NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने की याचिकाओं पर 30 नवंबर को अंतिम सुनवाई
पहली याचिका में, अभिजीत अय्यर मित्रा और तीन अन्य ने तर्क दिया है कि उच्चतम न्यायालय के दो वयस्कों के बीच सहमति से अप्राकृतिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर किये जाने के बावजूद समलैंगिक विवाह संभव नहीं है।
भाषा
26 Oct 2021
delhi high court

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिक जोड़ों की उन दो याचिकाओं सहित अलग-अलग याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के लिए सोमवार को 30 नवंबर को सूचीबद्ध कर दिया, जिनमें विशेष, हिंदू और विदेशी विवाह कानूनों के तहत समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने का अनुरोध किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मामले में पक्षकारों को जवाब और प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए समय दिया और इसे 30 नवंबर को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

पहली याचिका में, अभिजीत अय्यर मित्रा और तीन अन्य ने तर्क दिया है कि उच्चतम न्यायालय के दो वयस्कों के बीच सहमति से अप्राकृतिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर किये जाने के बावजूद समलैंगिक विवाह संभव नहीं है। याचिका में हिंदू विवाह अधिनियम (एचएमए) और विशेष विवाह अधिनियम (एसएमए) के तहत उन्हें मान्यता देने की घोषणा करने का अनुरोध किया गया है।

दो अन्य याचिकाओं में से एक विशेष विवाह कानून के तहत शादी करने के अनुरोध को लेकर दो महिलाओं ने दाखिल की है जबकि दूसरी याचिका दो पुरुषों की है जिन्होंने अमेरिका में शादी की लेकिन विदेशी विवाह अधिनियम (एफएमए) के तहत उनकी शादी के पंजीकरण से इनकार कर दिया गया।

एक अन्य याचिका में भारत के प्रवासी नागरिक (ओसीआई) कार्डधारक के विदेशी मूल के पति या पत्नी को लिंग या यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना ओसीआई पंजीकरण के लिए आवेदन करने की अनुमति देने अनुरोध किया गया है।

याचिकाकर्ता एक विवाहित समलैंगिक जोड़ा हैं - जॉयदीप सेनगुप्ता, एक ओसीआई और रसेल ब्लेन स्टीफंस, एक अमेरिकी नागरिक और मारियो डेपेन्हा, एक भारतीय नागरिक और एक क्वीर राइट्स अकादमिक और कार्यकर्ता है जो रटगर्स विश्वविद्यालय, अमेरिका में पीएचडी कर रहे हैं।

सुनवाई के दौरान, दंपति की ओर से पेश अधिवक्ता करुणा नंदी ने कहा कि उन्होंने न्यूयॉर्क में शादी की और उनके मामले में नागरिकता अधिनियम, विदेशी विवाह कानून और हिन्दू विवाह कानून कानून लागू हैं।

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि एक ‘जीवनसाथी’ का अर्थ पति या पत्नी है और ‘विवाह’ विषमलैंगिक जोड़ों से जुड़ा एक शब्द है और नागरिकता अधिनियम के संबंध में एक विशिष्ट उत्तर दाखिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

समान अधिकार कार्यकर्ता मित्रा, गोपी शंकर एम, गीता थडानी और जी ऊरवासी की याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से मुक्त कर दिया है लेकिन हिन्दू विवाह कानून के प्रावधानों के तहत समलैंगिक विवाह को अभी भी अनुमति नहीं दी जा रही है।

same sex marriage
Delhi High court

Related Stories

दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया

समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल

बग्गा मामला: उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से पंजाब पुलिस की याचिका पर जवाब मांगा

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

दिल्ली दंगों के दो साल: इंसाफ़ के लिए भटकते पीड़ित, तारीख़ पर मिलती तारीख़

अदालत ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के 44 हजार बच्चों के दाख़िले पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा

दिल्ली: तुगलकाबाद के सांसी कैंप की बेदखली के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दी राहत

मैरिटल रेप: घरेलू मसले से ज़्यादा एक जघन्य अपराध है, जिसकी अब तक कोई सज़ा नहीं

मैरिटल रेप को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त, क्या अब ख़त्म होगा महिलाओं का संघर्ष?

ख़बर भी, नज़र भी: भाजपा के अपने ही बाग़ी हुए जा रहे हैं


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License