NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
प्रवासी छात्रों के लिए एक्शन प्लान बनाए सरकार : छात्र संगठनों की मांग
घर वापसी के लिए छटपटा रहे सभी छात्र – छात्राओं के लिए एक-एक दिन भारी पड़ रहा है। जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, वैसे हजारों छात्र- छात्राओं का क्या होगा, एक यक्ष प्रश्न जैसा ही है !  
अनिल अंशुमन
22 Apr 2020
छात्र संगठनों की मांग

पूरे देश में जारी लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के साथ साथ, अब उन सभी प्रवासी छात्रों के सवाल भी तेजी से उठने लगे हैं , जो उन्हीं मजदूरों की तरह परेशान हाल फंसे हुए हैं। कोचिंग हब कोटा और दिल्ली समेत देश के विभिन्न महानगरों के शैक्षिक - कोचिंग संस्थानों में पढ़ने गए लाखों छात्र लॉकडाउन में फंसकर पैसों व खाने पीने की भारी तंगी में किसी तरह दिन गुजार रहें हैं। इसमें भी  कमज़ोर आर्थिक स्थिति वाले परिवार के छात्रों की स्थिति तो दिनों दिन और भी बदतर होती जा रही है, जो किराये के मकानों अथवा लॉज जैसी जगहों में रहकर पढ़ाई कर रहें हैं। उनके सामने खाने-पीने के सामानों की बढ़ती किल्लत के साथ साथ अब किराये देने व अगले सेमेस्टर का फीस चुकता करने का संकट हर दिन बढ़ रहा है ।

 हालंकि सरकार ने मकान  मालिकों से  किराया न वसूलने के आदेश दिया है लेकिन छात्रों का कहना है कई जगह उनसे किराया वसूला जा रहा है। सबसे बुरी हालत वैसे छात्रों की हो रही है जिन्हें घर वापस लौटाना था लेकिन अप्रत्याशित लॉकडाउन के कारण उन्हें जहां – तहां शरण लेनी पड़ी। रसूखदारों– पैसेवालों के बच्चों के लिए तो लॉकडाउन के दरमियान भी विशेष हवाई जहाज से लेकर लक्जरी बसों तक की व्यवस्था की गयी लेकिन कम आय वाले परिवारों के हजारों हज़ार बच्चों के लिए लॉक डाउन में फंस जाना ही उनकी नियति बन गयी ।  

लॉकडाउन के दौरान वर्क फॉर्म होम के तहत हो रही ऑन लाइन शिक्षण व्यवस्था के कारण एक ऐसी विशाल छात्र आबादी जो सुदूर ग्रामीण व कसबाई क्षेत्रों में रहती है और इन्टरनेट अथवा कंप्यूटर – लैपटॉप सुविधा नहीं होने के कारण इस ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हो रही है । इस कारण उनसबों की आगे की पढ़ाई और अगले सेमेस्टर में प्रवेश पर ही ग्रहण लगता दीख रहा है।

prawasi chhatr 9.jpg

19 अप्रैल को ऑल इंडिया स्टूडेंटस यूनियन (आइसा) ने 12 घंटे की भूख हड़ताल कर मोदी सरकार से प्रवासी व अन्य सभी छात्र – छात्राओं के लिए ‘ विशेष एक्शन प्लान ’ बनाने और अविलंब लागू करने की मांग की है। कुछ इस तरह की मांग अन्य छात्र संगठनों ने भी की है।

छात्र संगठनों की मांग इस प्रकार हैं -

1. लॉकडाउन में शैक्षिक सस्थानों द्वारा चलायी जा रही ऑनलाइन पढ़ाई व परीक्षा मोड नीति को पुनर्व्यवस्थित किया जाय।

2. किराये पर रहने वालों को सभी छात्रों के मकान किराया से माफ किया जाय ।

3. सभी स्कूल , कॉलेज और विश्वविद्यालयों में फीस वृद्धि पर रोक लगे व फीस लेने की प्रक्रिया पुनर्गठित कर इस अवधि की पूरी फीस माफ हो ।  

4. लॉकडाउन के कारण रद्द हुई 12 वीं की परीक्षा से प्रभावित छात्र – छात्राओं के लिए संबन्धित राज्यों की सरकारों से समन्वय स्थापित कर स्नातक प्रवेश परीक्षाओं के लिए समंजस्य बिठाया जाए।  

5. सभी रिसर्च फ़ेलो छात्रों के लंबित फ़ेलोशिप राशि का अविलंब भुगतान करने के साथ साथ इनके शैक्षणिक सत्र की अवधि बढ़ायी जाय ।  

 6. लॉकडाउन में सभी छात्रों के शैक्षणिक प्रक्रिया को सुगम तथा सर्वसुलभ बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाय । विकलांग छात्रों के लिए विशेष एक्शन प्लान बनाया  जाए ।

 7. आवश्यक स्वस्थ्य परीक्षण के साथ घर लौटने वाले सभी छात्र – छात्राओं की सकुशल वापसी के लिए निःशुल्क परिवहन व्यवस्था अविलंब की जाए ।

 8. लॉकडाउन की बंदी से परेशान हाल व कंपीटीशन की तैयारी कर रहे सभी बेरोजगार छात्र – युवाओं को विशेष भत्ता दिया जाए ।  

9. सभी कॉलेजों – विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों के छात्रों को आईडी कार्ड के आधार पर तत्काल मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जाए ।  

10.  सभी तरह के शिक्षा ऋण के ब्याज पर अगले दो वर्षों तक की रोक लगे और कम से कम छह माह तक कोई ऋण वापसी नहीं ली जाए ।

11. लॉकडाउन के दौरान पुलिस का उत्पीड़न बंद हो ।

उक्त मांगों को लेकर झारखंड तथा दिल्ली , बिहार , पश्चिम बंगाल , पंजाब व आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के छात्रों ने इन मांगों के पोस्टर टांग कर 12 घंटे की भूख हड़ताल की ।
 
लॉकडाउन में फंसे प्रवासी छात्रों की वापसी के मामले में बिहार की गठबंधन सरकार के भाजपा विधायक द्वारा कोटा जाकर अपनी बेटी व उसके दोस्तों को वापस लाने के प्रकरण में बिहार के सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहसें जारी हैं ।
 
इधर झारखंड प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी ट्विट कर कहा है – जब यूपी के बच्चों को लाने के लिए बसें भेजी जा सकतीं हैं , तो झारखंड के बाहर फंसे बच्चों व मजदूरों को लाने की व्यवस्था और सहयोग केंद्र सरकार क्यों नहीं कर रही है ? झारखंडियों के साथ ये अन्याय क्यों , सरकार जवाब दे ।

hemant_0.jpg

वरिष्ठ बीजेपी  नेता व रांची विधायक ने फिर से मुख्यमंत्री के ट्वीट का उपहास करते हुए कहा है कि योगी जी की तरह वे भी बसें भेजकर छात्रों को मँगवा लें किसने रोका है । तंज़ कर यह भी पूछा कि लाखों मज़दूरों व लोगों को वे कहाँ रखेंगे ।

ख़बर है कि झारखंड सरकार की ओर से बाहर फंसे सभी प्रवासी झारखंडी छात्रों को वापस लाने के लिए केंद्र से विशेष अनुमति भी मांगी गयी जिसे अस्वीकार कर दिया गया ।

फिलहाल वस्तु स्थिति यही है कि लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों के महानगरों में फंसे हजारों हज़ार प्रवासी छात्र – छात्रों का एकेडमिक भविष्य लगभग ठहर सा गया है । हर दिन पीड़ित छात्रों द्वारा सैकड़ों मैसेज और वीडियो फुटेज भेजने का सिलसिला जारी है । जिनमें वे अपनी खस्ताहाल स्थितियों की व्यथा गाथा हर वायरल कर गुहार लगा रहें कि कोई तो उनकी मदद करे । घर वापसी के लिए छटपटा रहे सभी छात्र – छात्राओं के लिए एक-एक दिन भारी पड़ रहा है । जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है , वैसे हजारों छात्र -  छात्राओं का क्या होगा, एक यक्ष प्रश्न जैसा ही है

Coronavirus
COVID-19
Lockdown
Migrant students
Student Protests
Student organizations
AISA
Jharkhand
Hemant Soren

Related Stories

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

झारखंड : नफ़रत और कॉर्पोरेट संस्कृति के विरुद्ध लेखक-कलाकारों का सम्मलेन! 

दिल्लीः एलएचएमसी अस्पताल पहुंचे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया का ‘कोविड योद्धाओं’ ने किया विरोध

दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे

‘मैं कोई मूक दर्शक नहीं हूँ’, फ़ादर स्टैन स्वामी लिखित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

JNU में खाने की नहीं सांस्कृतिक विविधता बचाने और जीने की आज़ादी की लड़ाई

यूपी: खुलेआम बलात्कार की धमकी देने वाला महंत, आख़िर अब तक गिरफ़्तार क्यों नहीं

दिल्ली: कोविड वॉरियर्स कर्मचारियों को लेडी हार्डिंग अस्पताल ने निकाला, विरोध किया तो पुलिस ने किया गिरफ़्तार

झारखंड: केंद्र सरकार की मज़दूर-विरोधी नीतियों और निजीकरण के ख़िलाफ़ मज़दूर-कर्मचारी सड़कों पर उतरे!

झारखंड: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी जन सत्याग्रह जारी, संकल्प दिवस में शामिल हुए राकेश टिकैत


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    बनारस को धार्मिक उन्माद की आग में झोंकने का घातक खेल है "अज़ान बनाम हनुमान चालीसा" पॉलिटिक्स
    19 Apr 2022
    हनुमान चालीसा एक धार्मिक पाठ है। इसे किसी को जवाब देने के लिए नहीं, मन और आत्मा की शांति के लिए पढ़ा जाता है। अब इसका इस्तेमाल नफ़रती राजनीति के लिए किया जा रहा है। दिक्कत यह है कि बहुत से पढ़े-लिखे…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    मध्य प्रदेश फसल घोटाला: माकपा ने कहा- 4000 करोड़ के घोटाले में बिचौलिए ही नहीं भाजपाई भी हैं शामिल
    19 Apr 2022
    माकपा ने इस घोटाले का आरोप बीजेपी पर लगाते हुए कहा है कि पिछले डेढ़ दशक से भी लंबे समय से चल रहे गेहूं घोटाले में बिचौलिए ही नहीं प्रशासन और भाजपाई भी बड़े पैमाने पर शामिल हैं। 
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: कई राज्यों में मामले बढ़े, दिल्ली-एनसीआर में फिर सख़्ती बढ़ी 
    19 Apr 2022
    देश के कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकारों ने कोरोना के नियमों का पालन करने जोर दिया है, और मास्क नहीं पहनने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा |
  • अजय कुमार
    मुस्लिमों के ख़िलाफ़ बढ़ती नफ़रत के ख़िलाफ़ विरोध में लोग लामबंद क्यों नहीं होते?
    19 Apr 2022
    उत्तर भारत की मज़बूत जनाधार वाली पार्टियां जैसे कि समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, बाकी अन्य दलों के नेताओं की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया, जिससे यह लगे कि भारत के टूटते ताने-बाने को बचाने के…
  • संदीप चक्रवर्ती
    केवल आर्थिक अधिकारों की लड़ाई से दलित समुदाय का उत्थान नहीं होगा : रामचंद्र डोम
    19 Apr 2022
    आर्थिक और सामाजिक शोषण आंतरिक रूप से जुड़े हुए हैं। माकपा की पोलिट ब्यूरो में चुने गए पहले दलित सदस्य का कहना है कि सामाजिक और आर्थिक दोनों अधिकारों की लड़ाई महत्वपूर्ण है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License