NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
प्रदर्शन के लिये मामले दर्ज करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कटौती : न्यायमूर्ति लोकुर
‘‘कैसे न्यायपालिका लोकतंत्र को बचा सकती है? क्या यह कुछ हद तक खुद को बचा सकती है? मैं नहीं जानता। मैं आप पर-नागरिकों पर छोड़ रहा हूं।’’
भाषा
30 Apr 2021
मदन बी लोकुर

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने कहा है कि सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर मामले दर्ज करना वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कटौती है।

न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, ‘‘हाल के समय में अभिव्यक्ति से संबंधित राजद्रोह के मामलों में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। राजद्रोह बेहद गंभीर आरोप है। हमारे यहां गांधीजी, लोक मान्य तिलक जैसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन पर राजद्रोह के आरोप लगाए गए और आज आम आदमी पर राजद्रोह के आरोप लगाए जा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे तो 3700 लोगों के खिलाफ राजद्रोह के 25 मामले दायर किये गए थे। जब हाथरस में एक युवती से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या की घटना हुई तो 23 लोगों के खिलाफ राजद्रोह के 22 मामले दायर किये गए। सामूहिक बलात्कार और हत्या पर आपत्ति जताने वाला कोई व्यक्ति क्या राजद्रोह का आरोपी हो सकता है?’’

न्यायमूर्ति लोकुर ने मधु बाबू मेमोरियल लेक्चर के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। इसका आयोजन ओडिशा डायलॉग्स ने बुधवार को किया, जिसका विषय था, ‘‘क्या भारत की न्यायपालिका लोकतंत्र को बचा सकती है।’’

उन्होंने उत्तर प्रदेश की एक हालिया घटना का उल्लेख किया जिसमें एक व्यक्ति ने अपने 88 वर्षीय बीमार दादा के लिये ऑक्सीजन मुहैया कराने की मांग की थी। अमेठी पुलिस ने उसके खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और उस पर लोगों के बीच डर पैदा करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर मदद मांगता है तो क्या वह कोई अपराध कर रहा है? ये तरीके और साधन हैं, जिनके जरिये वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कटौती की जा रही है।’’

न्यायमूर्ति लोकुर ने न्यायपालिका की हालत पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, ‘‘न्यायपालिका को पहले अपने घर को व्यवस्थित करना चाहिये।’’

उन्होंने कहा, ‘‘न्यायाधीशों की नियुक्ति को महीनों और कुछ मामलों में वर्षों लटकाया जा रहा है। आधारभूत संरचना की काफी कमी है। उच्च न्यायालयों में 40 फीसदी और निचली अदालतों में 20 फीसदी रिक्तियां हैं। न्यायपालिका के कामकाज में पारदर्शिता का अभाव है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संदेह की नजरों से देखा जा रहा है।’’

उन्होंने न्यायपालिका की मौजूदा हालत का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘हमें गंभीरता से आत्ममंथन करने की जरूरत है। क्या हम सही चीजें कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कैसे न्यायपालिका लोकतंत्र को बचा सकती है? क्या यह कुछ हद तक खुद को बचा सकती है? मैं नहीं जानता। मैं आप पर-नागरिकों पर छोड़ रहा हूं।’’

न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव, मौलिक स्वतंत्रता और न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारतीय लोकतंत्र के कुछ घटक हैं।

चुनावों में चुनावी बांड के इस्तेमाल पर न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि अपारदर्शी चुनावी बांड के जरिये सैकड़ों करोड़ रुपये जुटाए जा रहे हैं और ऐसे समय में राज्य चुनावों पर खर्च किये जा रहे हैं, जब देश महामारी से लड़ने के लिये संसाधनों की कमी से जूझ रहा है।

Justice Madan Lokur
Supreme Court

Related Stories

ज्ञानवापी मस्जिद के ख़िलाफ़ दाख़िल सभी याचिकाएं एक दूसरे की कॉपी-पेस्ट!

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

मायके और ससुराल दोनों घरों में महिलाओं को रहने का पूरा अधिकार

जब "आतंक" पर क्लीनचिट, तो उमर खालिद जेल में क्यों ?

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

तेलंगाना एनकाउंटर की गुत्थी तो सुलझ गई लेकिन अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

मलियाना कांडः 72 मौतें, क्रूर व्यवस्था से न्याय की आस हारते 35 साल

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?


बाकी खबरें

  • cartoon
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ख़बर भी-नज़र भी: दुनिया को खाद्य आपूर्ति का दावा और गेहूं निर्यात पर रोक
    14 May 2022
    एक तरफ़ अभी कुछ दिन पहले हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि अगर विश्व व्यापार संगठन (WTO) भारत को अनुमति देता है, तो हमारा देश अपने खाद्य भंडार से दुनिया को खाद्य आपूर्ति कर सकता है,…
  • aadhar
    भाषा
    आधार को मतदाता सूची से जोड़ने पर नियम जल्द जारी हो सकते हैं : मुख्य निर्वाचन आयुक्त
    14 May 2022
    "यह स्वैच्छिक होगा। लेकिन मतदाताओं को अपना आधार नंबर न देने के लिए पर्याप्त वजह बतानी होगी।"
  • IPC
    सारा थानावाला
    LIC IPO: कैसे भारत का सबसे बड़ा निजीकरण घोटाला है!
    14 May 2022
    वी. श्रीधर, सार्वजनिक क्षेत्र और सार्वजनिक सेवाओं पर जन आयोग के सदस्य साक्षात्कार के माध्यम से बता रहे हैं कि एलआईसी आईपीओ कैसे सबसे बड़ा निजीकरण घोटाला है।
  • congress
    रवि शंकर दुबे
    इतिहास कहता है- ‘’चिंतन शिविर’’ भी नहीं बदल सका कांग्रेस की किस्मत
    14 May 2022
    देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस चुनावों में जीत के लिए पहले भी चिंतन शिविर करती रही है, लेकिन ये शिविर कांग्रेस के लिए इतने कारगर नहीं रहे हैं।
  • asianet
    श्याम मीरा सिंह
    लता के अंतिम संस्कार में शाहरुख़, शिवकुमार की अंत्येष्टि में ज़ाकिर की तस्वीरें, कुछ लोगों को क्यों चुभती हैं?
    14 May 2022
    “बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख़, मशहूर गायिका लता मंगेशकर के अंत्येष्टि कार्यक्रम में श्रद्धांजलि देने गए हुए थे। ऐसे माहौल में जबकि सारी व्याख्याएँ व्यक्ति के धर्म के नज़रिए से की जा रही हैं, वैसे में…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License