NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गृह मंत्रालय ने दिल्ली दंगों को बेरोकटोक जारी रहने दिया: सीपीएम 
इस वर्ष की शुरुआत में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई क्रूर हिंसा को आमजन की स्मृतियों में बनाए रखने के उद्देश्य से सीपीआई(एम) द्वारा संकलित रिपोर्ट में हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किये गये हैं। 
सुमेधा पाल
10 Dec 2020
Delhi violence

जैसा कि यह वर्ष अपने समापन के अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुका है लेकिन स्वतंत्र जाँच को लेकर कोई संकेत नजर में नहीं है। ऐसे में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने आज एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें फरवरी में हुए दिल्ली दंगों को लेकर नए सिरे से स्वतंत्र जाँच की जरूरत पर जोर देते हुए पीड़ितों के आंकड़े और व्यापक मामलों को जारी करने का काम किया गया।

इस साल फरवरी माह में हुए दंगों में छह दिनों तक जारी रही इस हिंसा में 53 से भी ज्यादा मौतों ने राष्ट्रीय राजधानी में रह रहे अल्पसंख्यकों के जीवन पर लंबे समय तक बने रहने वाला प्रभाव छोड़ा है। आज भी कईयों को उत्पीडन और गिरफ्तारी का सामना करना पड़ रहा है।

यह रिपोर्ट पुलिस की चार्जशीट के जरिये उपलब्ध आंकड़ों, अदालत के जवाबों और केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कानून और प्रशासन को लेकर संकलित आंकड़ों के जरिये प्रासंगिक सवालों को उठाने का काम करती है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस द्वारा हिंसा को रोकने की कोशिशें नाकाम रहीं और छह दिनों तक उस हिंसा को “अबाध” गति से जारी रहने दिया गया।

23 फरवरी को, जिस दिन दंगों की शुरुआत हुई थी – उसी दिन 700 से भी अधिक संकटकालीन फोन आने के बावजूद सिर्फ 450 पुलिस कर्मी ही उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मौजूद थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय द्वारा हालात को काबू में रखने के लिए सीमित पुलिस कर्मियों को ही तैनात किया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार 39 ख़ुफ़िया सूचनाओं की उपलब्धता के बावजूद यह सब घटित हुआ। इतना ही नहीं बल्कि दूसरे दिन भी पुलिस ने कर्फ्यू नहीं लगाया।

रिपोर्ट में इस बात को दर्शाया गया है कि हिंसा के दूसरे दिन (24 फरवरी) 1,393 पुलिस कर्मियों की मौजूदगी के बावजूद हिंसात्मक घटनाओं में और भी अधिक तेजी देखने को मिली, और अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, और हथियारबंद भीड़ द्वारा बेखटके दर्जनों घरों और दुकानों में या तो तोड़फोड़ की गई या उन्हें जला कर ख़ाक कर दिया गया। 

नीचे दी गई तालिका को पुलिस की ओर से अदालत के समक्ष प्रस्तुत किये गए साक्ष्यों के आधार पर संकलन और रिपोर्ट में उद्धृत किया गया है। यह प्रदर्शित करता है कि इस इलाके में हुई बेरोकटोक हिंसा पर अच्छी-खासी संख्या में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती सिर्फ तीसरे या चौथे दिन में जाकर ही प्रभावी साबित हो सकी, जो कि इस ढिलाई के पीछे के कारणों पर सवाल उठाती है।

रिपोर्ट को जारी करने के अवसर पर बोलते हुए सीपीआई(एम) की पोलितब्यूरो सदस्य बृंदा करात ने कहा है कि: “यह दिल्ली पुलिस की ख़ुफ़िया जानकारी के मामले में बहुत बड़ी असफलता थी, क्योंकि शेरपुर चौक से ही भीड़ ने उग्र रूप धारण कर लिया था, जिसमें लोगों की दुकानों और घरों को आग के हवाले करने से लेकर कई लोगों की निर्ममता से हत्या करने से लेकर कईयों पर हमले को अंजाम दिया गया था। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के लगातार अपील के बावजूद पुलिस बल की उपस्थिति में वृद्धि नहीं की गई थी।” 

उन्होंने आगे कहा “यह स्पष्ट हो जाता है कि यह एक राजनीतिक संदेश था: सीएए के खिलाफ कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होने दिया जायेगा। वास्तव में यह गृह मंत्रालय की ओर से हिंसा को लगातार जारी रखने को लेकर जानबूझकर किया गया प्रयास था।”

रिपोर्ट उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सामाजिक-आर्थिक हालात को भी बयां करता है। दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद भी बीजेपी ने अपने सम्बद्ध संगठनों के साथ मिलकर माहौल को सांप्रदायिक रंग देना जारी रखा था। जिन लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों को इस हिंसा में खोया है, उन परिवारों की गवाहियों को भी इस रिपोर्ट में सूचीबद्ध किया गया है।

एक वीडियो में युवाओं को पुलिसकर्मियों द्वारा राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर किये जाने वालों में से एक फैज़ान- जिसकी पुलिस की बर्बरता के बाद मौत हो गई थी की माँ किस्मतून, भी रिपोर्ट के जारी किये जाने के अवसर पर मौजूद थीं। उनका कहना था “मैं अपने बेटे को देख तक नहीं पाई। पुलिस ने उसे सड़कों पर यातनाएं दीं और बाद में पुलिस स्टेशन में ले जाकर भी उस पर अत्याचार ढाए। उसका कुसूर सिर्फ इतना था कि वो एक मुसलमान था। काश पुलिस ने उसे यातना देकर मारने के बजाय उसे गोली से मार दिया होता। मुझे अब सिर्फ न्याय की दरकार है।”

रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस के आचरण को लेकर स्वतंत्र जाँच कराये जाने की माँग की गई है। सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीश वी. गोपाला गौड़ा जो इस लांच अवसर पर मौजूद थे ने कहा कि रिपोर्ट को तैयार करने वाली टीमों ने घर-घर जाकर सूचनाओं को इकट्ठा करने और विवरणों की जाँच का काम किया है। इसके अलावा इस रिपोर्ट को संकलित करने से पहले जो लोग व्यवसाय चला रहे हैं उनसे इन तथ्यों की पुष्टि की गई है। 

उनके अनुसार “वे लोग जिनके उपर कानून और व्यवस्था की स्थिति और कानून के राज को स्थापित करने की जिम्मेदारी थी, वे ऐसा कर पाने में विफल रहे। इस बारे में सूचना होने पर भी कोई कार्यवाई नहीं की गई। ये वे सवाल हैं जिसको लेकर प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं, और जिस पर सरकार को खुद को पाक-साफ़ साबित करना होगा।”

रिपोर्ट को जारी करने वाली टीम के सदस्यों की ओर से इस बात पर जोर दिया गया कि इसका उद्देश्य आमजन की स्मृतियों को जिन्दा रखने और सरकार के उपर स्वतंत्र जाँच कराने को लेकर दबाव बनाने एवं भारत के नागरिकों के प्रति जवाबदेह बने रहने से प्रेरित है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Delhi Riots: Home Ministry let Violence Continue Unabated, says CPI(M)

Delhi Violence
North east delhi
BJP
delhi police
kapil MIshra
harsh mander
Brinda Karat
CPIM
CPIM Delhi
communal violence
Delhi riots

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • Nishads
    अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी चुनाव: आजीविका के संकट के बीच, निषाद इस बार किस पार्टी पर भरोसा जताएंगे?
    07 Mar 2022
    निषाद समुदाय का कहना है कि उनके लोगों को अब मछली पकड़ने और रेत खनन के ठेके नहीं दिए जा रहे हैं, जिसके चलते उनकी पारंपरिक आजीविका के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है।
  • Nitish Kumar
    शशि शेखर
    मणिपुर के बहाने: आख़िर नीतीश कुमार की पॉलिटिक्स क्या है...
    07 Mar 2022
    यूपी के संभावित परिणाम और मणिपुर में गठबंधन तोड़ कर चुनावी मैदान में हुई लड़ाई को एक साथ मिला दे तो बहुत हद तक इस बात के संकेत मिलते है कि नीतीश कुमार एक बार फिर अपने निर्णय से लोगों को चौंका सकते हैं।
  • Sonbhadra District
    तारिक अनवर
    यूपी चुनाव: सोनभद्र के गांवों में घातक मलेरिया से 40 से ज़्यादा लोगों की मौत, मगर यहां के चुनाव में स्वास्थ्य सेवा कोई मुद्दा नहीं
    07 Mar 2022
    हाल ही में हुई इन मौतों और बेबसी की यह गाथा भी सरकार की अंतरात्मा को नहीं झकझोर पा रही है।
  • Russia Ukraine war
    एपी/भाषा
    रूस-यूक्रेन अपडेट: जेलेंस्की ने कहा रूस पर लगे प्रतिबंध पर्याप्त नहीं, पुतिन बोले रूस की मांगें पूरी होने तक मिलट्री ऑपरेशन जारी रहेगा
    07 Mar 2022
    एक तरफ रूस पर कड़े होते प्रतिबंधों के बीच नेटफ्लिक्स और अमेरिकन एक्सप्रेस ने रूस-बेलारूस में अपनी सेवाएं निलंबित कीं। दूसरी तरफ यूरोपीय संघ (ईयू) के नेता चार्ल्स मिशेल ने कहा कि यूक्रेन के हवाई…
  • International Women's Day
    नाइश हसन
    जंग और महिला दिवस : कुछ और कंफ़र्ट वुमेन सुनाएंगी अपनी दास्तान...
    07 Mar 2022
    जब भी जंग लड़ी जाती है हमेशा दो जंगें एक साथ लड़ी जाती है, एक किसी मुल्क की सरहद पर और दूसरी औरत की छाती पर। दोनो ही जंगें अपने गहरे निशान छोड़ जाती हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License