NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
कोरोना संकट से भारत में भुखमरी की समस्या कितनी बड़ी है?
विश्व खाद्य कार्यक्रम का अनुमान है कि पेट भर भोजन नहीं पाने वालों की संख्या पूरे विश्व में 2020 में बढ़कर 26.5 करोड़ हो सकती है, जो 2019 में 13.5 करोड़ थी।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
28 Apr 2020
भुखमरी की समस्या
Image courtesy: Outlook Poshan

विश्‍व खाद्य कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र खाद्य व कृषि संगठन ने संयुक्‍त राष्‍ट्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में आशंका जताई है कि इस साल दुनियाभर में भुखमरी का सामना करने वालों की संख्‍या करीब-करीब दोगुनी हो सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में पिछले साल से ही खाद्य असुरक्षा बढ़ रही थी। अब कोरोना वायरस संकट के कारण हालात पहले के मुकाबले कहीं ज्‍यादा खराब हो सकते हैं। विश्व खाद्य कार्यक्रम का अनुमान है कि पेट भर भोजन नहीं पाने वालों की संख्या 2020 में बढ़कर 26.5 करोड़ हो सकती है, जो 2019 में 13.5 करोड़ थी।

विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बिसले ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को पिछले हफ्ते आगाह किया था कि जहां विश्व कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपट रहा है वहीं वह ‘भुखमरी की वैश्विक महामारी के कगार पर’ है और अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो कुछ ही महीनों के भीतर यह ‘बड़े पैमाने के कई अकाल’ ला सकता है।

बिसले ने कहा कि बुरी स्थिति में करीब 36 देशों में अकाल पड़ सकता है और उनमें से 10 देशों में से प्रत्येक देश में 10 लाख से ज्यादा लोग पहले से भुखमरी की कगार पर हैं।

वहीं, विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुख्य अर्थशास्त्री और रिसर्च, मूल्यांकन और निगरानी के प्रमुख आरिफ़ हुसैन ने कहा कि कोविड-19 उन लाखों लोगों के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है, जो पहले से ही रोजी-रोटी और सर्वाइवल जैसी समस्याओं से घिरे हुए हैं।

आरिफ़ हुसैन ने कहा, "हम सभी को भुखमरी से निबटने के लिए एक साथ आने की जरूरत है, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो हमें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। कोरोना के बाद की दुनिया में वैश्विक लागत बहुत अधिक होगी, कई लोग अपना जीवन खो देंगे तो अधिकतर लोग अपनी आजीविका गंवा देंगे।"

आपको बता दें कि पिछले साल 2019 में ही भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 117 देशों की पांत में 102वें पायदान पर लुढ़क चुका था। यहां तक कि हम पड़ोसी पाकिस्तान, बंग्लादेश और नेपाल से भी पिछड़े हैं। इसमें कहा गया था कि 2014 के बाद भारत में भुखमरी को लेकर हालात में बहुत ज्यादा सुधार नहीं आया था।

यही नहीं वेल्थ हंगर हिल्फे एंड कन्सर्न वर्ल्‍डवाइड की तैयार की गई रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारत दुनिया के उन 45 देशों में शामिल है जहां भुखमरी काफी गंभीर स्तर पर है।

इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के तहत ग्लोबल फूड सिक्योरिटी ने हाल ही में भारत की इस चिंता को बढ़ा दिया है कि यदि खाद्य सुरक्षा प्रबंधन को ढंग से लागू नहीं किया गया तो पूरी दुनिया में अनाज का भीषण संकट खड़ा हो जाएगा।

आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के श्रम निकाय ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस संकट के कारण भारत में अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ लोग गरीबी में फंस सकते हैं और अनुमान है कि इस साल दुनिया भर में 19.5 करोड़ लोगों की पूर्णकालिक नौकरी छूट सकती है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपनी रिपोर्ट ‘आईएलओ निगरानी- दूसरा संस्करण : कोविड-19 और वैश्विक कामकाज' में कोरोना वायरस संकट को दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे भयानक संकट बताया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करने वालों की हिस्सेदारी लगभग 90 प्रतिशत है, इसमें से करीब 40 करोड़ श्रमिकों के सामने गरीबी में फंसने का संकट है।' इसके मुताबिक भारत में लागू किए गए देशव्यापी बंद से ये श्रमिक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने गांवों की ओर लौटने को मजबूर होना पड़ा है।

गौरतलब है कि हाल ही में कुछ भारतीय विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने भी कोरोना वायरस के चलते देश में गरीबी और भुखमरी का खतरा बढ़ने का खतरे पर चिंता जताई थी। उनका मानना है कि अगर सही तरीके से भारत के लोगों को भोजन नहीं मुहैया कराया जाता है और दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ती समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है तो देश में गरीबी बढ़ने और भुखमरी का खतरा बढ़ सकता है।

प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन, पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने लेख में कहा है कि ये बात ठीक है कि सरकार को समझदारी से पैसे खर्च करना चाहिए लेकिन ऐसा न हो कि इस चक्कर में जरूरतमंदों को ही राशन न मिल पाए।

अर्थशास्त्रियों ने कहा कि ऐसा करने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं। उन्होंने कहा कि मार्च 2020 में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में 7.7 करोड़ टन अनाज पड़ा हुआ था जो कि बफर स्टॉक का तीन गुना है। आने वाले दिनों में अनाज के भंडारण की मात्रा बढ़ेगी ही क्योंकि रबी फसलों की खरीदी होने वाली है। इसलिए राष्ट्रीय अपातकाल के समय जो पहले के स्टॉक पड़े हैं उसे खाली किया जाना चाहिए, इसमें देरी करना बुद्धिमानी नहीं है।

फिलहाल भारत की यह विडंबना रही है कि अन्न का विशाल भंडार होने के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोग भुखमरी के शिकार भी होते हैं। अगर इसके कारणों की पड़ताल करें तो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल का अभाव, अकुशल नौकरशाही, भ्रष्ट सिस्टम और भंडारण क्षमता के अभाव में अन्न की बर्बादी जैसे कारक सामने आते हैं। यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है और सरकार इसका हल खोज पाने में असफल रही है।

ऐसे में अब कोविड-19 महामारी के बीच खाद्य सुरक्षा की समस्या और भी भीषण बन गयी है। सौभाग्य से हमारे पास अन्न के पहाड़ मौजूद हैं, जिनका तीव्र और विवेकपूर्ण इस्तेमाल इस संकट को बड़ी हद तक सुलझा सकता है। लेकिन इसके वितरण की चुनौती को हल करना पड़ेगा। नहीं तो भारत की एक बड़ी आबादी कोरोना से बच जाएगी लेकिन भूख का सामना नहीं कर पाएगी।

Coronavirus
Corona Crisis
Hunger Crisis
poverty
Poor People's
malnutrition in India
malnutrition
deaths due to hunger
child hunger in India
Central Government
Narendra modi
Poverty in India

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के घटते मामलों के बीच बढ़ रहा ओमिक्रॉन के सब स्ट्रेन BA.4, BA.5 का ख़तरा 

कोरोना अपडेट: देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट के सब स्ट्रेन BA.4 और BA.5 का एक-एक मामला सामने आया

कोरोना अपडेट: देश में फिर से हो रही कोरोना के मामले बढ़ोतरी 

कोविड-19 महामारी स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में दुनिया का नज़रिया नहीं बदल पाई

कोरोना अपडेट: अभी नहीं चौथी लहर की संभावना, फिर भी सावधानी बरतने की ज़रूरत

कोरोना अपडेट: दुनियाभर के कई देशों में अब भी क़हर बरपा रहा कोरोना 

कोरोना अपडेट: देश में एक्टिव मामलों की संख्या 20 हज़ार के क़रीब पहुंची 

देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, PM मोदी आज मुख्यमंत्रियों संग लेंगे बैठक


बाकी खबरें

  • srilanka
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका: निर्णायक मोड़ पर पहुंचा बर्बादी और तानाशाही से निजात पाने का संघर्ष
    10 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने श्रीलंका में तानाशाह राजपक्षे सरकार के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन पर बात की श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. शिवाप्रगासम और न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : दंगा पीड़ित मुस्लिम परिवार ने घर के बाहर लिखा 'यह मकान बिकाऊ है', पुलिस-प्रशासन ने मिटाया
    10 May 2022
    गाँव के बाहरी हिस्से में रहने वाले इसी मुस्लिम परिवार के घर हनुमान जयंती पर भड़की हिंसा में आगज़नी हुई थी। परिवार का कहना है कि हिन्दू पक्ष के लोग घर से सामने से निकलते हुए 'जय श्री राम' के नारे लगाते…
  • असद रिज़वी
    लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी
    10 May 2022
    एक निजी वेब पोर्टल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर की गई एक टिप्पणी के विरोध में एबीवीपी ने मंगलवार को प्रोफ़ेसर रविकांत के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया। उन्हें विश्वविद्यालय परिसर में घेर लिया और…
  • अजय कुमार
    मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर
    10 May 2022
    साल 2013 में डॉलर के मुक़ाबले रूपये गिरकर 68 रूपये प्रति डॉलर हो गया था। भाजपा की तरफ से बयान आया कि डॉलर के मुक़ाबले रुपया तभी मज़बूत होगा जब देश में मज़बूत नेता आएगा।
  • अनीस ज़रगर
    श्रीनगर के बाहरी इलाक़ों में शराब की दुकान खुलने का व्यापक विरोध
    10 May 2022
    राजनीतिक पार्टियों ने इस क़दम को “पर्यटन की आड़ में" और "नुकसान पहुँचाने वाला" क़दम बताया है। इसे बंद करने की मांग की जा रही है क्योंकि दुकान ऐसे इलाक़े में जहाँ पर्यटन की कोई जगह नहीं है बल्कि एक स्कूल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License