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दिल्ली: मज़दूर संगठनों ने सरकार को 26 नवंबर की हड़ताल का नोटिस दिया
देश के 10 केन्द्रीय श्रमिक संगठनों ने केन्द्र व राज्य सरकारों की श्रमिक विरोधी, किसान विरोधी, जन विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ 26 नवम्बर 2020 को आम हड़ताल का फैसला किया है। इस हड़ताल को 200 से ज्यादा किसान संगठनों के राष्ट्रीय मंच ने भी खुलकर समर्थन दिया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
07 Nov 2020
मज़दूर संगठन

दिल्ली: सेंट्रल ट्रेड यूनियनों व फेडरेशनों की दिल्ली इकाई के संयुक्त मंच ने शुक्रवार को शहीदी पार्क से लेकर दिल्ली सचिवालय तक मार्च किया। इसमें सैकड़ों मजदूरों ने हिस्सा लिया। इसके माध्यम से 26 नवंबर 2020 की हड़ताल का नोटिस दिल्ली के मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री को दिया गया। साथ ही राज्य की सत्तारूढ़ आप सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार द्वारा पारित श्रम संहिता को लागू नहीं करने का भी अनुरोध किया गया है।

आपको बता देश के 10 केन्द्रीय श्रमिक संगठनों ने 2 अक्टूबर 2020 की राष्ट्रीय कन्वेंशन में संयुक्त तौर पर केन्द्र व राज्य सरकारों की श्रमिक विरोधी, किसान विरोधी, जन विरोधी नीतियों के खिलाफ़ 26 नवम्बर 2020 को आम हड़ताल का फैसला किया है। इस हड़ताल को 200 से ज्यादा किसान संगठनों के राष्ट्रीय मंच ने भी खुलकर समर्थन किया है।

सरकार को दिए हड़ताल नोटिस के माध्यम से 7 केन्द्रीय मांगों के अलावा दिल्ली से संबंधित 27 सूत्रीय मांगपत्र दिल्ली सरकार को सौंपा गया है। साथ ही उम्मीद जताई गई है कि दिल्ली सरकार मज़दूरों के साथ बातचीत करके इन मांगों का समाधान करेगी। मज़दूरों संगठनों ने साफ तौर पर कहा है कि 26 नवंबर की हड़ताल आने वाले दिनों में सरकारों के मज़दूर विरोधी नीतियों के खिलाफ़ जुझारू और निर्णायक संघर्षों की तरफ बढ़ने का मौका होगी।

बता दें कि हड़ताल को सफल बनाने के लिए दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों, मजदूर बस्तियों, सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों व सरकारी कार्यालयों में अभियान जोर-शोर से जारी है। इस नोटिस पर सीटू, एटक, एआईसीसीटीयू, इंटक, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, यूटीयूसी, सेवा , एलपीएफ, एमईसी और आईसीटीयू ने हस्ताक्षर किए हैं।

अपने संयुक्त बयान में ट्रेड यूनियनों ने कहा है कि श्रमिकों के लगातार विरोध के बाद भी पूरी हठधर्मिता और अलोकतांत्रिक तरीके से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने कृषि और श्रमिक बिलों को कानूनी जामा पहना दिया है। कोरोना महामारी से जूझ रही जनता को राहत देने के बजाए स्थिति का कपटपूर्ण इस्तेमाल करते हुए श्रम कानूनों, श्रम अधिकारों पर हमले किये गए हैं। श्रम सुधार व व्यापार में सुगमता के नाम पर मालिकों के लिए जंगलराज व मजदूरों के लिए गुलामी, कैद 4 नए श्रम कोड में पुख्ता कर दी गई है।

इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर भी अनदेखी का आरोप लगते हुए  कहा कि दिल्ली में सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन व श्रम काूनन लागू नहीं है। श्रम विभाग में केसों का निपटान समय से नहीं होता है। इंडस्ट्रियल एक्सीडेंटस की घटनाएं लगातार होती रहती हैं। श्रम विभाग में बैठे आला अधिकारियों में काम के प्रति लापरवाही, व्याप्त भ्रष्टाचार व स्टाफ की कमी के चलते ये स्थिति बनी है।

इसके अलावा दिल्ली सरकार व नगर निगम के विभागों में ठेकेदारी व कामों की आउटसोर्सिंग का बोलबाला है। समय से वेतन न मिलने की अनेकों शिकायतों भी लगाातार आ रही हैं। दिल्ली सरकार ने इस वर्ष मंहगाई भत्ते की 2 किश्त भी अभी तक जारी नहीं की है। असंगठित क्षेत्र में लगे लाखों श्रामिकों के लिए कोई योजना दिल्ली सरकार ने लागू नहीं की है। उल्टा स्वरोजगारी रेहड़ी-पटरी वालों को उजाड़ा जा रहा है।

जैसाकि आपको ज्ञात है कि किसानों के 200 से अधिक संगठनों की संयुक्त समिति अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने भी 26 नवंबर से 27 नवंबर के बीच एक देशव्यापी हड़ताल और विरोध का आह्वान किया है। इसे लेकर ये संगठन राष्ट्रीय राजधानी में मार्च करेंगे।  किसानों के इस प्रदर्शन को ही मज़दूरों संगठनों के  संघर्ष के साथ जोड़ते एक संयुक्त विरोध का आह्वान किया गया है।  

Central Trade Unions and Federations
workers protest
Workers and Labors
AAP
Arvind Kejriwal
CITU
AITUC
AICCTU
INTUC
hms
AIUTUC
TUCC
UTUC
SEVA
LPF
MEC
ICTU

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