NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
भारी विरोध के बीच इराक के नवनियुक्त प्रधानमंत्री ने कैबिनेट का गठन किया
कार्यवाहक प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल मेहदी के इस्तीफे के बाद से इराक में पिछले चार महीने से पूर्ण बहुमत वाली सरकार नहीं है। मेहदी ने पिछले साल अक्टूबर महीने में अपनी सरकार के खिलाफ भारी विरोध के चलते इस्तीफा दे दिया था।
पीपल्स डिस्पैच
08 Apr 2020
Iraq

इराक के नवनियुक्त प्रधानमंत्री अदनान अल-ज़ुर्फी ने घोषणा की कि उन्होंने 17 अप्रैल की संवैधानिक समय सीमा से पहले नई कैबिनेट का गठन कर लिया है। मिड्ल ईस्ट मॉनिटर ने मंगलवार 7 अप्रैल ये रिपोर्ट प्रकाशित किया है।

अल-ज़ुर्फी ने अपने प्रस्तावित सरकारी प्रोग्रामर को इराक की संसद के सामने पेश किया और वो अब इराक की संसद की बैठक का इंतज़ार कर रहे हैं जिसमें उनके प्रस्ताव पर बहस हो और उनके प्रस्तावित कैबिनेट को मंज़ूरी मिले।

अल-ज़ुर्फी को पिछले महीने 17 मार्च को इराक के राष्ट्रपति बरहम सलेह द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए नियुक्त किया गया था। इनकी नियुक्ति पूर्व प्रधानमंत्री मोहम्मद तौफीक अलावी के इस्तीफा देने के दो सप्ताह बाद की गई थी। अलावी 30 दिनों के भीतर इराक के संसद की मंजूरी हासिल करने में विफल रहे थे।

अल-ज़ुर्फी पहले इराक के नजफ के गवर्नर थे और इराक के पूर्व प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी के नेतृत्व वाले नस्र (जीत) गठबंधन के सदस्य हैं। संसद में नस्र गठबंधन की 42 सीटें हैं। अल-जुर्फी का विरोध 'अमेरिका समर्थक' होने को लेकर बताया जाता है। उन पर अमेरिकियों की पक्षधरता का आरोप लगाया गया है, साथ ही उन पर आरोप लगाया गया कि जब वे नजफ के गवर्नर थे वे कई भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त थे।

संसद में प्रमुख शिया ब्लॉक, जिसमें फतह ब्लॉक, सैरून ब्लॉक, शिया पार्टियां जो पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज (पीएमएफ) का हिस्सा हैं, पहले ही प्रधानमंत्री पद के लिए अल-जुर्फी की नियुक्ति को ख़ारिज कर चुकी है। इसने उन पर "अमेरिका के खुफिया एजेंट" होने का आरोप लगाया है। संसद में अन्य सुन्नी और कुर्द राजनीतिक दलों ने अब तक ज़ुर्फी का विरोध नहीं किया है। ये शायद यह दर्शाता है कि वे उनकी उम्मीदवारी को लेकर संतुष्ट हैं।

शिया राजनीतिक दल अल-ज़ुर्फी से सचेत हैं क्योंकि उनका मानना है कि वह इराक़ में शिया की ताक़तों को ख़त्म करने पर आमादा हैं। उनकी एक चिंता यह है कि अल-ज़ुर्फ़ी ने इराक के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर कमजोर करने और निशाना बनाने की कोशिश की है लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिली।

इराक के संविधान के अनुसार, इस्तीफा देने वाली सरकार 30 दिनों से अधिक समय तक सत्ता में नहीं रह सकती है, लेकिन इराकी राजनीतिक दलों और ब्लॉकों के बीच लगभग न खत्म होने वाले गतिरोध के कारण चार महीने से अधिक समय गुजर गया है जब से मेहदी को कार्यवाहक के रूप में प्रधानमंत्री की जिम्मेदारियां निभानी पड़ रही है।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

Iraq
Adel Abdul Mahdi
Adnan al-zurfi
International news

Related Stories

दुनिया भर की: कोलंबिया में पहली बार वामपंथी राष्ट्रपति बनने की संभावना

अमेरिका में महिलाओं के हक़ पर हमला, गर्भपात अधिकार छीनने की तैयारी, उधर Energy War में घिरी दुनिया

रूस-यूक्रैन संघर्षः जंग ही चाहते हैं जंगखोर और श्रीलंका में विरोध हुआ धारदार

दुनिया भर की: सोमालिया पर मानवीय संवेदनाओं की अकाल मौत

कोविड -19 के टीके का उत्पादन, निर्यात और मुनाफ़ा

दुनिया भर की: जर्मनी में ‘ट्रैफिक लाइट गठबंधन’ के हाथों में शासन की कमान

'जितनी जल्दी तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान को स्थिर करने में मदद मिलेगी, भारत और पश्चिम के लिए उतना ही बेहतर- एड्रियन लेवी

साल के अंत तक इराक़ छोड़ देंगे सभी अमेरिकी सैनिक

इराक़ ने देश से अमेरिकी सेना की वापसी के लिए समयसीमा की मांग की

सीरिया और इराक़ में अमेरिकी हवाई हमले में एक बच्चे की मौत, तीन अन्य घायल


बाकी खबरें

  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दक्षिणी गुजरात में सिंचाई परियोजना के लिए आदिवासियों का विस्थापन
    22 May 2022
    गुजरात के दक्षिणी हिस्से वलसाड, नवसारी, डांग जिलों में बहुत से लोग विस्थापन के भय में जी रहे हैं। विवादास्पद पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। लेकिन इसे पूरी तरह से…
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: 2047 की बात है
    22 May 2022
    अब सुनते हैं कि जीएसटी काउंसिल ने सरकार जी के बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए सांस लेने पर भी जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।
  • विजय विनीत
    बनारस में ये हैं इंसानियत की भाषा सिखाने वाले मज़हबी मरकज़
    22 May 2022
    बनारस का संकटमोचन मंदिर ऐसा धार्मिक स्थल है जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने के लिए हमेशा नई गाथा लिखता रहा है। सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले इस मंदिर में हर साल गीत-संगीत की…
  • संजय रॉय
    महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 
    22 May 2022
    पेट्रोलियम उत्पादों पर हर प्रकार के केंद्रीय उपकरों को हटा देने और सरकार के इस कथन को खारिज करने यही सबसे उचित समय है कि अमीरों की तुलना में गरीबों को उच्चतर कीमतों से कम नुकसान होता है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 
    21 May 2022
    अठारह घंटे से बढ़ाकर अब से दिन में बीस-बीस घंटा लगाएंगेे, तब कहीं जाकर 2025 में मोदी जी नये इंडिया का उद्ïघाटन कर पाएंगे। तब तक महंगाई, बेकारी वगैरह का शोर मचाकर, जो इस साधना में बाधा डालते पाए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License