NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
शिक्षा
भारत
राजनीति
तो क्या अब सिलेबस पढ़ाना भी अपराध हो गया है?
मामला गोवा के वीएम सालगांवकर लॉ कॉलेज का है। जहां एबीवीपी ने एक असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है।
राज कुमार
23 Oct 2020
vm salgaocar college of law goa

गोवा के वीएम सालगांवकर लॉ कॉलेज में अखिल भारीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने कॉलेज प्रिंसिपल को पत्र लिखकर राजनीति विज्ञान की प्राध्यापिका शिल्पा एसपी सिंह को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है। एबीवीपी ने पत्र में आगाह किया है कि अगर 24 घंटे के अंदर कॉलेज प्रशासन ने एक्शन नहीं लिया तोएबीवीपी कॉलेज के ख़िलाफ़ तीव्र आंदोलन करेगी।

क्या है पूरा मामला

19 अक्टूबर को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कोंकण राज्य की सह-सचिव प्रभा नाईक ने असिस्टेंट प्रोफ़ेसर शिल्पा सिंह के ख़िलाफ़ वीएम सालगांवकर कॉलेज के प्रिंसिपल को पत्र लिखकर शिकायत की है। एबीवीपी ने मांग की है कि उन्हें तुरंत कॉलेज से बर्खास्त कर दिया जाये।

1_42.JPG

एबीवीपी ने प्रोफ़ेसर शिल्पा पर आरोप लगाया है कि वो कॉलेज में सौहार्द को बिगाड़ रही हैं। वो कक्षा में एक खास धर्म, संप्रदाय और समूह के बारे में ऩफरत फैला रही हैं। वो ऩफ़रती और भड़काऊ वक्तव्य दे रही हैं। सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ रही हैं और सांप्रदायिकता फैला रही है। प्रोफ़ेसर कक्षा में तथ्यों को गलत ढंग से तोड़-मरोड़कर पेश करती है।

एबीवीपी ने पत्र में लिखा है कि प्रोफ़ेसर शिल्पा सिंह की ऑनलाइन क्लास की एक रिकॉर्डिंग में उन्होंने देखा है कि शिल्पा सिंह एक खास धर्म के बारे में बेबुनियादी और झूठी जानकारियां, गलत आंकड़े दे रही हैं और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर एक धर्म के ख़िलाफ़ नफ़रत फैला रही हैं।

गौरतलब है कि एबीवीपी ने अपने पत्र में प्रोफ़ेसर शिल्पा द्वारा कही किसी भी बात और जानकारी आदि को ठोस रूप से इनवर्टिड कोमा में नहीं बताया है। उनके लेक्चर के किसी भी हिस्से को उद्धृत नहीं किया गया है। साफतौर पर नहीं बताया गया है कि क्या गलत जानकारी दी गई है। वो वैसा क्या कह रही हैं जिससे एबीवीपी को लगता है कि नफ़रत फैल रही है।

कॉलेज का रवैया

कॉलेज प्रशासन ने एबीवीपी के इस पत्र का संज्ञान लेकर प्रोफ़ेसर शिल्पा को नोटिस जारी किया है और उन्हें एक सप्ताह के अंदर अपना पक्ष रखने को कहा गया है। प्रोफ़ेसर शिल्पा को ये नोटिस 19 अक्टूबर को ही जारी किया गया। यानी कॉलेज के प्रिंसिपल ने एबीवीपी की शिकायत का तुरंत संज्ञान लिया है।

कॉलेज के केंद्रीय मूल्यों पर नज़र डालेंगे तो पाएंगे कि विचारों की स्वतंत्रता और नयापन कॉलेज का केंद्रीय मूल्य है। इसके अलावा वैज्ञानिक दृष्टिकोण, लगातार खोजबीन और सुधार भी कॉलेज का केंद्रीय मूल्य है। शायद कॉलेज इस बात को समझता होगा कि कक्षा में खुले विमर्श की संस्कृति के बिना ये मूल्य मात्र वेबसाइट पर ही रह जाएंगे। देखना होगा कि क्या कॉलेज अपने इन मूल्यों पर बरकरार रह पाएगा? क्या कक्षा में स्वस्थ और खुले विमर्श की संस्कृति के पक्ष में खड़ा रह पाएगा या एबीवीपी इन मूल्यों को आसानी से हाशिये पर धकेल देगी।

2_42.JPG

कौन हैं प्रोफ़ेसर शिल्पा एसपी सिंह?

प्रोफ़ेसर शिल्पा सिंह वीएम सालगांवकर लॉ कॉलेज में राजनीति विज्ञान पढ़ाती हैं। एक अनुभवी अध्यापिका हैं और शोध एवं शैक्षिक रिकॉर्ड शानदार रहा है। प्रोफ़ेसर शिल्पा राजनीति विज्ञान विषय की गोल्ड मेडलिस्ट हैं। राजनीति विज्ञान विषय में एमए की परीक्षा में इन्होंने गोवा राज्य में सबसे ज्यादा अंक हासिल किये थे, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। वर्ष 2010 में पहले ही प्रयास में यूजीसी नेट की परीक्षा उत्तीर्ण की और वर्ष 2013 में जेआरएफ क्वालिफाई किया। फिलहाल विकास और लोकतंत्र के इंटरफेस के बारे में पीएचडी कर रही हैं। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में इनके रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं।

प्रोफ़ेसर शिल्पा सिंह के विचारों में प्रखरता है। ये विभिन्न मंचों और सोशल मीडिया आदि पर ठोस तथ्यों और संदर्भों के साथ बेबाकी से अपनी राय रखती हैं। राजनैतिक सिद्धांत, राजनैतिक अर्थशास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और जेंडर स्टडी में इनकी खास दिलचस्पी है। वीएम सालगांवकर कॉलेज की वेबसाइट पर जाकर आप उनके बारे में विस्तार से पढ़ सकते हैं।

3_28.JPG

शिक्षकों की एकजुटता

राजनीति विज्ञान विषय के अन्य शिक्षकों ने इस मामले में प्रोफ़ेसर शिल्पा सिंह के साथ एकजुटता जाहिर की है। उन्होंने प्रस्ताव पारित किया है और कॉलेज प्रिंसिपल को भेजा है। जिसमें उन्होंने कक्षा के अंदर शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच खुले विमर्श, प्रश्न पूछने की आज़ादी और सहमति व असहमति प्रकट करने की आज़ादी के प्रति एकजुटता जाहिर की है। कक्षा के अंदर स्वस्थ शैक्षिक माहौल की पवित्रता के प्रति एकजुटता जाहिर की है। शिक्षक समुदाय ने एबीवीपी के द्वारा इस्तेमाल की गई डराने-धमकाने की भाषा की कड़ी निंदा की है। शिक्षकों ने कहा है कि एबीवीपी का ये कहना कि प्रोफ़ेसर शिल्पा को 24 घंटे के अंदर बर्खास्त नहीं किया गया तो तीव्र आंदोलन होगा, ये डराने की कोशिश है। हम इसकी निंदा करते हैं। शिक्षकों ने प्रिंसिपल से मांग की है कि एबीवीपी के दबाव में न आएं और प्रोफ़ेसर शिल्पा को अपना पक्ष रखने का मौका दें।

राजनीति विज्ञान, सिलेबस और कक्षा

राजनीति विज्ञान के बीए के सिलेबस में विभिन्न राजनैतिक सिद्धांत शामिल हैं। राजनैतिक विचारों की प्रकृति और उनका महत्व एक चैप्टर है। ताकत और समानता का सिद्धांत एक और चैप्टर है। ताकत और समानता के बारे में मार्क्सवादी नज़रिया, फेमिनिस्ट नज़रिया, वर्गीय दृष्टिकोण आदि सिलेबस का हिस्सा है। कोड ऑफ कंडक्ट, न्याय की अवधारणा, मनुस्मृति आदि विषयों पर राजनीति विज्ञान की कक्षाओं में चर्चा होती है। इसके अलावा बहुत बार विद्यार्थी भी कक्षा में सवाल करते हैं। एक शिक्षक का काम है कि वो छात्र-छात्राओं के सवालों पर चर्चा करे और जवाब देने की कोशिश करें। इसके अलावा शिक्षक को बहुत से उदाहरण भी देने पड़ते हैं ताकि विद्यार्थी जटिल विषयों से रिलेट कर पाएं और समझ पाएं। पढ़ने और पढ़ाने वाले जानते हैं कि आमतौर पर करेंट अफेयर्स भी कक्षा के विमर्श को प्रभावित करते हैं।

क्या ये बस कक्षा का मामला है या बात कुछ और है?

ये समझने के लिये हमें दो साल पीछे चलना पड़ेगा। वर्ष 2018 में एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर प्रोफ़ेसर शिल्पा सिंह को दक्षिणपंथी ट्रोल ने निशाना बनाया था। उस दौरान उन्हें गाली-गलौज़, यौन हिंसा से लेकर पुलिस कार्रवाई तक की धमकियां दी गई थीं। असल में प्रोफ़ेसर शिल्पा को विभिन्न मुद्दों पर बेबाकी से बोलने और सवाल उठाने की वज़ह से एबीवीपी द्वारा निशाना बनाया जा रहा है। शिल्पा सिंह सैन्यवाद, हिंदू राष्ट्रवाद, अल्पसंख्यकों के दमन और महिला प्रश्नों पर मुखरता से बोलती हैं। उस दौरान यानी वर्ष 2018 में नवहिंद टाइम्स को दिये एक साक्षात्कार में प्रोफ़ेसर शिल्पा ने कहा था-

“ये देश के लिये बहुत मुश्किल समय है। एक सिस्टेमेटिक तरीके से असहमति और प्रतिवाद को ख़त्म किया जा रहा है। खुलकर बोलने वाले और असहमति जताने वाले लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। मैं लेफ्ट विचारधारा में यक़ीन करती हूं जिसकी वज़ह से लगातार दक्षिणपंथी ट्रोल मुझ पर अटैक करते रहते हैं। ”

ये साफ़तौर पर एबीवीपी के द्वारा प्रोफ़ेसर शिल्पा को डराने और उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश है। उनकी वैचारिक प्रखरता,बोलने और सवाल उठाने की आज़ादी की वज़ह से उन्हें टारगेट किया जा रहा है।

एक स्वस्थ शैक्षिक माहौल और विमर्श को संदेह से देखना और उसे विवादित बनाना एबीवीपी की पुरानी फितरत है। गौरतलब है कि ये पहला मौका नहीं है जब एबीवीपी ने किसी शिक्षक को टारगेट किया है। हम देश में एक दक्षिणपंथी उभार और ध्रुवीकरण लगातार देख रहे हैं। गोवा जैसे राज्य में ऐसी घटना चिंताजनक है। गोवा को उत्तर भारत में इस ध्रुवीकरण और असहिष्णुता से जो नतीजें आये हैं, उनसे सीखना चाहिये और सावधान रहना चाहिये।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते रहते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

goa
VM Salgaocar college of law
ABVP
Student Protests
Assistant Professor Shilpa Singh
religion
Religious Hate

Related Stories

लखनऊ विश्वविद्यालय: दलित प्रोफ़ेसर के ख़िलाफ़ मुक़दमा, हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं!

‘जेएनयू छात्रों पर हिंसा बर्दाश्त नहीं, पुलिस फ़ौरन कार्रवाई करे’ बोले DU, AUD के छात्र

जेएनयू हिंसा: प्रदर्शनकारियों ने कहा- कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें क्या खाना चाहिए

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

रेलवे भर्ती मामला: बर्बर पुलिसया हमलों के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलनकारी छात्रों का प्रदर्शन, पुलिस ने कोचिंग संचालकों पर कसा शिकंजा

गोवा चुनाव: सिविल सोसायटी ने जारी किया गोवा का ग्रीन मेनिफेस्टो

रेलवे भर्ती मामला: बिहार से लेकर यूपी तक छात्र युवाओं का गुस्सा फूटा, पुलिस ने दिखाई बर्बरता

अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोध छात्र, अचानक सिलेबस बदले जाने से नाराज़

त्रिपुरा हिंसा: फ़ैक्ट फाइंडिंग टीम के वकीलों पर भी UAPA, छात्रों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं का त्रिपुरा भवन पर प्रदर्शन

झारखंड विधान सभा में लगी ‘छात्र संसद’; प्रदेश के छात्र-युवा अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर


बाकी खबरें

  • भाषा
    बच्चों की गुमशुदगी के मामले बढ़े, गैर-सरकारी संगठनों ने सतर्कता बढ़ाने की मांग की
    28 May 2022
    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में भारत में 59,262 बच्चे लापता हुए थे, जबकि पिछले वर्षों में खोए 48,972 बच्चों का पता नहीं लगाया जा सका था, जिससे देश…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: मैंने कोई (ऐसा) काम नहीं किया जिससे...
    28 May 2022
    नोटबंदी, जीएसटी, कोविड, लॉकडाउन से लेकर अब तक महंगाई, बेरोज़गारी, सांप्रदायिकता की मार झेल रहे देश के प्रधानमंत्री का दावा है कि उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे सिर झुक जाए...तो इसे ऐसा पढ़ा…
  • सौरभ कुमार
    छत्तीसगढ़ के ज़िला अस्पताल में बेड, स्टाफ और पीने के पानी तक की किल्लत
    28 May 2022
    कांकेर अस्पताल का ओपीडी भारी तादाद में आने वाले मरीजों को संभालने में असमर्थ है, उनमें से अनेक तो बरामदे-गलियारों में ही लेट कर इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ता है।
  • सतीश भारतीय
    कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम!  
    28 May 2022
    मध्यप्रदेश में मजदूर वर्ग का "तेंदूपत्ता" एक मौसमी रोजगार है। जिसमें मजदूर दिन-रात कड़ी मेहनत करके दो वक्त पेट तो भर सकते हैं लेकिन मुनाफ़ा नहीं कमा सकते। क्योंकि सरकार की जिन तेंदुपत्ता रोजगार संबंधी…
  • अजय कुमार, रवि कौशल
    'KG से लेकर PG तक फ़्री पढ़ाई' : विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं की सभा में उठी मांग
    28 May 2022
    नई शिक्षा नीति के ख़िलाफ़ देशभर में आंदोलन करने की रणनीति पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सैकड़ों विद्यार्थियों और शिक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं ने 27 मई को बैठक की।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License