NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
कोविड-19
भारत
राजनीति
दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे
महामारी के भयंकर प्रकोप के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर 100 दिन की 'कोविड ड्यूटी' पूरा करने वाले कर्मचारियों को 'पक्की नौकरी' की बात कही थी। आज के प्रदर्शन में मौजूद सभी कर्मचारियों ने सौ दिन से कहीं ज़्यादा अवधि की नौकरी की है, परंतु पक्की नौकरी तो दूर, अब कोविड योद्धाओं की कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी भी छीनी जा रही है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Apr 2022
protest

सुनीता, जो एक लैबटेक्निश्यन, उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया, "हमने कोरोना में अपनी और परिवार की चिंता के बिना काम किया। कोरोना के दौरान दोबारा कोरोना भी हुआ, लेकिन फिर भी हमने काम किया।आज हमें निकाल दिया जा रहा है। मैं एक लैब टेक्नशियन हूँ और मैंने कोरोना के दौरान कोरोना सैंपलिंग और जाँच की है। आज बिना किसी नोटिस के हमें अप्रैल में निकाल दिया गया है। मैंने अपने जीवन के 13-14 साल अस्पताल को दे दिए और आज उन्होंने हमें निकाल दिया गया। मैं सिंगल पैरेंट हूँ और बताओ मै क्या करूं? मुझे अब इस उम्र में कौन काम देगा? अस्पताल कह रहा है अब हमें आपकी जरूरत नहीं है, लेकिन वो हमारे बारे में कुछ सोच नहीं रहे हैं। ये कहीं से भी न्याय है क्या?” सुनीता राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ठेके पर लैब टेक्निशयन का काम कर रही थीं। इन्हें भी केंद्र के तहत आने वाले अस्पताल आरएमल ने सैकड़ों अन्य कर्मचारियों के साथ बहार निकाल दिया है।

ये सिर्फ एक सुनीता या सिर्फ़ आरएमल अस्पताल की कहानी नहीं है। बल्कि कोरोना के दूसरी लहर के बाद केंद्र और दिल्ली सरकारों के अस्पतालों में ये आम बात हो गई है। इसी छटनी ख़िलाफ़ बुधवार को दिल्ली के कम से कम पांच अस्पताल से निकाले गए सैंकड़ो कर्मचारियों ने संसद के पास विरोध प्रदर्शन किया और सरकार से मांग की कि वो उन्हें कोरोना के दौरन दिए गए फूल वापस लेले और उन्हें उनकी नौकरी वापस देदे। 

प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मचारियों की छटनी के खिलाफ काफी रोष जताया है। जैसा कि हम सभी को याद है कि मोदी सरकार ने कॉरोनकाल के दौरान कैसे 'कोविड योद्धाओं' के ऊपर पुष्पवर्षा करवाई थी। परन्तु नौकरी से निकाले जाने से आक्रोशित कर्मचारियों ने 27 अपरल को अपने प्रदर्शन के दौरान जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार को विरोध स्वरूप 'फूल' लौटाए और कहा कि उनकी नौकरियां उन्हें वापस दी जाएं। 

प्रदर्शन में लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल, कलावती सरन बाल अस्पताल, राजकुमारी अमृत कौर कॉलेज ऑफ नर्सिंग इत्यादि संस्थानों से निकाले गए कोविड योद्धाओं ने भागीदारी की। ये विरोध प्रदर्शन सेंट्रल ट्रेड यूनियन ऐक्टू के बैनर तले हुआ था।

पुष्पा भी अस्पताल में एक स्वाथ्य कर्मी हैं और पिछले डेढ़ दशक से कार्यरत थीं। उन्हें भी सरकार ने बिना किसी नोटिस के काम से हटा दिया। उन्होंने हमें बताया कि कि अब नौकरी तो चली गई, अब हमारे पास सड़क पर संघर्ष के आलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।

इसी तरह यूनियन का लाल झंडा लिए साइड में खड़े लगभग 30 वर्षीय अमित ने बताया कि मैं अस्पताल में पिछले सात साल से हॉउस कीपिंग का काम करता आया था। लेकिन हमें 15 हज़ार रूपए वेतन दिया जाता था, औ फिर एक दिन मुझे अचानक निकाल दिया गया। ये भी नहीं बताया गया कि मेरी गलती क्या है?

अमित राजकुमारी अमृत कौर अस्पताल में कर्यरत थे ,वो बताते हैं कि उनके परिवार में चार लोग हैं। वो संगम विहार में किराए के माकन में रहते हैं। पहले ही इतने कम वेतन में परिवार का गुज़ारा चलाना मुश्किल हो रहा था, लेकिन अब वो भी नहीं आ रही है। अब समझ नहीं आ रहा है कि परिवार का पालन पोषण कैसे होगा?

मज़दूर यूनियन ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान देशभर में हुई भारी तबाही के सबसे बड़े कारणों में से हमारी स्वास्थ्य-व्यवस्था का जर्जर होना था। तब इन स्वास्थ्य संस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए भारी संख्या में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की बहाली की गई थी। महामारी के भयंकर प्रकोप के दौरान, स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर 100 दिन की 'कोविड ड्यूटी' पूरा करने वाले कर्मचारियों को 'पक्की नौकरी' की बात कही थी। आज के प्रदर्शन में मौजूद सभी कर्मचारियों ने सौ दिन से कहीं ज़्यादा अवधि की नौकरी की है, परंतु पक्की नौकरी तो दूर, अब कोविड योद्धाओं की कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी भी छीनी जा रही है।

अमित की तरह उन्हीं के अस्पताल के साथी कुक भी इस प्रदर्शन में शामिल थे। अस्पताल ने 42 कुक को भी काम से निकाल दिया था। हालाँकि अभी कोर्ट के आदेश के बाद आठ कर्मचारियों की काम पर वापसी हो गई है। वो भी विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे। वो एक समूह में प्रदर्शन में बैठे थे। उन्होंने दावा किया कि उन्हें काम की जरूरत है, लेकिन अस्पताल ने उन्हें काम से हटा दिया और अब खाना  बहार से महंगे दामों पर मंगाया रही है। अब भी वहां 40 से अधिक कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन आठ लोगों से ही काम ले रहे हैं।

अभिनव, जो पिछले 12 साल से राम मनोहर अस्पताल में prosthetic और orthostatic डिपॉर्टमेंट में काम करते थे। वो पोस्ट ग्रेजुएट हैं और अपने काम में माहिर हैं। फिर भी उन्हें हटा दिया गया है।

अभिनव ने बताया कि, “ये बड़ा भद्दा मज़ाक है। अस्पताल प्रशासन एक ओर कह रहा है अब हमारी जरूरत नहीं है। तो सवाल यह है कि क्या अब देश में विकलांगता खत्म हो गई है? जो हमारी जरूरत नहीं रही। आँकड़े बताते हैं कि अभी भी पूरे देश में प्रतिशत बच्चे विकलांग पैदा हो रहे हैं। ऐसे में अस्पताल के प्रशासन का यह कहना दिखाता है कि वो सिर्फ हमें हटाना चाहती है और कुछ नहीं।”

अभिनव आगे सरकारों पर गंभीर सवाल खड़ा करते हैं और इस पूरे छंटनी प्रक्रिया और ठेकाकरण को एक संगठित भ्रष्टाचार और घोटाला बताया। वे कहते हैं, “अभी ये वर्तमान कर्मियों को हटाकर नए लोगों का ठेके पर भर्ती करेंगे। उसमें 20 से 30 हज़ार रख लेंगे और फिर कुछ समय बाद उन्हें हटा देंगे। फिर यही प्रक्रिया शुरू होगी और ऐसे ही भ्रष्टाचार सतत चलता रहता है। इसलिए जरूरी है कि ठेकाकरण ख़त्म हो।”

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में कोविड के दौरान जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा करने वाली मंजू जी ने बताया कि उन्होंने ड्यूटी करते हुए हज़ारों लोगों की जान बचाई है। आज उनकी सेवा के बदले उन्हें काम से निकाल दिया गया है। राजकुमारी अमृत कौर कॉलेज ऑफ नर्सिंग के कर्मचारियों ने भी अपनी आपबीती रखते हुए, संघर्ष जारी रखने की बात कही। आज के प्रदर्शन में दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले, लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल से निकाले गए कोविड योद्धाओं ने भी हिस्सा लिया।

लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल (एलएनजेपी) के नर्सिंग स्टाफ में काम करने वाले अशोक भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे। क्योंकि दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले इस अस्पताल ने अशोक और उनके जैसे कई अन्य नर्स स्वाथ्य कर्मचारियों को कोरोना काल में इस्तेमला करके काम से हटा दिया है।

अशोक ने बताया कि जब हमें हटाया गया, तो हमने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद सरकार ने आश्वस्त किया कि हमें वो किसी और अस्पताल में काम देंगे, लेकिन कुछ नहीं दिया।

ऐक्टू के राज्य सचिव सूर्य प्रकाश ने निकाले गए कोविड योद्धाओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे ऊपर फूल बरसाकर सरकार ने हमारी नौकरी छीन ली। ये मोदी सरकार द्वारा कर्मचारियों के साथ किया गया बहुत भद्दा मजाक है। डॉक्टर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के अंदर 12 से 17 वर्ष काम करने के बाद निकाले गए कर्मचारियों में शामिल पुष्पा ने कहा कि उन्हें केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) से स्टे आर्डर मिलने के बावजूद काम से हटा दिया गया है।

गौरतलब है कि पिछले एक महीने से दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के बाहर चल रहे प्रदर्शनों के बावजूद केंद्र सरकार कर्मचारियों की सुनने को तैयार नहीं है। ऐक्टू के अध्यक्ष संतोष रॉय ने प्रदर्शन की समाप्ति की घोषणा करते हुए, आंदोलन तेज करने की बात कही है। संतोष राय ने दिल्ली के केजरीवाल सरकार पर भी हमला बोला और कहा जब पंजाब में चुनाव था तब वो वहां की जनता से कह रहे थे कि जाओ और दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा देखकर आओ और यहाँ वो स्वास्थ्य कर्मचारियों को गैरकानूनी रूप से हटा रही है।

COVID-19
Corona warriors
Ministry of Health
Corona Warriors Protest
Health workers
Health workers Protest
AICCTU

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

दिल्ली: लेडी हार्डिंग अस्पताल के बाहर स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी, छंटनी के ख़िलाफ़ निकाला कैंडल मार्च

दिल्ली: कोविड वॉरियर्स कर्मचारियों को लेडी हार्डिंग अस्पताल ने निकाला, विरोध किया तो पुलिस ने किया गिरफ़्तार

सार्वजनिक संपदा को बचाने के लिए पूर्वांचल में दूसरे दिन भी सड़क पर उतरे श्रमिक और बैंक-बीमा कर्मचारी

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License