NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
'जय श्री राम' के बाद अब 'जय हनुमान' क्यों हैं सहारा?
भारतीय राजनीति में धर्म की खेती हमेशा से फलती फूलती रही है। कुछ दिनों से धार्मिक चैनलों की बजाय ख़बरिया चैनलों पर राजनीति की हनुमान चालीसा चल रही है।
कुश अंबेडकरवादी
23 Apr 2022
jai hanuman
 सांकेतिक तस्वीर

भारतीय राजनीति में जय श्री राम सिर्फ एक धार्मिक नारा नहीं है बल्कि एक राजनीतिक नारा बन चुका है। भारतीय राजनीति में धर्म की खेती हमेशा से फलती फूलती रही है। भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा इसका महत्व और कौन समझ सकता है जिसकी पूरी राजनीति इसी पर टिकी रही है लेकिन इस बार राम से ज्यादा हनुमान जी चर्चा में हैं, इसलिए पिछले कुछ समय से हनुमान जी की गूंज चारों तरफ सुनाई पड़ रही है। हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ कोई नई बात नहीं है, टीवी के धार्मिक चैनलों पर हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ आपको सुनाई दे जायेगा लेकिन कुछ दिनों से धार्मिक चैनलों की बजाय खबरिया चैनलों पर राजनीति की हनुमान चालीसा चल रही है।

पहले भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी जाति का जिक्र किया था और हनुमान जी को दलित बताकर दलितों को धार्मिक रूप से हिंदू से हिंदुत्व की तरफ जुड़ाव करने की कोशिश की थी। जो काफी दिन चर्चा में बना रहा था इसका कितना फायदा भाजपा को मिला ये भी एक अलग चर्चा का विषय है लेकिन अबकी बार हनुमान जी का जिक्र महाराष्ट्र से हुआ है और पूरे देश में फैल गया। अपने राजनीतिक जीवन में अपने भाई के हाथों मात खा चुके राज ठाकरे अब किसी तरह दोबारा अपनी राजनीति की पारी खेलना चाहते है और हनुमान चालीसा में लिखा भी है कि "जो यह पढ़े हनुमान चालीसा, होय सिद्ध साखी गौरीसा अर्थात जो हनुमान चालीसा पढ़ेगा उसके मनोरथ सिद्ध होंगे और इसके साक्षी स्वयं गौरीसा यानी गौरी के पति भगवान शिव होंगे" इसलिए राज ठाकरे को अब हनुमान चालीसा का ही सहारा बचा है।

इसे पढ़ें: नफ़रत की क्रोनोलॉजी: वो धीरे-धीरे हमारी सांसों को बैन कर देंगे

उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद के राज ठाकरे पूरी राजनीतिक परिदृश्य से लगभग बाहर हो चुके थे लेकिन अब वो भाजपा की पिच पर बैटिंग करने के लिए उतरे है और मराठी मानुष से सीधा हिंदू हृदय सम्राट बनते हुए महाराष्ट्र सरकार को मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की अल्टीमेटम दे डाला, और न हटाने पर उनके सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने का नया राजनीति पैंतरा चल दिया। राज ठाकरे के इस घोषणा को उत्तर भारत के हिंदुत्ववादियों ने भी जो अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में आए फैसले के बाद से खाली बैठे थे, उन्होंने भी हाथों हाथ लिया। वैसे भी भाजपा और धर्म की राजनीति का ये स्वर्ण काल चल रहा है,  इसलिए हनुमान जयंती के मौके पर देश में भक्ति के साथ साथ राजनीति का भी भरपूर तड़का लगता दिखा। 

बीजेपी के साथ ही दूसरे राजनीतिक दल भी इस रंग में रंगते नजर आए।  भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री ने जहां हनुमान को याद करते हुए एक मंदिर का शिलान्यास किया और उन्होंने भगवान हनुमान को शक्ति, साहस और संयम का प्रतीक बताया तो मध्यप्रदेश कांग्रेस ने कमलनाथ को हनुमान भक्त बताते हुए हर पधाधिकारी को हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा में शामिल होने का निर्देश दे दिया। केजरीवाल का हनुमान प्रेम भी वो बार बार दर्शाते रहते हैं। योगी आदित्यनाथ को जवाब देते हुए लाल रंग हनुमान जी का प्रतीक है कहकर अखिलेश यादव भी हनुमान का सहारा ले चुके हैं।

लेकिन राज ठाकरे ने इस मुद्दे को इतना आक्रामक रंग दिया और अजान के वक्त हनुमान चालीसा का पाठ यह विवाद इतना बढ़ गया की बाकी राजनीतिक पार्टियां चर्चा से ही बाहर हो गई। राज ठाकरे का बयान है कि सार्वजनिक रूप से मस्जिदों पर लगाए गए लाउडस्पीकर को हटाया जाए। यदि इनके जरिए लोगों को अजान सुनाई जाएगी तो मनसे कार्यकर्ता भी मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। महाराष्ट्र से चला ये बयान काशी तक पहुंच गया है। हनुमान जी के सौम्य चित्र की जगह गुस्से वाले हनुमान जी के चित्रों ने ले ली है।

इसे भी पढ़ें : ग्राउंड रिपोर्ट; जहांगीरपुरी अतिक्रमण हटाओ अभियान: नफ़रत की राजनीति से प्रेरित मेहनतक़श विरोधी क़दम!

धर्म की इस राजनीति ने दो धर्मों को आमने सामने ला दिया है। राज ठाकरे ने कोर्ट का हवाला भी दिया लेकिन चुपके से वो कोर्ट ने जो मापदंड की कोई भी शोर जो 50 डेसीबल से ऊपर चाहे वो राजनितिक रैलियां ही क्यों न हो पर रोक लगे को छिपा दिया। बाकी धर्म की राजनीति जब इतनी आक्रामक होती है तो उसके दुष्परिणाम भी होते है, वही हुए। हनुमान जयंती के दिन कई जगह हिंसा की घटनाओं की खबरें आईं। हनुमान शोभा यात्रा पर दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुआ दो पक्षों का टकराव पूरी दिल्ली को बेचैन किए हुए है वही उत्तराखंड के रुड़की में भी इसी तरह के टकराव में लोग पलायन तक को मजबूर हो गए हैं।

लेकिन क्या यह राजनीति यहीं तक रुक जायेगी। ऐसा लगता तो नही है। अभी रमज़ान का महीना चल रहा है। राज ठाकरे ने भी 3 मई तक का महाराष्ट्र में अल्टीमेटम दिया है लेकिन क्या ये सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित रहेगा तो इसका जवाब हनुमान जयंती पर हुई घटनाओं ने दे दिया है। हिंदी पट्टी के दक्षिणपंथी हिंदुओं ने जिस तरह से मस्जिद के बाहर लाउड स्पीकर से हनुमान चालीसा बजाने के कार्यक्रम को हाथों हाथ लिया है, मानो बेरोजगारों को रोजगार मिल गया है तो इसका प्रभाव तो आपको उत्तर भारत में भी देखने को जरूर मिलेगा।

हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला उत्तर प्रदेश में इसका कैसा प्रभाव रहता है उसपर भी सबकी नजर रहेगी। बाकी  महाराष्ट्र ही नहीं गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी में भी यह विवाद बढ़ता जा रहा है। काशी में पहले लोगों ने घरों पर लाउडस्पीकर लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ किया तो अब इस विवाद में साधु-संत भी उतर गए हैं। महंत बालकदास ने कहा कि यदि दिन में पांच बार अजान होती है तो हम दिन में 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे।

कुल मिलाकर सभी नेताओं को गाहे बगाहे हनुमान जी याद आते रहते हैं। धर्म व्यक्ति का व्यक्तिगत मामला है जब तक ये व्यक्तिगत रहता है तो ठीक रहता है जब धर्म में राजनीति का तड़का लगता है तो वो राजनीतिक रूप से जरूर फायदेमंद हो जाए लेकिन सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचा देता है बाकी इस पूरे प्रकरण ने देश के वातावरण को तनावपूर्ण जरूर बना दिया है।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक व बहुजन आंदोलनों के जानकर हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

इसे भी देखें: त्योहार से लेकर रोज़ाना के जनजीवन पर सांप्रदायिकता का कब्ज़ा

 क्या सांप्रदायिकता बड़े कारोबारियों को नापसंद है?

INDIAN POLITICS
Religion and Politics
jai shree ram
Jai Hunuman
Communalism
Hindutva
BJP
RSS

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 


बाकी खबरें

  • Modi
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, PM मोदी आज मुख्यमंत्रियों संग लेंगे बैठक
    27 Apr 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,927 नए मामले सामने आए हैं। इसमें से क़रीब 60 फ़ीसदी मामले दिल्ली और हरियाणा से सामने आए है।
  • SATAN
    जॉन दयाल
    एनआईए स्टेन स्वामी की प्रतिष्ठा या लोगों के दिलों में उनकी जगह को धूमिल नहीं कर सकती
    27 Apr 2022
    स्टेन के काम की आधारशिला शांतिपूर्ण प्रतिरोध थी, और यही वजह थी कि सरकार उनकी भावना को तोड़ पाने में नाकाम रही।
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    नागरिकों से बदले पर उतारू सरकार, बलिया-पत्रकार एकता दिखाती राह
    26 Apr 2022
    वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बताया कि चाहे वह दलित विधायक जिग्नेश मेवानी की दोबारा गिरफ्तारी हो, या मध्यप्रदेश में कथित तौर पर हिंदू-मुस्लिम विवाह के बाद मुसलमान की दुकान और घर पर चला बुल्डोज़र, यह सब…
  • सत्यम् तिवारी
    रुड़की : डाडा जलालपुर गाँव में धर्म संसद से पहले महंत दिनेशानंद गिरफ़्तार, धारा 144 लागू
    26 Apr 2022
    27 अप्रैल को होने वाली 'धर्म संसद' का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी उत्तराखंड पुलिस को निर्देश दिये थे। 26 अप्रैल की शाम को पुलिस ने डाडा जलालपुर गाँव से महंत दिनेशानंद को गिरफ़्तार कर लिया।
  • अजय कुमार
    एमवे के कारोबार में  'काला'  क्या है?
    26 Apr 2022
    साल 2021 में इस सम्बन्ध में उपभोक्ता संरक्षण नियम बने। इसके तहत नियम बना कि कोई भी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी यानी वैसी कम्पनी जो उपभोक्ताओं को सीधे अपना माल बेचती हैं, वह कमीशन देने की शर्त पर अपना माल…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License