NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
स्वास्थ्य
भारत
राजनीति
भूख है तो सब्र कर…: भुखमरी सूचकांक में नेपाल,पाकिस्तान,बांग्लादेश से भी पीछे भारत
वैश्विक भुखमरी सूचकांक (जीएचआई) की चार संकेतकों के आधार पर गणना की जाती है-अल्पपोषण, बच्चों के कद के हिसाब से कम वजन होना, बच्चों का वजन के हिसाब से कद कम होना और बाल मृत्युदर।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
16 Oct 2019
प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : pcfm.co.ls

वैश्विक भुखमरी सूचकांक (जीएचआई) 2019 में भारत 117 देशों में 102वें स्थान पर है जबकि उसके पड़ोसी देश नेपाल, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश की रैंकिंग उससे बेहतर है।

भुखमरी एवं कुपोषण पर नजर रखने वाले जीएचआई की वेबसाइट में बुधवार को बताया गया कि बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत समेत 17 देश पांच से कम जीएचआई अंक के साथ शीर्ष स्थान पर रहे।
आयरलैंड की एजेंसी ‘कन्सर्न वर्ल्डवाइड’ और जर्मनी के संगठन ‘वेल्ट हंगर हिल्फे’ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार रिपोर्ट में भारत में भुखमरी के स्तर को ‘‘गंभीर’’ बताया गया है। 

भारत पिछले साल 119 देशों में 103वें स्थान और 2000 में 113 देशों में 83वें स्थान पर था। इस बार देश 117 देशों में 102वें स्थान पर रहा है।

भारत के जीएचआई अंक में गिरावट आई है। भारत का जीएचआई अंक 2005 में 38.9, 2010 में 32 और 2010 से 2019 के बीच 32 से 30.3 अंक के बीच रहा।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) यानी विश्व भूख सूचकांक की शुरुआत साल 2006 में इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने की थी। वेल्ट हंगरलाइफ़ नाम के एक जर्मन संस्थान ने 2006 में पहली बार ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी किया था। इस बार यानी 2019 का इंडेक्स इसका 14वां संस्करण है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दुनिया के तमाम देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत ब्योरा होता है, जैसे लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है, उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें क्या कमियां हैं। 

जीएचआई अंक की चार संकेतकों के आधार पर गणना की जाती है-अल्पपोषण, बच्चों के कद के हिसाब से कम वजन होना, बच्चों का वजन के हिसाब से कद कम होना और बाल मृत्युदर। जीएचआई रैंकिंग हर साल अक्टूबर में जारी होती है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में कद के हिसाब से कम वजन होने की भागीदारी 2008-2012 में 16.5 प्रतिशत से बढ़कर 2014-18 में 20.8 प्रतिशत हो गई।

रिपोर्ट में कहा गया कि छह महीने से 23 महीने के सभी बच्चों में से केवल 9.6 प्रतिशत बच्चों को ‘‘न्यूनतम स्वीकार्य आहार’’ दिया गया।

इसमें कहा गया है, ‘‘भारत में कद से हिसाब से बच्चों का वजन कम होने की दर अत्यधिक है जो 20.8 प्रतिशत है। यह दर इस रिपोर्ट में शामिल देशों में सबसे ज्यादा है।’’

रिपोर्ट के अनुसार संघर्ष पीड़ित एवं जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से जूझ रहे यमन और जिबूती जैसे देशों ने भी इस मामले में भारत से अच्छा प्रदर्शन किया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि नेपाल (73), श्रीलंका (66), बांग्लादेश (88), म्यामां (69) और पाकिस्तान (94) जैसे भारत के पड़ोसी देश भी ‘गंभीर’ भुखमरी की श्रेणी में है लेकिन उन्होंने भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है। 
इस सूचकांक में चीन 25वें स्थान पर है और वहां भुखमरी का स्तर कम है जबकि श्रीलंका में भुखमरी की समस्या का स्तर ‘मध्यम’ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्युदर, बच्चों का कद छोटा होना और अपर्याप्त भोजन के कारण होने वाला अल्पपोषण जैसे अन्य पैमानों पर सुधार किया है।
रिपोर्ट में केंद्र सरकार के ‘स्वच्छ भारत’ कार्यक्रम जिक्र करते हुए कहा गया है कि खुले में शौच की समस्या अब भी है।

अपने देश के हालात देखकर तो बार-बार दुष्यंत कुमार का यही शेर याद आता है कि-

“भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ 
आजकल संसद में है ज़ेरे बहस ये मुद्दआ”

"सब अच्छा है, सब चंगा सी" के दावों के बीच दुष्यंत का ये शेर आज और भी प्रासंगिक है लेकिन विडंबना ये कि अब तो संसद में भूख पर बहस तक नहीं होती। 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
 

Global Hunger Index
GHI 2019
india ranking in hunger index
Modi government

Related Stories

कोविड मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर मोदी सरकार का रवैया चिंताजनक

दवाई की क़ीमतों में 5 से लेकर 5 हज़ार रुपये से ज़्यादा का इज़ाफ़ा

महामारी भारत में अपर्याप्त स्वास्थ्य बीमा कवरेज को उजागर करती है

स्वास्थ्य बजट: कोरोना के भयानक दौर को क्या भूल गई सरकार?

बजट 2022-23: कैसा होना चाहिए महामारी के दौर में स्वास्थ्य बजट

कोविड पर नियंत्रण के हालिया कदम कितने वैज्ञानिक हैं?

जन्मोत्सव, अन्नोत्सव और टीकोत्सव की आड़ में जनता से खिलवाड़!

टीका रंगभेद के बाद अब टीका नवउपनिवेशवाद?

राज्य लोगों को स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संविधान से बाध्य है

अस्तव्यस्त कोरोना टीकाकरण : हाशिए पर इंसानी ज़िंदगी


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्ट: चंदौली पुलिस की बर्बरता की शिकार निशा यादव की मौत का हिसाब मांग रहे जनवादी संगठन
    30 May 2022
    "हमें तो पुलिस के किसी भी जांच पर भरोसा नहीं है। जब पुलिस वाले ही क़ातिल हैं तो पुलिसिया न्याय पर हम कैसे यकीन कर लें? सीबीआई जांच होती तो बेटी के क़ातिल जेल में होते। हमें डरे हुए हैं। "
  • एम.ओबैद
    मिड डे मिल रसोईया सिर्फ़ 1650 रुपये महीने में काम करने को मजबूर! 
    30 May 2022
    "हम लोगों को स्कूल में जितना काम करना पड़ता है। उस हिसाब से वेतन नहीं मिलता है। इतने पैसे में परिवार नहीं चलता है।"
  • अरुण कुमार
    गतिरोध से जूझ रही अर्थव्यवस्था: आपूर्ति में सुधार और मांग को बनाये रखने की ज़रूरत
    30 May 2022
    इस समय अर्थव्यवस्था गतिरोध का सामना कर रही है। सरकार की ओर से उठाये जाने वाले जिन क़दमों का ऐलान किया गया है, वह बस एक शुरुआत है।
  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    जौनपुर: कालेज प्रबंधक पर प्रोफ़ेसर को जूते से पीटने का आरोप, लीपापोती में जुटी पुलिस
    30 May 2022
    स्टूडेंट्स से प्रयोगात्मक परीक्षा में अवैध वसूली करने का कोई आदेश नहीं है। यह सुनते ही वह बिफर पड़े। नाराज होकर प्रबंधक ने पहले गाली-गलौच किया और बाद में जूते निकालकर मेरी पिटाई शुरू कर दी। उन्होंने…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत
    30 May 2022
    देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 0.04 फ़ीसदी यानी 17 हज़ार 698 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License