NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
नई पेंशन स्कीम के विरोध में कर्मचारियों का 'पेंशन सत्याग्रह'
9 फरवरी से शुरू हुए इस पेंशन सत्याग्रह में मध्यप्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों के हजारों कर्मचारी शामिल हो रहे हैं।
मुकुंद झा
12 Nov 2019
NPS

नई पेंशन स्कीम का सरकारी कर्मचारियों ने विरोध तेज कर दिया है। इसके लिए 9 फरवरी से ही दिल्ली के आईटीओ स्थिति शहीदी पार्क में पेंशन सत्याग्रह आरम्भ हुआ है। इस सत्याग्रह में पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, उत्तराखंड सहित देश के कई राज्यों के कर्मचारी हिस्सा ले रहे है।

ये सत्याग्रह कर्मचारियों के संयुक्त मंच नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के तहत किया जा रहा हैं। देश में सरकारी कर्मचारियों की लंबे समय से सरकार से पुरानी गारंटीड पेंशन व्यवस्था को बहाल करने की मांग रही है। लेकिन इसके लागू हो जाने के 15 साल हो जाने के बाद भी अभी तक सरकार ने इसे लागू करने की तरफ कोई कदम नहीं उठाया हैं।

सत्याग्रह कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि सरकार और नेता पेंशन लेते हैं लेकिन कर्मचारी के हक का पेंशन नहीं देना चाहते, इसको लेकर कर्मचारियों में गुस्सा था। कर्मचारी बार बार कह रहे थे "खुद तो पेंशन लेते हो ,हम क्यों नहीं देते हो"।  एक कर्मचारी हाथ में पोस्टर लेकर आया था जिस पर लिखा था "हमे चाहिए बुढ़ापे का सहारा, यह है जन्मसिद्ध अधिकार हमारा"
74572866_1207318399471370_8619664677745459200_o.jpg
आपको बात दें कर्मचारियों ने राष्ट्रीय स्तर पर कई बार प्रदर्शन भी किया है। इससे पहले 30 अप्रैल 2018 में दिल्ली के रामलीला मैदान में हज़ारों की संख्या में कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था। इसके बाद 26 नवम्बर 2018 को भी कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया था, जिसमे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी शामिल हुए थे, उन्होंने कर्मचारियों से वादा किया था कि वो दिल्ली में पुरानी पेंशन लागू करेंगे। इसके बाद इस साल कर्मचारियों ने 27 जनवरी से लेकर 1 फरवरी तक जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया था।

आपको बता दें कि 01 जनवरी,2004 से देश के तमाम सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को खत्म कर दिया गया है। अब पेंशन केंद्र सरकार की नई पेंशन स्कीम के तहत मिलती है जिसमें कुछ पैसा कर्मचारियों का कटता है और कुछ नियोक्ता देता है लेकिन इस पेंशन स्कीम से कर्मचारी खुश नहीं हैं और वे पुरानी पेंशन की बहाली की मांग कर रहे हैं। केंद्र के बाद अन्य राज्यों ने सरकारी कर्मचारियों के लिये पुरानी गारंटीड पेंशन व्यवस्था को खत्म कर शेयर बाजार पर आधारित न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) की शुरुआत की थी।  लेकिन पश्चिम बंगाल और केरल  में अभी भी पुरानी पेंशन स्कीम जारी हैं।

उत्तराखंड से आये कर्मचारी संगठन के नेताओं ने कहा कि सरकार पर 2005 के बाद लागू की गई पेंशन को वापस लेने और पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए पूरा दबाव बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने पेंशन का बाजारीकरण करने का काम किया है। नई पेंशन योजना पूरी तरह से बाजार के अधीन है। जिससे कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा इस लड़ाई को एकजुट होकर लड़ने के लिए कई कर्मचारी संगठन एक मंच पर आए हैं।

उन्होंने कहा कि सभी कर्मचारी अब तक अपने स्तर से लड़ाई लड़ रहे थे। अब इसे सामूहिक रूप से व्यापक रूप में लड़ने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए पूरा जोर लगाकर संघर्ष किया जाएगा। उन्होंने हर हाल में पुरानी पेंशन को बहाल कराकर ही दम लेने की बात भी कही।

एनएमओपीएस के नेता मंजीत ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि सरकार ने 60 लाख कर्मचारियों और उनके परिवार के भविष्य, सामजिक और आर्थिक सुरक्षा को नई पेंशन स्कीम के तहत खत्म कर दिया है। आगे वो सवाल करते हैं ‘जब  विधायक, सांसद, मंत्री, हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज, आयोगों के सदस्यों को सरकार आज भी पुरानी गारन्टीड पेंशन दे रही है, जो अल्पकालिक सेवा के लिए आते हैं तो देश के लिए शहीद होने वाले अर्धसैनिक बलों और 30–35 साल तक सेवा करने वाले सरकारी कर्मचारियों को क्यों नहीं?’

नई पेंशन योजना क्या है?

नई पेंशन व्यवस्था यानी राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) 1 जनवरी, 2004 को या उसके बाद केंद्र सरकार (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए सभी नई भर्तियों के लिए अनिवार्य योगदान योजना है। कुछ एक राज्यों को छोड़कर सभी राज्य सरकारों ने इसे अनिवार्य बना दिया है। 2013 में स्थापित एक स्वतंत्र पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए), एनपीएस को नियंत्रित करता है।

यह अमेरिकी मॉडल पर आधारित योजना है  जिसे आम भाषा में  निजी पेंशन या पेंशन का निजीकरण कह सकते हैं। यह 2003 में पूर्व एनडीए सरकार द्वारा लागू की गई थी। जबकि पेंशन नियामक की स्थापना के बारे में 2004 में कानून यूपीए द्वारा भाजपा के समर्थन से पारित किया गया था। बड़े पेंशन फंड को इक्विटी और बांडों में निवेश किया जाता है, जिससे बाजार संबंधी जोखिम बढ़ जाता है।

एक निश्चित कट ऑफ तिथि के बाद शामिल होने वाले कर्मचारियों के लिए यह अनिवार्य है, साथ ही उनके वेतन का 10% स्वचालित रूप से निधि में जा रहा है। त्रिपुरा कुछ ऐसे राज्यों में से एक था, जो अपने कर्मचारियों के लिए एनपीएस लागू नहीं कर रहा था और पुरानी पेंशन योजना को जारी रखे हुआ था, यानी जो कर्मचारियों की कड़ी मेहनत से अर्जित किए गई पेंशन को जोखिम में नहीं डालता था लेकिन अब वहां भी भाजपा के शासन में आने के बाद इसे समाप्त कर दिया गया है। और नई पेंशन स्कीम लागू कर दी गई है।

एनपीएस का विरोध क्यों ?

हाल में सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों ने बताया कि अपनी पेंशन राशि से वो जीवन जीने के लिए जरूरी मुलभुत वस्तु नहीं ले पा रहे हैं। नए योगदान-आधारित पेंशन सिस्टम के तहत शामिल इनमें से कई कर्मचारी मासिक पेंशन के रूप में 700-800 रुपये ही प्राप्त कर रहे हैं, जबकि पुरानी परिभाषित लाभ योजना में न्यूनतम गारंटीकृत राशि 9,000 रुपये थी।

अब कर्मचारी अपने मासिक वेतन का 10% भुगतान करते हैं और सरकार भी इतना ही इसमें डालती थी। लेकिन अब सरकार ने अपना हिस्सा 4% बढ़ा दिया है। अब कर्मचारी के वेतन का 24% (10%कर्मचारी+14%सरकार) पेंशन के नाम पर लिया जाता हैं, जिसे बाद में इसे इक्विटी शेयरों में निवेश किया जाता है। सेवानिवृत्ति पेंशन उस संचित निवेश के रिटर्न पर निर्भर रहती है।

पुरानी व्यवस्था में, पूरी पेंशन राशि सरकार द्वारा दी जाती थी, जबकि जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) में कर्मचारी योगदान के लिए निश्चित रिटर्न की गारंटी थी। सरकार अंतिम वेतन और महंगाई भत्ता (डीए) का 50% सेवानिवृत्त होने के बाद कर्मचारियों को पेंशन के रूप में और मौत के बाद कर्मचारियों के आश्रित परिवार के सदस्यों को भुगतान करती थी। लेकिन अब न ही सेवाकाल के दौरान कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर पारिवारिक पेंशन की उपयुक्त व्यवस्था ही की गयी है।

एनएमओपीएस के राष्ट्रीय मीडिया सचिव अभिनव सोंघ राजपूत ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि ये सत्याग्रह तब तक चलेगा जब तक सरकार हमारी मांग नहीं मान लेती, हमने सरकार को पांच दिनों का अल्टीमेटम दिया था। आज हमारे सत्याग्रह का चौथा दिन है सरकार अगर बुधवार तक हमरी मांग नहीं मानती तो हम फिर आमरण अनशन शुरू करेंगे। पेंशन हमारा हक है और हम उसे लेकर रहेंगे। 

New Pension Scheme
workers protest
Pension Sattyagrah
Madhya Pradesh
Chattisgarh
Uttrakhand
punjab
Himachal Pradesh

Related Stories

मूसेवाला की हत्या को लेकर ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, कांग्रेस ने इसे ‘राजनीतिक हत्या’ बताया

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

लुधियाना: PRTC के संविदा कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे

हिमाचल: प्राइवेट स्कूलों में फ़ीस वृद्धि के विरुद्ध अभिभावकों का ज़ोरदार प्रदर्शन, मिला आश्वासन 


बाकी खबरें

  • Modi
    अनिल जैन
    PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?
    01 Jun 2022
    प्रधानमंत्री ने तमाम विपक्षी दलों को अपने, अपनी पार्टी और देश के दुश्मन के तौर पर प्रचारित किया और उन्हें खत्म करने का खुला ऐलान किया है। वे हर जगह डबल इंजन की सरकार का ऐसा प्रचार करते हैं, जैसे…
  • covid
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। महाराष्ट्र में आज तीन महीने बाद कोरोना के 700 से ज्यादा 711 नए मामले दर्ज़ किए गए हैं।
  • संदीपन तालुकदार
    चीन अपने स्पेस स्टेशन में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की योजना बना रहा है
    01 Jun 2022
    अप्रैल 2021 में पहला मिशन भेजे जाने के बाद, यह तीसरा मिशन होगा।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    यूपी : मेरठ के 186 स्वास्थ्य कर्मचारियों की बिना नोटिस के छंटनी, दी व्यापक विरोध की चेतावनी
    01 Jun 2022
    प्रदर्शन कर रहे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बिना नोटिस के उन्हें निकाले जाने पर सरकार की निंदा की है।
  • EU
    पीपल्स डिस्पैच
    रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने के समझौते पर पहुंचा यूरोपीय संघ
    01 Jun 2022
    ये प्रतिबंध जल्द ही उस दो-तिहाई रूसी कच्चे तेल के आयात को प्रभावित करेंगे, जो समुद्र के रास्ते ले जाये जाते हैं। हंगरी के विरोध के बाद, जो बाक़ी बचे एक तिहाई भाग ड्रुज़बा पाइपलाइन से आपूर्ति की जाती…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License