो रहा है ना ही पंडित समुदाय को, इससे सिर्फ़ बीजेपी को लाभ मिल रहा है। बल्कि अब तो पंडित समुदाय भी बेहद कठोर ढंग से…
  • राज वाल्मीकि
    सीवर कर्मचारियों के जीवन में सुधार के लिए ज़रूरी है ठेकेदारी प्रथा का ख़ात्मा
    23 May 2022
    सीवर, संघर्ष और आजीविक सीवर कर्मचारियों के मुद्दे पर कन्वेन्शन के इस नाम से एक कार्यक्रम 21 मई 2022 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया मे हुआ।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License