NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
कृषि
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान मई में संसद तक पैदल मार्च करेंगे: संयुक्त किसान मोर्चा
‘‘इसमें न केवल किसानों को, बल्कि बल्कि महिलाओं, बेरोजगार व्यक्तियों और श्रमिकों को भी शामिल किया जाएगा जो आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।’’
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
31 Mar 2021
किसान मई में संसद तक पैदल मार्च करेंगे: संयुक्त किसान मोर्चा

नयी दिल्ली:  किसान एक बार फिर केंद्र पर दबाव बढ़ाने जा रहे हैं। 26 मार्च के सफल भारत बंद के बाद अब मई में संसद तक पैदल मार्च किया जाएगा। इससे पहले 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे को जाम किया जाएगा। उधर, कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को सौंप दी है। इस समिति को लेकर शुरू में ही विवाद हो गया था और इसके एक प्रमुख सदस्य इससे अलग हो गए थे।

आपको मालूम है कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को आंदोलन करते हुए चार महीने से भी ज़्यादा हो गए हैं। 22 जनवरी की आख़िरी वार्ता के बाद केंद्र की तरफ से किसानों को बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है और अब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच राज्यों ख़ासकर पश्चिम बंगाल के चुनावों में मगन हैं। किसानों ने भी इन राज्यों में भाजपा को हराने का आह्वान करते हुए सभाएं करने की पहलकदमी की है। अब इस सबका कितना असर होता है ये आने वाला समय बताएगा, फिलहाल अपने आगामी कार्यक्रम घोषित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बुधवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान मई में ससंद तक पैदल मार्च करेंगे।

मोर्चा ने अगले दो महीनों के लिए अपनी योजनाओं की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘मोर्चा की कल बैठक हुई थी जिसमें फैसला लिया गया कि किसान संसद तक मार्च करेंगे। मार्च की तिथि अब तक तय नहीं हुई है।’’

किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘‘इसमें न केवल किसानों को, बल्कि बल्कि महिलाओं, बेरोजगार व्यक्तियों और श्रमिकों को भी शामिल किया जाएगा जो आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।’’

चढूनी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मार्च ‘‘शांतिपूर्ण ढंग’’ से निकाला जायेगा और इस बात का विशेष ध्यान रखा जायेगा कि ‘‘26 जनवरी को जो घटना हुई थी, उसकी पुनरावृत्ति नहीं हो।’’

नेताओं ने संसद मार्च में पुलिस कार्रवाई होने पर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए एक समिति बनाने संबंधी अपनी योजना भी साझा की।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारियों को स्पष्ट कर दिया जाएगा कि एसकेएम सभी प्रकार की हिंसा की निंदा करता है। इसलिए प्रदर्शनकारियों को पता होना चाहिए कि अगर उनके द्वारा संपत्ति को कोई नुकसान हुआ है, तो उन्हें जुर्माना देना होगा।’’

किसान नेताओं ने 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे को अवरुद्ध करने की भी घोषणा की।

एक अन्य किसान नेता ने कहा, ‘‘हम केएमपी एक्सप्रेसवे को 10 अप्रैल को 24 घंटे के लिए अवरुद्ध करेंगे, जो कि 10 अप्रैल को पूर्वान्ह्र 11 बजे से अगले दिन पूर्वान्ह्र 11 बजे तक होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसा इसलिए करेंगे क्योंकि सरकार हमारी नहीं सुन रही है। यह सो रही है। इस सरकार को जगाना है।’’

आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है, उनके सम्मान में छह मई को एक कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।

आंबेडकर जयंती और श्रमिक दिवस मनाने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने रिपोर्ट सौंपी

तीन नए विवादास्पद कृषि कानूनों का अध्ययन करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट 19 मार्च को एक सीलबंद लिफाफे में शीर्ष अदालत को सौंप दी है। समिति के सदस्यों में से एक ने बुधवार को यह जानकारी दी।

किसान पिछले चार महीनों से इन कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने 11 जनवरी को इन तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी थी और गतिरोध का समाधान करने के लिए चार सदस्यीय समिति नियुक्त की थी।

समिति को कानूनों का अध्ययन करने और सभी हितधारकों से चर्चा करने के लिए दो महीने का समय दिया गया था।

समिति के सदस्यों में से एक पी के मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने 19 मार्च को एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंप दी है। अब, अदालत भविष्य की कार्रवाई पर फैसला करेगी।’’

समिति की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, समिति ने किसान समूहों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की खरीद एजेंसियों, पेशेवरों, शिक्षाविदों, निजी और साथ ही राज्य कृषि विपणन बोर्डों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के कुल 12 दौर किये।

समिति ने रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले नौ आंतरिक बैठकें भी कीं।

मिश्रा के अलावा समिति के अन्य सदस्यों में शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत और कृषि अर्थशास्त्री तथा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी हैं।

समिति के चौथे सदस्य भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने कार्य शुरू करने से पहले ही समिति से खुद को अलग कर लिया था।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

farmers protest
Farm Bills
Samyukt Kisan Morcha
MSP
farmers march

Related Stories

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?

28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

कृषि बजट में कटौती करके, ‘किसान आंदोलन’ का बदला ले रही है सरकार: संयुक्त किसान मोर्चा

केंद्र सरकार को अपना वायदा याद दिलाने के लिए देशभर में सड़कों पर उतरे किसान

1982 की गौरवशाली संयुक्त हड़ताल के 40 वर्ष: वर्तमान में मेहनतकश वर्ग की एकता का महत्व


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License