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अपराध
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राजनीति
दिल्ली: महिला मज़दूर से सामूहिक दुष्कर्म, चार आरोपी गिरफ्तार
पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार पीड़िता झारखंड की रहने वाली है और दो साल पहले ही दिल्ली में मजदूरी करने के लिए आई थी। इस घटना ने एक बार फिर राजधानी में महिला सुरक्षा के तमाम दावों की पोल खोल दी है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
27 Aug 2020
दिल्ली: महिला मज़दूर से सामूहिक दुष्कर्म, चार आरोपी गिरफ्तार

राजधानी दिल्ली में महिला सुरक्षा के तमाम दावों के बीच आए दिन महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध सुर्खियों में हैं। हाल ही में पश्चिम विहार में 12 साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या की कोशिश का मामला अभी शांत ही नहीं हुआ था कि अब सरोजनी नगर इलाके में निर्माणाधीन इमारत में एक महिला मजदूर से सामूहिक दुष्कर्म का नया मामला सामने आया है। इस वारदात ने एक बार फिर दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक पीड़िता 20 साल की श्रमिक महिला है, जो झारखंड से दो साल पहले ही दिल्ली में मजदूरी करने के लिए आई थी। वह इन दिनों नेताजी सुभाष नगर स्थित कालेज में बन रही इमारत में काम कर रही थी। साथ ही इमारत परिसर में ही झुग्गी बनाकर रहती थी।

लाइव हिंदुस्तान की खबर के अनुसार ये घटना मंगलवार, 25 अगस्त की है। बताया जाता है कि रात को वह अपनी झुग्गी में सो रही थी। तभी निर्माणाधीन इमारत का काम देख रहा अजय मुनीम अपने साथियों सरफराज, सोफी शेख और मैदुर खान के साथ पीड़िता की झोपड़ी में घुसा। फिर उन्होंने चाकू की नोक पर पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गए।

पीड़िता ने बुधवार सुबह सरोजनी नगर थाने में अपने साथ हुए वारदात की जानकारी दी जिसके आधार पर पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म एवं धमकानी की धारा में एफआईआर दर्ज कर लिया। इसके साथ ही भागने की तैयारी कर रहे चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

बता दें कि कुछ दिनों पहले ही राजधानी में बने सबसे बड़े कोविड सेंटर से भी नाबालिग के साथ कथित दुष्कर्म की खबर सामने आई थी। विपक्ष ने तब जमकर हंगामा भी किया था। हालांकि उसके कई और छिट-पुट घटनाएं भी सामने आईं, जो तूल न पकड़ सकीं।

मालूम हो कि दिल्ली में कानून व्यवस्था यानि लॉ एंड ऑर्डर केंद्र सरकार के अधीन है। इसे लेकर कई बार केंद्र और राज्य सरकार के बीच तकरार भी देखने को मिली है। इस साल के दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी महिला सुरक्षा सभी पार्टियों के मेनिफेस्टो में मुख्य रूप से शामिल था।

आख़िर निर्भया के बाद क्या बदला?

गौरतलब है कि 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद जन सैलाब सड़कों पर उमड़ा था। महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर बड़े-बड़े वादे हुए, कानून में संशोधन हुए, सरकार बदली लेकिन दिल्ली में महिलाओं की स्थिति जस की तस बनी रही।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में निर्भया के बाद रेप के मामलों में 176% का हुआ इजाफा हुआ है। साल 2012 में दिल्ली में रेप के 706 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2019 की 15 नवंबर तक ही 1 हजार 947 मामले दर्ज हो चुके हैं।

जब साल 2015 में आम आदमी पार्टी सत्ता में आई थी, तो उसने महिलाओं की सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बताया था। उस साल के आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक़, पूरे भारत में दिल्ली में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के सबसे ज़्यादा मामले दर्ज किए गए थे। रॉयटर्स के साल 2017 के एक वैश्विक पोल के मुताबिक़ महिलाओं के यौन शोषण के मामले में दिल्ली का पूरी दुनिया में सबसे बुरा हाल है।

हालांकि केजरीवाल सरकार का दावा है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए उन्होंने 'मुख्यमंत्री स्ट्रीट लाइट योजना' और सरकारी बसों में मुफ्त सफर जैसी पहल की, जिससे अब पहले के मुकाबले दिल्ली में महिलाएं ज्यादा सहुलियत महसूस करती हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि महिलाओं के लिए आज भी राजधानी की तस्वीर कुछ खास नहीं बदली है।
 

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