NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
अंतरराष्ट्रीय
कोविड है तो क्या महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े अन्य ज़रूरी मुद्दे छोड़ दिए जाएं?
28 मई महिला स्वास्थ्य पर अन्तराष्ट्रीय कार्यदिवस पर विशेष: पिछले 2 सालों से हम कोरोना से जूझ रहे हैं लेकिन क्या इसके चलते स्वास्थ्य के अन्य पहलुओं को हमें नज़रअंदाज़ करना चाहिए।
सुनीता सिंह
28 May 2021
कोविड है तो क्या महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े अन्य ज़रूरी मुद्दे छोड़ दिए जाएं?

अंतरराष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य पर कार्य दिवस वर्ष 1987 में, कोस्टा रिका में WGNRR के बाद से प्रत्येक वर्ष 28 मई को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण जैसे कि यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तथा अधिकारों (sexual and reproductive health and rights -SRHR) से जुड़े मुद्दों के बारें में जागरूकता बढ़ाना हैं। यह एक लम्बे संघर्ष के बाद महिला आंदोलनों के द्वारा हमें मिला है।

विश्व में हर महिला को यौनिक और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों का अधिकार है, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह दुनिया के किस हिस्से से है, किस उम्र की है, या उनकी जाति या धर्म क्या है। महिलाओं के प्रजनन व यौनिक स्वास्थ्य एवं अधिकार के आन्दोलन से जुड़े महिलाओं के अधिकारों की पैरोकारी करने वाले संगठन व अन्य सहयोगी दलों राज्य पर, राष्ट्र व वैश्विक स्तर पर विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है |

महिलाओं का प्रजनन व यौनिक स्वास्थ्य एवं अधिकारों जो कि मानवाधिकार का एक हिस्सा रहा है बहुत पीछे न जाएँ और पिछले 3-4 सालों में देखे तो ऐसा दिखता है कि समाज और सरकार में एजेंडा में प्रजनन अधिकारों की कोई जगह नही है और इसका हमेश ही उल्लंघन होता रहता है। सरकार का मातृत्व स्वास्थ्य स्वास्थ्य का बजट साल दर साल कम होता जा रहा है केवल योजनायें में दिखता है।

मेरे लिए यह वर्ष बीते 2020 और 2021 एक खास मायने रखता है। यह 28 मई कहीं ज्यादा महामारी दिवस ज्यादा लगाने लगा है न कि माहवारी दिवस- ऐसा लगता है कि यह केवल प्रचार और न्यूज़ खबरों के लिए ही रह गया है, और इतने वर्षों तक महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य व अधिकारों के बारे में तो किसी को कुछ समझ में आया ही नहीं।

पिछले 2 सालों से हम कोरोना से जूझ रहे हैं लेकिन क्या इसके चलते अन्य स्वास्थ्य के अन्य पहलुओं को हमें नज़र अंदाज़ करना चाहिए। क्या कोविड के समय महिलाओं के प्रसव होने बंद हो गए हैं, क्या अब डिलीवरी कक्ष के आवश्यकता नही है, क्या गर्भवती महिलाओं को जाँच की आवश्यकता नहीं है यह अब किसी को परिवार नियोजन सेवाओं कि ज़रूरत नहीं है।

उत्तर प्रदेश के जिले अम्बेडकर नगर, बाराबंकी व वाराणसी में मातृत्व वार्ड बंद है सिर्फ कोविड का टीकाकरण हो रहा है (वो भी पूरा नही मिल पा रहा है) जब PHC में जाकर देखा तो बेड पर कोई बिस्तर और चादर आदि कुछ नहीं था। पूछने पर स्टाफ ने बताया गया कि अभी यहाँ कुछ नहीं है, प्रसव करवाना है तो अपना सामान और चादर साफ सफाई के लिए सब लेकर आओ तो ही कुछ होगा।

लखीमपुर खीरी ब्लॉक बांकेगंज क्षेत्र की ग्राम पंचायत रामपुर ग्रंट नंबर 18 के मजरा छत्तीपुर गांव में गर्भवती महिलाओं, बच्चों की सुविधा के लिए बना एएनएम केंद्र वर्ष 2007 से बंद पड़ा है। विभाग की अनदेखी के चलते इमारत की छत से लेकर फर्श और दीवारों तक झाड़ियां उग आई हैं। गांव के लोगों का कहना है कि भवन ख़राब होने से आंगनबाड़ी, आशा वर्कर गर्भवती महिलाओं, बच्चों का टीकाकरण गांव में कहीं करती हैं। एएनएम की नियुक्ति भी वर्ष 2007 से अब तक नहीं हुई है। ब्लॉक में 24 उपकेंद्र, छह प्राथमिक अतिरिक्त केंद्र ..इनमें से अधिकतर जर्जर हैं|1 (अमर उजाला, 14 सितंबर, 2020)

आज वर्तमान में एक भयावह स्थिति भारत में दिख रही है जहाँ मजदूर परिवार पैदल, ठेला, रिक्शा, ऑटो, ट्रक आदि से अपने घर के लिए जा रहे हैं उनमें गर्भवती महिलायें व लड़कियां भी हैं। अब अंदाज़ा लगाइए की क्या महिलाओं और लड़किओं को माहवारी नहीं हो रही है या किसी को पेशाब नहीं जाना होगा? (हम सब जानते हैं की स्वच्छ भारत अभियान के बाद भी सुलभ शौचालयों की क्या स्थिति है) जब सामान्य दिनों में घरों में रहते हुए, यात्रा करते हुए, काम के दौरान बाहर रहते हुए या अन्य किसी कम के दौरान पेशाब देर तक रोकना पड़ता है और महिलाओं व लड़कियों को माहवारी के समय सेनेटरी पैड या साफ कपड़ा नही मिल पाता है।

रास्ते में प्रसव पर्व हो रहे हैं अस्पताल के बहार प्रसव हो रहे हैं और डर के लोग अस्पताल नहीं जा रहे प्रसव के लिए और घर में बिना प्रशिक्षित व्यक्ति के प्रसव कराये जा रहे हैं। कोई देखभाल नहीं सब स्वयं ही अपने आप ही सब संभाल रही हैं, तो क्या अब हम सिर्फ बातों में और ख़बरों में ही ये सारे दिवस मनाने की बात करते रहेंगे और सिर्फ एक दिन ही महिलाओं के स्वास्थ्य की याद आती है।

सबसे बड़ी बाधा अस्पतालों में OPD सेवाओं का बंद होना और निजी अस्पतालों की मनमानी है। ये अधिक से अधिक मुनाफा के चक्कर में लोगो को लोगों को लूट रहे हैं व कर्ज के बोझ में डाल रहे हैं |

इन सब के बावजूद सरकार के द्वारा जारी कई दिशा निर्देशों के बावजूद मातृत्व स्वास्थ्य और गर्भपात सेवाएं महिलाओं, विशेष रूप से गरीब महिलाओं की पहुंच से बाहर रहीं। यह उनके स्वास्थ्य और मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।

(सुनीता सिंह हेल्थ वॉच फ़ोरम की लखनऊ में सदस्य हैं और  उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य को लेकर काम करती हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

International Day of Action for Women’s Health
WGNRR
SRHR
Women
health care facilities
COVID-19

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी


बाकी खबरें

  • subhashini
    न्यूज़क्लिक टीम
    UP Elections: जनता के मुद्दे भाजपा के एजेंडे से गायब: सुभाषिनी अली
    23 Feb 2022
    उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल तेज़ी से बदल रहा है, यह मानना है CPI(M) नेता और कानपुर से पूर्व संसद सुभाषिनी अली का। किस तरफ है जनता का झुकाव, क्या हैं चुनावी मुद्दे और किसका है पलड़ा भारी, जानने के…
  • bhasha
    न्यूज़क्लिक टीम
    ग्राउंड रिपोर्ट: पंजाब में दलित डेरे व डेरों पर राजनीतिक खेल
    23 Feb 2022
    ग्राउंड रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने पंजाब के लुधियाना से सटे नूरमहल और नकोदर में बसे वाल्मीकि समाज के डेरों की कहानी के संग-संग भाजपा द्वारा डेरों के जरिये खेली गई चुनावी सियासत का…
  • BJP MLA
    रवि शंकर दुबे
    चुनाव के रंग: कहीं विधायक ने दी धमकी तो कहीं लगाई उठक-बैठक, कई जगह मतदान का बहिष्कार
    23 Feb 2022
    यूपी चुनाव में कई तरह के नज़ारे देखने को मिल रहे हैं। आज चौथे चरण के मतदान के दौरान समाजवादी पार्टी से लेकर भाजपा तक के ट्वीटर एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतों से भरे मिले। कहीं भाजपा नेताओं द्वारा धमकी के…
  • यूपी चुनावः सरकार की अनदेखी से राज्य में होता रहा अवैध बालू खनन 
    एम.ओबैद
    यूपी चुनावः सरकार की अनदेखी से राज्य में होता रहा अवैध बालू खनन 
    23 Feb 2022
    राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, एनजीटी की नियमावली और खनिज अधिनियम के निर्देशों की पूरी तरह अनदेखी की जाती रही है। 
  • Ukraine
    एपी
    यूक्रेन संकट और गहराया, यूरोप के रुख से टकराव बढ़ने के आसार
    23 Feb 2022
    विनाशकारी युद्ध से कूटनीतिक तरीके से बाहर निकलने की उम्मीदें दिखाई तो दे रही थीं, लेकिन वे सभी असफल प्रतीत हुईं। रूस के नेता पुतिन को अपने देश के बाहर सैन्य बल का उपयोग करने की हरी झंडी मिल गई और…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License