NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा, शिक्षकपर्व और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
पर्व मनाना अलग है और अच्छी शिक्षा सभी बच्चों तक पहुंचे और शिक्षकों को समय पर वेतन और सेवा-निवृति के बाद समय से पेंशन और ग्रेच्युटी मिले यह अलग बात है।
राज वाल्मीकि
06 Sep 2021
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा, शिक्षकपर्व और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति

शिक्षा मंत्रालय शिक्षकों के अमूल्य योगदान को मान्यता देने और नई शिक्षा नीति 2020 को आगे बढ़ाने के लिए 5 सितम्बर से 17 सितम्बर 2021 तक शिक्षकपर्व मना रहा है। पर्व मनाना अलग है और अच्छी शिक्षा सभी बच्चों तक पहुंचे और शिक्षकों को समय पर वेतन और सेवा-निवृति के बाद समय से पेंशन और ग्रेच्युटी मिले यह अलग बात है।

3 सितम्बर 2021 को ‘हिन्दुस्तान’ की एक खबर के अनुसार डीयू के लगभग 350 शिक्षक ऐसे हैं जिनको पेंशन नहीं मिल रही है। डीयू में कार्यकारी परिषद् के सदस्य राजपाल सिंह पवार बताते हैं कि डीयू में ऐसे कई शिक्षक हैं जो सेवानिवृति होने के बाद पेंशन के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। कई शिक्षक  ऐसे हैं जिनका निधन हो गया है लेकिन उन्हें पेंशन नहीं मिली। एक तरफ शिक्षक अपनी पेंशन नहीं पा रहे हैं जिस पर उनका हक़ है दूसरी ओर ‘शिक्षकपर्व’ मना कर शिक्षा मंत्रालय उनके अमूल्य योगदान को मान्यता दे रहा है!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शिक्षकों के योगदान का सम्मान करने के लिए मनाए जा रहे ‘शिक्षक-पर्व के दौरान 7 सितम्बर 2021 को शिक्षकों, छात्रों और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को संबोधित करेंगे।

शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) को शिक्षकों का सम्मान किया जाता है पर अफ़सोस कि हमारी असली शिक्षिकाओं सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख (1848) के योगदान को भुला दिया जाता है। जिन्होंने विपरीत परिस्तिथियों में अपमान और तिरस्कार सह कर भी बच्चों को और विशेष कर बच्चियों को पढ़ाना जारी रखा था। उनके संघर्षों का ही परिणाम है कि आज हमारी लड़कियां-बेटियां पढ़ पा रही हैं। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 5 सितम्बर 2021 को 44 शिक्षकों को एक वेबिनार के जरिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया। दिल्ली सरकार की ओर से भी कोरोना काल में बेहतरीन काम करने वाले सरकारी स्कूल के 122  शिक्षकों को  ‘राज्य शिक्षक पुरस्कार’ से नवाजा गया। शिक्षकों का सम्मान करना अच्छी बात है पर शिक्षा का सभी बच्चों तक पहुंचना भी जरूरी है। 

दिल्ली में लाखों बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं। योजना विभाग द्वारा नवम्बर 2018 से नवम्बर 2019 तक किए गए सर्वे में पता चला कि दिल्ली में 2 लाख से अधिक बच्चे स्कूल से दूर हैं। अब समग्र शिक्षा दिल्ली ने स्कूल से बाहर इन बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए तैयारियां शुरू की हैं। समग्र शिक्षा दिल्ली कोरोना के बाद बदले हालात में इन बच्चों के स्थान का पता लगाने के लिए दोबारा सर्वे कराने जा रहा है।

शिक्षा के अधिकार अधियम 2009 के तहत 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार है। उसके बाद भी दिल्ली में 6 से 12 साल तक के उम्र वाले 93542 बच्चे स्कूल से दूर हैं। ये आंकड़े योजना विभाग द्वारा 2018-19 में कराए गए सर्वे से प्राप्त किए गए हैं।

गौरतलब है कि इसी साल के अप्रैल महीने में दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने 24 घंटे हेल्पलाइन (नंबर9311551393) शुरू की थी जिससे पता चला कि राजधानी में 2029 बच्चों ने कोविड की वजह से अपने माता-पिता को खोया है। इनमे से 651 ने अपनी मां और 1311 बच्चों ने अपने पिता को खोया है। 67 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने माता-पिता दोनों को खो दिया है।

ऐसे हालात में समझा जा सकता है कि इन बच्चों पर, इनकी पढ़ाई पर, क्या असर पड़ रहा होगा। अजीम प्रेम जी विश्वविद्यालय के एक हालिया अध्ययन का अनुमान है कि कक्षा 2 से 6 तक के 92 प्रतिशत बच्चों ने अपना भाषा कौशल और 82 प्रतिशत ने गणित कौशल खो दिया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : कुछ ज़मीन पर कुछ हवा में

हमारी केन्द्रीय सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को भले ही कितना भी बढ़ावा दे पर सच्चाई यह है कि यह नीति पूरी तरह उत्कृष्ट नहीं है। लगता है नीति बनाते समय पश्चिमी शिक्षा का अनुसरण किया गया है। भारतीय ग्रामीण स्थिति की उपेक्षा की गई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देती है। डिज़िटीलाइजेशन को महत्व देती है। पर हमारा ग्रामीण भारत अभी इतना आधुनिक नहीं हुआ है कि सभी बच्चे ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण कर सकें। दूसरी बात इस शिक्षा नीति में दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों-कमजोर आर्थिक स्थितियों वाले बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया है।

इस में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की उस कमजोर कड़ी पर भी ध्यान नहीं दिया गया है कि 14 साल की उम्र या आठवीं कक्षा के बाद जो बच्चे ई.डब्ल्यू.एस. या डीजी समूह से हैं और प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं वे आठवीं के बाद प्राइवेट स्कूल में अपनी आगे की पढ़ाई कैसे करेंगे।

यही कारण है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का विरोध भी किया जा रहा है। इस शिक्षा नीति को रद्द करने की मांग की जा रही है। इसके खिलाफ नारे भी लगाए जाते हैं कि – ‘शिक्षा को एक खरीद की वस्तु बनाने के लिए केंद्र सरकार के क़दमों का विरोध करो’, ‘NEP 2020 के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा के तरजीह देने पर तुरंत रोक लगाओ’, ‘बच्चों को वास्तविक शिक्षा की जरूरत है, वर्चुअल शिक्षा कोई विकल्प नहीं है।‘

एक एनजीओ की प्रमुख एंजेला कहती हैं –“धीरे-धीरे स्कूल खुल रहे हैं ये अच्छी बात है। क्योंकि लम्बे लॉकडाउन की वजह से बच्चों को काफी  प्रॉब्लम हुई है, शिक्षा का नुकसान हुआ है, परन्तु उससे ज्यादा महत्वपूर्ण बच्चों का साइको-सोशल सपोर्ट छिना है। जो गरीब तबके के बच्चे हैं और उनके परिवार का सोशल प्रोटेक्शन भी साथ ही साथ गया है। अब लगभग डेढ़ साल होने को है। जब पहली लहर चली थी तब भी डर था कि लगभग 64% बच्चे जो ग्रामीण क्षेत्र में हैं वो ड्राप आउट करेंगे। जब पहली लहर ही चली थी तब तो परिस्थिति थी कि सिर्फ 15% ग्रामीण घरों में इन्टरनेट की सुविधा थी। 96% दलित आदिवासियों के घर ऐसे हैं जिनके पास कंप्यूटर नहीं हैं। उस परिप्रेक्ष्य में लगभग पूरी ऑनलाइन एजुकेशन का दौर चला। पहली लहर के टाइम 80% अभिभावक बोले कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं हो रही है और महत्वपूर्ण चीज है है कि लगभग 60 % प्राइवेट स्कूल के अभिभावक भी बोल रहे थे कि निजी स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही है। बच्चों की पढ़ाई का एक साल से अधिक समय बर्बाद हो चुका है। इसका परिणाम हुआ है मानसिक सदमा, बच्चों से मनोवैज्ञानिक सपोर्ट छिना है, साथ ही साथ क्लास रूम हंगर जिसको बोलते हैं भूख बच्चों की, बेरोजगारी के चलते वह सब बच्चों ने देखा।

बालश्रम की भी दर पिछले एक साल में बढ़ी है। इसका असर सब बच्चों के ऊपर पड़ा है. परन्तु जो गरीब परिवार के हैं, दलित हैं, आदिवासी हैं, अल्पसंख्यक हैं, लड़कियां हैं, विकलांग हैं, उनके ऊपर सबसे ज्यादा असर पड़ा है।”

शिक्षा देश के सभी बच्चों का मौलिक अधिकार है पर हमारे देश में यह सभी बच्चों को सहज सुलभ नहीं है। शिक्षा का उद्देश्य एक बेहतर समाज का निर्माण करना होता है – एक ऐसा समाज जहां समता हो, स्वतंत्रता हो, न्याय हो समृद्धि हो तथा मानवीय मूल्यों पर आधारित बेहतरीन समाज हो। जिस समाज में छूआछूत, भेदभाव, क्रूरता, अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार, गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी न हो।

हमारे शिक्षक/शिक्षिकाएं हमारे देश के भविष्य के नागरिक तैयार करते हैं। इसलिए उन्हें भी अपनी जाति-धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर संवैधानिक और मानवीय मूल्यों को अपनाना होगा। उनके लिए हर छात्र-छात्रा उनका एक शिष्य या शिष्या हो जिसको उचित शिक्षा देना उनका पावन कर्तव्य है चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, सम्प्रदाय , भाषा, क्षेत्र का हो। शिक्षक-शिक्षिकाओं पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। वे छात्रों के पथ-प्रदर्शक, मार्ग दर्शक होते हैं। इसलिए शिक्षकों के जो मूलभूत अधिकार हों वे उन्हें मिलने चाहिए। जब उन्हें समय से और उपयुक्त वेतन मिलेगा। अच्छा वातावरण मिलेगा। यथोचित सम्मान मिलेगा तभी वे बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार दे पायेंगे। और इस तरह वे देश के भविष्य की उज्ज्वल आधारशिला रखेंगे।

इसलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, छात्रों और शिक्षकों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, शिक्षक पर्व मनाना तो मात्र औपचारिकता निभाना होगा।

(लेखक सफाई कर्मचारी आन्दोलन से जुड़े हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

इसे भी देखें: शिक्षक दिवस: शिक्षा पर हमले और तेज़ किए जा रहे हैं

education
Education Sector
new education policy
Teachers' Day
Attack on Education
Save Education

Related Stories

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस

बच्चे नहीं, शिक्षकों का मूल्यांकन करें तो पता चलेगा शिक्षा का स्तर

'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

शिक्षा को बचाने की लड़ाई हमारी युवापीढ़ी और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई का ज़रूरी मोर्चा

स्कूलों की तरह ही न हो जाए सरकारी विश्वविद्यालयों का हश्र, यही डर है !- सतीश देशपांडे


बाकी खबरें

  • itihas ke panne
    न्यूज़क्लिक टीम
    मलियाना नरसंहार के 35 साल, क्या मिल पाया पीड़ितों को इंसाफ?
    22 May 2022
    न्यूज़क्लिक की इस ख़ास पेशकश में वरिष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने पत्रकार और मेरठ दंगो को करीब से देख चुके कुर्बान अली से बात की | 35 साल पहले उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हुए बर्बर मलियाना-…
  • Modi
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: मोदी और शी जिनपिंग के “निज़ी” रिश्तों से लेकर विदेशी कंपनियों के भारत छोड़ने तक
    22 May 2022
    हर बार की तरह इस हफ़्ते भी, इस सप्ताह की ज़रूरी ख़बरों को लेकर आए हैं लेखक अनिल जैन..
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता : 'कल शब मौसम की पहली बारिश थी...'
    22 May 2022
    बदलते मौसम को उर्दू शायरी में कई तरीक़ों से ढाला गया है, ये मौसम कभी दोस्त है तो कभी दुश्मन। बदलते मौसम के बीच पढ़िये परवीन शाकिर की एक नज़्म और इदरीस बाबर की एक ग़ज़ल।
  • diwakar
    अनिल अंशुमन
    बिहार : जन संघर्षों से जुड़े कलाकार राकेश दिवाकर की आकस्मिक मौत से सांस्कृतिक धारा को बड़ा झटका
    22 May 2022
    बिहार के चर्चित क्रन्तिकारी किसान आन्दोलन की धरती कही जानेवाली भोजपुर की धरती से जुड़े आरा के युवा जन संस्कृतिकर्मी व आला दर्जे के प्रयोगधर्मी चित्रकार राकेश कुमार दिवाकर को एक जीवंत मिसाल माना जा…
  • उपेंद्र स्वामी
    ऑस्ट्रेलिया: नौ साल बाद लिबरल पार्टी सत्ता से बेदख़ल, लेबर नेता अल्बानीज होंगे नए प्रधानमंत्री
    22 May 2022
    ऑस्ट्रेलिया में नतीजों के गहरे निहितार्थ हैं। यह भी कि क्या अब पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन बन गए हैं चुनावी मुद्दे!
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License