NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कश्मीरी पत्रकारों को ‘बदनाम’ करने की साज़िश
कथित तौर पर एक अप्रमाणित न्यूज़ वेबसाइट द्वारा प्रकाशित एक घटिया छानबीन के चलते आईएएनएस और ज़ी न्यूज़ सहित विभिन्न भारतीय मीडिया संस्थानों द्वारा बिना किसी प्रकार की फैक्ट-चेकिंग के ही कश्मीरी पत्रकारों के खिलाफ कीचड़ उछालने का अभियान शुरू हो चुका है और कथित रूप से झूठे आरोप मढ़े जा रहे हैं। 
अनीस ज़रगर
02 Mar 2021
कश्मीरी पत्रकारों को ‘बदनाम’ करने की साज़िश

श्रीनगर: कश्मीरी पत्रकारों को एक अप्रमाणित समाचार वेबसाइट द्वारा प्रकाशित दोयम दर्जे के छानबीन के चलते बदनामी का सामना करना पड़ रहा है, जिसे  किसी फैक्ट चेक की प्रक्रिया अपनाए बिना कथित तौर पर आईएएनएस और ज़ी न्यूज़ सहित कई भारतीय मीडिया संस्थानों द्वारा चलाया गया था।

इस “बदनाम करने वाले अभियान” को ज्यादातर उन पत्रकारों के खिलाफ चलाया जा रहा है, जो तुर्की-आधारित अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों जैसे कि अनडोलू एजेंसी और टीआरटी के लिए काम कर रहे हैं। क्षेत्र में मौजूद पत्रकार निकायों द्वारा इस अभियान को किसी से “प्रेरित” के तौर पर देखा जा रहा है और उन्होंने इस बदनाम किये जाने वाले अभियान को “खतरनाक” भी करार दिया है। 

पत्रकारों की एक संस्था, द कश्मीर प्रेस क्लब का नेतृत्त्व तकरीबन एक दर्जन स्थानीय मीडिया यूनियनों से जुड़े सदस्यों द्वारा किया जाता है। इस संस्था ने वर्तमान में टीआरटी के साथ वरिष्ठ प्रोडूसर के तौर पर कार्यरत कश्मीरी पत्रकार बाबा उमर के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की भर्त्सना की है। टीआरटी को 2017 में ज्वाइन करने के बाद से ही उमर इस्तांबुल में रह रहे हैं। इससे पूर्व वे कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों जैसे कि तहलका, बीबीसी और अल-जज़ीरा को अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

कई अन्य कश्मीरी पत्रकारों सहित उमर पर पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ कथित संबंध जुड़े होने के झूठे आरोप मढ़े जा रहे हैं। इन दावों को पत्रकारों और फैक्ट-चेकर्स ने निराधार करार दिया है।

सबसे पहले एक लाइफस्टाइल समाचार पत्र, ग्रीक सिटी टाइम्स द्वारा उमर के खिलाफ प्रकशित एक लेख को केपीसी ने “तथ्यात्मक तौर पर गलत और कीचड़ उछालने वाला लेख” करार दिया, जिसे बाद में ज़ी न्यूज़ और आईएएनएस द्वारा तथ्यों की जांच किये बिना या उमर का पक्ष जाने बिना ही नमक-मिर्च लगाकर प्रचारित करना शुरू कर दिया था।

ऑल्ट-न्यूज़ के अनुसार ग्रीक सिटी टाइम्स ने डिसइन्फो लैब नामक एक अज्ञात वेबसाइट से इस जानकारी को उठाया था, जिसे फैक्ट-चेकर्स ने “झूठा” करार दिया है।

उमर ने अपने बयान में कहा है “यह बताते हुए कि मैं भारत-विरोधी प्रचार से प्रेरित कामों में लगा हुआ था, कुछ भारतीय समाचार संगठनों ने मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। इस प्रकार के निराधार, संगदिल, घृणास्पद और प्रेरित न्यूज़ रिपोर्टिंग में पूर्वाग्रह, अल्पसंख्यक-विरोधी, मुस्लिम-विरोधी और इस्लामोफोबिक स्वर भी शामिल रहते हैं। इस के चलते मेरे परिवार को इसके नतीजों के बीच अपने जीवन को किसी तरह बिताना होगा।” 

केपीसी ने इस सिडनी स्थित साईट से “बिना शर्त माफ़ी” मांगने के लिए कहा है और आग्रह किया है कि वह अपनी इस रिपोर्ट को हटा ले, जिसमें उनके अनुसार कश्मीरी पत्रकार समुदाय को लक्षित करते हुए “दुर्भावनापूर्ण सामग्री” निहित है। 

प्रेस संस्था ने बाबा उमर सहित इस बदनाम करने वाले अभियान में निशाना बनाए गए सहयोगी पत्रकारों के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए यह भी कहा कि वह इस झूठे बदनाम करने वाले अभियान को चलाने वाले अपराधियों के खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही में जाने के उनके अधिकार का समर्थन करता है।
इससे पहले एक स्वतंत्र यूरोपीय संघ-केन्द्रित सूचनाओं की तहकीकात करने वाले संगठन ने आरोप लगाये थे कि ऐसे 750 से अधिक फर्जी मीडिया संस्थान हैं, जो भारतीय सरकार से सम्बद्ध नहीं है - जो कि वायर नेटवर्क एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (एएनआई) का इस्तेमाल कर भारतीय हितों की सेवा करने के लिए झूठ का जाल बुनते हैं और पड़ोसी देश पाकिस्तान को बदनाम करने में लगे रहते हैं।

पत्रकार और केपीसी के महासचिव इश्फाक तान्त्रे, उमर और अन्य लोगों के खिलाफ इस नवीनतम अभियान को कश्मीरी पत्रकारों के खिलाफ एक समन्वित हमले के तौर पर देखते हैं, जिससे कि उनकी जिंदगियों और आजीविका दोनों को ही खतरे में डाला जा सके।

तान्त्रे ने न्यूज़क्लिक के साथ अपनी बातचीत में कहा “यह एक बदनाम करने वाला अभियान है, जिससे कि कश्मीरी पत्रकारों की बदनामी की जा सके, जो प्रतिष्ठित समाचार संगठनों में कार्यरत हैं, और इस बारे में बिना कोई देरी किये सभी को बताये जाने की जरूरत है। ये बेईमान समाचार पत्र हमारे ईमानदार कामों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और ठीक इसी दौरान मीडिया कर्मियों को निशाना बना रहे हैं जो कि बेहद खतरनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है।”
कश्मीरी पत्रकारों के खिलाफ यह अभियान एक ऐसे समय में चलाया जा रहा है जब अंतर्राष्ट्रीय अधिकार संगठनों और मीडिया प्रहरियों ने क्षेत्र में मीडिया के काम की परिस्थितियों पर अपनी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह बेहद दबाव में अपना काम कर रही है।

कई पत्रकारों को कथित तौर पर विवादास्पद गैरक़ानूनी गतिविधि (नियंत्रण) अधिनियम (यूएपीए) जैसे आतंक और कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए गंभीर आरोपों में फंसाया गया और कई अन्य लोगों को विशेषकर 5 अगस्त 2019 के बाद से इस क्षेत्र में अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद अपने स्रोतों का खुलासा करने के लिए समन किया गया, धमकाया, मारा-पीटा गया और उनके साथ जोर-जबरदस्ती की गई है। कश्मीर में कई लोगों का मानना है कि पत्रकारों को बदनाम करने और धमकाने के विभिन्न प्रयास असल में इस क्षेत्र में मीडिया को “खामोश” कराने के हिस्से के तौर पर किये जा रहे हैं।

पत्रकार आसिफ सुल्तान को अगस्त 2018 से ही यूएपीए के तहत एक आतंकी संगठन के साथ संबंध रखने के आरोप में हिरासत में ले लिया गया था, एक ऐसा आरोप जिसे उन्होंने और उनके करीबी लोगों ने नकार दिया था। 

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) जैसे अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार निकाय प्रशासन से उसे रिहा करने का आग्रह करते आये हैं।
इस 32 वर्षीय पत्रकार के मुकदमे को, जिसने 2019 में प्रतिष्ठित इंटरनेशनल जॉन ऑब्यूचॉन प्रेस फ्रीडम अवार्ड जीता था, की अब द क्लूनी फाउंडेशन फॉर जस्टिस (सीऍफ़जे) द्वारा देखरेख की जायेगी, जिसका गठन अभिनेता जार्ज क्लूनी और लब्धप्रतिष्ठ वकील अमल क्लूनी द्वारा किया गया है।

27 फरवरी को जारी एक बयान में सीऍफ़जे प्रवक्ता ने कहा है कि “द क्लूनी फाउंडेशन फॉर जस्टिस ने इस बात को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन से आह्वान किया है कि सुल्तान की जमानत याचिका की सुनवाई को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के अनुसार चलाया जाए। उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्यवाही में जाने के दौरान उनके मानवाधिकारों का सम्मान रखा जाए, जिसमें एक निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी भी शामिल है।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करे

Disinformation Campaign to ‘Vilify’ Kashmiri Journalists Raises Concerns, Draws Ire

Kashmiri Journalists
Jammu and Kashmir
Press Freedom in India
Zee News
Clooney Foundation for Justice
Committee to Protect Journalist
Baba Umar
Kashmir Press Club
attack on journalists
Attack on Press Freedom

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

भारत में संसदीय लोकतंत्र का लगातार पतन

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License