NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
मध्यप्रदेश में खाद की किल्लत: 11 अक्टूबर को प्रदेशभर में होगा किसान आंदोलन
केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के चलते लगभग प्रतिवर्ष रबी की फसल के सीजन में डीएपी खाद की कमी व किल्लत हमेशा बनी रहती है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
08 Oct 2021
dap fertilizer
सांकेतिक तस्वीर।

मध्यप्रदेश में खाद की किल्लत चरम पर है। केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के चलते लगभग प्रतिवर्ष रबी की फसल के सीजन में डीएपी खाद की कमी व किल्लत हमेशा बनी रहती है। हालत यह है कि किसान सुबह से ही मंडियों में और सोसाइटीज़ पर लाइन में लग जाते हैं, शाम तक कुछ किसानों को परमिट मिल पाते हैं, कुछ दूसरे दिन सुबह 5 बजे से फिर लाइन में लगते हैं। किसान परेशान है। बदहाल है। दाने दाने खाद के लिए मोहताज है, लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही।

अखिल भारतीय किसानसभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज बताते हैं कि रबी की फसल के सीजन में किसानों को डीएपी खाद की जरूरत होती है। लेकिन सरकार द्वारा फ़र्टिलाइज़र कारखानों से जरूरत से आधा भी खाद खरीद करके नहीं रखा गया है। जिसके चलते किसानों को यह परेशानी  उठानी पड़ रही है। एक ओर खाद की कमी दूसरी ओर किसानों की लूट भी जारी है। सोसाइटीज पर डीएपी खाद की रेट 1200 रुपेय प्रति बैग है। लेकिन उपलब्ध नहीं होने से किसानों को बाजार से  1500 रुपये में लेना पड़ रहा है और ऊपर से उसमें भी नकली खाद की भरमार है। सोसाइटीज पर एक आधार कार्ड पर मात्र दो बैग डीएपी खाद दिया जा रहा है। जबकि एक हैक्टेयर गेहूं की फसल के लिए लगभग पांच बैग डीएपी और सरसों चना में लगभग 2 बैग डीएपी खाद की जरूरत होती है। इसकी वजह यह है कि सरकार सोसाइटीज को पर्याप्त सप्लाई नहीं कर पा रही है। केंद्र व राज्य सरकार दोनों ही इसके लिए उत्तरदायी हैं। किसानों की इस लूट के लिए भाजपा सरकार, कॉरपोरेट कंपनियों तथा बड़े व्यापारी और राजनेताओं का गठबंधन उत्तरदायी है। खाद की किल्लत प्रदेश व्यापी है।

यही हालत एनपीके खाद की भी है। जिसकी कीमत 1185 रुपये प्रति बैग है। वह भी बाजार में 1500 रुपये प्रति बैग मिल रहा है। अब एनपीके की रेट बढ़ कर 1700 रुपये प्रति बैग हो गई है। नियमानुसार 75% खाद सोसाइटीज से व 25% मार्केट से बेचा जाता है। अब उसे भी बदलकर 50 - 50% कर दिया है। अब किसानों को परेशान करके बाजार की ओर धकेलने का कुत्सित प्रयास सरकार कर रही है। मजबूरन किसानों को महंगे दामों पर बाजार से खाद खरीदना पड़ रहा है। यह मध्यप्रदेश में तीनों कृषि विरोधी काले कानूनों को लागू करने की रिहर्सल है।

अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज, मध्य प्रदेश किसान सभा अध्यक्ष रामनारायण कुररिया, उपाध्यक्ष अशोक तिवारी ने केंद्र व राज्य सरकारों को खाद के कमी के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मांग की है कि - किसानों को पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद और बाद में यूरिया खाद उपलब्ध कराया जाए, फिलहाल डीएपी खाद के लिए तहसील मुख्यालयों पर कम से कम प्रति तहसील मुख्यालय 25 काउंटर लगाए जाएं। समुचित मात्रा में खाद का आवंटन व उठाव सुनिश्चित किया जाए, आधार कार्ड से दो बैग खाद देने के बजाय जरूरत के मुताबिक किसानों को जमीन के  रकबे के अनुसार भू अधिकार पुस्तिका के आधार पर उपलब्ध कराया जाए,  थोक व खेरीज व्यापारियों से स्टॉक किया हुआ खाद निकलवाया जाए और उसे सरकारी रेट से किसानों को दिलाया जाए। इसके लिए आवश्यकतानुसार आवश्यक वस्तु अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया जाए और जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

किसानसभा नेताओं ने कहा है कि सरकार को यह कदम तत्काल उठाना  चाहिए। किसानों को आवश्यकतानुसार खाद मुहैया कराना चाहिए। जरूरत के हिसाब से खाद का खरीदना व आवंटन करना सुनिश्चित किया जाए। प्रदेश में किसानों की इस दुर्दशा के खिलाफ खाद की किल्लत के विरोध में मध्य प्रदेश किसान सभा ने प्रदेश भर में 11 अक्टूबर को विरोध कार्रवाईयां आयोजित करने का आह्वान किया है। इस दिन प्रदेश भर में किसानों द्वारा तहसील व जिला मुख्यालयों पर धरना, प्रदर्शन, आंदोलन किए जाएंगे। सरकार और प्रशासन को खाद की कमी को दूर करने के लिए, किसानों को खाद मुहैया कराने के लिए बाध्य किया जाएगा।

Madhya Pradesh
Fertilizer shortage in MP
Fertilizer shortage
farmers protest
kisan andolan

Related Stories

सिवनी मॉब लिंचिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे आदिवासी, गरमाई राजनीति, दाहोद में गरजे राहुल

मध्यप्रदेश: गौकशी के नाम पर आदिवासियों की हत्या का विरोध, पूरी तरह बंद रहा सिवनी

राम सेना और बजरंग दल को आतंकी संगठन घोषित करने की किसान संगठनों की मांग

एमपी : ओबीसी चयनित शिक्षक कोटे के आधार पर नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

मध्य प्रदेश : आशा ऊषा कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन से पहले पुलिस ने किया यूनियन नेताओं को गिरफ़्तार

यूपी चुनाव: किसान-आंदोलन के गढ़ से चली परिवर्तन की पछुआ बयार

किसानों को आंदोलन और राजनीति दोनों को साधना होगा

बाल विवाह विधेयक: ग़ैर-बराबरी जब एक आदर्श बन जाती है, क़ानून तब निरर्थक हो जाते हैं!


बाकी खबरें

  • सुहित के सेन
    हिन्दू दक्षिणपंथ द्वारा नफरत फैलाने से सांप्रदायिक संकेतों वाली राजनीति बढ़ जाती है  
    08 Apr 2022
    पत्रकारों और अल्पसंख्यकों पर हमले और भाजपा सरकारों के बदतर शासन के रिकॉर्ड दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
  • लाल बहादुर सिंह
    MSP पर लड़ने के सिवा किसानों के पास रास्ता ही क्या है?
    08 Apr 2022
    एक ओर किसान आंदोलन की नई हलचलों का दौर शुरू हो रहा है, दूसरी ओर उसके ख़िलाफ़ साज़िशों का जाल भी बुना जा रहा है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मिड-डे-मील में लापरवाहीः बिहार के बाद राजस्थान में खाने के बाद 22 बच्चे बीमार
    08 Apr 2022
    मिड-डे-मील योजना में लापरवाही से बच्चों के बीमार पड़ने की ख़बरें अक्सर आती रही हैं। ताज़ा मामला राजस्थान का है जहां इस भोजन के करने के बाद 22 बच्चों के बीमार होने की बात सामने आई है।
  • रवि शंकर दुबे
    यूपी एमएलसी चुनाव: भाजपा-सपा की सीधी टक्कर
    08 Apr 2022
    उत्तर प्रदेश में एमएलसी चुनाव भी बेहद दिलचस्प होने वाले हैं, क्योंकि ज्यादातर सीटों पर भाजपा-सपा के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है तो कहीं-कहीं बाहुबलियों के करीबी अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं।
  • मार्को फर्नांडेज़
    चीन और लैटिन अमेरिका के गहरे होते संबंधों पर बनी है अमेरिका की नज़र
    08 Apr 2022
    अमेरिकी में विदेश नीति के विशेषज्ञ लैटिन अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों को लेकर सतर्क हो गए हैं, यह भावना आने वाले वक़्त में और भी तेज़ होगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License