NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
उत्पीड़न
भारत
राजनीति
समान नागरिकता की मांग पर देवांगना कलिता, नताशा नरवाल को गिरफ्तार किया गया: पिंजरा तोड़
पिंजरा तोड़ ने एक बयान में कहा कि नरवाल और कलिता को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उन्होंने सभी के लिए समान और मौलिक नागरिकता की मांग को लेकर आवाज उठाई थीं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
09 Jun 2021
PINJRA TOD

नई दिल्ली: 2020 के दिल्ली हिंसा से जुड़े एक मामले में सख्त यूएपीए के तहत महिला संगठन ‘पिंजरा तोड़’ की सदस्य देवांगना कलिता और नताशा नरवाल की गिरफ्तारी के एक साल पूरे होने के अवसर पर मंगलवार को कार्यकर्ता और विभिन्न नागरिक समाज समूह एक साथ आए।

पिंजरा तोड़ ने एक बयान में कहा कि नरवाल और कलिता को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उन्होंने सभी के लिए समान और मौलिक नागरिकता की मांग को लेकर आवाज उठाई थीं।

बयान में कहा गया, "उन दोनों को उनके खिलाफ दर्ज हर मामले में जमानत दी गई थी, फिर भी वे एफआईआर 59 के तहत यूएपीए के कारण जेल में बंद हैं।" गौरतलब है कि नरवाल और कलिता को मई 2020 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के विरोध में उस साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के पीछे एक पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

पिंजरा तोड़ द्वारा आयोजित एक वर्चुअल बैठक में, नरवाल, कलिता और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद जैसे अन्य लोगों के बारे में कार्यकर्ता जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि जिस तरह से उन्हें "निशाना" बनाया गया वह "दुर्भाग्यपूर्ण" है।

उन्होंने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) यह सुनिश्चित करता है कि किसी व्यक्ति को जमानत न मिले।

उन्होंने कहा, "यह उन आवाजों को दबाने का असंवैधानिक तरीका है जो सरकार को पसंद नहीं है।" मेवाणी ने कहा कि लोगों को 'झूठी कैदों को चुनौती' देने की जरूरत है।

उन्होंने आगे कहा, "न्यायपालिका को झूठे अपराध करने के लिए पुलिस, राजनेताओं और सरकारों को जवाबदेह ठहराने की जरूरत है।" जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष और वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की छात्र नेता आइशी घोष ने कहा, "उन्हें (कलिता और नरवाल) न केवल इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वे शिक्षित थीं, बल्कि इसलिए कि वे भाजपा, आरएसएस की सोच को चुनौती दे रही थीं और इसलिए कि वे जनता से जुड़ रही थीं।"

आपको बता दें कि  23 मई 2020 को शाम पिंजरा तोड़ की दो कार्यकर्ता देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा उनके घर से गिरफ़्तार किया गया था। दोनों को बीती फरवरी में जाफ़राबाद में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के ख़िलाफ़ हुए एक प्रदर्शन के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया। हालांकि आरोप है कि गिरफ़्तारी के समय परिवार वालों को कारण तक नहीं बताया गया था। अगले दिन रविवार, 24 मई को दोनों को कोर्ट में पेश किया गया लेकिन कोर्ट ने दोनों को ज़मानत दे दी थी।  इसके बाद ताकि वो जेल से रिहा न हो सके इसलिए पुलिस ने कई अन्य मुक़दमे लगाएं है।  हालाँकि अभी किसी भी मामले में पुलिस उन्हें दोषी नहीं ठहरा पाई है।  

जिस मामले में उन्हें 23 मई को गिरफ़्तार किया गया था वो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 186, 188, 283, 109, 341, 353 के तहत दर्ज किया गया था। जबकि जिस मामले में उन्हें 24 मई को गिरफ़्तार दिखाया गया वो IPC की धारा 147, 149, 353, 283, 323, 332, 307, 302, 427, 120-बी, 188 के साथ ही हथियार कानून और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान रोकथाम कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया था।  शुक्रवार 29 मई 2020  को, दिल्ली पुलिस ने नताशा के ऊपर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत भी मुकदमा दर्ज कर लिया। जबकि देवांगना पर भी एक नए मामले में केस दर्ज किया गया, उन पर दरियागंज में हुई हिंसा में शामिल होने का भी आरोप लगा है।

देवांगना कलिता सेंटर ऑफ़ वीमेन स्टडियज़ में एमफिल की छात्रा हैं, वहीं नताशा नरवाल सेंटर फॉर हिस्टोरिकल स्टडीज में पीएचडी की छात्रा हैं। वे दोनों  पिंजरा तोड़ की संस्थापक सदस्य हैं। ‘पिंजरा तोड़’ की स्थापना साल 2015 में हॉस्टल और पेइंग गेस्ट में छात्राओं की सुविधा और अधिकारों के मकसद से की गई थी। कालिता और नरवाल ने क्रमशः डीयू के मिरांडा हाउस और हिंदू कॉलेज से ग्रेज्युशन किया है।

अभी ये दोनों जेल में ही हैम। इसी दौरान नताशा के पिता की कोरोना से मृत्यु भी हो गई। नताशा को ज़मानत न मिलने से वो अंतिम समय के संघर्ष में पिता का साथ न दे पाईं।  उनकी माता का निधन काफ़ी साल पहले ही हो चुका था।  जबकि उनका एक ही भाई था जो स्वंय कोरोना से जूझ रहा था।  हालाँकि पिता की मृत्यु के बाद उन्हें न्यायलय ने 14 दिन की अंतिरम ज़मानत दी थी।  

फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने देवांगना कलिता, नताशा नरवाल, गुलफिशा फातिमा, इशरत जहां, सफूर ज़रगर, मीरन हैदर, खालिद सैफी, शिफू-उर-रहमान, आसिफ़ इकबाल तन्हा और कई अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया था। इस कार्यक्रम में उन सभी की तत्काल रिहाई और ऐसे सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की गई।  

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

 

Delhi riots
CAA Protest
pinjara tod
Natasha Narwal
Devangana kalita
social organisation
CAA
NRC
North east delhi riots

Related Stories

CAA आंदोलनकारियों को फिर निशाना बनाती यूपी सरकार, प्रदर्शनकारी बोले- बिना दोषी साबित हुए अपराधियों सा सुलूक किया जा रहा

मुस्लिम विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ अमन का संदेश देने के लिए एकजुट हुए दिल्ली के नागरिक

दिल्ली दंगों के दो साल: इंसाफ़ के लिए भटकते पीड़ित, तारीख़ पर मिलती तारीख़

देश बड़े छात्र-युवा उभार और राष्ट्रीय आंदोलन की ओर बढ़ रहा है

दिल्ली पुलिस की 2020 दंगों की जांच: बद से बदतर होती भ्रांतियां

यादें हमारा पीछा नहीं छोड़तीं... छोड़ना भी नहीं चाहिए

सीएए : एक और केंद्रीय अधिसूचना द्वारा संविधान का फिर से उल्लंघन

एक साल के संघर्ष के बाद जेल से रिहा आसिफ़, देवांगना और नताशा; कहा संघर्ष जारी रहेगा

ग़ैर मुस्लिम शरणार्थियों को पांच राज्यों में नागरिकता

नताशा और महावीर नरवाल: इंसाफ़ एक दूर की कौड़ी


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License