NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आधी आबादी
चुनाव 2022
विधानसभा चुनाव
भारत
राजनीति
मुद्दा: महिला सशक्तिकरण मॉडल की पोल खोलता मणिपुर विधानसभा चुनाव
मणिपुर की महिलाएं अपने परिवार के सामाजिक-आर्थिक शक्ति की धुरी रही हैं। खेती-किसानी से ले कर अन्य आर्थिक गतिविधियों तक में वे अपने परिवार के पुरुष सदस्य से कहीं आगे नज़र आती हैं, लेकिन राजनीति में भागीदारी...न के बराबर है।
शशि शेखर
28 Feb 2022
Manipur vote
मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के ट्वीटर हैंडल से साभार

आधी नहीं, आधी से अधिक आबादी। यानी, पुरुष मतदाता से 55000 ज्यादा महिला मतदाता। लेकिन, महिला उम्मीदवार महज 6 फीसदी। यही है मणिपुर विधान सभा चुनाव की असली तस्वीर। यही है भाजपा व अन्य दलों के महिला सशक्तिकरण नारे की हकीकत।

कल्पना कीजिए कि जिस राज्य में एक महिला (इरोम शर्मिला) तकरीबन डेढ़ दशक तक अनशन पर बैठी रही या फिर जिस राज्य की राजधानी में एक पूरा का पूरा मार्केट (एमा मार्केट) ही महिलाओं द्वारा संचालित होता है, वहां की राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी क्या होगी, क्या होनी चाहिए? इसकी एक बानागी देखिये-

टी वृंदा मणिपुर की एक तेज-तर्रार महिला पुलिस अधिकारी थी। मणिपुर के ड्रग्स कारोबार के खिलाफ उन्होंने लड़ाई छेड़ी थी। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह तक की नाराजगी उन्होंने झेली। अंत में, नौकरी से इस्तीफा दे कर राजनीति में उतरीं और अब जद (यू) के टिकट पर यासकुल विधानसभा सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता थोकचोम सत्यब्रत सिंह को चुनौती दे रही हैं। लेकिन, टी वृंदा 38 सीट पर चुनाव लड़ रही जद (यू) की अकेली महिला उम्मीदवार है। उस जद (यू) की जिसके मुखिया नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं को पंचायत में 50 फीसदी और सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण दिया हुआ है। अब, इस अकेले उदाहरण से आप अंदाजा लगा सकते है कि एक मातृ सत्तात्मक समाज (मणिपुर) में महिलाओं की राजनीति में हिस्सेदारी क्या है?

राजनीति में बेटियां, ना भाई ना!

संसद में कभी सुषमा स्वराज जैसी तेज-तर्रार महिला नेता को देश ने विधायिका में 33 फीसदी महिला आरक्षण की बात करते सुना। आज उनकी पार्टी का नारा है, “बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ”। अब इस नारे की असलियत क्या है, सब जानते है। कम से कम, सरकारी योजनाओं मसलन, प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना, किशोरी शक्ति योजना का ही एक आकलन कर लिया जाए तो सच सामने आ जाएगा। बहरहाल, बात राजनीतिक हिस्सेदारी की है, तो भारतीय जनता पार्टी राजनीति में महिला हिस्सेदारी को ले कर कितनी ईमानदार है, इसे मणिपुर विधान सभा के 60 सीटों पर भाजपा की तरफ से सिर्फ और सिर्फ 3 महिलाओं को टिकट दिए जाने से समझा जा सकता है।

इसी तरह कांग्रेस भी जहां 53 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इसने भी सिर्फ 3 महिलाओं को टिकट दिए है, जबकि इसकी सहयोगी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया इस मामले में इसलिए बेहतर रही क्योंकि ये सिर्फ 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और इसने 1 महिला को अपना उम्मीदवार बनाया है।

गौरतलब है कि इस बार यूपी में प्रियंका गांधी ने 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने की बात कही थी। उन्होंने “लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ” का नारा दिया है। लेकिन, मणिपुर पहुंचते-पहुंचते सारे नारे, सारी ईमानदारी जाने कहाँ गायब हो जाती है।

लेकिन, इससे भी दुखद ये है कि मणिपुर की स्थानीय राजनीतिक दलों ने भी महिलाओं को टिकट देने में बेईमानी की है। नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) 9 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है लेकिन इसने एक भी महिला को अपने टिकट पर चुनाव लड़वाने लायक नहीं समझा। वहीं, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 39 सीटों पर बस 2 महिला उम्मीदवारों को अपना चुनाव चिह्न दिया है। 2022 के चुनाव में महज 6 फीसदी महिला उम्मीदवार ही चुनाव में है। 

परिवार की हीरो, पॉलिटिक्स में ज़ीरो

मणिपुर की सामाजिक व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका ऐतिहासिक रूप से सशक्त रही है। आधुनिक समय की बात करें तो मणिपुर में अफस्पा के खिलाफ यहाँ की महिलाओं ने ही सबसे दमदार आन्दोलन किया था। महिलाओं ने अफस्पा के दुरुपयोग के खिलाफ अर्द्धनग्न हो कर विरोध भी किया। इरोम शर्मिला, जिन्हें लोग आयरन लेडी के नाम से भी जानते है, 16 साल तक अनशन पर बैठी रहीं। लेकिन, जब खुद की पार्टी बना कर वो चुनावी मैदान में उतरी, तब बुरी तरह चुनाव हार गयी। उन्हीं की पार्टी की नाजीमा बीबी को मात्र 33 वोट मिले थे। तब किसी भी कथित राष्ट्रवादी, महिला सशक्तिकरण की हिमायती राजनीतिक दल ने उनका समर्थन नहीं किया।

मणिपुर की महिलाएं अपने परिवार के सामाजिक-आर्थिक शक्ति की धुरी रही हैं। खेती-किसानी से ले कर अन्य आर्थिक गतिविधियों तक में वे अपने परिवार के पुरुष सदस्य से कहीं आगे नजर आती हैं। इसकी एक शानदार मिसाल मणिपुर की राजनधानी इंफाल स्थित एमा मार्केट (मदर्स मार्केट) है। इस बाजार को पूरी तरह महिलाएं ही संचालित करती है। और यह काम 16वीं शताब्दी से चला आ रहा है, जब मणिपुर के पुरुषों को सेना में शामिल करा के लड़ाई के लिए बाहर भेज दिया जाता था, तब महिलाओं को अपना परिवार चलाने के लिए खुद काम करने की जरूरत पडी। खेत के उपज और खुद के हाथ से बुने गए पारंपरिक परिधानों को बेचने के लिए जब इन महिलाओं को बाजार की जरूरत पडी, तभी इस एमा मार्केट (मदर्स मार्केट) की नींव पड़ी। 2017 के एक आकड़े के मुताबिक़, इस मार्केट से हर एक महिला वेंडर सालाना 73 हजार से 2 लाख रुपये तक कमा लेती है। इसी साल, इस मार्केट का सालान टर्नओवर 40 से 50 करोड़ रुपये के बीच था। यानी, मणिपुर के सामाजिक और आर्थिक विकास की आधार बन चुकी मणिपुरी महिलाएं इतनी सशक्त होने के बाद भी राजनीतिक हिस्सेदारी ले पाने में अब तक सफल नहीं रही, इसकी एक बड़ी वजह इन राजनीतिक दलों की बेईमानी भी है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

manipur
Manipur Election 2022
Manipur assembly election
Women Empowerment Model
women empowerment

Related Stories

किसान आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी एक आशा की किरण है

2022 में महिला मतदाताओं के पास है सत्ता की चाबी

राष्ट्रीय बालिका दिवस : लड़कियों को अब मिल रहे हैं अधिकार, पर क्या सशक्त हुईं बेटियां?


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    बीमार लालू फिर निशाने पर क्यों, दो दलित प्रोफेसरों पर हिन्दुत्व का कोप
    21 May 2022
    पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद और उनके परिवार के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी का राजनीतिक निहितार्थ क्य है? दिल्ली के दो लोगों ने अपनी धार्मिक भावना को ठेस लगने की शिकायत की और दिल्ली…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली
    21 May 2022
    अदालत ने लाल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि जमा करने पर राहत दी।
  • सोनिया यादव
    यूपी: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच करोड़ों की दवाएं बेकार, कौन है ज़िम्मेदार?
    21 May 2022
    प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक खुद औचक निरीक्षण कर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। हाल ही में मंत्री जी एक सरकारी दवा गोदाम पहुंचें, जहां उन्होंने 16.40 करोड़…
  • असद रिज़वी
    उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव का समीकरण
    21 May 2022
    भारत निर्वाचन आयोग राज्यसभा सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा  करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है। मतदान 10 जून को…
  • सुभाष गाताडे
    अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !
    21 May 2022
    ‘धार्मिक अंधविश्वास और कट्टरपन हमारी प्रगति में बहुत बड़े बाधक हैं। वे हमारे रास्ते के रोड़े साबित हुए हैं। और उनसे हमें हर हाल में छुटकारा पा लेना चाहिए। जो चीज़ आजाद विचारों को बर्दाश्त नहीं कर सकती,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License