NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन: महाराष्ट्र से हज़ारों किसान 21 दिसंबर को करेंगे दिल्ली कूच
“2018 में नासिक से मुंबई तक किसानों के मार्च ने महाराष्ट्र में तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार के अहंकार को तोड़ दिया था। अब, मोदी सरकार का समय है।”
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
19 Dec 2020
किसान आंदोलन
फाइल फोटो

पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश और राजस्थान के बाद अब महाराष्ट्र के किसानों ने भी दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया है। हजारों किसान 21 दिसंबर को नासिक से दिल्ली के लिए रवाना होंगे।

महाराष्ट्र के 20 से अधिक जिलों के हजारों किसान 21 दिसंबर को नासिक से जुटेंगे और पिछले तीन हफ्तों से दिल्ली के आसपास डेरा डाले हुए लाखों किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष को मजबूत करने के लिए दिल्ली के लिए मार्च शुरू करेंगे। इसमें बड़ी संख्या में किसान अपनी गाड़ियों से शामिल होंगे। वे दिल्ली में 1266 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे और 24 दिसंबर को शाहजहांपुर में राजस्थान-हरियाणा सीमा पर किसान आंदोलन में शामिल होंगे।

वाहन जत्था 21 दिसंबर को दोपहर में नासिक में एक विशाल जनसभा के साथ शुरू होगा। यहां नासिक के बाद रिलायंस पेट्रोल पंप पर एक बड़े प्रदर्शन का भी आह्वान किया गया है। मध्य प्रदेश में प्रवेश करने से पहले महाराष्ट्र के नासिक और धुले जिलों में ओझर, पिंपलगाँव बसवंत, चंदवाड़, उमरेन, मालेगाँव, धुले और शिरपुर में हजारों लोगों द्वारा इन किसानों का स्वागत किया जाएगा।

यह जानकारी शुक्रवार को नासिक में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिल भारतीय किसान सभा के नेताओं ने दी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को एआईकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अशोक धवले, पूर्व राज्य अध्यक्ष और जेपी गावित, राज्य महासचिव डॉ. अजीत नवाले, राज्य के संयुक्त सचिव सुनील मालुसरे और सीटू अध्यक्ष डॉ. डीएल कराड ने संबोधित किया।

उन्होंने बताया कि किसान तीन मुख्य मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं: सरकार तीन किसान विरोधी और कॉरपोरेट विकास अधिनियमों को निरस्त करे; बिजली संशोधन विधेयक वापस ले; और एमएसपी दरों पर खरीद और उत्पादन की पूरी लागत का डेढ़ गुना मूल्य पर एमएसपी प्रदान करने के लिए कानूनी उपाय सुनिश्चित करे।

2018 में भी महाराष्ट्र के किसानों ने एआईकेएस के नेतृत्व में हज़ारों की संख्या में नासिक से लेकर मुंबई तक पैदल लौंग मार्च किया था। इसे याद करते हुए अशोक धवले ने न्यूज़क्लिक से कहा कि "नासिक से मुंबई तक किसानों के मार्च ने महाराष्ट्र में तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी की सरकार के अहंकार को तोड़ दिया था। अब, मोदी सरकार का समय है। भारत के इतिहास में किसी अन्य सरकार ने किसानों पर आंसू गैस नहीं छोड़ी हैं और न इस तरह ठंड में पानी की बौछार की थी। लेकिन इन सभी चाल को नाकाम कर किसान दिल्ली के बाहरी इलाके में पहुंचे है।"

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के किसान तीन कानूनों को रद्द करने के लिए दिल्ली में चल रही ऐतिहासिक लड़ाई में शामिल होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने कहा, "इस आंदोलन की बुनियादी मांगों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार खरीद के लिए किसी भी चाल के साथ आ सकती है, लेकिन किसानों के पास बहुत धैर्य है। हम शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन करेंगे जब तक कि किसान विरोधी कानूनों को खत्म नहीं किया जाता है।"  

धवले के अनुसार, पहले चरण में लगभग 20,000 किसानों के मार्च में शामिल होने की उम्मीद है। AIKS ने किसानों को लामबंद करने का बीड़ा उठाया, अन्य संगठन भी इसमें शामिल होने की योजना बना रहे हैं।

आपको बता दें कि किसान पिछले 24 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर इस हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में खुले आसमान के तले प्रदर्शन कर रहे हैं। वे केंद्र सरकार द्वार पारित तीन नए कृषि कानूनों को किसानों के लिए डेथ वारंट बता रहे हैं जबकि सरकार इसे किसानों के फ़ायदे में बताने पर तुली है। जिससे किसानों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। सरकार पहले जिस आंदोलन को सिर्फ पंजाब का बताकर प्रचार कर रही थी लेकिन वास्तव में अब यह पूरे देश का आंदोलन बन गया है। कई राज्यों के किसान दिल्ली बॉर्डर पर आ गए हैं जबकि कुछ आ रहे हैं। इसके साथ ही बंगाल, बिहार, तमिलनाडु आदि राज्य हैं जहाँ किसान इन्ही मांगों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं।  

Maharashtra Farmers Protest
Farmers March to Delhi
Nasik to Delhi Farmers March
Anti Farmers Policies of Modi Government
New Farm Laws
Protest Against New Farm Laws
AIKS March
Swabhimani Shetkari Sanghatana

Related Stories

किसान आंदोलन : पूरे 378 दिनों का ब्यौरा

किसान आंदोलन की जीत का जश्न कैसे मना रहे हैं प्रवासी भारतीय?

किसान आंदोलन@378 : कब, क्या और कैसे… पूरे 13 महीने का ब्योरा

किसानों की ऐतिहासिक जीत: सरकार ने सभी मांगें मानी, 11 दिसंबर से ख़ाली करेंगे मोर्चा!

किसानों की ऐतिहासिक जीत के मायने

MSP की कानूनी गारंटी ही यूपी के किसानों के लिए ठोस उपलब्धि हो सकती है

वे तो शहीद हुए हैं, मरा तो कुछ और है!

तमाम मुश्किलों के बीच किसानों की जीत की यात्रा और लोकतांत्रिक सबक़

किसान आंदोलन के एक साल बाद भी नहीं थके किसान, वही ऊर्जा और हौसले बरक़रार 

किसान आंदोलन का एक साल: ...अब MSP का पहाड़ तोड़ना बाक़ी है


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License