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आधिकारिक घोषणा के अनुसार मूवमेंट टुवर्ड्स सोशलिज्म ने बोलीविया में ऐतिहासिक जीत दर्ज की
अब जबकि मतगणना का काम 100% पूरा हो चुका है, मूवमेंट टुवर्ड्स सोशलिज्म (एमएएस) के राष्ट्रपति उम्मीदवार लुईस एर्स और डेविड चोकुएहुंका को कुल 55.1% मत हासिल हुए हैं, जिसमें उनको अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कार्लोस मेसा से 26.27% मतों की बढ़त हासिल हुई है।
पीपुल्स डिस्पैच
24 Oct 2020
 चुनाव अभियान के दौरान लुईस एर्स (दायें) और चोकुएहुँका।
 चुनाव अभियान के दौरान लुईस एर्स (दायें) और चोकुएहुँका। तस्वीर: ट्विटर 

दमनकारी तख्तापलट वाले शासन को 11 महीनों तक झेलने के बाद बोलीवियाई जनता ने आख़िरकार लोकतंत्र को एक बार फिर से हासिल करने में सफलता हासिल कर ली है। पाँच दिनों तक चली इस मतगणना के बाद बोलीवियाई राष्ट्रपति चुनावों की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है। मूवमेंट टुवर्ड्स सोशलिज्म (एमएएस) के राष्ट्रपति पद के टिकट के साथ लुईस एर्स और डेविड चोकुएहुंका को 55.1% वोट के साथ जीत हासिल हुई है, जबकि कार्लोस मेसा की सिटीजन कम्युनिटी पार्टी को मात्र 28.83% वोट प्रतिशत ही हासिल हो सका है। इसके साथ ही एमएएस को संसदीय चुनावों में भी सफलता प्राप्त हुई है, निचली संसद में जहाँ कुल 130 सीटों में से उसे 73 स्थानों पर जीत हासिल हुई है वहीँ सीनेट में उसे कुल 36 में से 21 सीटें प्राप्त हुई हैं।

सैन्य तख्तापलट के बाद से पहली बार पिछले रविवार 18 अक्टूबर को ये आम चुनाव संपन्न हुए थे, जिसने इवो मोरालेस को 10 नवम्बर 2019 को सत्ता से बेदखल होने के लिए मजबूर कर दिया था। रविवार को हुए चुनावों में आश्चर्यजनक तौर पर कुल वैध मतदाताओं के 87% लोगों ने अपनी भागीदारी की। बोलीविया में पहले दौर में ही राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल करने के लिए आवश्यक है कि किसी एक दल को कम से कम 50% से अधिक वोट हासिल हों या 40% से अधिक वोट हासिल होने की सूरत में निकटतम प्रतिद्वंदी से कम से कम 10% की बढ़त हासिल करना आवश्यक है। यहाँ पर 55% से अधिक वोट हासिल करने के साथ ही एर्स-चोकुएहुंका टिकट ने प्रथम चरण के चुनावों में ही रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर ली है।  

बोलीविया में हर तरफ लोग इस समय लोकतंत्र की वापसी एवं दमनकारी शासन के खात्मे का जश्न मना रहे हैं। एमएएस की इस जीत को निकोलस मादुरो, अल्बेर्तो फ़र्नान्डिस, अन्द्रेस मैन्युल लोपेज़ ओब्राडोर सहित अन्य विश्व नेताओं ने अपना सलाम पेश किया है, जिन्होंने हिंसक तख्तापलट के दौरान एवं बाद में भी मोरालेस और उनकी सरकार के अन्य सदस्यों और पार्टी को बेहद जरुरी मदद पहुँचाने का काम किया था। जब उन्हें पद त्यागने के लिए मजबूर किया जा रहा था तो मोरालेस और पूर्व उप-राष्ट्रपति अल्वारो गार्सिया लिनेरा को मेक्सिको में भागकर शरण लेनी पड़ी थी। इसके उपरांत जब अल्बेर्तो फर्नांडिस ने अर्जेन्टीना के राष्ट्रपति के तौर पर सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ली तो उन्होंने अपने परिवार के साथ वहां शरण माँगी थी। इस भूभाग में मौजूद अन्य प्रगतिशील सरकारों, जिसमें वेनेजुएला, क्यूबा और निकारागुआ जैसे देश शामिल हैं ने भी तत्काल आवश्यक समर्थन की पेशकश के साथ त्ख्तापलट की पुरजोर भर्त्सना की थी।

हालाँकि इस क्षेत्र के ज्यादातर देशों ने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ अमेरिकन स्टेट के नैरेटिव के साथ सुर में सुर मिलाने को ही अपनी वरीयता दी और इसके महासचिव लुईस अलमाग्रो के साथ वे खड़े नजर आये, जिन्होंने दावा किया कि 20 अक्टूबर 2019 को हुए चुनावों में मोरालेस और एमएएस ने चुनावी धोखाधड़ी करने का अपराध किया था। इन्होने बोलीवियाई धुर-दक्षिणपंथियों के चुनावी नतीजों को रद्द करने और रणनीतिक तौर पर मोरालेस को अपदस्थ करने के प्रति अपना समर्थन दिया था। 

हालाँकि ओएएस ने अर्स और चोकुएहुंका की इस भारी जीत को पहले ही मान्यता दे दी है लेकिन अभी भी उसे पिछले साल के अपने झूठे धोखाधड़ी के दावे को स्वीकारना बाकी है और यह कि इन दावों के कारण ही हिंसक तख्तापलट का मार्ग प्रशस्त हो सका था। इस तख्तापलट विरोधी विरोध प्रदर्शनों के दौरान जहाँ 37 बोलीवियाई जनता को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था, वहीँ 700 से अधिक लोग घायल हुए थे और एक हजार से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया गया था। इसके अतिरिक्त अत्याचारों, यौन हिंसा के साथ-साथ दमन एवं उत्पीडन के कई अन्य कृत्यों के अपनाए जाने की खबरें प्रकाश में आई थीं। तख्तापलट के बाद के महीनों में ओएएस द्वारा धोखाधड़ी के दावों को एमआईटी सहित कई विश्वविद्यालयों एवं स्वतंत्र शोध संस्थानों द्वारा झूठा साबित कर दिया था।  

रविवार की इस शानदार जीत ने ओएएस द्वारा धोखाधड़ी के दावों को ख़ारिज करने को लेकर मुहर लगाने का काम किया है। इस सम्बंध में लैटिन अमेरिकन स्ट्रेटेजिक सेण्टर फॉर जिओपॉलिटिक्स (सीइएलएजी) ने 86 उपक्षेत्रों में वोटों को दोबारा से संशोधित किया, जहाँ ओएएस ने 2019 के चुनावों में धांधली का आरोप लगाया था। उसने इस बात की पुष्टि की है कि एमएएस ने इस बार भी अपने वोटिंग पैटर्न को दुहराया है या वोटों की संख्या में इजाफा ही देखने को मिला है। कोडपिंक (CODEPINK) जैसे अन्य संगठनों एवं सोशल मूवमेंट्स ऑफ़ एएलबीए (ALBA) के साथ सीइएलएजी, बोलीविया में तख्तापलट की कार्यवाही को बरकरार रखने की भूमिका के लिए अलमाग्रो के तत्काल इस्तीफे की माँग कर रहे हैं।

वहीँ बोलीविया में कुछ धुर-दक्षिणपंथी समूहों ने सांता क्रूज़, कोचाबाम्बा और ला पाज़ में बेहद कम संख्या में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया है और उनका आरोप है कि रविवार को हुए चुनावों में धांधली हुई है। उनके इन दावों को शायद ही कोई मान्यता मिल सके, क्योंकि वास्तव में राष्ट्रपति जीनिन अनेज़ एवं राष्ट्रपति चुनाव में उप-विजेता रहे कार्लोस मेसा इन दोनों ने ही एमएएस की जीत और चुनावी प्रक्रिया में हुई पारदर्शिता को अपनी मान्यता दे दी है। 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

It’s official: Movement Towards Socialism Wins Landslide Victory in Bolivia

#BoliviaDecide
ALBA Movimientos
Alberto Fernández
Bolivian Elections 2020
CODEPINK
David Choquehuanca
Evo Morales
Jeanine Añez
Luis Almagro
Movement Towards Socialism
Nicolás Maduro

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