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राजनीति
किसान आंदोलन: पूरे हरियाणा में भाजपा-जजपा नेताओं के कार्यक्रम का विरोध जारी
प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि हरियाणा के भाजपा और जजपा नेता अपने किसान विरोधी रवैये और व्यवहार का खामियाजा भुगत रहे हैं। नेताओं को अपने घोषित कार्यक्रमों को गुप्त तरीके से करना पड़ रहा है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
22 Jun 2021
किसान आंदोलन
फ़ोटो साभार: सोशल मीडिया

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सोमवार को हरियाणा में विभिन्न स्थानों पर धरना दिया और प्रदेश की भाजपा—जजपा गठबंधन सरकार के नेताओं के कार्यक्रमों का विरोध किया। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि हरियाणा के भाजपा और जजपा नेता अपने किसान विरोधी रवैये और व्यवहार का खामियाजा भुगत रहे हैं।

इन नेताओं के खिलाफ पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन जारी है। नेताओं को अपने घोषित कार्यक्रमों को गुप्त तरीके से करना पड़ रहा है, और विरोध करने वाले किसानों के साथ बिल्ली और चूहे के खेल का सहारा लेना पड़ रहा है। यह उन्हें वोट देकर सत्ता में लाने वाले लोगों की पीड़ा है।

यह बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने रविवार को पंचकूला में हेलीकाप्टर से नियमित के बजाय एक अज्ञात हेलीपैड को विकल्प के रूप में चुनकर अपने कायक्रम को निर्धारित किया। सीएम के विरोध में रविवार को पंचकूला के क्राइम पुलिस स्टेशन में पाँच घंटे से ज्यादा समय तक हिरासत में लिए गए 70 से अधिक प्रदर्शनकारियों को उनकी तत्काल रिहाई की मांग को लेकर थाने में सैकड़ों समर्थकों के इकट्ठा होने के बाद उन्हें रविवार रात में रिहा कर दिया गया। उनके साथ पुलिस द्वारा किए गये दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगने के बाद बगैर कोई मामला दर्ज किए उन्हे छोड़ दिया गया।

प्रदर्शनकारियों के सवालो से बचने के लिए मंत्री और विधायक आधी रात को अपने घोषित कार्यक्रमों को रद्द करने या कार्यक्रमों को अंजाम देने का सहारा ले रहे हैं।

हिसार में विधायक विनोद भयाना ने रविवार रात एक पार्क में पानी के फव्वारे का उद्घाटन किया। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपनी इस योजना को रद्द किया था जिसका उद्घाटन किसानों ने खुद किया था, एक रक्तदान शिविर जिसे राज्य भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ द्वारा शुरू किया जाना था, किसानों के विरोध के कारण फिर से निर्धारित किया गया, बाद में कार्यक्रम शुरू होने पर वे आए।

जबकि राज्य के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम का विरोध करने वाले किसान नहीं हो सकते। सिरसा स्थित चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में चौटाला को देवी लाल की 18 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करना था।

वहीं चरखी दादरी में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाली भाजपा नेता बबिता फोगाट को भी किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ा।

अम्बाला में किसानों के एक समूह ने राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया, जिसके बाद हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल शहर में निर्धारित अपनी बैठक में हिस्सा नहीं ले पाये ।

पिछले साल केंद्र द्वारा बनाये गये तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान प्रदेश में भाजपा-जजपा नेताओं के कार्यक्रमों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

विभिन्न किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।

अम्बाला में अधिकारियों ने बताया कि शिक्षा मंत्री को अम्बाला हिसार राजमार्ग पर स्थित पंचायत भवन में एक बैठक की अध्यक्षता करनी थी। उन्होंने बताया कि राजमार्ग को किसानों ने कुछ घंटों के लिये जाम कर दिया था। सूत्रों ने बताया कि मंत्री जब बैठक की अध्यक्षता करने जा रहे थे उसी दौरान किसानों ने यह जाम लगा दिया। इसके बाद मंत्री को प्रदर्शन को देखते हुये वापस लौटना पड़ा ।

चरखी दादरी में भी किसानों ने सोमवार को कृषि कानून का विरोध किया और भाजपा नेता बबिता फोगाट को उस वक्त काले झंडे दिखाये जब वह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंची थीं। किसानों का एक समूह फोगाट के पहुंचने के बाद मौके पर एकत्र हो गया। सूत्रों ने बताया कि मौके पर सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद करने के लिये पुलिस बल की तैनाती की गयी थी।

फोगाट 2019 में भाजपा में शामिल हुयी थी और विधानसभा का चुनाव भी लड़ा लेकिन वह हार गयी थी। बाद में उन्हें हरियाणा महिला विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

भिवानी में सोमवार कृषि मंत्री जेपी दलाल को काले झंडों के साथ सैकड़ों प्रदर्शनकारियों का सामना करना पड़ा ।

हरियाणा में सत्ताधारी दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ हो रहे तीखे विरोध को लेकर किसानों के संयुक्त मंच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा "हरियाणा की किसान यूनियनों ने बार-बार भाजपा और जजपा नेताओं को किसानों को बेवजह भड़काने के खिलाफ चेतावनी दी है। नेताओं को, किसानों के आक्रोश और पीड़ा को बेझिझक बाहर निकालने की कोशिश करने के बजाय, उन किसानों के पक्ष में खड़ा होना चाहिए, जिन्होंने उन्हें वोट देकर सत्ता में लाया। ये नेता, यदि वे वास्तव में नेता हैं, तो केंद्र सरकार को तीन काले कानूनों को निरस्त करने और सभी किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए एक नया कानून लाने के लिए आवाज उठानी चाहिए।"

दूसरी तरफ एसकेएम ने अपने 200 दिन से अधिक लंबे समय से चल रहे आंदोलन के पक्ष में व्यापक समर्थन के विस्तार का दावा करते हुए कहा "जैसा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले ही कहा है, चल रहे आंदोलन के लिए भरपूर स्थानीय समर्थन प्राप्त है। इसी तरह के समर्थन को प्रदर्शित करते हुए सिंघु बॉर्डर पर लंगर सेवा के लिए सोमवार को खरकोंडा और उसके आसपास के ग्रामीणों द्वारा कम से कम दस ट्रॉली लोड गेहूं भेजा गया। यह समर्थन राष्ट्रीय किसान महासंघ की मदद से जुटाया गया था। इस कड़ी में, सोनीपत और उसके आसपास के गांवों से 40 से अधिक ट्राली गेहूं की खेप बीकेयू– चडूनी के सहयोग से पहुंच रही है।"

युवा किसान नेता और एसकेएम के सदस्य अभिमन्यु कोहार ने कहा जब हम पहली बार आए थे तो हमने कहा था हम छह माह का राशन लेकर आएं है और अब इस आंदोलन को छह महीने से अधिक हो गए है। ऐसे में सरकार को कही ये गलतफहमी न हो रही हो की हमारा आनाज खत्म हो रहा है। यही संदेश देने के लिए बॉर्डर के आस पास के गांव से ट्रैक्टरो में भरकर गेहूं लाया जा रहा है।

आगे उन्होंने कहा यह लड़ाई आर पार की है और किसान इसे जीतकर रहेगा। उसके पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है। 

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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