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भारत
राजनीति
दिल्ली दंगे में पीड़ितों के मुआवज़े में भेदभाव का आरोप, बृंदा करात ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी
माकपा के पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगों के नाबालिग पीड़ितों के परिवारों को भी वयस्क पीड़ितों के परिवारों के बराबर मुआवज़ा प्रदान किया जाए।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
07 Jan 2021
 बृंदा करात ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी

दिल्ली : दिल्ली दंगो के नाबालिग पीड़ितों के परिवारों को वयस्कों के परिजन के बराबर मुआवज़ा नहीं मिल रहा है। इसको लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने नाराज़गी ज़ाहिर की और इसे भेदभावपूर्ण बताया और सभी पीड़ितों के परिजन को बराबर मुआवज़ा देने को कहा। माकपा के पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी में हुए दंगों के नाबालिग पीड़ितों के परिवारों को भी वयस्क पीड़ितों के परिवारों के बराबर मुआवज़ा प्रदान किया जाए।

गत वर्ष फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में हुई सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 53 लोग मारे गए थे और सैकड़ो लोगो गंभीर रूप से घायल हुए थे। जबकि करोड़ो रूपए की संपत्ति को नुकसान हुआ था।

केजरीवाल ने हिंसा में मारे गए वयस्क लोगों के परिवारों के लिए 10-10 लाख रुपये और नाबालिग पीड़ितों के परिवारों के लिए पांच-पांच लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी।

हाल ही में दो पीड़ितों के परिजन से मुलाकात करने वाली बृंदा ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि मुआवज़े में ‘भेदभाव’ हुआ है।

उन्होंने अपने पात्र में कहा 'मैं हाल ही में उत्तर पूर्वी दिल्ली की साम्प्रदायिक हिंसा में मारे गए दो नाबालिगों के परिवारों से दुबारा मिली। उन्होंने मुझे सरकार के "मुआवज़े पैकेज" में नाबालिगों के साथ भेदभाव के बारे में बताया। जहाँ मारे गए वयस्क के लिए मुआवज़ा 10 लाख है वहीं मारे गए नाबालिगों के लिए मुआवज़ा 5 लाख है।"

उन्होंने बताया ऐसे दो पीड़ित थे, राम सुगारथ का 15 वर्षीय बेटा नितिन पासवान और शहाबुद्दीन का 17 वर्षीय बेटा अमीन।

माकपा नेता के मुताबिक, गरीब परिवारों के बहुत सारे बच्चे स्कूल जाने के साथ अपने परिवार के काम भी हाथ बंटाते हैं और ऐसे में मुआवजे का निर्धारण का आधार व्यक्ति की कमाई के आधार पर करना उचित नहीं हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री से यह आग्रह भी किया कि इन दंगों के पीड़ितों की मौत की पहली बरसी के अवसर पर उनके परिवारों को मुआवज़े की राशि प्रदान की जाए।

पत्र मुख्यतः अंग्रेजी में था लेकिन माकपा ने मीडिया को भेजे अपने विज्ञप्ति में हिंदी अनुवाद भी साँझा किया है। पूरा पत्र नीचे पढ़ा जा सकता है।

आदरणीय श्री अरविंद केजरीवाल,

मैं हाल ही में उत्तर पूर्वी दिल्ली की साम्प्रदायिक हिंसा में मारे गए दो नाबालिगों के परिवारों से दोबारा मिली। उन्होंने मुझे सरकार के "मुआवज़े पैकेज" में नाबालिगों के साथ भेदभाव के बारे में बताया। जहाँ मारे गए वयस्क के लिए मुआवज़ा 10 लाख है वहीं मारे गए नाबालिगों के लिए मुआवज़ा 5 लाख है।

ऐसे दो पीड़ित थे, राम सुगारथ का 15 वर्षीय बेटा नितिन पासवान और शहाबुद्दीन का 17 वर्षीय  बेटा अमीन।

ऐसा प्रतीत होता है कि मुआवज़े में अंतर इसलिए है क्योंकि वयस्क परिवार का कमाने वाला सदस्य है तथा कमाने वाले सदस्य की मौत से परिवार की आय छिन जाती है, इसलिए अधिक मुआवज़े की आवश्यकता है। जहाँ एक ओर इस पूरी समझ में करुणा की कमी है, वहीं इस ढांचे के तहत भी "कमाने वाले सदस्य" की परिभाषा गरीब परिवारों की सच्चाई के प्रति संवेदनशील नहीं है। अधिकतर गरीब परिवारों में बच्चे स्कूल के वक़्त भी परिवार का कारोबार चलाने में मदद करते हुए वयस्कों की जिम्मेदारी निभाते हैं।

नितिन और अमीन दोनों ही अपने परिवारों की मदद कर रहे थे। नितिन के पिता सामान ढोने वाला ठेला चलाते थे और नितिन अक्सर स्कूल के बाद और छुट्टियों के दिन उनकी मदद किया करता था। अमीन मोटरसाइकिल मरम्मत की दुकान में काम करता था और समय-समय पर अपने परिवार की मदद किया करता था। इसलिए अगर मुआवज़े के पीछे तर्क कमाने वाले परिवार के सदस्य की मौत से परिवार की आय का नुकसान होना है, तो दोनों नितिन और अमीन के परिवार पूरे 10 लाख का मुआवज़ा पाने के योग्य हैं।

 इसके अलावा, मेरा मानना है कि दिल्ली सरकार को इस भयंकर हिंसा में मारे गए नाबालिगों के मां-बाप को हुए भावनात्मक नुकसान, चोट और आघात पर भी ध्यान देना चाहिए। यह सही होगा कि अपने बच्चे के न रहने का दर्द झेल रहे परिवारों को सरकार व समाज उचित मुआवज़ा दे। दोनों ही मामलों में परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति देखते हुए जहां दोनों ही कमाने वाले सदस्यों की स्थाई आय नहीं है, यह न्यायोचित होगा कि दिल्ली सरकार द्वारा बाकी पीड़ितों को दिया गया 10 लाख का मुआवज़ा इन परिवारों को भी दिया जाए।

जैसा कि आप जानते हैं कि इनके बच्चों की मौत की पहली बरसी, अगले महीने फरवरी के अंत मे होगी। ऐसे दुखद मौके पर अगर ये दोनों ही परिवार बाकी बचे 5 लाख हासिल कर पाते हैं, तो यह आपकी सरकार की तरफ से न्याय का एक महत्त्वपूर्ण संदेश साबित होगा।

सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद के साथ,
भवदीय,
बृंदा करात

Delhi Violence
Delhi riots
Brinda Karat
Arvind Kejriwal

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