NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
पुस्तकें
साहित्य-संस्कृति
भारत
देवी शंकर अवस्थी सम्मान समारोह: ‘लेखक, पाठक और प्रकाशक आज तीनों उपभोक्ता हो गए हैं’
27वें देवी शंकर अवस्थी सम्मान से नवाज़े गए कवि आलोचक अच्युतानंद मिश्र। “कोलाहल में कविता की आवाज़” पुस्तक के लिए मिला पुरस्कार।
राज वाल्मीकि
06 Apr 2022
सम्मान समारोह

हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक देवी शंकर अवस्थी (दिवंगत) के जन्मदिन (5 अप्रैल 2022) पर युवा कवि व आलोचक अच्युतानंद मिश्र को सत्ताईसवां “देवी शंकर अवस्थी पुरस्कार” प्रदान किया गया। यह पुरस्कार उनकी पुस्तक “कोलाहल में कविता की आवाज़” के लिए दिया गया। सम्मान समारोह दिल्ली स्थित साहित्य अकादमी सभागार में हुआ। वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी ने अच्युतानंद को प्रशस्ति पत्र, स्मृतिचिह्न और ग्यारह हजार की राशि का चेक प्रदान कर सम्मानित किया। वरिष्ठ कवि  व आलोचक अशोक वाजपेयी ने प्रशस्ति पत्र पढ़कर सुनाया।  

इस अवसर पर अपने वक्तव्य में अच्युतानंद ने देवी शंकर अवस्थी को नमन करते हुए और निर्णायकों का आभार व्यक्त करते हुए संवाद की परम्परा पर बात की। उन्होंने विज्ञान और कला आलोचना के दो साधन बताए। उन्होंने कहा कि उड़ने का स्वप्न कला है तो उसे वास्तविक रूप देना विज्ञान। उन्होंने बीसवीं सदी को बहुत विरोधाभासी बताया। उन्होंने कहा कि मलयज और नामवर सिंह आलोचना की एक नई परम्परा विकसित कर रहे थे। उन्होंने भाषा के एक का सामना किया। उन्होंने क्रांति पर बात करते हुए कहा कि बाद के समय में क्रांति शब्द के रूप बदल गए। फ़्रांस की क्रांति, रूस की क्रांति और 1857 की क्रांति का जो रूप था बाद में वह बदल गया। बाद में दुग्ध क्रांति, हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और औद्योगिक क्रांतियाँ होने लगीं। पहले क्रांति मनुष्यता की मुक्ति का बोध कराती थी। दुग्ध क्रांति और हरित क्रांति ने नया बोध कराया। उन्होंने कहा कि बाद में नैतिकता के भी  मानदंड बदल गए। पूँजी नए प्रकार से समाज में पूजनीय हो गई। 1980 के दशक में एक एक नई विचारधारा शुरू हुई।

अच्युतानंद ने पुराने आलोचकों से कुछ शिकायतें भी रखीं। रामचंद्र शुक्ल ने हिंदी साहित्य का इतिहास लिखते समय क्रमभंग को क्यों नहीं पहचाना। हम घनानंद और विद्यापति को कैसे पढ़ें। हम मीर और ग़ालिब को कैसे पढ़ें। उन्होंने कहा कि हमारे सामने नए सवाल और नई चुनैतियां हैं। सन् 2000 के बाद एक साथ रोने और हंसने की नई  संस्कृति विकसित हुई है। यह नया समय है। संस्कृति और नई ताकतों के संबंध बदले हैं। तर्कवादी दायरा बिखर गया है। लेखक पाठक और प्रकाशक आज तीनो उपभोक्ता हो गए हैं। इससे जो नए संबंध बने हैं उन पर विचार करने की ज़रूरत है।

वरिष्ठ आलोचक डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने अच्युतानंद को उच्च कोटि का अध्यापक बताते हुए उनके वक्तव्य की प्रशंसा की और इस बात पर चिंता व्यक्त की कि हमारा समय बहुत द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है। अब एक अलग तरह का विकास दिख रहा है। अगर सड़कें चौड़ी और चिकनी हैं तो वहां छोटी-मोटी दुकानें जैसे गोलगप्पे वाले, पान वाले, चाय वाले, पकौड़े वाले सब गायब हैं। उन्होंने संस्थानों की तारीफ़ करते हुए कहा कि छोटे संस्थान बड़ा काम कर रहे हैं और इनकी निरंतरता बनी रहनी चाहिए। इन्हें बनाए रखने की हम सब को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ये संस्थाएं  ऐतिहासिक कार्य कर रही  हैं। उन्होंने देवी शंकर अवस्थी को याद करते हुए कहा कि आलोचना को बृहद परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अच्युतानंद इसे इसी परिप्रेक्ष्य में देख रहे हैं।

विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग ने कहा कि आज का समय कोलाहल का समय है। विवेक, स्वायत्ता, स्वतंत्रता, पूँजी और ताकत के साथ हमें आगे बढ़ना है। उन्होंने आज के समय पर टिपण्णी करते हुए कहा कि विज्ञापन हमें वह नहीं दिखाता जो होता है बल्कि वह कहता है कि आप वह देखें जो हम दिखाना चाहते हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे अन्दर की संवेदनशीलता खत्म हो गई है। अब हम मानवता या परोपकार की भावना नहीं बल्कि यह देखते हैं कि इसमें हमारा क्या फायदा है। उन्होंने कहा कि रचनाकार स्वार्थी होता है वह चाहता है उसकी समीक्षा हो, आलोचना हो और बेहतर हो उसके पक्ष में हो। उन्होंने कहा कि क्रांति से हम घबराने लगे हैं। क्रांति हम सिर्फ सूचना की देखते हैं। अगर हम तानाशाह का चुनाव करते हैं तो उसका प्रतिरोध करना बहुत मुश्किल होता है। पर हम ऐसा कर रहे हैं – यही आज का सच है।

वरिष्ठ आलोचक और कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि झूठ, भेदभाव, अत्याचार, बलात्कार अन्याय के कोलाहल को कभी हमने इतना नहीं सुना जितना  कि अब सुना जा रहा है। आज तो स्थिति यह है कि आलोचक को आलोचना करने का अधिकार ही नहीं है। हम ऐसे समय में हैं कि विवेक को अप्रासंगिक घोषित किया जा रहा है। क्योंकि वह प्रतिरोध, क्रान्ति, परिवर्तन ओ मौलिक रूप से जगह देता है। संस्कृति का भी तमाशा बना कर रख दिया गया है। यह समय बहुत संकट का समय है। पर साहित्य और आलोचना को बचाए रखना जरूरी है। जरूरी यह भी है कि हम पुरस्कार की परम्परा को घटने या कम नहीं होने दें।

इस अवसर पर कवि फिल्मकार देवी प्रसाद मिश्र द्वारा देवी शंकर अवस्थी पर निर्मित फिल्म “एक और विवेक की खोज” दिखाई गई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार और साहित्य प्रमी जुटे। 

(लेखक सफाई कर्मचारी आंदोलन से जुड़े हैं।)  

Devi Shankar Awasthi Award
literature
hindi literature
culture
Community
hindi poetry
Hindi critic

Related Stories

मेरे लेखन का उद्देश्य मूलरूप से दलित और स्त्री विमर्श है: सुशीला टाकभौरे

वाद-विवाद; विनोद कुमार शुक्ल : "मुझे अब तक मालूम नहीं हुआ था, कि मैं ठगा जा रहा हूँ"

रवींद्रनाथ टैगोर साहित्य पुरस्कार 2021, 2022 के लिए एक साथ दिया जाएगा : आयोजक

समीक्षा: तीन किताबों पर संक्षेप में

यादें; मंगलेश डबरालः घरों-रिश्तों और विचारों में जगमगाती ‘पहाड़ पर लालटेन’

कोरोना लॉकडाउनः ज़बरिया एकांत में कुछ और किताबें

कोरोना लॉकडाउनः ज़बरिया एकांत के 60 दिन और चंद किताबें

गिरिजा कुमार माथुर ने आधुनिकता को उचित संदर्भ में परिभाषित किया

नामवर सिंह : एक युग का अवसान

कृष्णा सोबती : मध्यवर्गीय नैतिकता की धज्जियां उड़ाने वाली कथाकार


बाकी खबरें

  • समीना खान
    हिजाब बनाम परचम: मजाज़ साहब के नाम खुली चिट्ठी
    12 Apr 2022
    यहां मसला ये है कि आंचल, घूंघट, हिजाब, नक़ाब हो या बिकनी, हमेशा से पगड़ी के फ़ैसले इन सब पर भारी रहे हैं। इसलिए अब हमें आपके नज़रिए में ज़रा सा बदलाव चाहिए। जी! इस बार हमें आंचल भी चाहिए और आज़ादी भी…
  • ज़ाहिद खान
    सफ़दर भविष्य में भी प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे
    12 Apr 2022
    12 अप्रैल, सफ़दर हाशमी जयंती और ‘राष्ट्रीय नुक्कड़ नाटक दिवस’ पर विशेष।
  • jnu
    न्यूज़क्लिक टीम
    ‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र
    11 Apr 2022
    जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा के बाद विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र अपना विरोध जताने के लिए दिल्ली पुलिस मुख्यालय पहुँचे जहाँ उन्हें तुरंत हिरासत में ले लिया गया. छात्रों की बड़ी माँग थी कि पुलिस…
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    JNU में अब नॉन वेज को लेकर विवाद? ऐसे बनोगे विश्वगुरु ?
    11 Apr 2022
    न्यूज़चक्र के आज के एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा JNU में हुए ABVP द्वारा राम नवमी के दिन मांसाहारी खाना खाने पर छात्रों की पिटाई की खबर पर चर्चा कर रहे हैं और वह भारत में तेज़ी से बढ़ रहे…
  • मुकुंद झा
    जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए
    11 Apr 2022
    घटना के विरोध में दिल्ली भर के छात्र सड़क पर उतरे। छात्र, पुलिस मुख्यालय पर विरोध जताने के लिए एकत्रित हुए परन्तु पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को अस्थायी हिरासत में ले लिया और चाणक्यपुरी, संसद मार्ग…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License