NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
घटना-दुर्घटना
नज़रिया
साहित्य-संस्कृति
भारत
राजनीति
गौरी लंकेश : आँखें बंद कर जीने से तो अच्छा है आँखें खोलकर मर जाना
ख़बर : गौरी लंकेश ने आँखें दान कीं/ क्या ख़ूब!/ अब क्या होगा/ हत्यारे पहचाने जाएंगे?
नहीं, कभी नहीं/ क्योंकि वे कभी छिपे ही नहीं थे…
मुकुल सरल
05 Sep 2020
गौरी लंकेश
फोटो साभार : सोशल मीडिया

आज पत्रकार गौरी लंकेश की शहादत का दिन है। वे एक बेहद बहादुर पत्रकार थीं और जन की आवाज़। वे कन्नड़ में 'लंकेश पत्रिका' निकाल रहीं थीं जो उनके पिता पी लंकेश ने शुरू की थी। शायद यही वजह थी कि वे लगातार दक्षिणपंथी ताकतों के निशाने पर रहीं।

आज ही के दिन 5 सितंबर, 2017 को बेंगलुरु में उन्हें उनके घर के बाहर गोली मार दी गई थी। इससे पहले बिल्कुल इसी तरह 30 अगस्त 2015 को कन्नड़ विद्वान डॉ. एमएम कलबुर्गी की हत्या कर दी गई थी। और उनसे पहले तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या की गई। सबका पैटर्न लगभग एक था और शायद मकसद भी- सच की आवाज़ को ख़त्म करना। लेकिन आवाज़ कभी नहीं मरती। विचार हमेशा ज़िंदा रहते हैं।

5 सितंबर, 2015 को लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले संघर्षशील अमनपसंद लोगों ने कलबुर्गी, दाभोलकर और पानसरे के इंसाफ़ के लिए दिल्ली समेत देशभर में आवाज़ बुलंद की और 2017 के बाद इसमें गौरी लंकेश का नाम और जुड़ गया। गौरी लंकेश की इच्छा के अनुसार मृत्यु के बाद उनकी आंखें दान कर दी गईं। इसी बात को प्रतीक बनाते हुए मैंने अगले दिन 6 सितंबर, 2017 को एक कविता लिखी।

आइए श्रद्धांजलि स्वरूप पढ़ते हैं गौरी लंकेश को समर्पित यह कविता-  

गौरी लंकेश

 

ख़बर : गौरी लंकेश ने आँखें दान कीं

क्या ख़ूब !

अब क्या होगा

हत्यारे पहचाने जाएंगे ? 

नहीं, कभी नहीं

क्योंकि वे कभी छिपे ही नहीं थे 

 

वे तो थे हमेशा से हमारे सामने

हमारे अपने

हम में से ही एक

‘हिन्दू राष्ट्र’ का जयघोष करते हुए 

बस हमारे पास आँखें नहीं थीं

गौरी जैसी आँखें

...

सुना है किसी ‘नर इंद्र ’ को लगाई जाएंगी गौरी की आँखें

सुना है कोई ‘निखिल दधीच ’ भी है लाइन में

उसने ट्विटर पर किया है आवेदन

कोई ‘जागृति ’ भी है आँखों की तलबगार 

चाहता हूं इन सबको मिल जाएं आँखें

नहीं...नहीं...इसलिए नहीं कि ये ख़ुद पर शर्मिंदा हों

बल्कि इसलिए कि उनकी दुनिया में कुछ उजाला हो सके

इसलिए कि हमारी दुनिया कुछ बेहतर हो सके

...

एक गौरी की आँखें किस-किस को मिलेंगी ? 

किस-किसको लगेंगी ? 

कई चाहे तो मेरी आँखें ले सकता है

क्या कहा ?- इसके लिए मुझे मरना पड़ेगा !

हाँ, आँखें बंद कर जीने से तो अच्छा है

आँखें खोलकर मर जाना

...

इसे भी पढ़ें : तुम कैसे मारोगे-कितनों को मारोगे/तुम्हारे पास इतनी बंदूकें नहीं/जितने हमारे पास क़लम हैं

gauri lankesh
Indian journalist
Martyrdom Day
Gauri Lankesh murder

Related Stories

मोदी युग में डॉक्यूमेंट्री : आनंद पटवर्धन की फिल्म 'विवेक' यू ट्यूब पर किस्तों में जारी


बाकी खबरें

  • वसीम अकरम त्यागी
    ‘हेट स्पीच’ के मामले 6 गुना बढ़े, कब कसेगा क़ानून का शिकंजा?
    15 Apr 2022
    2014 में देश में हेट स्पीच के कुल 336 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2020 में 1,804 मामले दर्ज हुए हैं। कुल मिलाकर सात साल में हेट स्पीच के मामले छह गुना तक बढ़े हैं।
  • राज वाल्मीकि
    बाबा साहेब की राह पर चल देश को नफ़रती उन्माद से बचाने का संकल्प
    15 Apr 2022
    आंबेडकर जयंती पर संसद मार्ग पर लगे जनता मेले में लोग फ़ासीवादी ताक़तों और उनके नफ़रती उन्माद की चर्चा करते नज़र आए। वर्तमान व्यवस्था  पर लोग आक्रोशित नज़र आए और ये संकल्प ले रहे थे कि इस नफ़रती…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट : दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते कोरोना के मामले
    15 Apr 2022
    देश में 24 घंटों में कोरोना के 949 नए मामले सामने आए हैं। इनमे से क़रीब 35 फ़ीसदी यानी 325 नए मामले दिल्ली से सामने आए हैं।
  • पुलकित कुमार शर्मा
    क्या देश में कोरोना के नए XE वैरिएंट से चौथी लहर का ख़तरा?
    15 Apr 2022
    दुनियाभर के कई देशों में कोरोना के नए XE वैरिएंट के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    रूस के यूक्रेन ऑपरेशन की कोई समय सीमा नहीं है
    15 Apr 2022
    बुधवार को पुतिन द्वारा की गई टिप्पणी से पता चलता है कि रूस किसी भी क़ीमत पर जल्दबाज़ी में हासिल की जाने वाली जीत की तलाश में नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License