NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
समलैंगिक साथ रहने के लिए 'आज़ाद’, केरल हाई कोर्ट का फैसला एक मिसाल
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं, उन्हें एॉब्नार्मल माना जाता है। ऐसे में एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति देने वाला केरल हाई कोर्ट का फैसला बदलाव की एक मिसाल है।
सोनिया यादव
02 Jun 2022
 high court
Image courtesy : Commons

प्राइड मंथ की शुरुआत के साथ ही केरल हाई कोर्ट ने समलैंगिकता को लेकर एक नज़ीर पेश करने वाला फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दो बालिक लोग अपनी मर्ज़ी से साथ रहना चाहें तो रह सकते हैं। कोर्ट ने सोमवार, 30 मई को एक अहम फ़ैसला सुनाते हुए केरल के एक लेस्बियन कपल को एक साथ रहने की अनुमति देते हुए उन्हें आज़ाद घोषित कर दिया।

बता दें कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सामने आया था। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को असंवैधानिक करार देते हुए समलैंगिकता को कानूनी मान्यता दे दी थी। आईपीसी का ये प्रावधान समलैंगिक जोड़ों के सेक्स को अप्राकृतिक मानता था। लेकिन आज भी एलजीबीटी कम्युनिटी के लोग देश में भेदभाव का सामना करते हैं। समाज का एक बड़ा तबका समलैंगिक लोगों को ना तो नॉर्मल मानता हैं और ना ही उन्हें इज्ज़त की नज़रों से देखता है। ऐसे में केरल हाई कोर्ट का लेस्बियन कपल के हक में ये फैसला एक बेहतरीन मिसाल है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक केरल की रहने वाली 22 साल की आदिला नसरीन ने अदालत में हेबियस कॉर्पस दायर कर आरोप लगाया था कि उनकी पार्टनर फातिमा नूरा के परिवारवालों ने उन दोनों को अलग कर दिया है और उसे ज़बरदस्ती अपने साथ ले गए हैं। कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई के दौरान आदिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि दो बालिक लोग अपनी मर्ज़ी से साथ रहना चाहें तो रह सकते हैं।

सुनवाई के दौरान जस्टिस विनोद चंद्रन ने पुलिस का आदेश दिया कि नूरा को अदालत में पेश किया जाए। जिसके बाद नूरा के परिवारवालों को उसे कोर्ट में पेश करना पड़ा। इन दो महिलाओं की मुलाकात सौदी अरब में में हुई थी, जब ये दोनों वहां पढ़ रहीं थी। इसके बाद दोनों ने साथ रहने का फैसला किया था। मगर दोनों के ही घरवाले इनके इस फैसले के खिलाफ थे।

एक प्रमुख न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट के अनुसार आदिला ने अपनी याचिका में बताया था, “19 मई को मैं कोझीकोड पहुंची और फातिमा से मिली। कुछ दिनों के लिए हम कोझीकोड के ही एक शेल्टर होम में रहे। मगर जल्द ही इनके रिश्तेदारों ने दोनों को ढूंढ निकाला। नसरीन के रिश्तेदार दोनों को अलूवा ले गए और कुछ दिनों बाद नूरा का परिवार उसे अदालत में पेश करने की बात कह कर उसे साथ ले गया। जब कई दिनों तक नसरीन को नूरा की कोई खबर नहीं मिली तो वो कोर्ट पहुंची।"

खबरों के अनुसार 29 मई को आदिला और नूरा ने फोन पर बात की थी। नूरा ने इशारे से आदिला को बताया कि उसके परिवार वाले उसे कन्वर्ज़न थेरेपी के लिए मजबूर कर रहे हैं। इसके बाद ही आदिला ने एनजीओ की मदद से केरल हाई कोर्ट में हेबियस कॉर्पस याचिका दायर किया था। कन्वर्ज़न थेरेपी कथित तौर पर किसी के सेक्शुअल ओरिएंटेशन या जेंडर आइडेंटिटी को बदलने का दावा है। ये थेरेपी इस सिद्धांत पर काम करती है कि समलैंगिक होना कोई बीमारी है। जबकि किसी का समलैंगिक होना एकदम नैचुरल है और कई देशों में कन्वर्ज़न थेरपी प्रतिबंधित भी है।

इस दौरान आदिला ने अपने मामले की तरफ लोगों का ध्यान खींचने के लिए सोशल मीडिया का सहारा भी लिया। 22 साल की आदिला ने बताया था कि उन्हें उनका पार्टनर से बिना उनकी सहमति के अलग कर दिया गया था और पुलिस ने इस मामले में उनकी कोई मदद नहीं की थी। अब केरल हाई कोर्ट के आदेश के बाद दोनों साथ रहने के लिए 'आज़ाद' तो हैं लेकिन अभी भी उन्हें अपने घरवालों का डर सता रहा है।

फैसले के बाद की प्रतिक्रिया

कोर्ट का फैसला अपने पक्ष में आने के बाद आदिला ने मीडिया से कहा, "असल में यह बेहद मुश्किल था। यह सब भावनात्मक तौर पर तोड़ देने वाला था। मैं बेसुध सी थी, मुझे एलजीबीटी कम्युनिटी में बहुत सारे लोगों का साथ मिला। सबने मेरी काफी मदद की और समर्थन किया। उनकी मदद से और हाईकोर्ट के आदेश की बदौलत अब हम खुश और आज़ाद हैं।"

आदिला ने आगे कहा, "असल में हम पूरी तरह आज़ाद नहीं हैं। क्योंकि हमारा परिवार अब भी हमें धमका रहा है, ख़ासकर फ़ातिमा का परिवार। दरअसल उन्होंने हाई कोर्ट में सहमति जताई थी। लेकिन जब हम साथ रहने लगे तो वो हमें बुलाने लगे और इमोशनली ब्लैकमेल करने लगे, यह बहुत बुरा था। लंबे तनाव के बाद हमने एक बार फिर साथ में सफ़र शुरू किया है। मेरे परिवार ने मुझसे कोई बात नहीं की। उन्होंने कहा कि वो मुझसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते। उन्होंने मुझे अस्वीकार कर दिया। मुझे नहीं पता कि वो बाद में बात करेंगे या नहीं। अभी हम लोगों की नौकरी चेन्नई में है। इसलिए हम फिलहाल वहां जाएंगे।"

उधर फ़ातिमा ने मंगलवार, 31 मई को एक टीवी चैनल से कहा, "इतने सालों से हम अपने घरों में घुटते रहे थे। मैं कोर्ट के आदेश से बहुत खुश हूं. मैं अब हल्का महसूस कर रही हूं। वो (परिवार के लोग) सपोर्ट कर रहे थे। मुझे नहीं पता कि ये झूठा दिखावा था या नहीं। लेकिन मेरी मां ने कहा कि वो हमारी रिलेशनशिप को सपोर्ट करेगी, हमारी आर्थिक मदद करेगी. लेकिन हमें सुनना चाहिए कि वो क्या कहती हैं, जैसे उन्होंने हमें वापस सऊदी जाने और वहीं बसने के लिए कहा. लेकिन हम ऐसा नहीं करना चाहते।"

केरल हाई कोर्ट का फैसला बदलाव की एक मिसाल

गौरतलब है कि देश में समलैंगिकों के अधिकारों के पक्ष में आंदोलन होते रहे हैं लेकिन इसका असर ज़्यादातर बड़े शहरों में ही देखा गया है। साल 2018 में भा केरल हाई कोर्ट में ऐसे ही एक अन्य लेस्बियन कपल का मामला सामने आया था। वे दोनों साथ रहना चाहते थे लेकिन एक साथी का कहना था कि उनकी पार्टनर को घरवालों ने उन्हें जबरन बंधक बना रखा है। केरल हाई कोर्ट ने तब भी उस जोड़े के पक्ष में ही फ़ैसला दिया था। अब एक बार फिर केरल हाई कोर्ट का ये फैसला भारत के समलैंगिक जोड़ों के लिए एक बड़ा और सकारात्मक कदम हो सकता है, जिन्हें अक्सर साथ में घर देने से मना कर दिया जाता है और दूसरे कई तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

Kerala high court
Homosexuality law
Homosexual
same sex marriage
Equal Rights for All
Supreme Court
LGBTQ
LGBTQ Rights

Related Stories

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश : सेक्स वर्कर्स भी सम्मान की हकदार, सेक्स वर्क भी एक पेशा

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

नफ़रत फैलाने वाले भाषण देने का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

वैवाहिक बलात्कार में छूट संविधान का बेशर्म उल्लंघन

समलैंगिक शादियों की कानूनी मान्यता क्यों ज़रूरी है?

"रेप एज़ सिडक्शन" : बहलाने-फुसलाने से आगे की बात

मराठा आरक्षण: उच्चतम न्यायालय ने अति महत्वपूर्ण मुद्दे पर सभी राज्यों को नोटिस जारी किए

समलैंगिक विवाह को हमारा कानून, समाज और मूल्य मान्यता नहीं देते: केंद्र ने अदालत से कहा


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: 2047 की बात है
    22 May 2022
    अब सुनते हैं कि जीएसटी काउंसिल ने सरकार जी के बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए सांस लेने पर भी जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।
  • विजय विनीत
    बनारस में ये हैं इंसानियत की भाषा सिखाने वाले मज़हबी मरकज़
    22 May 2022
    बनारस का संकटमोचन मंदिर ऐसा धार्मिक स्थल है जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने के लिए हमेशा नई गाथा लिखता रहा है। सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले इस मंदिर में हर साल गीत-संगीत की…
  • संजय रॉय
    महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 
    22 May 2022
    पेट्रोलियम उत्पादों पर हर प्रकार के केंद्रीय उपकरों को हटा देने और सरकार के इस कथन को खारिज करने यही सबसे उचित समय है कि अमीरों की तुलना में गरीबों को उच्चतर कीमतों से कम नुकसान होता है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 
    21 May 2022
    अठारह घंटे से बढ़ाकर अब से दिन में बीस-बीस घंटा लगाएंगेे, तब कहीं जाकर 2025 में मोदी जी नये इंडिया का उद्ïघाटन कर पाएंगे। तब तक महंगाई, बेकारी वगैरह का शोर मचाकर, जो इस साधना में बाधा डालते पाए…
  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप
    21 May 2022
    पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ क्य है? दिल्ली के दो लोगों ने अपनी धार्मिक भावना को ठेस लगने की शिकायत की और दिल्ली…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License