NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसानों के ‘भारत बंद’ के समर्थन में देश के हर कोने की  शानदार भागीदारी
दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के चले धरनों को आज 4 महीने पूरे हो गए। इतना लंबा आंदोलन चलना न सिर्फ किसानों के हौसलें की जीत है, यह सरकार के लिए शर्म की भी बात है।
अजय कुमार
26 Mar 2021
किसानों के ‘भारत बंद’ के समर्थन में देश के हर कोने की  शानदार भागीदारी

ज़रा सोच कर देखिए कि दिल्ली के बॉर्डर पर किसान पिछले 4 महीने से ठंड को हराते हुए, बारिश को सहते हुए, हवा के थपेड़ों से लड़ते हुए और अब गर्मी में झुलसते हुए जिस तरह की अहिंसक लड़ाई लड़ रहे हैं, उस अहिंसक लड़ाई के लिए  आप उन्हें क्या कहेंगे? क्या आप उन्हें खालिस्तानी कहेंगे? देशद्रोही कहेंगे? 

अगर आप इनमें से कुछ भी सोचते हैं तो इसका मतलब है कि आप भारतीय राष्ट्र के एक जिम्मेदार नागरिक नहीं है। आपकी नागरिकता  नफरत का कारोबार करने वाली सरकार ने छीन ली है। उसी सरकार ने जो पिछले 4 महीने से किसानों के अहिंसक संघर्ष को पूरी तरह से अनसुना करती आ रही है।

देशभर के किसान हर दिन सरकार से गुहार लगाते हैं कि वह तीन कृषि कानूनों को रद्द कर दे और एमएसपी की उन्हें लीगल गारंटी दे दे। लेकिन सरकार की तरफ से किसानों की इस गुहार पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। अपनी इसी मांग को सरकार से मनवाने के लिए आज यानी 26 मार्च को देश भर के किसानों ने भारत बंद किया। 

चंडीगढ़-दिल्ली बॉर्डर पर मौजूद एक किसान एक यूट्यूब चैनल के वीडियो में कह रहा था कि पिछले चार महीने से सरकार ने हमें तोड़ने के लिए क्या कुछ नहीं किया? पहले शुरुआती दिनों में वाटर कैनन चलाकर पानी की बौछारों से हमें रोकने की कोशिश की, पुलिस की लाठियां हम पर बरसाई गईं, हमारे आंदोलन के नेताओं को तोड़ने की कोशिश की गई, मीडिया में हमें खालिस्तानी और देशद्रोही बताया गया। 26 जनवरी को पूरे दिल्ली में हमने उतने झंडे लहरा दिए जितने आजादी के बाद से लेकर अब तक दिल्ली में नहीं लहराए थे लेकिन एक सिरफिरे की गलती की वजह से सरकार और सरकार की गोदी मीडिया ने हमें उपद्रवी करार दे दिया। हम यह सब सहते आ रहे हैं। हमें पता है कि हम जो लड़ाई लड़ रहे हैं उसमें एक पक्ष हमें हर तरह से बदनाम करने की कोशिश करेगा। लेकिन हम तब तक लड़ेंगे जब तक हम अपनी मांग मनवा नहीं लेते। यह है उन किसानों का दृढ संकल्प जिनकी आवाज में आवाज मिलाने और बुलन्द करने के लिए आज पूरा भारत बंद रहा।

सयुंक्त किसान मोर्चा का कहना है कि आज का भारत बंद सफल रहा और हम सभी किसान मजदूरों को इस सफलता की बधाई देते हैं। गुजरात के किसानों के साथ संघर्ष में पहुंचे किसान नेता युद्धवीर सिंह को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया जिसकी हम कड़ी निंदा व विरोध करते है। आज देश के अनेक भागों में भारत बंद का प्रभाव रहा। बिहार में 20 से ज्यादा जिलों में, पंजाब में 200 से ज्यादा स्थानों पर और हरियाणा में भी बड़े पैमाने पर लोगो ने बंद को सफल बनाया। कर्नाटक व आन्ध्रप्रदेश में भी व्यापक स्तर पर बंद का प्रभाव रहा।

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ व MSP की कानूनी गारंटी के लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के चले धरनों को आज 4 महीने पूरे हो गए। इतना लंबा आंदोलन चलना न सिर्फ किसानों के हौसलें की जीत है, यह सरकार के लिए शर्म की भी बात है। हर मौसम की मार सहते हुए भी किसान दिल्ली के मोर्चो पर डटे हुए हैं।

सुबह से ही देशभर से भारत बंद की खबरें आती रहीं। बिहार में बड़े पैमाने पर भारत बंद का असर देखा गया। पटना सहित भोजपुर, रोहतास, बक्सर, गया, नवादा, शेखपुरा, नालंदा, पूर्णिया, बेगूसराय, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीवान, वैशाली समस्तीपुर, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, जमुई, पश्चिमी चम्पारण, आदि जिलों में बंद का व्यापक असर रहा। उत्तर प्रदेश में अलीगढ़, मोरादाबाद, इटावा, संभल समेत कई जगहों पर सड़के व बाजार बंद रखे गए। आंध्रप्रदेश में सरकार समेत लगभग सभी राजनीतिक दलों ने इस बंद का समर्थन किया था। कुरनूल व विजयवाड़ा में किसान संगठनों ने बंद को सफल बनाया। वारंगल, हनमाकोंडा व महबूबाबाद समेत दर्जनों जगह तेलंगाना में भारत बंद का असर देखा गया।

कर्नाटक के बैंगलोर समेत मैसूर, गुलबर्गा, मांड्या में किसानों ने सांकेतिक धरने दिए। मैसूर में तीन कृषि कानूनो की प्रतियां भी जलाई गई। ओडिशा के केंद्रपाड़ा व भद्रक व अन्य जगहों पर किसानों ने भारत बंद में अपना सहयोग दिया। उत्तराखंड में उधम सिंह नगर में बड़ी संख्या में किसानों ने इस बंद को सफल बनाया। झारखंड में रांची समेत अन्य जिलों में किसानों ने सड़कें जाम की। महाराष्ट्र में भी किसानों ने भारत बंद से भूमिका निभाई व पालघर और जलगांव में किसानों ने सड़कें बंद रखी।

राजस्थान के बीकानेर, श्रीगंगानगर, केसरीसिंहपुर, पदमपुर, अनूपगढ़, NH 62 व अन्य स्थानों पर किसानों ने सड़कें जाम कीं। हरियाणा में लगभग हर जिले से भारत बंद के सफल आयोजन की खबरें है। कुरुक्षेत्र, करनाल, सोनीपत, यमुनानगर, अम्बाला आदि शहरों से संचालन बंद रहा। पंजाब में मानसा, अमृतसर, मोगा, फिरोजपुर, जलंधर समेत 200 से ज़्यादा जगहों पर भारत बंद के कार्यक्रम हुए।

भारत बंद कार्यक्रम के दौरान, आज, 26 मार्च को, कर्नाटक और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में कई संयुक्त किसान मोर्चा नेताओं और कैडर को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया। यह शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे नागरिकों के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है, जिसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वर्तमान किसानों के विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में भी कहा है। सयुंक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता व बीकेयू टिकैत के युद्धवीर सिंह, जे. के पटेल, गजेंद्र सिंह, रंजीत सिंह व अन्य साथी गुजरात के भावनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने गए थे, वहां उनको पुलिस ने हिरासत में ले लिया।  पुलिस का कहना है कि उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की इजाजत नहीं ली थी।

कर्नाटक में कविता कुरुगूंटी, कोडिहल्ली चंद्रशेखर, बेयारेड्डी, ट्रेड यूनियन नेताओं और अन्य प्रदर्शनकारियों को इसी तरह से बैंगलोर में पुलिस द्वारा उठाया गया।  कर्नाटक पुलिस ने गुलबर्गा में भी कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया।  एसकेएम ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस व्यवहार की कड़ी निंदा और विरोध किया।

एसकेएम ने बेंगलुरु के टाउन हॉल में सिविल कपड़ों में महिला पुलिस की तैनाती की निंदा की।  भाजपा शासित सरकारें किसान आंदोलन को दबाने के लिए अपनी बौखलाहट में बुनियादी मानदंडों और नियमों का उल्लंघन कर रही हैं।

उत्तराखंड से चली किसान मजदूर जागृति यात्रा कल 25 मार्च को गुरुद्वारा नानक बाड़ी मुरादाबाद में पहुंच गई थी। आज 26 मार्च  को यहां से यात्रा आरंभ होकर गुरुद्वारा गड़ गंगा तक पहुंचनी थी लेकिन आज भारत बंद के कारण से जागृति यात्रा मुरादाबाद में ही निरस्त कर दी गई। 

एसकेएम ने कहा कि हमे जानकारी मिली है कि आज बंद के दौरान कुछ जगहों पर मीडिया कर्मियों और आम लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ा। जाने-अनजाने में अगर प्रदर्शनकारियों की इसमें भागीदारी है तो हमें खेद है।

अनेक राजनीतिक दलों, बार संघ, ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों, जनवादी संगठनों, आढ़ती एसोसिएशन, छोटे व्यापारियों, सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत संगठन, सामाजिक व धार्मिक संगठनों व जागरूक नागरिको ने इस बंद का समर्थन किया और इसके लिए हरसंभव प्रयास किये। 

वाम संगठनों ने किसानों-मज़दूरों के भारत बंद को आज पूरा समर्थन दिया। सीपीआई (एम) के ट्विटर हैंडल पर देश के हर कोने से भारत बंद की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं। आंध्र प्रदेश से लेकर झारखंड और बंगाल से लेकर बिहार तक हर जगह किसानों के विरोध प्रदर्शन की रैली की तस्वीरों से सीपीआई (एम) का टि्वटर हैंडल पटा पड़ा है। 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सत्याग्रह से ही अत्याचार, अन्याय और अहंकार का अंत होता है। उन्होंने ट्वीट किया कि भारत का इतिहास गवाह है कि सत्याग्रह से ही अत्याचार, अन्याय व अहंकार का अंत होता है। आंदोलन देशहित में हो और शांतिपूर्ण हो!''

किसान आंदोलन को इतना समय हो गया, क्या हासिल हुआ? मेनस्ट्रीम मीडिया वाले यह सवाल खूब पूछते हैं। इसमें सवाल कम और ताना ज्यादा होता है। 

इस सवाल पर संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव कहते हैं कि बड़े ध्यान से देखिए तो 100 दिनों से अधिक के इस आंदोलन में किसान ने अपने आप को देश, समाज और खुद अपनी नजर में दोबारा स्थापित किया है। उसने समाज से खोया हुआ सम्मान हासिल किया और सत्ता को अपना संकल्प दिखाया। 20 साल बाद यह ऐतिहासिक आंदोलन कुछ कानूनों को रुकवाने और ज्यादा MSP हासिल करने जैसे तात्कालिक फायदे के लिए नहीं, बल्कि देश के मानस पटल पर किसान की वापसी के लिए याद किया जाएगा।

Bharat Bandh
Farm Laws
Samyukt Kisan Morcha
Farmer protests
MSP

Related Stories

देशव्यापी हड़ताल: दिल्ली में भी देखने को मिला व्यापक असर

दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल को मिला व्यापक जनसमर्थन, मज़दूरों के साथ किसान-छात्र-महिलाओं ने भी किया प्रदर्शन

देशव्यापी हड़ताल का दूसरा दिन, जगह-जगह धरना-प्रदर्शन

मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ भारत बंद का दिखा दम !

क्यों मिला मजदूरों की हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा का समर्थन

क्यों है 28-29 मार्च को पूरे देश में हड़ताल?

28-29 मार्च को आम हड़ताल क्यों करने जा रहा है पूरा भारत ?

मोदी सरकार की वादाख़िलाफ़ी पर आंदोलन को नए सिरे से धार देने में जुटे पूर्वांचल के किसान

ग़ौरतलब: किसानों को आंदोलन और परिवर्तनकामी राजनीति दोनों को ही साधना होगा

एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    संतूर के शहंशाह पंडित शिवकुमार शर्मा का मुंबई में निधन
    10 May 2022
    पंडित शिवकुमार शर्मा 13 वर्ष की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू कर दिया था। इन्होंने अपना पहला कार्यक्रम बंबई में 1955 में किया था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय…
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ग़ाज़ीपुर के ज़हूराबाद में सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पर हमला!, शोक संतप्त परिवार से गए थे मिलने
    10 May 2022
    ओमप्रकाश राजभर ने तत्काल एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के अलावा पुलिस कंट्रोल रूम, गाजीपुर के एसपी, एसओ को इस घटना की जानकारी दी है। हमले संबंध में उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया। उन्होंने कहा है कि भाजपा के…
  • कामरान यूसुफ़, सुहैल भट्ट
    जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती
    10 May 2022
    आम आदमी पार्टी ने भगवा पार्टी के निराश समर्थकों तक अपनी पहुँच बनाने के लिए जम्मू में भाजपा की शासन संबंधी विफलताओं का इस्तेमाल किया है।
  • संदीप चक्रवर्ती
    मछली पालन करने वालों के सामने पश्चिम बंगाल में आजीविका छिनने का डर - AIFFWF
    10 May 2022
    AIFFWF ने अपनी संगठनात्मक रिपोर्ट में छोटे स्तर पर मछली आखेटन करने वाले 2250 परिवारों के 10,187 एकड़ की झील से विस्थापित होने की घटना का जिक्र भी किया है।
  • राज कुमार
    जनवादी साहित्य-संस्कृति सम्मेलन: वंचित तबकों की मुक्ति के लिए एक सांस्कृतिक हस्तक्षेप
    10 May 2022
    सम्मेलन में वक्ताओं ने उन तबकों की आज़ादी का दावा रखा जिन्हें इंसान तक नहीं माना जाता और जिन्हें बिल्कुल अनदेखा करके आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन तबकों की स्थिति सामने रखी जिन तक आज़ादी…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License