NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
सरकार- ये बंद कर दो, वो बंद कर दो; गरीब, मज़दूर- लेकिन हज़ूर खाएंगे क्या?
कोरोना वायरस एक बड़ा ख़तरा है, लेकिन हमारे यहां हर किसी के पास छुट्टी लेकर घर बैठने की सुविधा नहीं, न ही ‘वर्क फॉर्म होम’ की सुविधा। ऐसे माहौल में गरीब-कामगार क्या करे?
मुकुंद झा
19 Mar 2020
गरीब, मज़दूर

कोरोना के बढ़ते संकट की वजह से लोगों के काम ठप हो रहे हैं। पहले से ही बीमार अर्थव्यवस्था और मुश्किल में आ गई है। जिसकी वजह से सबसे अधिक मजदूर वर्ग प्रभावित हो रहा है। इसमें भी सबसे अधिक वो मज़दूर परेशान हैं जो को रोज़ कमाते-खाते हैं। इसके साथ ही रेस्टोरेंट व होटल, टैक्सी और ड्राइविंग के काम से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट आ गया है।

भारतीय रेलवे ने कई ट्रेनें रद्द कर दी हैं। कई कंपनियां अपने कर्चारियों को एहतियातन ‘वर्क फॉर्म होम’ दे रही हैं यानी वे घर से ही काम करें। इसके साथ ही कई कंपनिया अपने कर्मचारियों को पेड लीव (सवेतन अवकाश) दे रही हैं लेकिन कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी दे रही हैं। देश की कई राज्य सरकारें भी लगातार कामबंदी कर रही हैं लेकिन इससे प्रभावित हो रहे है मज़दूरों को राहत कैसे मिले इस पर अभी कोई ठोस ध्यान नहीं दे रहा है।

गो एयर अपने कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज रही है। कंपनी इसके लिए रोटेशन पॉलिसी का सहारा ले रही है और इन छुट्टियों के लिए किसी भी तरह का कोई भी भुगतान नहीं किया जाएगा। इस पूरी घटना को लेकर गो एयर ने बताया कि कंपनी ने रोटेशन के आधार पर कर्मचारियों को छुट्टी देने की बात कही है। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कंपनी ने अपने ऑपरेशन्स को भी सीमित किया है।

पढ़ें महाराष्ट्र की कहानी : कोविड-19 का घरेलू कामगारों पर संकट : बिना वेतन की छुट्टियों का डर

वैसे ये तो संगठित क्षेत्र के कर्मचारी और मज़दूर हैं इसके अलावा असंगठित बहुत बड़ा क्षेत्र है, जिसमें करोड़ों मज़दूर काम करते हैं और उनके पास किसी भी तरह की कोई सुरक्षा नहीं है।  

आम आदमी पार्टी (आप) की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने सोमवार को जिम, नाइट क्लबों, स्पा, साप्ताहिक बाजार को 31 मार्च तक बंद करने और 50 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी है। कोरोना वायरस की महामारी से कहें तो दिल्ली  शहर 'शटडाउन मोड' में प्रवेश कर रहा हैं।

साप्ताहिक बाज़ार बंद होने से हज़ारो लोगों के सामने संकट

दिल्ली सरकार के फैसले के बाद से दिल्ली के सप्ताहिक बाजार बंद हो रहे हैं, जिससे इन बाज़ारों में दुकान लगाने वाले हज़ारों लोगो के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। क्योंकि ये लोग कहीं न कहीं जाकर बाजार लगाते हैं और रोज ही कमाई करते हैं जिससे इनका गुजरा होता है। इनके पास ‘वर्क फॉर्म होम’ की कोई सुविधा नहीं। इसमें सब्जी के साथ घरेलू उपयोग और कपड़े की दुकाने लगाई जाती हैं। इसमें औसतन 200 से 500 तक आमदनी होती हैं।

बाज़ार में सब्जी बेचने वाले वेद प्रकाश जिनकी उम्र लगभग 55 वर्ष है, वो करावल नगर इलाके में किराये पर रहते हैं। उन्होंने कहा हम रोज कमाते और खाते है, लेकिन सरकार ने बिना कुछ दूसरा इंतज़ाम किये हमारा कामबंद करने का फैसला किया। सरकार को हमारे बारे में भी सोचना चाहिए। आगे वो कहते है अगर ऐसा ही रहा तो हम कोरोना से मरे या न मरे लेकिन भूख से ज़रूर मर जायेंगे।

ऑटो, कैब व रिक्शा चालक भी सवारी के लिए परेशान

महेश जो एक एप आधरित  किराये की कैब चलाते हैं, उन्होंने बताया कि सड़कें सुनसान हैं, कोई सवारी नहीं मिल रही आमतौर पर हम लोग मालिक का पैसा निकालकर एक हज़ार तक कमा लेते थे। लेकिन आज (बुधवार को) पूरे दिन सड़क पर घूमने के बाद मात्र 350  रुपये का काम किया है, जिसमें आज दिन भर में 200 रुपये का सीएनजी खर्च हुआ है। अब बताइए इसमें से क्या मैं गाड़ी मालिक को दूंगा और क्या घर लेकर जाऊंगा। महेश ने बताया कि एक दिन का गाड़ी का किराया ही एक हज़ार है।

इसी तरह जब हम  उत्तर पूर्व दिल्ली के सोनिया विहार के ऑटो स्टैंड पर गए तो वो पूरा खाली पड़ा था, वहां इक्का दुक्का ऑटो खड़े थे। जब उनसे बात हुई तो सभी ने कहा कि पहले दंगों के कारण काम नहीं हुआ अब इस कोरोना ने हमें मार डाला है।

सुधीर पासवान जो बिहार के निवासी हैं और यहां दिल्ली में बीते कई सालों से ऑटो चला रहे हैं, कहते हैं कि इससे बुरा समय कभी नहीं देखा। उन्होंने कहा पिछले दो महीने से ऐसा हो गया कि घर का खर्च भी चलाना मुश्किल हो गया है। वो कहते हैं की हम दिल्ली कमाने आये थे लेकिन यहाँ तो उल्टा हमें कर्ज लेकर रहना पड़ रहा है। वे कहते हैं क इससे अच्छा है कि वो अपने गृह नगर वापस चले जाएं। कुछ इसी तरह की बात वहां मौजूद कई अन्य ऑटो चालकों ने भी कही।

इसी तरह से हमें वजीराबाद और विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन पर कई रिक्शा चालक मिले। उन्होंने भी कहा हम भी रोज सुबह आते है कि कुछ कमाई होगी लेकिन रोजाना हमें निराश होकर वापस लौटना पड़ता है।  

कोरोना के डर से लोगों ने घर से निकलना या तो बंद या बहुत कम कर दिया है। परिणाम स्वरूप ऑटो और रिक्शा चालकों को सवारी नहीं मिल रही है। इसका सीधा असर उनकी कमाई पर पड़ता दिख रहा है। इनके लिए रोज का खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है।

चिकन और अंडा कारोबार भी प्रभावित

इस कोरोना वायरस के चलते कई अफवाहों के कारण लोगों ने चिकन और अंडे से परहेज़ करना शुरू कर दिया है, जिससे इनकी कीमतों में भी भारी कटौती हो गई है। सलीम चिकन शॉप चलाते हैं। उन्होंने बताया कि जो चिकन कुछ समय पहले तक 140-160 था वो अब गिरकर 80 रुपये किलो रह गया है, फिर भी कोई नहीं ले रहा है। इसी तरह से अंडे की ठेली लगाने वाले सिकंदर पोद्दार  कहते हैं कि जो अंडा 7 रुपये का बिक रहा था, अब उसे वो लोग 5 रुपये में बेच रहे हैं लेकिन फिर भी बिक्री में भारी गिरावट आई है।  जिसके कारण खर्च निकलना भी मुश्किल हो रहा है।  

सड़क किनारे छोले भटूरे की ठेली लगाने वाले देव ने बताया कि उनका काम भी आधा हो गया है ,क्योंकि लोग घर से बाहर नहीं आ रहे हैं।  

IMG-20200319-WA0020.jpg

सार्वजनिक कार्यक्रम भी कैंसिल हो रहे हैं

रोहित उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक दिहाड़ी मजदूर हैं और बीते कई सालों से टेंट हाउस में काम करते हैं। दिल्ली में अलग अलग इलाकों में टैंट लगाने और हटाने का काम करते हैं। लेकिन बीते कुछ दिनों से सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होने से उन्हें काम नहीं मिल रहा है। वे परेशान हैं क्योंकि यही उनके कमाई का एकमात्र साधन था। वे बताते हैं कि उनके पास दिल्ली में मकान नहीं है। वे पूर्वी दिल्ली के कैलाश नगर में किराये पर रहते हैं। उनके लिए इस महीने का किराया चुकाना भी मुश्किल हो गया है।

इस तरह से दिल्ली के चांदनी चौक में झल्ली यानी समान ढुलाई  का काम करने वाले छोटे लाल बताते हैं कि जब से ये महामारी की शुरुआत हुई काम पूरी तरह से ठप हो गया है। मार्किट पूरी तरह से खाली है।

इसके साथ ही सेवा क्षेत्र में काम करने वाले असंगठित मज़दूर भी परेशान हैं। इसके साथ ही कई राज्यों में मॉल, जिम व दुकानें बंद होने के कारण दुकानदारों की रोजी-रोटी पर भी संकट छाया है। इससे बेरोज़गारी बढ़ने का भी खतरा बढ़ गया है। ट्रेनर, हाउसकीपिंग, डिलवरी बॉय अन्य स्टाफ को इससे नुकसान हो रहा है। जिन लोगों ने किराये0 पर दुकानें खोल रखी थीं, उन्हें और भी ज्यादा दिक्कत हो रही है। उनके लिए किराया निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है।

इस पूरी स्थिति को लेकर दिहाड़ी मज़दूर संजय जो निर्माण क्षेत्र में काम करते है, कहते हैं कि जहाँ सरकार रोज नए नए ऐलान कर रही है, लेकिन अभीतक किसी भी सरकार ने इन मज़दूरों के बारे में कोई भी ऐलान नहीं किया हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दिहाड़ी मज़दूरों के खातों में पैसा डालने का फैसला तो किया लेकिन अभी उसको लेकर भी स्थिति साफ नहीं हो पाई है कि यह पैसा कहाँ से आएगा।

कई लोग कह रहे हैं कि सरकार निर्माण मज़दूरों के वेलफेयर बोर्ड के पैसे दे सकती है। जो अपने आप में गलत है। इसको लेकर निर्माण मज़दूरों के संगठन ने भी आपत्ति जताई हैं। उनका कहना है कि ये पैसे निर्माण मज़दूरों की बेहतरी के लिए खर्च किये जाने चाहिए, लेकिन सरकार निर्माण मज़दूरों के पैसों को लकेर अपनी वाहवाही करना चाहती है। आपको बता दें इस कोष के तहत हर राज्य में हज़ारों करोड़ जमा हैं जिसपर लगभग हर राज्य सरकार की नज़र रही है लेकिन मज़दूरों के दबाव के कारण सरकार उसे ले न सकी है।   

दिल्ली की केजरीवाल सरकार खुद को मज़दूरों और आम जनता की हितैशी बताती है, लेकिन उसने भी मज़दूरों को राहत देने के लिए कुछ नहीं किया है। सरकार बिना सोचे समझे ये आदेश दे रही इसे बंद करो उसे बंद करो, लेकिन उससे प्रभावित मज़दूरों और गरीब लोगों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर रही है। क्या सिर्फ लोगों को घर में बंद करने से इस महामारी से बचा जा सकता है?

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए की मजदूरों को रोजगार दे। अगर काम नहीं है तो उन्हें गुजारा भत्ता दे। आगे वे कहते हैं कि वायरस के कारण लोगों की रोजी-रोटी पर गहरा असर पड़  रहा है। इसलिए सरकार को गरीबों के लिए रोजी-रोजगार का भी प्रबंध करना चाहिए और जबतक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तबतक उनके लिए गुजारा भत्ता की व्यवस्था भी करनी चाहिए। शहरों में गरीबों-मजदूरों के लिए फ्री या सस्ती दर पर कैंटीन की व्यवस्था की जाए। गरीबों के लिए फ्री राशन की व्यवस्था की जाए।
 
लेकिन कम से कम अभी कोई भी सरकार इस तरह का कोई कदम उठती नहीं दिख रही है। आज इसे लेकर लोकसभा में भी मामला उठा।

मालूम हो कि देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 160 से अधिक हो गई है और 5700 से अधिक की निगरानी की जा रही है। 14 लोग पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं, वहीं तीन लोगों की मौत हो चुकी है। दुनियाभर में अब तक करीब 1.34 लाख लोग कोरोना संक्रमण से पीड़ित हैं, जबकि तकरीबन 5,000 से अधिक लोग इस जानलेवा वायरस का शिकार बन चुके हैं।

कोरोना के कहर से दुनिया भर में घबराहट के माहौल में लोगों के कामकाज पर गहरा असर पड़ा है।  अंतरष्ट्रीय संगठन संयक्त राष्ट्र ने भी एक रिपोर्ट कर जारी की है और बताया है कि दुनिया भर में लगभग 2.5 करोड़ लोगो का रोजगार जा सकता हैं। भारत जैसे देश के लिए यह और भी खतरनाक स्थति है क्योंकि भारत वर्तमान में अपने इतिहास की सबसे अधिक बेरोजगारी झेल रहा है।  

इसे भी पढ़ें उत्तराखंड विशेष :कोरोना से आजीविका का भी संकट : रोज़ कमाने-खाने वाले सबसे ज़्यादा मुश्किल में

Coronavirus
COVID-19
Work From Home
economic crisis
Small workers
Labour
Small shops
AAP
delhi government
BJP
modi sarkar
poor people are wiser
Poor People's

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • Sustainable Development
    सोनिया यादव
    सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत काफी पीछे: रिपोर्ट
    03 Mar 2022
    एनुअल स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2022 रिपोर्ट के मुताबिक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भारत फिलहाल काफी पीछे है। ऐसे कम से कम 17 प्रमुख सरकारी लक्ष्य हैं, जिनकी समय-सीमा 2022 है और धीमी गति…
  • up elections
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पूर्वांचल की जंग: 10 जिलों की 57 सीटों पर सामान्य मतदान, योगी के गोरखपुर में भी नहीं दिखा उत्साह
    03 Mar 2022
    इस छठे चरण में शाम पांच बजे तक कुल औसतन 53.31 फ़ीसद मतदान दर्ज किया गया। अंतिम आंकड़ों का इंतज़ार है। आज के बाद यूपी का फ़ैसला बस एक क़दम दूर रह गया है। अब सात मार्च को सातवें और आख़िरी चरण के लिए…
  • election
    न्यूज़क्लिक टीम
    यूपी चुनाव: बस्ती के इस गांव में लोगों ने किया चुनाव का बहिष्कार
    03 Mar 2022
    बस्ती जिले के हर्रैया विधानसभा में आधा दर्ज़न गांव के ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार करने का एलान किया है। ग्रामीणों ने बाकायदा गांव के बाहर इसका बैनर लगा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी…
  • gehariyaa
    एजाज़ अशरफ़
    गहराइयां में एक किरदार का मुस्लिम नाम क्यों?
    03 Mar 2022
    हो सकता है कि इस फ़िल्म का मुख्य पुरुष किरदार का अरबी नाम नये चलन के हिसाब से दिया गया हो। लेकिन, उस किरदार की नकारात्मक भूमिका इस नाम, नामकरण और अलग नाम की सियासत की याद दिला देती है।
  • Haryana
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हरियाणा: आंगनबाड़ी कर्मियों का विधानसभा मार्च, पुलिस ने किया बलप्रयोग, कई जगह पुलिस और कार्यकर्ता हुए आमने-सामने
    03 Mar 2022
    यूनियन नेताओं ने गुरुवार को कहा पंचकुला-यमुनानगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बरवाला टोल प्लाजा पर हड़ताली कार्यकर्ताओं और सहायकों पर  हरियाणा पुलिस ने लाठीचार्ज  किया।  
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License