NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
जीएसटी दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी के विरोध में दिल्ली के कपड़ा व्यापारियों ने की हड़ताल
सरकार के फ़ैसले का विरोध कर रहे व्यापारियों का कहना है कि अगर 12% जीएसटी लगा दिया गया तो व्यापारी के पास पूंजी नहीं बचेगी और ना केवल हजारों छोटे छोटे कारख़ाने बंद हो जायेंगे बल्कि टैक्स चोरी भी बढ़ेगी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
30 Dec 2021
textile traders
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

केंद्र सरकार द्वारा कपड़ों पर बढ़ाई जाने वाली जीएसटी दरों के खिलाफ देशभर के कपड़ा व्यापारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने एक जनवरी से कपड़ों पर जीएसटी 5% से बढ़ा कर 12% करने का निर्णय लिया है। इससे देशभर व्यापारी असंतुष्ट है। गुरुवार यानी 30 दिसंबर को दिल्ली के कपड़ा व्यापारियों ने बाजार बंद किया है। दिल्ली में थोक खरीददारी के लिए मशहूर चांदनी चौक से लेकर गांधीनगर, टैंक रोड सहित सभी बाजारों में आज सन्नाटा है।   व्यापारियों के इस दिल्ली बंद को चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री, दिल्ली हिंदुस्तानी मर्केंटाइल एसोसिएशन, रेडीमेड गारमेंट्स एसोसिएशन के अलावा कपड़ा व्यापारियों की अन्य एसोसिएशन का भी समर्थन है।  

समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली साड़ी मर्केन्टाइल एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि, "केन्द्र सरकार द्वारा कपड़े पर 1 जनवरी 2022 से जीएसटी दर 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी की जा रही है। सबको पता है कि पिछले दो सालों से व्यापार वर्ग बहुत परेशान रहा है, इसलिए आज हम सांकेतिक रूप से बाजार बंद कर रहे हैं।"

व्यापारियों ने यह चेतावनी भी दी है कि "यदि सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी तो हम अनिश्चतिकालीन तक भी अपनी हड़ताल कर सकते हैं।"

रेडीमेड गारमेंट्स एसोसिएशन एसोसिएशन के महामंत्री जिनेंद्र जैन ने मिडिया से बात करते हुए ग्राहकों से आग्रह करते हुए कहा कि वे सरकार को इस बढ़ोतरी को वापिस लेने के लिए मजबूर करें। सरकार छोटे व्यापारियों की ओर ध्यान नहीं दे रही है। इस बढ़ोतरी से व्यापारी के लिए तो समस्याएं पैदा होंगी ही परतु इसका असर सबसे अधिक गरीब आदमी पर ही होगा।

इससे पहले बुधवार को चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) के नेतृत्व में कनॉट प्लेस में दिल्ली के बड़े बाज़ारों के कपड़ा, रेडीमेड गारमेंट्स, साड़ी सूट से जुड़े व्यापारी संगठनों ने जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। जबकि उत्तर प्रदेश के कपड़ा व्यपारी भी देश के रक्षा मंत्री से मिलकर इस बढ़ोतरी को वापस लेने का आग्रह कर चुके हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक़ दस दिसंबर को उत्तर प्रदेश कपड़ा उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से दिलकुशा स्थित आवास पर मुलाकात की। इस अवसर पर संगठन के अध्यक्ष अशोक मोतियानी ने बताया कि इस साल धागे के दाम बढ़ जाने से कपड़ा 15 प्रतिशत से ज्यादा महंगा हो चुका है। उन्होंने बताया कि जीएसटी लगाते समय प्रधानमंत्री ने व्यापारियों को आश्वासन दिया था कि जीएसटी दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जायेगी, लेकिन जीएसटी काउंसिल द्वारा एक जनवरी 2022 से कपड़ा, रेडीमेड, हौजरी पर जीएसटी की दर पांच प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत करने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि 31 दिसम्बर 2021 को व्यापारियों की दुकान में पड़ा हुआ स्टॉक सात प्रतिशत और महंगा हो जायेगा।

जबकि तमिलनाडु के इरोड कपड़ा व्यापारियों के संगठन ने भी दस दिसंबर एक दिवसीय हड़ताल की थी। जिसमें  जिले में कपड़े की 4,000 से अधिक थोक और खुदरा दुकानें बंद रहीं। सूत का काम करने वाले कपड़ा उत्पादकों एवं व्यापारियों ने भी अपना काम बंद रखा।

संगठन के अध्यक्ष कलाईसेल्वन ने कहा कि कपड़ा उद्योग एवं उससे जुड़े बुनाई, रंगाई, छपाई और कपड़ा व्यापार जैसे अन्य उद्योग भी सूत की कीमतों में वृद्धि और प्रदूषण के कारण पहले ही कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अब जीएसटी बढ़ाए जाने से कपड़े के उत्पादन एवं बिक्री पर भी असर पड़ेगा।

सरकार के फैसले का विरोध कर रहे व्यापारियों का कहना है कि अगर 12% जीएसटी लगा दिया गया तो व्यापारी के पास पूंजी नहीं बचेगी और ना केवल हजारों छोटे छोटे कारखाने बंद हो जायेंगे बल्कि टैक्स चोरी भी बढ़ेगी। दिल्ली के व्यापारियों का मानना है कि GST बढ़ने से चीन और बांग्लादेश से प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा।

textile workers
Textile Sector
Textile traders strike
GST
Narendra modi

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • अजय कुमार
    महामारी में लोग झेल रहे थे दर्द, बंपर कमाई करती रहीं- फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    विश्व आर्थिक मंच पर पेश की गई ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौर में फूड फ़ार्मा ऑयल और टेक्नोलॉजी कंपनियों ने जमकर कमाई की।
  • परमजीत सिंह जज
    ‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप
    26 May 2022
    पंजाब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंजाब की गिरती अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करना है, और भ्रष्टाचार की बड़ी मछलियों को पकड़ना अभी बाक़ी है, लेकिन पार्टी के ताज़ा क़दम ने सनसनी मचा दी है।
  • virus
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या मंकी पॉक्स का इलाज संभव है?
    25 May 2022
    अफ्रीका के बाद यूरोपीय देशों में इन दिनों मंकी पॉक्स का फैलना जारी है, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में मामले मिलने के बाद कई देशों की सरकार अलर्ट हो गई है। वहीं भारत की सरकार ने भी सख्ती बरतनी शुरु कर दी है…
  • भाषा
    आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद
    25 May 2022
    विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत विभिन्न अपराधों के लिए अलग-अलग अवधि की सजा सुनाईं। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    "हसदेव अरण्य स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व का सवाल"
    25 May 2022
    हसदेव अरण्य के आदिवासी अपने जंगल, जीवन, आजीविका और पहचान को बचाने के लिए एक दशक से कर रहे हैं सघंर्ष, दिल्ली में हुई प्रेस वार्ता।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License