NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
भारत
राजनीति
‘देश बचाओ’ के नारे के साथ सड़क पर निकले मज़दूरों और आशा कर्मियों पर मुकदमा
दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने को लेकर, संसद मार्ग थाने में सेंट्रल ट्रेड यूनियन और आशा वर्कर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
12 Aug 2020
‘देश बचाओ’ के नारे के साथ सड़क पर निकले मज़दूरों और आशा कर्मियों पर मुकदमा

दिल्ली: मज़दूर-किसानों के देशव्यापी ‘देश बचाओ आंदोलन’ के तहत जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने को लेकर,संसद मार्ग थाने में सोमवार को सेंट्रल ट्रेड यूनियन और आशा वर्कर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह जानकारी डीसीपी ईश सिंघल ने ट्वीट कर दी। दरअसल मज़दूर संगठन लगातर पिछले कुछ महीनों से अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे परन्तु कोरोना माहमारी के बाद यह पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में मज़दूर किसान और स्कीम वर्कर ने एक साथ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था।

दिल्ली पुलिस का कहना है कि संगठनों के पास प्रदर्शन के लिए कोई अनुमति नहीं थी, इसके बाद भी भीड़ के साथ प्रदर्शन किया गया। जबकि मज़दूर संगठनों ने साफ किया कि ये उनका लोकतांत्रिक अधिकार है, एक तरफ सरकार मज़दूरों की नौकरी छीन रही है और दूसरी तरफ जब मज़दूर उसका विरोध कर रहा है तो उनपर मुकदमें दर्ज करा रही है।

 

पुलिस के मुताबिक, आईपीसी की धारा 188, एपिडेमिक एक्ट और डिजास्टर मैनेजमेंट की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। प्रदर्शन के दौरान सेंट्रल ट्रेड यूनियन और आशा वर्कर्स के बैनर तले करीब सैकड़ों की संख्या में लोग, जंतर मंतर पर आए, इसमें बड़ी संख्या महिलाओं की थी। पुलिस ने कहा इस प्रदर्शन के दौरान कई महिलाओं ने तो मास्क तक नहीं पहना था। वहीं ट्रेड यूनियन के प्रदर्शन में भी लगभग इतने ही लोग आए थे।

डीसीपी ने बताया कि अनलॉक 3 के दौरान बिना किसी जरूरी काम के जनता के घर से बाहर न निकलने की अपील की जा रही है। ऐसे में अगर नियम तोड़ते हुए बिना किसी वजह के कोई भीड़ एकत्र करने का काम करेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 "एफआईआर आवाज़ दबाने की कोशिश"

जिन आशा वर्कर पर एफआईआर दर्ज की गई उनका कहना है कि वे इस कोरोना की माहमारी में सबसे आगे होकर लड़ रही हैं परन्तु उन्हें न वेतन मिलता है और न कोई सुरक्षा, आज भी वो दिल्ली में 3000 रुपये में काम करने को मज़बूर हैं। वो अपने वेतन में बढ़ोतरी के लिए और अपने लिए सुरक्षा उपकरण की मांग को लेकर जंतर मंतर आईं थी। परन्तु सरकार ने उनकी मांग तो नहीं सुनी और उल्टा एफआईआर कर दिया।

मज़दूर संगठनों ने पुलिस द्वार की गई कार्रवाई की निंदा की और इसे सरकार के इशारे पर मज़दूरों की आवाज़ दबाने की कोशिश बतया। सेंट्रल ट्रेड यूनियन ऐक्टू ने बयान जारी कर इस कार्रवाई को सरकारी आपातकाल बताया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि ये कार्रवाई प्रधानमंत्री के इशारे पर की गई है। ये सरकार जब से आई है तब से ही मज़दूरों के खिलाफ कार्य कर रही है और अब वो नहीं चाहते कि मज़दूर उनके खिलाफ सड़कों पर उतर कर विरोध करें।

आगे उन्होंने कहा कि सरकार मज़दूरों को इस एफआईआर से डराने की कोशिश कर रही है परन्तु वो नहीं जानते की हम डरने वाले नहीं हैं, मज़दूर इस दमन का समय आने पर जवाब देगा। ऐक्टू ने कहा कि सभी मज़दूर संगठन फिर से चर्चा करने के बाद अपने आगे के आंदोलन को और तेज़ करेंगे।

मज़दूर नेताओं ने इस अंदोलन को ऐतिहासिक आंदोलन कहा था और बताया कि मज़दूर वर्ग में जिस तरह की एकता हुई है उससे सरकार में भय पैदा हो गया है और इसलिए वो इस तरह के हथकंडे अपना रही है।

कई मज़दूर नेताओं ने तो इसको लेकर भी सवाल किया जिस आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मज़दर नेताओं के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज किया गया है,परन्तु उसी अधिनियम के तहत लॉकडाउन के शुरुआत में कहा गया था मालिक किसी भी मज़दूर को न निकलेगा और न वेतन कटौती करेगा। अगर मालिक ऐसा करता है तो उसपर क़ानूनी कार्रवाई होगी लेकिन क्या ऐसा हुआ? क्या पुलिस ने उन मालिकों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की? जबकि राजधानी दिल्ली में ही लाखों की संख्या में मज़दूरों को नौकरी से हटा दिया गया।

इसके बाद भी मज़दूरों ने कई महीनो तक आपदा को देखते हुए धैर्य रखा और उन्होंने बीते मार्च जबसे लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से कोई विरोध प्रदर्शन नहीं किया लेकिन जब मालिकों ने जुल्म की इंतेहा कर दी और सरकार भी उनके साथ मिलकर मज़दूरों पर हमला किया। तब जब मई में ढील दी गई तो ट्रेड यूनियनों ने पहले 22 मई को देशव्यापी प्रदर्शन किया। इसके अलावा जून और जुलाई में भी प्रदर्शनों में तेज़ी आई और 9 अगस्त भारत छोड़ दिवस के दिन मज़दूरों ने अपने अधिकार के लिए देश बचाओ अभियान के तहत देशव्यापी प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में किसान संगठन, स्कीम वर्कर्स और ट्रेड यूनियनों से अलग मज़दूर संगठनों ने भी एक साथ आकर प्रदर्शन किया था।

 

Central trade union
asha worker
delhi police
AICCTU
scheme workers
workers protest
Jantar Mantar

Related Stories

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

आशा कार्यकर्ताओं को मिला 'ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड’  लेकिन उचित वेतन कब मिलेगा?

मुंडका अग्निकांड के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष ऐक्टू का विरोध प्रदर्शन

मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?

#Stop Killing Us : सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का मैला प्रथा के ख़िलाफ़ अभियान

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे

मुस्लिम विरोधी हिंसा के ख़िलाफ़ अमन का संदेश देने के लिए एकजुट हुए दिल्ली के नागरिक

दिल्ली: लेडी हार्डिंग अस्पताल के बाहर स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी, छंटनी के ख़िलाफ़ निकाला कैंडल मार्च


बाकी खबरें

  • कृष्णकांत
    भारत को मध्ययुग में ले जाने का राष्ट्रीय अभियान चल रहा है!
    10 May 2022
    भारत किसी एक मामले में फिसला होता तो गनीमत थी। चाहे गिरती अर्थव्यवस्था हो, कमजोर होता लोकतंत्र हो या फिर तेजी से उभरता बहुसंख्यकवाद हो, इस वक्त भारत कई मोर्चे पर वैश्विक आलोचनाएं झेल रहा है लेकिन…
  • सोनाली कोल्हटकर
    छात्रों के ऋण को रद्द करना नस्लीय न्याय की दरकार है
    10 May 2022
    छात्र ऋण अश्वेत एवं भूरे अमेरिकिर्यों को गैर-आनुपातिक रूप से प्रभावित करता है। समय आ गया है कि इस सामूहिक वित्तीय बोझ को समाप्त किया जाए, और राष्ट्रपति चाहें तो कलम के एक झटके से ऐसा कर सकते हैं।
  • khoj khabar
    न्यूज़क्लिक टीम
    अब झूठ मत बोलिए, सरकारी आंकड़ें बोलते- मुस्लिम आबादी में तेज़ गिरावट
    09 May 2022
    खोज ख़बर में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बताया कि किस तरह से अंतर्राष्ट्रीय negative ranking से घिरी नरेंद्र मोदी सरकार को अब PR का भरोसा, मुस्लिम आबादी का झूठ NFHS से बेनक़ाब |
  • एम.ओबैद
    बीपीएससी प्रश्न पत्र लीक कांड मामले में विपक्षी पार्टियों का हमला तेज़
    09 May 2022
    8 मई को आयोजित बिहार लोक सेवा आयोग के 67वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गई है। इसको लेकर विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला करना शुरू कर…
  • सत्यम् तिवारी
    शाहीन बाग़ ग्राउंड रिपोर्ट : जनता के पुरज़ोर विरोध के आगे झुकी एमसीडी, नहीं कर पाई 'बुलडोज़र हमला'
    09 May 2022
    एमसीडी की बुलडोज़र कार्रवाई का विरोध करते हुए और बुलडोज़र को वापस भेजते हुए शाहीन बाग़ के नागरिकों ने कहा कि "हम मुसलमानों के दिमाग़ पर बुलडोज़र नहीं चलने देंगे"।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License